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विशेष लेख


अंक संख्या 30, 22-28 अक्तूबर ,2022

स्वदेशी रूप से डिजाइन एवं विकसित किया गया हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच)

आत्‍मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की उड़ान

 

स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया पहला हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) आधिकारिक रूप से भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल हो चुका है। इसे देश की रक्षा क्षमता के प्रमुख प्रोत्‍साहक के साथ ही साथ रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता की यात्रा में एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर भी देखा जा रहा है।

हिन्‍दुस्‍तान एरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा डिजाइन और निर्मित एलसीएच भीषण  जमीनी हमले और हवाई युद्ध करने की क्षमता से लैस है। यह स्वदेशी डिजाइन, विकास एवं निर्माण में भारत के बढ़ते कौशल का प्रमाण है और रक्षा क्षेत्र में 'आत्मानिर्भरता' की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। हेलीकॉप्टर में आधुनिक स्टेल्थ विशेषताओं, मजबूत कवच सुरक्षा और रात में हमला करने की भीषण क्षमता विद्यमान है। इसकी ऑनबोर्ड उन्नत नेविगेशन प्रणाली, कम दूरी से युद्ध करने के लिए उपुक्‍त गन्‍स और हवा से हवा में मार  करने वाली शक्तिशाली मिसाइलें एलसीएच को आधुनिक युद्ध क्षेत्र के लिए विशेष रूप से अनुकूल बनाती हैं। ऊंचाई वाले इलाकों से संचालन करने और ऊंचाई वाले लक्ष्यों पर सटीक हमले करने में सक्षम यह हेलीकॉप्टर भारतीय सशस्‍त्र बलों के शस्त्रागार की शक्ति और भी विकट बनाता है ।

 

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति  (सीसीएस) ने इसी साल मार्च में भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के लिए 3387 करोड़ रुपये की लागत से15 स्वदेशी हल्‍के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) लिमिटेड श्रृंखला खरीदनेको मंजूरी दी थी और इसके साथ ही  377 करोड़ रुपये मूल्‍य की अवसंरचना के लिए भी स्‍वीकृति दी थी।

 

भारतीय वायु सेना में एलसीएच

एलसीएच का  नामकरण 'प्रचंड' के रूप में किए जाने के बाद 3 अक्टूबर2022 को उसे भारतीय वायुसेना (आईएएफ) में शामिल कर लिया गया। इसे भारतीय वायुसेना में शामिल करने के लिए आईएएफ बेस जोधपुर में आयोजित समारोह में रक्षामंत्री श्रीराजनाथ सिंह ने भाग लिया। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिलचौहान, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी, एयर मार्शल विक्रमसिंह एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षिण पश्चिमी वायु कमान, एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्रीसी.बी.अनंतकृष्णन, रक्षामंत्रालय, भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी और स्थानीय गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने कहा, स्वदेशी डिजाइन और विकास के प्रति भारतीय वायुसेना द्वारा व्‍यक्‍त  किया गया विश्वास और समर्थन मारुत, हल्के लड़ाकू विमान, आकाश मिसाइल प्रणाली, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर जैसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट है। एचएएल के एलसीएच को शामिल किया जाना इस तथ्य को रेखांकित करता है कि जिस तरह देश भारतीय वायु सेना पर भरोसा करता है, उसी तरह भारतीय वायुसेना भी स्वदेशी उपकरणों पर भरोसा करती है।

 

एलसीएच 'प्रचंड' अब भारतीय वायुसेना की नव स्‍थापित 143 हेलीकॉप्टर यूनिट (धनुष) का हिस्सा है। इस यूनिट की स्‍थापना 1 जून 2022 को हुई थी और 18 जुलाई 2022 से इसे एलसीएच  का प्रारंभिक लॉट प्राप्त होना शुरू हो गया था। 3 अक्टूबर, 2022 को यूनिट में चार एलसीएचशामिलकिएगए।ऊंचाई वाले इलाकों से संचालन करने और ऊंचाई वाले लक्ष्यों पर सटीक हमले करने में सक्षम यह हेलीकॉप्टर भारतीय सशस्‍त्र बलों के शस्त्रागार की शक्ति और भी विकट बनाता है।

 

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी के अनुसार, एलसीएच की बहुमुखी प्रतिभा और आक्रामक क्षमता दुनिया भर में संचालित अधिकांश लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के बराबर या उनसे बेहतर है। उन्होंने कहा कि एलसीएच का संचालन करने वाली 143-हेलीकॉप्टर यूनिट में कर्मियों का चयन पेशेवर क्षमता के आधार पर किया गया है ताकि यूनिट का संचालन जल्द से जल्द सुनिश्चित किया जा सके।

 

भारतीय सेना में एलसीएच

इससे पहले, एचएएल ने 29 सितंबर को पहला एलसीएच सेना उड्डयन कोर के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए.के.सूरी को सौंपा था। सेना के अतिरिक्त जनसूचना महानिदेशालय ने एक ट्विटर पोस्ट में कहा:अत्यधिकगतिशील और फुर्तीला, एलसीएच लड़ाकू क्षमता में महत्‍वपूर्ण वृद्धि करेगा।इन हेलीकॉप्टरों द्वारा युद्ध ,तलाश और बचाव, आतंकवाद विरोधी अभियानों, धीमी गति से चलने वाले विमानों और दूरस्‍थ पायलट स्‍टेशन से संचालित होने वाले मानवरहित विमानों (आरपीए) के खिलाफ निभाई जाने वाली विभिन्न भूमिकाओं से सेना की क्षमताओं में वृद्धि होने की उम्मीदहै।

