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विशेष लेख


Issue no 52, 25 - 31 March 2023

 

सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क विशिष्ट पहचान संख्या (एचयूआईडी) की अनिवार्यता

 

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने 31 मार्च, 2023 के बाद 6 अंकों के अल्फ़ान्यू मेरिक हॉलमार्क विशिष्ट पहचान संख्या (एचयूआईडी) के बग़ैर हॉलमार्क वाले सोने के गहनों या सोने की कलाकृतियों की बिक्री पर रोक लगा दी है। यह कदम उपभोक्ताओंके हितों की सुरक्षाऔर संरक्षा के लिए उठाया गया है और इससे पहचान क्षमता तथा गुणवत्ता आश्वासन के साथ हॉलमार्क वाले सोने के गहनों की खरीद के लिए उनका भरोसा बढ़ेगा।

 

हॉलमार्क क्या है?: हॉलमार्क सोने के आभूषणों पर एक चिन्‍ह होता है जो बीआईएस से मान्यताप्राप्त संस्था द्वारा इसकी शुद्धता और खरेपन को सुनिश्चित करने के लिए लगाया जाता है। हॉलमार्किंग मूल्‍य वान धातु की वस्‍तुओं में कीमती धातुकी आनुपातिक सामग्री का सटीक निर्धारण और आधिकारिक रिकॉर्डिंग होती है। हॉलमार्क का उपयोग कई देशों में आधिकारिक चिह्नों के रूप में किया जाता है जो कीमती धातुकी वस्‍तुओं की शुद्धता या खरेपन की गारंटी देता है। इसका मुख्य उद्देश्य जनता को मिलावट से बचाना और निर्माताओं को शुद्धता के कानूनी मानक बनाए रखने के लिए बाध्य करनाहै।

 

सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग से उपभोक्ताओं को सोने के आभूषणों की शुद्धता या उन की गुणवत्ता पर तीसरे पक्ष का आश्वासन मिलता है। चूंकिहॉलमार्क वाले सोने की शुद्धता की गारंटी होती है, इसलिए उपभोक्ता को देश में कहीं भी सोने के आभूषण बेचने पर उचित दर मिलती है। यदि सोने के गहनों के हॉलमार्क वाले टुकड़े को गिरवी रखे जाने के तौर पर पेश किया जाता है, तो बैंक बेहतर शर्तों पर ऋण स्वीकृत करने के लिए तैयार हो सकते हैं।

 

भारत में, आभूषणों की हॉल मार्किंग की शुरुआत बीआईएस ने वर्ष 2000 में की थी। प्रायोगिक तौर पर, 23 जून, 2021 से 256 जिलों में अनिवार्य हॉलमार्किंग लागू की गई थी। सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग और सोने की कलाकृतियां (संशोधन) आदेश, 2022, दिनांक 4 अप्रैल, 2022 के तहत अनिवार्य हॉलमार्किंग का दूसरा चरण 1 जून, 2022 से 288 जिलों में लागू किया गया था।वर्तमान में, 339 जिलों में कम से कम एक जांच और हॉलमार्किंग केंद्र (एएचसी) है और हर दिन एचयूआईडी के साथ 3 लाख से अधिक सोने की वस्तुओं की हॉलमार्किंग की जा रही है।

 

बीआईएस हॉलमार्किंग योजना हॉलमार्किंग पर अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप है। योजना के तहत, ज्वैलर्स को हॉलमार्क वाले आभूषण बेचने के लिए बीआईएस पंजीकरण का प्रमाण पत्र देता है। बीआईएस-प्रमाणित ज्वैलर्स किसी भी बीआईएस-मान्यता प्राप्त एएचसीसे अपने आभूषणों की हॉलमार्किंग कर वा सकते हैं। भारत में वर्तमान में दो कीमती धातुओं सोना और चांदी को हॉलमार्किंग के दायरे में लाया गया है।.

