जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक
वैशिवक निर्णय निर्धारण के लिए आपसी सहमति आवश्यक: भारत
समीरा सौरभ
वसुधैव कुटुम्बकम - एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की थीम वाले जी20 के विदेश मंत्रियों की बैठक नई दिल्ली में 1 मार्च से 2 मार्च 2023 तक आयोजित की गई थी। यह किसी भी जी20 अध्यक्ष द्वारा आयोजित अब तक के सबसे बड़े आयोजनों में से एक था।
यह बैठक महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह ऐसे समय में हुई है जब दुनिया कुछ सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी), जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण तथा जैव विविधता के नुकसान, आर्थिक मंदी, ऋण संकट, महामारी से असमान बहाली, बढ़ती गरीबी तथा असमानता, खाद्य तथा ऊर्जा असुरक्षा की दिशा में अपर्याप्त प्रगति और यूक्रेन संघर्ष पर अमरीका के नेतृत्व वाले पश्चिम तथा रूस-चीन गठबंधन के बीच बढ़ती कड़वाहट जैसे भू-राजनीतिक तनावों और संघर्षों से बढ़ गए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान जैसी बहुआयामी चुनौतियों का सामना कर रही है।
विदेश मंत्रियों की बैठक में 13 अंतरराष्ट्रीय संगठनों सहित कुल मिलाकर 40 से अधिक प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया। विदेश मंत्रियों के स्तर पर भाग लेने वाले नौ अतिथि देश बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात थे। दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक और विकासशील राष्ट्रों के विदेश मंत्रियों ने प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श किया लेकिन संयुक्त विज्ञप्ति जारी करने से चूक गए।
आम सहमति के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में जी-20 देशों से वैश्विक चुनौतियों पर आम सहमति बनाने और भू-राजनीतिक तनावों पर मतभेदों को समग्र सहयोग से प्रभावित नहीं होने देने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में महात्मा गांधी और बुद्ध का भी जिक्र किया और प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे भारत की सभ्यता के लोकाचार से प्रेरणा लें और ’जो हमें विभाजित करता है, उस पर ध्यान केंद्रित न करें, बल्कि उस पर ध्यान केंद्रित करें जो हमें जोड़ता है। उन्होंने कहा कि दुनिया वृद्धि, विकास, आर्थिक लचीलापन, आपदा लचीलापन, वित्तीय स्थिरता, अंतरराष्ट्रीय अपराध, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और खाद्य तथा ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियों को कम करने के लिए जी20 की ओर देख रही है।
परिणाम दस्तावेज के प्रमुख मुद्दे: संवर्धित सहयोग के लिए संकल्पः जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक के अंत में स्वीकृत परिणाम दस्तावेज में कहा गया है कि उर्वरकों सहित खाद्य तथा कृषि दोनों उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखलाओं को विश्वसनीय, खुला और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। बैठक में आतंकवाद तथा मादक पदार्थों की समस्या से निपटने, वैश्विक स्वास्थ्य, वैश्विक प्रतिभा पूल, मानवीय सहायता और आपदा जोखिम में कमी के साथ-साथ स्त्री-पुरुष समानता और महिला सशक्तिकरण पर गहन सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया।
पुनर्जीवित बहुपक्षवाद की हिमायतः जी20 के विदेश मंत्रियों ने कहा कि 21 वीं सदी की समकालीन वैश्विक चुनौतियों का पर्याप्त रूप से समाधान करने के लिए और वैश्विक शासन को अधिक प्रतिनिधिक, प्रभावी, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता के बारे में कई मंचों पर आवाज उठाई गई है। संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी चर्चा की गई और यह महसूस किया गया कि संयुक्त राष्ट्र को सभी सदस्यों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए, अपने संस्थापक उद्देश्यों तथा अपने चार्टर के सिद्धांतों के प्रति वफादार होना चाहिए और अपने उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिए अनुकूलित होना चाहिए। विचार-विमर्श से सामने आया कि 2030 के एजेंडे को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए अधिक समावेशी तथा पुनर्जीवित बहुपक्षवाद और सुधारों की आवश्यकता है। मंत्रियों ने सितंबर 2023 में सतत विकास लक्ष्य शिखर सम्मेलन, दिसंबर 2023 में सीओपी28 और 2024 में भविष्य के शिखर सम्मेलन की सफलता के लिए सार्थक योगदान देने के प्रयासों को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्धताः जी20 के विदेश मंत्रियों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून और शांति तथा स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली को बनाए रखना आवश्यक है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में निहित सभी उद्देश्यों तथा सिद्धांतों का बचाव करना और सशस्त्र संघर्षों में नागरिकों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सहित अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना शामिल है। मंत्रियों की राय थी कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या खतरा अस्वीकार्य है। संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान, संकटों को दूर करने के प्रयास, साथ ही कूटनीति तथा संवाद महत्वपूर्ण हैं। आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए।
