क्षेत्रीय वायु संपर्क योजना
बृज भारद्वाज
नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा है, ‘‘हवाई चप्पल वाले को भी हवाई जहाज़ में हमें बिठाना है। हम चाहते हैं कि क्षेत्रीय विमानन बाज़ार देश में फले-फूले। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय संपर्क योजना के अधीन अगले वर्ष जनवरी से 16 हवाई अड्डे उड़ान भरने के उद्देश्य के लिये तैयार हैं।
केंद्र ने उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) के नाम से एक क्षेत्रीय संपर्क योजना की शुरूआत की है जिसमें एक घण्टे के उड़ान समय के लिये और क्षेत्रीय हवाई अड्डों से उड़ान के लिये 2500 रु. मूल्य का किराया तय किया गया है, परंतु क्षेत्रीय एयरलाइन्स को भुगतान की जाने वाली सब्सिडी की राशि को मसौदा योजना में प्रस्तावित स्तर से बढ़ा दिया गया है।
योजना का उद्देश्य सामथ्र्य, विकास और संपर्क हैं। योजना से न केवल आम आदमी को किफायती हवाई यात्रा की सुविधा मिलेगी बल्कि इसका पर्यटन, संतुलित क्षेत्रीय विकास पर दूरगामी प्रभाव होगा और भीतरी प्रदेश में रोजग़ार के अवसरों में वृद्धि होगी। इस योजना का उद्देश्य छोटे और मझौले शहरों में 50 से अधिक सेवा रहित और अल्प सेवारत हवाई अड्डों का पुनरूद्धार करना है।
योजना के तहत एयरलाइन्स को छोटे हवाई अड्डों पर लैंडिंग और पार्किंग प्रभारों की माफी जैसी कई तरह की रियायतों के प्रस्ताव किये जायेंगे। नागर विमानन सचिव आर। एन। चौबे के अनुसार ‘‘योजना के अधीन लघु से बृहत हवाई अड्डों तक उड़ान भरने के लिये हवाई अड्डा लाभों के विस्तार के प्रस्ताव पर सरकार सक्रियता से विचार कर रही है। हम ऐसा करने के इच्छुक हैं परंतु इसके लिये एक कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा’’। क्षेत्रीय विमान कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिये इस वर्ष पहले जारी की गई मसौदा योजना से सब्सिडी की राशि को बढ़ा दिया गया है। अब एयरलाइन्स को तीन वर्ष के लिये प्रति सीट रु. 2350-रु. 5100 प्राप्त होंगे।
पहले चरण में क्षेत्रीय संपर्क योजना के अधीन कऱीब 22 हवाई अड्डे जोड़े जायेंगे। पहले चरण में 22 हवाई अड्डे पहले से तैयार हैं और जब भी एअरलाइन्स चाहेंगे उड़ान भर सकती हैं। इनमें से एक अंडमान निकोबार में, तीन असम में, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में दो-दो शामिल हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण 2019-20 तक की अवधि के दौरान हवाई अड्डों अवसंरचना के उन्नयन में रु. 17,500 करोड़ का निवेश करेगा। इसके लिये राशि आंतरिक स्रोतों से जुटाई जायेगी। बाहर से भी धन जुटाया जा सकता है। राशि को कई मौजूदा हवाई अड्डों के उन्नयन, हवाई अड्डा टर्मिनलों के निर्माण और विमान पट्टिकाओं के विस्तार पर ख़र्च किया जायेगा। 30 छोटे हवाई अड्डों के क्षेत्रीय उड़ानों के लिये उन्नयन के लिये भी धन का निवेश किया जायेगा। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने देश भर में 50 विशेष हवाई अड्डों के निर्माण की भी योजना बनाई है।