 

नईघोषणाकाक्याअर्थहै?: 6 अंकों की एचयूआईडी संख्या के कार्यान्वयन से पहले, सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग में चार लोगो शामिल थे - बीआईएसलोगो, वस्तु की शुद्धता का प्रतीक लोगो और साथ ही जौहरी और एएचसी का लोगो। 6-अंकीय एचयूआईडीको 1 जुलाई, 2021 से पेश किया गया था और उक्त तिथि के बाद हॉलमार्क की गई सभी मदों को केवल एचयू आईडी के साथ हॉलमार्क किया जाना अनिवार्य है।

 

एचयूआईडी की शुरुआत के बाद, हॉलमार्क में तीन निशान होते हैं - बीआईएसलोगो, वस्तु की शुद्धता, और छह अंकों का अल्फ़ान्यूमेरिक एचयूआईडी जिसका पता लगाया जास कता है। आभूषण पर एएचसी में मैन्यु अलरूप से एचयूआईडी केसाथ मुहर लगाई जाती है।

 

अब तक, बिना एचयूआईडी वाले चार अंकों के पुराने हॉलमार्क वाले आभूषणों कोभी जौ हरियों द्वारा 6 अंकों के एचयूआईडी चिह्न के साथ बेचने की अनुमतिथी। हालांकि,  ज्वैलर्स द्वारा एक साथ दो तरह के हॉलमार्क वाले आभूषणों की बिक्री उपभोक्ता के लिए भ्रमित करने वाली थी।इसके बाद, ज्वैलर्स को अपने 4 अंकों के हॉलमार्क वाले सामानों के स्टॉक को खत्म करने के लिए एक साल और नौ महीने से अधिक का समय दिया गया।, उपभोक्ताओं के पास पुरानी योजनाओं के अनुसार पड़े हॉलमार्क वाले आभूषण वैधर हेंगे।

 

एचयूआईडी का उद्देश्: एच यूआईडी उपभोक्ताओं के द्वारा खरीदे गए आभूषणों की प्रामाणिकता में उनके विश्वास और भरोसे को बढ़ाता है। एचयूआईडी पता लगाने की क्षमता को सक्षम करने वाले आभूषणों के प्रत्येक टुकड़े को एक अलग पहचान देता है। यह हॉलमार्किंग की विश्वसनीयता और हॉलमार्क वाले गहनों की शुद्धता के संबंध में शिकायतों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण है।

 

एचयूआईडी आधारित हॉलमार्किंग में ज्वैलर्स का पंजीकरण बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के स्वत: हो जाता है। इसका उद्देश्य हॉलमार्क वाले गहनों की शुद्धता सुनिश्चित करना और किसी भी कदाचार की जांच करना है। एचयूआईडी एक सुरक्षित प्रणाली है और इससे डेटा गोपनीयता या सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है।

 

एक उपभोक्ता बीआईएस केयर ऐप में 'वेरीफाई एचयूआईडी' का उपयोग करके हॉलमार्क वाले सोने के आभूषणों की एचयूआईडी नंबर के साथ जांच और प्रमाणित कर सकता है। यह जौहरी की जानकारी प्रदान करता है जिस ने वस्तुको हॉलमार्क कर वाया, उनकी पंजीकरण संख्या, वस्तुकी शुद्धता, वस्तु के प्रकार के साथ-साथ हॉलमार्किंग केंद्र का विवरण जिसने वस्तुका परीक्षण और हॉलमार्क किया आदि का ब्यौरा उपलब् कराता है। इस जानकारी का उपयोग करके, उपभोक्ता खरीदी जा रही वस्तुको उसकी प्रकृति के साथ-साथ उसकी शुद्धता के साथ मिलान करके सत्यापित कर सकता है।

 

एचयूआईडी आधारित हॉलमार्किंग हर किसी के लिए फायदे मंद है। इससे पारदर्शिताआती हैऔर यह उपभोक्ता ओंके अधिकारों को सुनिश्चित करताहै।

 

उपभोक्ता बिना हॉलमार्क वालेआभूषणों कोअपने कब्जे में हॉलमार्क करा कर प्राप्त कर सकते हैं।

