जल दृष्टिकोण @2047
भारत के 'अमृत काल' का एक महत्वपूर्ण आयाम
रोजगार समाचार: विश्लेषण
पानी सतत विकास के लिए मूलाधार तत्व है और सामाजिक-आर्थिक विकास, ऊर्जा और खाद्य उत्पादन, स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और स्वयं संपूर्ण मानव जाति के अस्तित्व के लिए अति महत्वपूर्ण है। पानी जलवायु परिवर्तन के संयोजन के केंद्र में भी है, जो समाज और पर्यावरण के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है।
जुलाई 2010 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने व्यक्तिगत और घरेलू उपयोगों के लिए सुरक्षित और पर्याप्त पानी की उपलब्धता के लिए हर इंसान के अधिकार को मान्यता दी है। सतत विकास लक्ष्य (SDG) 6 "सभी के लिए जल और स्वच्छता की उपलब्धता और सतत प्रबंधन" सुनिश्चित करने के बारे में भी है।
भारत में जल या पानी का हमेशा से संस्कृति और समाज में विशेष महत्व रहा है। ऋग्वेद जल को ब्रह्मांड के निर्वाहक के रूप में वर्णित करता है:
ओमान -मपोमानुषी : अमृतकमधात तोके तनयश्याम्यो : |
यौयमहिसतभिषजो मातृतमविश्वस्यस्थतु : जगतोजानित्री :||
(हे पानी, तुम मानवता के सबसे अच्छे दोस्त हो। तुम जीवन के दाता हो, तुम से अन्न उत्पन्न होता है, और तुमसे ही हमारे बच्चों का कल्याण होता है। तुम हमारे रक्षक हो और हमें सभी बुराइयों से दूर रखते हो।) आप सर्वश्रेष्ठ औषधि हैं, और आप इस ब्रह्मांड के पालनहार हैं।)
हमारे प्राचीन शास्त्रों में जल को आदिकालीन आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में देखा जाता है। छांदोग्य उपनिषद पानी को 'अमृत' के रूप में वर्णित करता है और अथर्ववेद पानी को एक ऐसे पदार्थ के रूप में मान्यता देता है, जो हमारे कल्याण का भरोसा दिलाता है,हमारे सभी रोगों का उपचार करता है, और हमारी खुशी में बढोत्तरी करता है। जल भी पंचमहाभूत के पांच घटक तत्वों में से एक है - सभी लौकिक रचनाओं का आधार है।
इस मजबूत पारंपरिक ज्ञान के आधार से प्रेरणा लेते हुए, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जनवरी 2023 की शुरुआत में मध्य प्रदेश के भोपाल में जल शक्ति मंत्रालय की ओर से पहले वार्षिक अखिल भारतीय राज्यों के मंत्रियों के सम्मेलन का आयोजन किया गया था। राष्ट्रीय सम्मेलन का विषय जल दृष्टिकोण यानि'वाटर विजन@2047 ' था। ' जैसा कि प्रधानमंत्री जी ने कहा है, जल दृष्टिकोण(Water Vision)@2047 अगले 25 वर्षों के लिए 'अमृत काल' के दौरान हमारे देश की यात्रा का एक महत्वपूर्ण आयाम है।
सम्मेलन
जल पर वार्षिक अखिल भारतीय राज्यों के मंत्रियों के सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य राज्यों और हितधारक मंत्रालयों के साथ साझेदारी की तलाश करना और उसे मजबूत करना और समग्र एवं अंतःविषय के साथ एक एकीकृत तरीके से बहुमूल्य संसाधन के रूप में पानी का प्रबंधन करने के लिए एक साझा दृष्टिकोण को प्राप्त करना था। सम्मेलन का उद्देश्य पानी से संबंधित मुद्दों के लिए दृष्टिकोण विकसित करने के साथ ही प्रमुख नीति निर्माताओं को स्थायी और मानव विकास के लिए जल संसाधनों के दोहन के तौर-तरीकों पर चर्चा करने और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के बड़े दृष्टिकोण की दिशा में एक साथ काम करने के लिए एक साथ लाना है।
राष्ट्रीय सम्मेलन में पहाड़ी क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने के साथ जल सुरक्षा, पानी की कमी के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गया,; अपशिष्ट जल/ग्रे पानी के पुन: उपयोग सहित जल उपयोग दक्षता; पानी की गुणवत्ता (पीने के पानी, सतह के पानी और भूजल की); जल शासन, जिसका उद्देश्य विभिन्न राज्यों को एक साथ लाकर केंद्र द्वारा सुविधा प्रदान करके जल क्षेत्र से संबंधित अवरोधों या रुकावटों को तोड़ना है; और देश में जलवायु परिवर्तन का वर्तमान परिदृश्य और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए आवश्यक उपाय करना है।
