अवधारणाओं में बदलाव भारतीय युवाओं का कौशल उन्नयन
कौशल की पहचान, सम्मानजनक पारिश्रमिक, रोजग़ार उन्नयन और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा कौशल शिक्षा को अर्थपूर्ण रोजग़ार का अपेक्षित मार्ग बनने और स्थाई आजीविका में परिवर्तित करने के लिये महत्वपूर्ण हैं. व्यवसायिक शिक्षा के जरिये कौशल हासिल करने को लेकर हताशा और रोजग़ार के लिये अवांछित मार्ग अपनाने की ज़रूरत नहीं है. ‘‘भारत की कौशल प्रतिस्पद्र्धा’’ और विश्व युवा कौशल दिवस समारोहों से भारत को दुनिया की कौशल राजधानी में बदलने के लिये प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवाईवी) के अधीन सतत प्रयासों को बल मिला है.
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के जरिये व्यवसायिक प्रशिक्षण, देश में कौशल प्रशिक्षण की बहुत पुरानी व्यवस्था’’ को अभूतपूर्व प्रोत्साहन के लिये भारतीय कौशल हमारे राष्ट्र के युवाओं के लिये विश्व कौशल अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पद्र्धा जैसे वैश्विक मंच पर अपने कौशलों के प्रदर्शन के लिये महान अवसर प्रदान करते हैं. विश्व कौशलों की कौशल ओलंपिक के तौर पर वैश्विक पहचान है और 75 से अधिक सदस्य देशों की भागीदारी के साथ संयुक्त राष्ट्र ने इन्हें मान्यता प्रदान की है. भारत के कौशलों का उद्देश्य हमारे देश के उदीयमान युवाओं के लिये पहचान और सम्मान हासिल करना तथा उन्हें उद्योग मानदंडों के अनुरूप रोजग़ार योग्य बनाना है, जिससे कि भारत का कौशल, श्रम और रोजग़ार परिदृश्य परिवर्तित हो सके. राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने, जिन्होंने ‘इंडिया स्किल्स-2016’ प्रतियोगिता का उद्घाटन किया, ने उल्लेख किया कि भारत एक युवा राष्ट्र है जिसकी 62 प्रतिशत जनसंख्या कामकाजी आयु वर्ग की है और कुल जनसंख्या का 54 प्रतिशत से अधिक हिस्सा 25 वर्ष से कम आयु के युवाओं का है और हर वर्ष कऱीब डेढ़ करोड़ युवा कार्यबल में शामिल हो रहे हैं.
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवाईवी) के एक वर्ष को प्रतियोगिता से जोडक़र कौशल विकास और उद्यमशीलता विकास मंत्रालय तथा राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के प्रयासों से हेयर स्टाइलिस्ट, वैल्डिंग, कार पेंटिंग, ऑटो बॉडी रिपेयर, ग्राफिक डिज़ाइनिंग, रोबोटिक्स तथा कई अन्य सहित 24 कौशलों/टे्रडों में 80 से अधिक क्षेत्रीय प्रतियोगिताएं पूरी की गईं.
इस वर्ष प्रतियोगिता के लिये कऱीब 4820 उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया और भारतीय कौशलों में प्रतिनिधित्व के लिये उत्कृष्ट प्रतिभा के चयन के लिये 40 संगठन एकजुट हुए. इन प्रतियोगिताओं से लघुसूचीबद्ध किये गये उम्मीदवार आबु धाबी में 2017 में विश्व कौशल अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिये अंतिम चयन हेतु अर्हता प्राप्त करेंगे, जहां पेशेवर युवा, उद्योग और शिक्षक प्रतिस्पद्र्धा, अनुभव और शिक्षण के अवसर प्रदान करेंगे कि किस प्रकार वे अपनी पसंद के कौशल में मास्टर हो सकते हैं.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत अगले चार वर्षों में एक करोड़ लोगों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने की स्वीकृति दी है. इस कार्य के लिये रुपये 12,000 करोड़ आबंटित किये गये हैं. योजना के तहत 60 लाख युवाओं को नये प्रशिक्षण प्रदान किये जायेंगे और 40 लाख व्यक्तियों के कौशल का प्रमाणीकरण किया जायेगा जिन्होंने अनौपचारिक तौर पर कौशल हासिल किया है. योजना के अधीन सरकार 2016-2020 के बीच चार वर्षों के भीतर युवाओं को कौशल प्रदान करेगी. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना भारत सरकार की एक विशिष्ट पहल है जो भारतीय युवाओं को अर्थपूर्ण, उद्योग संगत, कौशल आधारित प्रशिक्षण प्रदान करती है. इस योजना के अधीन प्रशिक्षुओं को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने और मूल्यांकन के आधार पर वित्तीय पुरस्कार और सरकारी प्रमाणपत्र प्रदान किया जायेगा जिससे उन्हें बेहतर भविष्य के लिये रोजग़ार पाने में मदद मिलेगी.
एक वर्ष पहले 15 जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कौशल प्रशिक्षण गतिविधियों को लेकर विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों के बीच तालमेल के लिये राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन की शुरूआत की थी. भारत के युवाओं के लिये उदीयमान भविष्य के अपने दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में अंतर-राज्य परिषद की बैठक में दोहराया कि भारत की ताक़त इसके युवा हैं और देश में एक अच्छा वातावरण अपरिहार्य आवश्यकता है, जहां पर वे कौशल हासिल कर सकें. कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी ने कहा कि, ‘‘पिछले एक वर्ष के दौरान की गतिविधियों और उपलब्धियों को लेकर जश्न मनाया जाना गर्व का विषय है. 2015-16 में पिछले वर्ष की तुलना में 36.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कौशल भारत के अंतर्गत विभिन्न पहलों के अधीन एक करोड़ चार लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.
यह युवा भारतीयों के लिये भी खुशी का क्षण है कि कौशल भारत एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गया है जो कि युवाओं के लिये सफल भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है.
पी. एस. मदन कुमार