कोई भी व्यक्ति मौजूदा आभूषणों की हॉलमार्किंग करवा सकता है और सोने का सही मूल्यांकन प्राप्त कर सकता है। उपभोक्ता बीआईएस-पंजीकृत जौहरी के माध्यम से अपने पुराने सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क प्राप्त कर सकता है। बीआईएस-पंजीकृतजौहरी पुराने सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क प्राप्त करने के लिए बीआईएस मान्यता प्राप्त एएचसी में आवेदन कर सकता है या जौहरी आभूषणों को पिघला कर नए आभूषण बना सकता है और इसे फिर से बेचने से पहले हॉलमार्क करवा सकता है। हालांकि, कोई उपभोक्ता, अपने आभूषणों की हॉलमार्किंग के लिए बीआईएस-मान्यता प्राप्त एएचसी पर सीधे आवेदन नहीं कर सकता है।

 

बीआईएस नियम, 2018 कीधारा 49 केअनुसार, यदि उपभोक्ता द्वारा खरीदेगए हॉलमार्क वाले आभूषण उस पर अंकित आभूषण कीतुलना में कम शुद्धता के पाए जातेहैं, तो खरीदार/ग्राहक मुआवजे का हकदार होगा जो अंतरकी राशि का दोगुना होगा। बेची गई ऐसी वस्तु के वजन और परीक्षण शुल्क के लिए शुद्धता की कमी के आधार पर गणना की जातीहै।

 

सोनेकेगहनोंपरहॉलमार्क की जांच कैसेकरें?: जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, बीआईएसहॉलमार्क में तीन प्रतीक चिन्ह होते हैं - बीआईएसलोगो, शुद्धता और खरापन दर्शाने वाला प्रतीक,  और छह अंकों का अल्फ़ान्यूमेरिक कोड। किसी भी सोने के आभूषण को खरीद ने से पहले उपभोक्ता को इन तीनों प्रतीकों की जांच करनीचाहिए।

 

        i.            बीआईएस चिन्: पहलाप्रतीक, बीआईएसलोगो, एक छोटे त्रिकोण के आकार जैसा दिखता है। यह लोगो बीआईएस की भागीदारी का प्रतीकहै।

 

    ii.        शुद्धता/खरापन ग्रेड: सोने के आभूषणों के टुकड़े की शुद्धता महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सोने के आभूषणों के उस टुकड़े की कीमत का आधार है। दूसरा प्रतीक आपको सोने के गहनों की शुद्धता के बारे में बताता है। चूंकि शुद्ध सोना बहुत नरम होताहै, इसलिए सोने के आभूषण बनाते समय इसमें अन्य धातुएं मिलाई जाती हैं।सोने के आभूषणों मेंअलग-अलग मात्रा में धातु मिलाई जातीहै। वर्तमान में, अनिवार्य हॉलमार्किंग व्यवस्था में सोने के आभूषणों/कलाकृतियों के छह कैरेट शामिल हैं। 14, 18, 20, 22, 23, और 24 कैरेट ,जैसा कि भारतीय मानक आईएस1417-गोल्ड और गोल्ड मिश्रधातु, आभूषण/आर्टिफैक्ट्ससूक्ष्मता और अंकनविनिर्देश में उल्लिखित है। उदाहरण के लिए, यदि प्रतीक 22K916 कहता है, तो इसका मतलब है कि यह 22 कैरेट का सोना है औरआभूषण के टुकड़े में 91.6 प्रतिशत सोना है।

   iii.        छह अंको का अल्फ़ान्यूमेरिक कोड: तीसरा प्रतीक छह अंकों का अल्फ़ान्यूमेरिककोड / एचयूआईडी है। यह कोड आभूषण की प्रत्येक मद के लिए एक विशिष् कोड होताहै। उपभोक्ता किसी बीआईएस-मान्यता प्राप् एएचसी पर भी सोने की ज्वैलरी की शुद्धता की जांच कर सकता है।

 

अनीशा बैनर्जी और अनुजा भारद्वाजन द्वारा संकलित

स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय/भारतीय मानक ब्यूरो