सम्मेलन में 'नेशनल फ्रेमवर्क ऑन रियूज ऑफ ट्रीटेड वेस्टवाटर', 'नेशनल फ्रेमवर्क फॉर सेडिमेंटेशन मैनेजमेंट', और 'जल शक्ति के तहत सर्वोत्तम तरीकोंके साथ अभियानः कैच द रेन' के साथ ही जल_ डब्ल्यूआरआईएस यानि जल संसाधन सूचना प्रणालीपोर्टल के एक उप-पोर्टल जल-इतिहास को भी लॉन्च किया गया।
सम्मेलन का उद्देश्य राज्यों के विभिन्न जल हितधारकों से '5पी' विजन के लिए सहयोग और समर्थन (इनपुट)हासिल करना था क्योंकिपानी राज्य का विषय है। भारत @ 2047 योजना के हिस्से के रूप में जल सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान करते हुए, प्रधानमंत्री ने '5P' मंत्र की घोषणा की है जिसमें राजनीतिक इच्छाशक्ति, सार्वजनिक वित्तपोषण, साझेदारी, सार्वजनिक भागीदारी और स्थिरता के लिए विचार विमर्श शामिल है।
भारत जल संरक्षण के क्षेत्र में रास्ता दिखा रहा है
भारत सरकार ने देश में जल संरक्षण की दिशा में कई पहल की हैं। 2019 में, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग और पेयजल और स्वच्छता विभाग के विलय के बाद जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया था। यह पानी से संबंधित मुद्दों और समस्याओं को प्राथमिकता के
आधार पर समाधान निकालने के लिए किया गया था।
इसके तुरंत बाद, जल शक्ति अभियान शुरू किया गया, जहाँ भूजल विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने जल संरक्षण और जल संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए देश के जल की कमी वाले जिलों में राज्य और जिला अधिकारियों के साथ काम किया। मुख्य जोर पाँच लक्षित योजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने पर था- जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन, पारंपरिक और अन्य जल निकायों / जलाशयों का नवीनीकरण, बोरवेलों का पुन: उपयोग और पुनर्भरण, वाटरशेड विकास और सघन वन-रोपण।
इसके परिणामस्वरुप मानसून से पहले और मानसून की अवधि के दौरान ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जल शक्ति अभियान: कैच द रेन को लॉन्च किया गया।इसअभियान के लिए केंद्रित योजनाओं में जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन संरचनाओंका निर्माण/रखरखाव; पारंपरिक और अन्य जल निकायों/टैंकों का नवीनीकरण; बोरवेल का पुन: उपयोग और पुनर्भरण; वाटरशेड विकास; और गहन वनीकरण पर जोर दिया गया। कैच द रेन अभियान का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू सभी जल निकायों की जिलेवार जिओ-टैग की गई सूची तैयार करना, इसकी जमीनी सच्चाई और इसके आधार पर वैज्ञानिक जल संरक्षण योजनाओं की तैयारी है।
प्रधानमंत्री के अधीन कृषि सिंचाई योजना के तहत देश भर में सिंचाई का दायरा बढ़ाने और जल उपयोग दक्षता (जैसे हर खेत को पानी और प्रति बूंद अधिक फसलजैसे घटकों के साथ) में सुधार के लिए स्रोत निर्माण, वितरण, प्रबंधन, क्षेत्र अनुप्रयोग और विस्तार गतिविधियों पर शुरु से अंत तक समाधान के साथ जोरदार एवं केंद्रीकृत तरीके सेतेजी से काम किया जा रहा है। प्रति बूंद अधिक फसल योजना के तहत, देश में अब तक 70 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया गया है।
चक्रीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनॉमी) पर जोर देना भी जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पानी के पुनर्चक्रण/उपचार से मीठे पानी का संरक्षण हो रहा है जिससे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को लाभ हो रहा है। राज्यों की स्थानीय जरूरतों के अनुसार विभिन्न कार्यों में 'उपचारित जल' का उपयोग बढ़ाने की भी योजना है।