भारी हथियार प्रणालियों और प्लेटफॉर्म से युद्ध के मैदान में त्‍वरित गति मुमकिन नहीं हो पाती, वे कभी-कभी भेद्य या असुरक्षित होते हैं और आसानी से दुश्मन का निशाना बन जाते हैं। इसलिए, समय की मांग यही है कि उन उपकरणों और प्लेटफार्मों के विकास की ओर बढ़ा जाए, जो मोबाइल हों, जो आवाजाही में आसान हो, जो अधिक लचीले होने के साथ ही साथ सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करते हों। इस संदर्भ में, एलसीएच को शामिल किया जाना अत्‍यंत महत्‍वपूर्णहै।

 

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता

वर्ष 2013 में, तत्कालीन सरकार ने रक्षा स्वदेशीकरण नीति की घोषणा  की और रक्षा उपकरण के निर्माण में उसकी कुल लागत में से कम से कम 30 प्रतिशत व्‍यय स्वदेशी सामग्री पर किया जाना अनिवार्य कर दिया। वर्ष 2020 में घोषित की गई रक्षा अधिग्रहण नीति (डीएपी) ने कुल विनिर्माण लागत पर स्वदेशी सामग्री की पिछली सीमा बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दी। यह एक महत्वपूर्ण कदम था जिसने घरेलू हथियार विक्रेताओं पर और सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने की उनकी क्षमताओं पर सरकार के विश्वास को परिलक्षित किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 12 मई 2020 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन के दौरान, पांच सिद्धांतों- अर्थव्यवस्था, प्रणाली, बुनियादी ढांचा, जनसांख्यिकी और मांग के आधार पर आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया। उन्होंने 'आत्मनिर्भर भारत' नामक एक विशेष आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की। इसे एक केंद्र बिंदु के रूप में लेते हुए रक्षा मंत्रालय ने रक्षा उपकरणों की एक 'नकारात्मक सूची' जारी की, ताकि उन उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगाया जा सके और 'आत्मनिर्भर भारत' की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए स्वदेशीकरण पर जोर दिया जा सके। हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) 'नकारात्मक सूची' में शामिल हैं।

एलसीएच को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के रोटरी विंग रिसर्च एंड डिज़ाइन सेंटर (आरडब्‍ल्‍यूआरडीसी) द्वारा 45% मेड-इन-इंडिया घटकों के साथ स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया है। इसकी कॉकपिट को पायलट और सह-पायलट / गनर दो व्यक्तियों के बैठने की क्षमता के साथ डिज़ाइन किया गया है। एलसीएच में ग्लास कॉकपिट है,जिसमें  इंटिग्रेटेड एवियोनिक्स एंड डिस्प्लेसिस्टम (आईएडीएस) समायोजित किया गया है और इसमें ऑनबोर्ड टार्गेट एक्‍वीजीशन और डेजिग्‍नेशन सिस्‍टम्‍स के संयोजन के साथ मल्टीफंक्शन डिस्प्ले की श्रृंखला विद्यमान है।यह संचालन की विभिन्न परिस्थितियों में सेना और वायुसेना दोनों के लिए आधुनिक युद्ध और आवश्यक गुणवत्ता मानकों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। यह बहुमुखी हेलीकॉप्टर न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की आयात पर निर्भरता को कम करेगा, बल्कि यह रक्षा निर्यातका प्रबल उम्मीदवार भी है।

 

एचएएल एलसीएच की प्रमुख विशेषताएं

एलसीएच कई तरह की भूमिकाएं निभाने में सक्षम है, जिनमें युद्ध, तलाश और बचाव, दुश्मन की वायु रक्षा को नष्ट करना त‍था जंगल और शहरी वातावरण में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाना शामिल हैं। इसकी प्रमुख विशेषताओं में निम्‍नलिखित शामिल हैं:

·         यह एक अत्याधुनिक लड़ाकू हेलीकॉप्टर है, जिसे मुख्य रूप से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जो 5,000मीटर की ऊंचाई पर हथियारों और ईंधन के काफी भार के साथ उतरने एवं उड़ान भरने में सक्षम है।

·         इसकी ऑनबोर्ड उन्नत नेविगेशन प्रणाली, कम दूरी से युद्ध करने के लिए उपुक्‍त गन्‍स औरहवा से हवा में मार  करने वाली शक्तिशाली मिसाइलें एलसीएच को आधुनिक युद्ध क्षेत्र के लिए विशेष रूप से अनुकूल बनाती हैं।

·         यह हेलीकॉप्‍टर दो शक्ति इंजनों द्वारा संचालित है।

·         इसमें मजबूत कवच सुरक्षा और रात में भीषण हमला करने की क्षमता है।

·         क्रैश-वर्थी लैंडिंगगियर से लैस, दो व्‍यक्तियों के बैठने की क्षमता वाले कॉकपिट वाली सहित संकरा ढांचा  एलसीएच को अत्यंत गतिशील और फुर्तीला बनाता है।

·         लोरडार क्रॉस सेक्शन और न्यूनतम इन्फ्रारेड सिग्नेचर जैसी आधुनिक स्टेल्थ विशेषताएं एचसीएच को दुश्मन के रडार की पकड़ में आए बिना उसके इलाके में जाने  और सटीक हमला करने में समर्थ बनाती है।

·         एलसीएच हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, 70 एमएम रॉकेट और 20 एमएम गन से लैस है। इसकी कॉकपिट पूरी तरह कांच से बनी है, चालक दल के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक वारफेयर सूट और हेलमेट-माउंटेड डिस्‍प्‍ले हैं।

 

स्रोत :पीआईपी/एचएएल/डीआरडीओ

संकलन : अनुजा भारद्वाजन एवं अनीषा बेनर्जी