स्वस्थ भारत, प्रगतिशील भारत
सभी को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के उपाय
साक्षात्कार
केंद्र सरकार ने पिछले आठ वर्षों में देशभर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं. इस दिशा में अनेक उपाय किए गए हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्र, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन आदि जैसी योजनाओं ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आकाशवाणी संवाददाता भूपेंद्र सिंह के साथ बातचीत के दौरान स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में अपर सचिव और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन डायरेक्टर विकास शील ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में उठाए गए कदमों की जानकारी दी.
· सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करने और देश की स्वास्थ्य सुविधाओं में गुणात्मक परिर्वतन लाने के लिए सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए हैं?
· प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में वर्ष 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति जारी की गई. इसके अंतर्गत लक्ष्य तय किए गए कि हम देश में सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित करेंगे. संचारी रोगों का उन्मूलन करेंगे और गैर-संचारी रोगों के प्रभावों में कमी लाएंगे. इस परिकल्पना को पूरा करने के लिए सरकार ने 2018 में आयुष्मान भारत योजना शुरू की, जिसके अंतर्गत 14 अप्रैल 2018 को स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों की शुरुआत की गई. प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के झांगला में पहला स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्र उद्घाटित किया. गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले करीब 10 करोड़ से अधिक परिवारों को स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चों से बचाने के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत की गई जो कि आयुष्मान भारत योजना का एक दूसरा पहलू है. इसके अलावा विगत वर्ष, प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन और आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन को भी प्रारंभ किया. इस प्रकार इन चार मिशन मोड कार्यक्रमों के जरिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के लक्ष्यों और सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में सरकार सतत रूप से काम कर रही है.
· राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केन्द्र सरकार किस तरह राज्यों को मदद पहुंचाकर एक मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करने का प्रयास कर रही है?
· राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 2005 में प्रारंभ किया गया था और 2014 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन भी शुरू किया गया. 2018 से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को एक नई दिशा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मिली. स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों का क्रियान्वयन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत किया जा रहा है और बहुत से महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी इस मिशन के अंतर्गत पूरे किए जा रहे हैं. इसमें देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाना और 2030 तक मलेरिया मुक्त बनाना शामिल है. साथ ही इसके तहत, बहुत सी बीमारियों का उन्मूलन और गैर-संचारी रोगों के प्रभावों में कमी लाने का कार्य किया जा रहा है. इस योजना के अंतर्गत राज्यों को वित्तीय संसाधन और तकनीकी मदद उपलब्ध कराई जाती है.
· देशभर में अब तक एक लाख से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्र खोले जा चुके हैं. इन केंद्रों ने बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुंच लोगों तक सुनिश्चित करने में किस तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है?
· देश में अभी एक लाख 17 हजार स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्र क्रियाशील हैं. इन स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की भी व्य्वस्था की गई है. इन केंद्रों पर गैर-संचारी रोगों की जांच समेत एक विस्तृत स्वास्थ्य पैकेज की व्यवस्था की गई है. इसमें आंख, नाक, कान, गला, मानसिक स्वास्थ्य और आपातकालीन देखभाल जैसी सुविधाएं भी शामिल हैं. पहले स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधाएं, सामान्यत: मातृ व शिशु स्वास्थ्य और संचारी रोगों की देखभाल तक ही सीमित होती थी, लेकिन अब इसका विस्तार किया गया है. इसके अलावा स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों पर टेलीकंसल्टेशन और टेलीमेडिसिन की भी व्यवस्था की जा रही है, जिसके माध्यम से लोगों को अब इलाज की सुविधाएं, उनके घर के समीप ही उपलब्ध हो सकेंगी. इससे निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने की निर्भरता भी कम होगी. इस कार्यक्रम के अंतर्गत, अभी स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों पर गैर-संचारी रोगों की जांच का काम शुरू किया गया है. इन केंद्रों पर दवाईयों के वितरण और डायग्नोस्टिक की भी व्यवस्था की गई है. उम्मीद है कि इससे प्राथमिक स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चों में काफी कमी आएगी.
· गैर-संचारी रोगों की अगर बात करें तो गैर-संचारी रोग देश में मौतों का एक प्रमुख कारण है और 60 प्रतिशत से अधिक मौतें इन्हीं रोगों से होती हैं. लोगों को इन रोगों की चपेट में आने से बचाने के लिए सरकार किन-किन बातों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है?
