आयुष संस्थानों के माध्यम से संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित
कमल कुमार
कोविड-19 महामारी से उत्पन्न विश्वव्यापी स्वास्थ्य संकट से एक बात स्पष्ट हो गई है कि प्रभावी वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना पूर्णरूपेण लचीली, किफ़ायती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर निर्भर करता है। पारंपरिक स्वास्थ्य पद्धतियों पर केंद्रित एक संपूर्ण एकीकृत दृष्टिकोण वाली स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों के सही उपयोग से माध्यमिक और तृतीयक देखभाल के बोझ को बहुत कम कर सकती है।
आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी पद्धतियों के लिए राष्ट्रीय आयुष संस्थानों के तीन उपग्रह केंद्रों का उद्घाटन आयुष मंत्रालय के दृष्टिकोण और मिशन के अनुरूप है ताकि हमारी सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणाली के साथ आयुष का सक्रिय जुड़ाव/एकीकरण सुनिश्चित किया जा सके। यह केवल बुनियादी ढांचे के विस्तार तक सीमित नहीं है बल्कि मानव संसाधन के सृजन और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए भी है।
देश के विभिन्न भूभागों में प्रतिष्ठित आयुष संस्थानों की स्थापना के विस्तार से आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी पद्धतियों को मुख्यधारा में लाने की प्रक्रिया को और मजबूती मिलेगी। ये संस्थान गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन और प्रशिक्षित आयुष पेशेवरों की उपलब्धता का एक पूल तैयार करेंगे। इन संस्थानों के माध्यम से लगभग 400 छात्र लाभान्वित होंगे और रोगियों की देखभाल के लिए 550 अतिरिक्त बिस्तर जोड़े जाएंगे।
यह देश के विभिन्न क्षेत्रों में अधिक तृतीयक स्तर की स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना के निर्माण को सक्षम करेगा, रेफरल प्रणाली में सुधार करेगा और प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तर की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करेगा। यह परिकल्पना की गई है कि यह अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और मजबूत करेगा और बड़े पैमाने पर समुदाय को आयुष सेवाएं प्रदान करने की सुविधा उपलब्ध कराएगा।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), गोवा
उत्तरी गोवा में पेरनेम तालुका के धरगल गांव में स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के संबंध में भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए आयुर्वेद का प्रवेश द्वार बनने की परिकल्पना की गई है, जिससे मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के लिए अधिक संभावनाएं उत्पन्न होती हैं। गोवा में यह केंद्र अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), दिल्ली का उपग्रह केंद्र होने के नाते, अपने 50 एकड़ के विशाल परिसर के साथ, निवारक, नैदानिक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करने के लिए उसी तर्ज पर तैयार किया गया है। गोवा केंद्र स्नातक-पूर्व, स्नातकोत्तर और पीएचडी स्तरों पर शैक्षणिक पाठ्यक्रम भी उपलब्ध कराएगा, जिसमें एआईआईए - नई दिल्ली में पहले से ही संचालित 12 स्नातक पाठ्यक्रमों के साथ-साथ शरीर रचना और अगदा तंत्र सहित नए पाठ्यक्रम शामिल हैं। 250 बिस्तरों वाले अस्पताल की सुविधा से सुसज्जित, आईसीयू और आपातकालीन प्रबंधन इकाई के साथ, यह स्थानीय आबादी की गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा।
संस्थान में एक शैक्षणिक ब्लॉक, एक छात्रावास, एक सुविधा केंद्र, एक खेल सुविधा और एक आहार केंद्र का प्रावधान है। यह रोगियों के समग्र कल्याण के लिए ओपन एरिया लैंडस्केपिंग, एक खेल का मैदान और एक हर्बल गार्डन के साथ पंचकर्मा कॉटेज जैसी सहायक सेवाएं भी प्रदान करता है।
राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान (एनआईयूएम), गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में कमला नेहरू नगर में स्थित राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान (एनआईयूएम), एनआईयूएम, बेंगलुरु का एक उपग्रह संस्थान है और उत्तर भारत में स्थापित होने वाला अपनी तरह का पहला संस्थान होगा। इसमें 14 विभाग होंगे और यूनानी चिकित्सा के विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट पाठ्यक्रम संचालित होंगे। 200 बिस्तरों वाले अस्पताल की सुविधा के साथ, संस्थान दवा विकास, गुणवत्ता नियंत्रण, सुरक्षा मूल्यांकन और यूनानी चिकित्सा और पद्धतियों के वैज्ञानिक वैधीकरण के मूलभूत पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
यह शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान में बेंचमार्क मानक स्थापित करेगा और यूनानी चिकित्सा में वैश्विक प्रचार और अनुसंधान के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग केंद्र के रूप में भी कार्य करेगा। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के विश्वविद्यालयों/अनुसंधान संगठनों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने में संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (एनआईएच), दिल्ली
नरेला, दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (एनआईएच), राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान, कोलकाता का एक उपग्रह संस्थान है, जो आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है। यह होम्योपैथी को लोकप्रिय बनाने और विशेष रूप से होम्योपैथी में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करने के लिए उत्तरी भारत में स्थापित होने वाला अपनी तरह का पहला संस्थान है। यह होम्योपैथी की विभिन्न विशिष्टताओं में उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा पेशेवरों का सृजन करेगा। संस्थान के 7 विभाग गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली के तहत होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के कई विषयों में स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट पाठ्यक्रम संचालित करेंगे।
यह संस्थान वैश्विक प्रचार के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग केंद्र के रूप में कार्य करेगा, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को परिभाषित करेगा और चिकित्सा की होम्योपैथिक प्रणाली में अनुसंधान करेगा। यह कल्पना की गई है कि संस्थान होम्योपैथी में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अनुसंधान में बेंचमार्क मानकों को स्थापित करने में एक लंबा मार्ग तय करेगा। औषधि विकास, गुणवत्ता नियंत्रण, सुरक्षा मूल्यांकन और होम्योपैथी दवाओं और पद्धतियों के वैज्ञानिक वैधीकरण के मूलभूत पहलुओं पर मुख्य ध्यान दिया जाएगा।
होम्योपैथी के माध्यम से बेहतरीन देखभाल और उपचार सुविधा प्रदान करने के लिए इसमें 100 बिस्तरों वाला एक संबद्ध अस्पताल है। अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर, लेबर रूम और जांच सुविधाओं जैसे कि यूएसजी, एक्स-रे, इकोकार्डियोग्राफ़, ईसीजी, पीएफटी, पैथोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री लैब, और एम्बुलेंस सुविधाओं आदि के साथ बहिरंग रोगी विभाग और आंतरिक रोगी विभाग हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में आयुष मंत्रालय ने भारत की पारंपरिक चिकित्सा को न केवल देश में बल्कि विश्व भर में लोकप्रिय बनाने का काम किया है। हमें अपने देश को एक स्वस्थ भारत का गौरव प्रदान करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। रोगी देखभाल और नैदानिक अनुसंधान दोनों में प्रमुख राष्ट्रीय आयुष संस्थान स्वास्थ्य सेवा के उपचारात्मक, निवारक, उन्नयन और पुनर्वास संबंधी पहलुओं में उत्कृष्टता बनाए रखने की दिशा में काम कर रहे हैं। ये तीन संस्थान हमारी पारंपरिक औषधीय पद्धतियों को अपनी शक्ति के अनुसार पुनर्जीवित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि लोग इनका जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए लाभ उठा सकें।
लेखक मीडिया प्रोफेशनल हैं, जो आयुष मंत्रालय के साथ जुड़े है उनसे kamalkumar112011@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है
व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।