बाली घोषणा के लिए नवीनीकृत प्रतिबद्धताः बैठक में बाली घोषणा को याद किया गया जिसमें नेताओं ने विश्व व्यापार संगठन के साथ नियम-आधारित, गैर-भेदभावपूर्ण, मुक्त, निष्पक्ष, खुला, समावेशी, न्यायसंगत, टिकाऊ और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के बारे में फिर से पुष्टि की थी । बैठक में इस बात पर सहमति हुई कि कोविड-19 और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान के कारण क्षतिग्रस्त वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार और लचीलेपन में सहायता के साथ खुली और परस्पर संबद्ध दुनिया में समावेशी विकास, नवाचार, राज़े़गार सृजन और सतत विकास के साझा उद्देश्यों को एक आगे बढ़ाने के लिए घोषणा के प्रति केंद्रित प्रतिबद्धता अपरिहार्य है।
खाद्य सुरक्षा पर ध्यानः दस्तावेज में कहा गया है कि जी20 देश मौजूदा संघर्षों और तनावों से उत्पन्न वैश्विक खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से बहुत चिंतित हैं। मंत्री इस बात पर सहमत हुए कि भुखमरी और कुपोषण से लड़ने के लिए दुनिया के सभी कोनों में उर्वरकों सहित खाद्य और कृषि उत्पादों की उपलब्धता, पहुंच, सामथ्र्य, संधारणीयता, समानता और पारदर्शी प्रवाह को बढ़ावा देना समय की मांग है। उर्वरकों सहित खाद्य तथा कृषि दोनों उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखलाओं को विश्वसनीय, खुला और पारदर्शी बनाए रखा जाना चाहिए। कृषि-जैव विविधता, खाद्य हानि तथा बर्बादी को कम करने, मिट्टी की उर्वरता में सुधार, जलवायु-लचीलापन तथा टिकाऊ कृषि, स्थानीय, क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों को जोड़ने, और कृषि बाजार सूचना प्रणाली (एएमआईएस) को मजबूत करने के साथ-साथ स्वस्थ आहार तथा पौष्टिक भोजन को बढ़ावा देने जैसे क्षेत्रों में अधिक सहयोग ़ के लिए समर्थन आवश्यक है।
इसके अलावा, पानी और उर्वरक जैसी खाद्य सुरक्षा को कायम करने वाली प्रणालियों को सतत कृषि और टिकाऊ तथा जलवायु-लचीले समाधान सुनिश्चित करने के लिए मजबूत किया जाना चाहिए। मंत्रियों ने ब्लैक सी ग्रेन इनीशिएटिव और रूस तथा संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के बीच समझौता ज्ञापन के सभी प्रासंगिक हितधारकों द्वारा पूर्ण, समय पर, बेहतर और निरंतर कार्यान्वयन के महत्व को रेखांकित किया है, जिसके लिए तुर्कंेय और संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 जुलाई 2022 को मध्यस्थता की गई थी। यह वैश्विक खाद्य असुरक्षा को कम करने और जरूरतमंद विकासशील देशों को अधिक भोजन और उर्वरकों के निर्बाध प्रवाह को सक्षम करने के लिए एक पैकेज के रूप में था।
लचीली ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला पर जोरः जी20 के विदेश मंत्रियों ने ऊर्जा सुरक्षा का उल्लेख करते हुए, सहमति व्यक्त की कि सभी के लिए ऊर्जा की सस्ती, विश्वसनीय और संधारणीय पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निर्बाध, टिकाऊ और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएं महत्वपूर्ण हैं। बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए स्थायी आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ-साथ सर्कुलर दृष्टिकोणों को मजबूत करना और समावेशी निवेश को बढ़ावा देना आवश्यक है।
जलवायु परिवर्तन से निपटनाः विदेश मंत्रियों ने इक्विटी तथा सामान्य सिद्धांत को दर्शाने लेकिन अलग-अलग राष्ट्रीय परिस्थितियों के आलोक में अलग-अलग जिम्मेदारियाँ और संबंधित क्षमताओं के साथ, पेरिस समझौते और इसके तापमान लक्ष्य के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन को मजबूत करके जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए यूएनएफसीसीसी के उद्देश्य के अनुगमन में अपने नेताओं की दृढ़ प्रतिबद्धताओं की फिर से पुष्टि की ।