· सरकार का ध्योन गैर-संचारी रोगों के इलाज की व्यवस्था की तरफ भी है और बचाव की व्यवस्था की तरफ भी. स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों के माध्यम से गैर संचारी रोगों की जांच की जाती है. इसका मकसद यही है कि इन रोगों के लक्षणों की जल्द से जल्द पहचान करके शुरुआती उपचार मुहैया कराया जाए. गैर संचारी रोग विशेषरूप से हाइपरटेंशन, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे-जैसे बढ़ते हैं, ये अन्य रोगों का भी कारण बनते हैं. स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों के माध्यम से इस बात पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है कि लोग स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, नियमित प्राणायाम और योगाभ्यास करें. योग की व्यवस्था स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों पर उपलब्ध है. ये जरूरी है कि लोग संतुलित आहार लें ताकि रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके. साथ ही, व्यक्तिगत और सामुदायिक साफ सफाई का भी ध्यान रखा जाए.
· सतत विकास लक्ष्यों की बात करें तो भारत लगातार इन लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में बढ़ रहा है. ऐसे में मातृ-मृत्यु अनुपात में कमी लाने और एड्स, टीबी, मलेरिया और अन्य संक्रामक रोगों से निपटने के लिए सरकार क्या-क्या कदम उठा रही है?
· जितने भी सतत विकास लक्ष्य हैं, उनमें सभी में बड़े नियोजित तरीके से कार्य किया जा रहा है. मातृ-मृत्यु दर और शिशु-मृत्यु दर के पैमानों पर, भारत में जो गिरावट आई है, वो विश्व में इन पैमानों पर आई गिरावट की दर से कहीं अधिक है. कुछ प्रदेश, यह लक्ष्य हासिल भी कर चुके हैं. हमें विश्वास है कि इन सतत विकास लक्ष्यों की तय समयसीमा, जो कि 2030 है, उसके काफी पहले ही इन लक्ष्यों को हासिल कर लिया जाएगा. जहां तक संचारी रोगों के उन्मूलन का प्रश्न है, उसमें भी बहुत सुनियोजित तरीके से कार्य किया जा रहा है. लक्षद्वीप अब टीबी मुक्त हो चुका है. कश्मीर का एक जिला, बड़गाम, पिछले साल टीबी मुक्त हुआ. कई अन्य राज्य और जिले भी इस दिशा में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. मलेरिया की अगर बात करें तो भारत, विश्व का एकमात्र ऐसा देश है, जिसने पिछले चार साल में 85 प्रतिशत से अधिक मलेरिया के मामलों में कमी कर दिखाई है. कोविड महामारी के दौरान भी इन प्रयासों में किसी प्रकार कोई कमी नहीं आई. मलेरिया के मामलों में कमी के लिहाज से भी देश तेजी से सतत विकास लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है. इसके अलावा कुछ अन्य रोग हैं, जिनके उन्मूलन का काम चल रहा है जैसे हाथी पांव, कालाजार आदि.
· सरकार टेलीकंसल्टेशन को बढ़ावा देने के लिए क्या-क्या कदम उठा रही है. इस दिशा में ई-संजीवनी किस हद तक मददगार साबित हुई है?
· कोविड महामारी के दौरान देखा गया कि तकनीक का उपयोग करके बहुत सारी सुविधाएं लोगों तक पहुंचाई जा सकती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए कोविड टीकाकरण कोविन प्लेटफार्म का उपयोग किया गया. इसी प्रकार, लोग घर बैठे-बैठे, डाक्टरी सलाह प्राप्त कर सकें, इसके लिए ई-संजीवनी प्लेटफार्म शुरू किया गया. अब इसका विस्तार और तेजी से किया जा रहा है. सभी स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों पर
ई-संजीवनी की व्यवस्था की जा रही है, ताकि जिन लोगों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधाएं नहीं हैं, उन्हें स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों के माध्यम से ये सुविधाएं प्रदान की जा सकें. इसके लिए आपातकालीन कोविड प्रतिक्रिया पैकेज और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राज्यों को पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई गई है. ये भी व्यवस्था की जा रही है कि प्रत्येक जिले में एक टेलीकंसल्टेशन या टेलीमेडिसिन हब बनें. साथ ही, जितने भी स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्र हैं, वो टेलीकंसल्टेशन सुविधाएं प्रदान करें.
· कोविड महामारी के संदर्भ में यदि देखा जाए तो सरकार द्वारा जो चार मिशन मोड परियोजनाएं शुरू की गई हैं, उसने कोविड महामारी का सामना करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. भविष्य की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से निपटने में, ये चार मिशन मोड परियोजनाएं किस हद तक मददगार साबित होंगी?
