पीएमकेवीवाई 4.0
कौशल प्रशिक्षण के प्रति अत्याधुनिक दृष्टिकोण
डॉ. राजेश कुमार
विनायक कुमार झा
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का चौथा चरण (पीएमकेवीवाई 4.0) शुरू करने की घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2023 को बजट प्रस्तुति के दौरान की, जिसका उद्देश्य 2022-26 के दौरान लाखों युवाओं को कौशल प्रदान करना है। इस योजना का प्राथमिक लक्ष्य है वित्त पोषण और डिजिटलीकरण आदि नए उपायों को प्रोत्साहित करके वर्तमान कौशल व्यवस्था को नया रूप देना ताकि इसे वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए, अधिक अनुकूलनीय, त्वरित और उपयोगी बनाया जा सके।
पीएमकेवीवाई एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसने अपने तीन चरण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। चौथा चरण (4.0) मुख्य रूप से स्थायी कार्यान्वयन ढांचे के दृष्टिकोण के साथ उच्च गुणवत्ता वाले लघु और दीर्घकालिक कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं के कौशल विकास पर केंद्रित है जो युवाओं के लिए लाभकारी रोजगार के अवसरों और व्यावसायिक प्रगति को बढ़ावा देगा।
पीएमकेवीवाई: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
पीएमकेवीवाई के चौथे चरण (4.0) को स्पष्ट रूप से समझने के लिए, यह जानना अनिवार्य है कि हमें इसकी जरूरत क्यों पड़ी। देश में उद्यमिता और कौशल विकास को बढ़ावा देने के व्यापक लक्ष्य के साथ 2014 में जब भारत सरकार के अंतर्गत कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) का गठन किया गया था, तो मुख्य ध्यान शुरू से अंत तक कार्यान्वयन ढांचा विकसित करने पर था जिससे उच्च गुणवत्ता वाले लघु और दीर्घकालिक कौशल विकास (एसडी) पाठ्यक्रम शुरू किए जा सकें, जो लाभकारी रोजगार और व्यवसाय के अवसर उपलब्ध करा सकें। इसे ध्यान में रखते हुए, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने 2015 में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की शुरुआत की, ताकि युवाओं को मुफ्त अल्पावधि प्रशिक्षण लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और उनके कौशल को प्रमाणपत्र प्रदान किया जा सके।
2015 और 2016 के बीच पीएमकेवीवाई के सफल कार्यान्वयन के बाद, पीएमकेवीवाई 2.0 के रूप में जाना जाने वाला दूसरा संस्करण 2016 और 2020 के बीच अगले चार वर्षों के लिए घोषित किया गया। पीएमकेवीवाई 2.0 ने भारत सरकार के अन्य कार्यक्रमों और उपायों के साथ संबद्धता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया, जैसे "मेक इन" इंडिया," "डिजिटल इंडिया," और "स्वच्छ भारत मिशन"। इसका लक्ष्य कार्यक्रम की कवरेज बढ़ाते हुए अधिक भौगोलिक क्षेत्रों को इसके दायरे में लाना था। प्रवासी कामगारों के लिए कौशल-विकास कार्यक्रमों का विस्तार करने के लिए, उक्त अवधि में "गरीब कल्याण रोज़गार अभियान" नामक एक पूरक कार्यक्रम लागू किया गया था।
इस कार्यक्रम का विस्तार करते हुए और पिछले ज्ञान एवं अनुभवों को ध्यान में रख कर 2020 और 2022 के बीच पीएमकेवीवाई 3.0 का शुभारंभ और कार्यान्वयन किया गया था। पीएमकेवीवाई 3.0 में, प्रशिक्षण के तरीके में व्यापक बदलाव आया, जिसमें निचले स्तर पर पहुंचने के लिए मांग-संचालित, तकनीक इस्तेमाल की गई थी। स्थानीय कौशल आवश्यकताओं की पहचान करने के लिए अधिक विकेन्द्रीकृत संस्थागत मंच के रूप में, जिला कौशल समितियों का गठन किया गया।
प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की कमी दूर करने और स्वास्थ्य सेवाओं के दायरे को व्यापक बनाने के लिए, कोविड योद्धाओं के वास्ते तैयार किया गया पीएमकेवीवाई का तीसरा चरण (पीएमकेवीवाई 3.0) क्रैश कोर्स 2021 में शुरू किया गया। इस कार्यक्रम से काेविड महामारी के प्रकोप के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कमी के संकट से निपटने में मदद मिली। "राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020" के अधिदेश के अनुसार शिक्षा मंत्रालय और भारत सरकार के अन्य मंत्रालय/विभागों के परामर्श से व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा को एकीकृत करने और शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र में कौशल कार्यक्रमों के विस्तार के उद्देश्य से पीएमकेवीवाई 3.0 के तहत "कौशल केन्द्र" पहल भी शुरू की गई थी।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