जी20 के विदेश मंत्रियों ने विकसित देशों से और प्रति वर्ष संयुक्त रूप से 100 बिलियन अमरीकी डालर जुटाने के लक्ष्य को 2020 तक और लगातार सार्थक शमन कार्रवाई तथा कार्यान्वयन पर पारदर्शिता के संदर्भ में अपनी प्रतिबद्धताओं को 2025 तक पूरा करने का आग्रह किया। मंत्रियों ने विकासशील देशों की जरूरतों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए प्रति वर्ष 100 बिलियन अमरीकी डालर के कोष से जलवायु वित्त के महत्वाकांक्षी नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य पर निरंतर विचार-विमर्श के लिए अपना समर्थन दिया, जो यूएनएफसीसीसी के उद्देश्य को पूरा करने और पेरिस समझौते के कार्यान्वयन में मदद करता है। 2030 तक जैव विविधता के नुकसान को रोकने और स्थिति में सुधार के लिए कार्रवाई को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी।
भविष्य की महामारी के खतरे को पहचाननाः जी20 के विदेश मंत्रियों ने दोहराया कि भविष्य की महामारियों का खतरा बहुत वास्तविक है और जी20 देशों को स्वास्थ्य आपात स्थितियों की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक बहु-क्षेत्रीय कार्रवाइयों को संस्थागत बनाने तथा संचालित करने के लिए सामूहिक रूप से काम करना चाहिए।
विवाद का कारण़ः यूक्रेन संघर्ष: यह स्वीकार करते हुए कि यूक्रेन में युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर और प्रतिकूल प्रभाव डाला है, विदेश मंत्रियों ने भी इस मुद्दे पर चर्चा की। हालांकि, सभी सदस्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा सहित अन्य मंचों में व्यक्त किए गए अपने राष्ट्रीय रुख से हटने के इच्छुक नहीं थे।
इस संदर्भ में एक नए संकल्प को स्वीकृति प्रदान करने के बजाय, परिणाम दस्तावेज ने इस विषय पर 2 मार्च 2022 को स्वीकृत पहले के संकल्प संख्या ईएस-11/1 को लागू किया। बहुमत से स्वीकृत प्रस्ताव (141 मत पक्ष में, 5 विरोध में, 35 का मतदान में भाग न लेना, 12 अनुपस्थित) में यूक्रेन के खिलाफ रूसी संघ की आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा की गई और यूक्रेन के क्षेत्र से इसकी पूर्ण और बिना शर्त वापसी की मांग की गई। अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा की और जोर देकर कहा कि यह अत्यधिक मानवीय पीड़ा पैदा कर रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा कमजोरियों को बढ़ा रहा है - विकास को बाधित कर रहा है, मुद्रास्फीति बढ़ा रहा है, आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर रहा है, ऊर्जा और खाद्य असुरक्षा और वित्तीय स्थिरता के जोखिम को बढ़ा रहा है। स्थिति और प्रतिबंधों के बारे में अन्य विचार और विभिन्न आकलन थे। हालाँकि, यह मानते हुए कि जी20 सुरक्षा मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है, यह स्वीकार किया गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सुरक्षा मुद्दों के महत्वपूर्ण परिणाम हो सकते हैं।
विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर का संबोधन: भारत के विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर ने भी मंच को संबोधित किया और कहा कि परिणाम दस्तावेज द्वारा एक महत्वपूर्ण बैठक पर कब्जा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में युद्ध ने विश्व अर्थव्यवस्था और ग्लोबल साउथ को बुरी तरह प्रभावित किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी को दोहराया कि जी-20 देशों की उन लोगों के प्रति भी जिम्मेदारी है जो वहां उपस्थित नहीं हैं।
श्री एस जयशंकर ने उन चुनौतियों के बारे में प्रधानमंत्री मोदी की चिंताओं का समर्थन किया जिन्हें भाग लेने वाले देशों को संबोधित करना चाहिए, जिसमें महामारी का प्रभाव, प्राकृतिक आपदाओं में जान गंवाना, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का टूटना, ऋण और वित्तीय संकट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जी20 देशों का व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय विकास और समृद्धि में योगदान करने का दायित्व है। उन्होंने कहा कि इन्हें स्थायी भागीदारी और सद्भावना पहल के माध्यम से लागू किया जा सकता है।
निष्कर्ष: जैसा कि दुनिया कोविड-19 महामारी और जलवायु परिवर्तन सहित कई जटिल चुनौतियों से जूझ रही है, अधिक से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सहकार्य की आवश्यकता कभी भी अधिक दबाव वाली नहीं रही है। हालाँकि, पश्चिमी देशों और रूस-चीन गठबंधन के बीच गहराता विभाजन भारत जैसे देशों के सामने भारी चुनौती पेश करता है जो आम सहमति को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। फिर भी, उम्मीद की किरण यह थी कि वार्ताकार बहुपक्षवाद, खाद्य, ईंधन तथा ऊर्जा, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, और अन्य मुद्दों को मजबूत करने सहित वैश्विक दक्षिण (विकासशील देशों) से संबंधित सभी मुद्दों पर आम सहमति बनाने में सक्षम रहे।
(लेखिका आर्थिक सलाहकार हैं जो एमएसएमई मंत्रालय के वित्त और बजट डिवीज़न को देख रही है. उनसे sameera.saurabh@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.)
व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।