· आयुष्मान भारत के अंतर्गत जो चार मिशन शुरू किए गए हैं, उसका स्पष्ट उद्देश्य, सार्वजनिक सार्वभौमिक स्वास्थ्य के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को पूरा करना है. स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य के उद्देश्य को पूरा करते हैं. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, अस्पतालों में इलाज की जरूरत को पूरा करती हैं. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, तकनीक के उपयोग के बारे में व्यवस्था करता है. स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत एक नए प्रकार की आधारभूत संरचना तैयार की जा रही है जिसकी मदद से देश को भविष्य की किसी भी महामारी से लड़ने के लिए तैयार किया जा सके.
· नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 40 करोड़ भारतीयों के पास अब भी स्वास्थ्य बीमा के जरिये उच्च चिकित्सा संबंधित जरूरतों के लिए वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध नहीं है. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना किस तरह इन लोगों के लिए वरदान साबित हुई है?
· आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा, आपातकालीन स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च के कारण गरीबी के नीचे चला जाता है. ऐसे सभी परिवारों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत पांच लाख रुपये तक का सुरक्षा कवच प्रदान किया जाता है. इस योजना के अंतर्गत बहुत तेजी से काम हो रहा है. करीब तीन करोड़ से अधिक लोग अब तक इससे लाभान्वित हो चुके हैं. इससे लोगों को आपातकालीन स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च और अस्पतालों में होने वाले खर्च से सुरक्षा मिली है. पहले केवल सरकारी अस्पतालों तक निर्भरता थी, लेकिन अब गरीब आदमी भी निजी अस्पतालों के अंतर्गत इलाज करा सकता है.
· कोविड महामारी ने एक बार फिर डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की अहम भूमिका को सामने लाकर खड़ा कर दिया है. ऐसे में देशभर में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में इजाफा करने और स्वास्थ्य के आधारभूत संरचना को और मजबूत बनाने के लिए सरकार द्वारा क्या-क्या कदम उठाए गए हैं?
· मानव संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए चिकित्सकीय शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार किए गए हैं. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की स्थापना की गई है. हाल ही में नेशनल कमीशन फॉर अलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन्स एक्ट बनाया गया हैं, इसके तहत पैरामेडिक्स की व्यवस्था मजबूत होगी. नर्सिंग सुविधाओं में विस्तार करने और नर्सिंग शिक्षण की क्षमताओं में वृद्धि करने के लिए भी सतत रूप से प्रयास किए जा रहे हैं. राज्यों के साथ मिलकर इस प्रकार की भी व्यवस्था की जा रही है कि न सिर्फ चिकित्सा के लिए संसाधनों की व्यवस्था हो, बल्कि लोक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कार्य करने के लिए मानव संसाधन उपलब्ध हो सके. ये भी महत्वपूर्ण है कि इन मानव संसाधनों, डॉक्टर्स, नर्सिंग, पेरामैडिक्स की क्षमताओं का विकास सतत रूप से किया जा सके. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के ट्रेनिंग मॉड्यूल्स की व्यवस्था है और ऑनलाइन ट्रेनिंग की भी बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई है. देश में सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस भी विकसित किए जा रहे हैं ताकि जो मानव संसाधन है, उनकी क्षमता का भी सतत रूप से विकास किया जा सके.
· सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों को लेकर आगे आने वाले वर्षों में क्या-क्या योजनाएं और कार्यक्रम शुरू करने की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की योजनाएं हैं?
· हाल ही में स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों को लेकर प्रधानमंत्री ने लक्ष्य दिया है कि दिसंबर 2022 तक डेढ़ लाख केंद्रों को क्रियाशील किया जाए. इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है. ये भी लक्ष्य है कि डेढ़ लाख केंद्रों पर सुविधाओं का विस्तार किया जाए. साथ ही सभी स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों पर टेलीकंसल्टेशन की सुविधा भी उपलब्ध हो. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत सभी योग्य परिवारों को गोल्डन कार्ड्स मिले और इलाज की सुविधा मिले, इस दिशा में भी कार्य चल रहा है. स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन की नई योजना प्रारंभ की गई है, अब उसका क्रियान्वयन शुरू किया जा रहा है. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जो कि नया मिशन पिछले साल शुरू हुआ है, उसके अंतर्गत भी आगे कार्य किया जाएगा, जिसके माध्यम से लोगों को सुलभ इलाज उपलब्ध हो सकेगा.
(साक्षात्कारकर्त्ता आकाशवाणी में संवाददाता हैं. उनसे bhupendra@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है.)
व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.