क्षेत्रीय एयरलाइन्स सरकार को किसी ख़ास मार्ग पर कम से कम 150 कि।मी। की दूरी तक उड़ानों के प्रचालन के लिये प्रस्ताव देकर सब्सिडी दिये जाने के लिये भी कह सकती हैं। आरंभिक प्रस्तावों की जांच करने के उपरांत सरकार दो सप्ताहों की अवधि के भीतर काउंटर प्रस्ताव आमंत्रित करेगी।
सबसे कम व्यवहार्य अंतर वित्तपोषण राशि की दरें प्रस्तुत करने वाली एयरलान्स उलटी बोली व्यवस्था के जरिये बोली में जीत हासिल कर लेंगी। इसके बाद सफल बोलीदाता के पास तीन वर्षों की अवधि के लिये मार्ग पर उड़ानें संचालित करने का विशिष्ट अधिकार हो जायेगा। एयरलाइन को एक घण्टे की उड़ान के लिये रु. 2500 के किराये पर न्यूनतम नौ और अधिकतम 40 सीटें उपलब्ध करवानी होंगी। बोली प्रक्रिया अगले वर्ष जनवरी में शुरू होगी जिसके तत्काल बाद मार्ग निर्धारित कर दिये जायेंगे। बोली प्रक्रिया वर्ष में दो बार संचालित की जायेगी।
यद्यपि सरकार ने कहा है कि योजना के अधीन छोटे शहरों से पहली उड़ान अगले साल जनवरी में शुरू हो जायेगी, नियमित उड़ानों पर उड़ान भरने वालों पर लगाये जाने वाले कर की राशि पर सब्सिडी के बारे में अभी तक कोई घोषणा नहीं की गई है। सरकार आधी सीटें रियायती दर पर उपलब्ध करवाने के लिये क्षेत्रीय एयरलाइन्स को सब्सिडी प्रदान करेगी।
इसकी घोषणा वाले दिन कुछ एयरलाइन्स ने क्षेत्रीय संपर्क योजना के तौर तरीकों पर चिंता प्रकट की थी और यह राय दी कि बड़े हवाई अड्डों के लिये भी रियायतों का विस्तार किये जाने की आवश्यकता है जिन्हें क्षेत्री हवाई अड्डों से उड़ानों के लिये जोड़ा जायेगा।
यह अभी अस्पष्ट है कि रियायतें छोटे और बड़े दोनों ही हवाई अड्डों को प्रदान की जायेंगी। इस बारे में एक स्पष्टीकरण दिया जायेगा कि क्या छोटे हवाई अड्डों पर प्रदान की जाने वाली रियायतें बड़े हवाई अड्डों को प्रदान की जायेंगी क्योंकि यह समूची परियोजना की आर्थिक व्यवहार्यता पर प्रभाव डालेगा। बड़े हवाई अड्डों पर स्लॉट की उपलब्धता एक अन्य मुद्दा होगा।
केंद्रीय सरकार एयरलाइन्स को व्यवहार्य अंतर वित्तपोषण, विमानन टरबाईन ईंधन पर उत्पाद कर में रियायत और हवाई टिकटों पर सेवा कर में रियायत के साथ अपना सहयोग बढ़ायेगी। राज्य सरकारों की ओर से भी विमानन टरबाईन ईंधन पर वैट में रियायत, मुफ्त भूमि, सुरक्षा और अग्निशमन सेवाओं के साथ-साथ रियायती दरों पर उपयोगिता सेवाएं प्रदान करने का प्रस्ताव है। इस योजना के अधीन आने वाले हवाई अड्डों पर विमानों के लिये हवाई अड्डा प्रचालन उद्देश्य के लिये लैंडिंग, पार्किंग और नेविगेशन हेतु कोई धनराशि नहीं वसूले जाने का प्रस्ताव है।
उड़ान योजना के अन्य संबद्ध क्षेत्रों पर दूरगामी प्रभाव के साथ विमानन क्षेत्र के लिये एक परिवर्तनकारी साबित होने की संभावनाएं हैं। असेवारत और कम सेवारत हवाई अड्डों की बहाली से वहां पर पहले से मौजूद अवसरंचना का समुचित उपयोग हो सकेगा। भारत जैसे विकासशील देश अपनी अवसंरचना और क़ीमती संसाधनों को बेकार पड़े रहने देने या कम उपयोग होने की स्थिति को कतई सहन नहीं कर सकता। इस योजना से न केवल आम आदमी को किफायती मूल्यों पर हवाई उड़ान भरने की सुविधा मिलेगी बल्कि इससे अर्थव्यवस्था में तेज़ी आयेगी और रोजग़ार के अवसरों का सृजन होगा।
(लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हैं। उनके द्वारा व्यक्ति किये विचार स्वयं के हैं)