जन भागीदारीजल संरक्षण के लिए
जल संरक्षण और जागरूकता को नागरिकों के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बनाने के लिए , सम्मेलन में, जनभागीदारी की शक्ति, या जमीनी स्तर पर सामुदायिक भागीदारी पर ध्यान केंद्रित किया गया था।जल पर अखिल भारतीय वार्षिक राज्यों के मंत्रियों के सम्मेलनका उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण से संबंधित किसी भी कार्यक्रम या अभियान की सफलता के लिए जनता, सामाजिक संगठनों और स्थानीय समाज को यथासंभव शामिल करना आवश्यक है।
जैसे-जैसे देश 'अमृत काल' की ओर बढ़ रहा है, सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों में से एक लक्ष्य यह है कि हमारे पूर्वजों ने झीलों और तालाबों के रूप में हमारे लिए छोड़े गए पुराने खजाने को पुनर्जीवित करके भारत को एक ऐसा देश बनानाहै, जहां प्रचुर मात्रा में जल संपदा हो यानि पानी अपार भंडार हो। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (24 अप्रैल, 2022) के अवसर पर प्रधानमंत्री ने 'मिशन अमृत सरोवर' का शुभारंभ किया था। 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के उत्सव के एक भाग के रूप में देश के प्रत्येक जिले में 75 जल निकायों की पहचान और कायाकल्प करने की दृष्टिगत योजना है। इनमें से प्रत्येक अमृत सरोवर का क्षेत्रफल लगभग एक एकड़ होना चाहिए, जिसकी जल धारण क्षमता 10,000 क्यूबिक मीटर होगी। आज, भारत में 20,000 से अधिक अमृत सरोवर हैं।
मिशन अमृत सरोवर निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए गैर-सरकारी संसाधनों को जुटाने और आमलोगों को एकजुट करने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह मिशन एक जन आंदोलन में तब्दील हो गया है। इन नए अमृत सरोवरों के निर्माण के सभी चरणों में स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों, शहीदों के परिवार के सदस्यों, पद्म पुरस्कार विजेताओं और नागरिकों को लगाया जा रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों से लोग अमृत सरोवर बनाने में योगदान देने के लिए लोग खुद आगे आर रहे हैं ताकि उनके इलाकों में अमृत सरोवर का निर्माण हो सके। जल संरक्षण की दिशा में यह पूरी दुनिया में अपनी तरह का अनूठा अभियान है।
सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से भूजल संरक्षण और प्रबंधन में सुधार के लिए, अटल भूजल योजना (अटल जल) शुरू किया गया है। यह योजना सात राज्यों में चिन्हित भूजल की कमी वाले ब्लॉकों में 'टॉप डाउन' और 'बॉटम अप' दृष्टिकोणों का मिश्रण है, जो भू-आकृति, जलवायु और जल-भू-गर्भ और सांस्कृतिक विन्यास की एक श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करती है। अटल जल को सहभागी भूजल प्रबंधन के लिए संस्थागत ढांचे को मजबूत करने और स्थायी भूजल संसाधन प्रबंधन के लिए सामुदायिक स्तर पर व्यवहारिक परिवर्तन लाने के मुख्य उद्देश्य के साथ तैयार किया गया है । इस योजना में जागरूकता कार्यक्रमों , क्षमता निर्माण, चालू/नई योजनाओं के अभिसरण और बेहतर कृषि पद्धतियों आदि सहित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इसे शुरू करने की परिकल्पना की गई है।
इनके अलावा, प्रधानमंत्री ने सम्मेलन के दौरान 'जल जागरूकता महोत्सव' आयोजित करने का सुझाव दिया, ताकि स्थानीय स्तर पर जल जागरूकता से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा सकें। युवा पीढ़ी को इस विषय के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने स्कूली पाठ्यक्रम और पाठ्येतर गतिविधियों में जल संरक्षण को शामिल करने के लिए अभिनव तरीके खोजने का सुझाव दिया।
स्रोतः पीआईबी/यूएन/इंडिया-डब्ल्यूआरआईएस
द्वारा संकलित: अनुजा भारद्वाज और अनेशा बनर्जी