2015 पीएमकेवीवाई 1.0 19.86 लाख उम्मीदवार प्रशिक्षित/पूर्वाभिमुखीकृत
2016-20 पीएमकेवीवाई 2.0 1.10 करोड़ उम्मीदवार प्रशिक्षित/पूर्वाभिमुखीकृत
2020-22 पीएमकेवीवाई 3.0 6.10 लाख उम्मीदवार प्रशिक्षित/पूर्वाभिमुखीकृत
कुल: 1,35,97,399 प्रशिक्षित/पूर्वाभिमुखीकृत
स्रोत: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार, 2023
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) की रिपोर्ट के अनुसार 2015 में पीएमकेवीवाई 1.0 के तहत 19.86 लाख उम्मीदवार प्रशिक्षित/पूर्वाभिमुखीकृत किए गए, जबकि 2016-20 के दौरान पीएमकेवीवाई 2.0 के तहत प्रशिक्षित/पूर्वाभिमुखीकृत उम्मीदवारों की संख्या 1.10 करोड़ थी। इसी प्रकार पीएमकेवीवाई 3.0 के अंतर्गत 6.10 लाख उम्मीदवार प्रशिक्षित/पूर्वाभिमुखीकृत किए गए। इसका मतलब है कि 2015-22 के दौरान प्रमुख कार्यक्रम पीएमकेवीवाई 1.0 से पीएमकेवीवाई 3.0 के तहत कुल 1,35,97,399 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित/पूर्वाभिमुखीकृत किया गया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की उप-योजना श्रेणियों के तहत, 1.20 लाख उम्मीदवारों को कोविड क्रैश कोर्स कार्यक्रम के लिए प्रशिक्षित/पूर्वाभिमुखीकृत किया गया, जबकि 1.25 लाख उम्मीदवारों को गरीब कल्याण रोजगार योजना के लिए प्रशिक्षित/पूर्वाभिमुखीकृत किया गया। इसके अतिरिक्त 2.27 लाख उम्मीदवारों को कौशल केन्द्र कार्यक्रम के लिए नामांकित किया गया था।
पीएमकेवीवाई 4.0 उद्योग के लिए नए युग के पाठ्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करेगा
हाल ही में घोषित पीएमकेवीवाई 4.0 को 2022 और 2026 के बीच कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, मेक्ट्रोनिक्स, आई ओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन और सॉफ्ट स्किल्स सहित उद्योग के लिए नए युग के पाठ्यक्रमों पर जोर देने के साथ लागू किया जाएगा। इस योजना के लिए तैयार की गई रणनीति के स्पष्ट उद्देश्य और एक व्यापक दृष्टिकोण है।
कार्यक्रम बाजार के दोनों पक्षों के लिए एक मंच तैयार करता दिखता है और नई प्रौद्योगिकियों, रचनात्मक वित्त पोषण सिद्धांतों और डिजिटल नवाचार को जोड़कर प्रणाली सुधार की मदद से मांग और आपूर्ति को कुशलतापूर्वक पूरा करता है। इसका लक्ष्य युवाओं को कौशल प्राप्त करने और करियर का रास्ता चुनने में मदद देने के लिए सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम के लक्ष्य हासिल करने के लिए एकीकृत स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म की स्थापना के साथ कौशल प्रदान करने की पूरी डिजिटल प्रणाली का और विस्तार किया जाएगा। यह मांगों के आधार पर, नियोक्ताओं के साथ संबंध स्थापित करने और उद्यमशीलता कार्यक्रमों तक पहुंच प्रदान करने के लिए औपचारिक कौशल की सुविधा प्रदान करेगा।
पीएमकेवीवाई 4.0 की बुनियादी बातें
प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र: कार्यक्रम एक सुव्यवस्थित प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र से बना है जिसमें मूल्यांकनकर्ताओं और प्रशिक्षकों का एक राष्ट्रव्यापी समूह है जो संक्षिप्त प्रशिक्षण सत्रों के दौरान व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। यह प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम विकास आदि के लिए साझा बुनियादी ढांचे का उपयोग करके मजबूत उद्योग संबंधों पर भी जोर देता है। प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को डिजिटल बनाने के लिए एकीकृत वेब आधारित प्रणाली पर भी विचार किया गया है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0
बुनियादी प्रशिक्षण प्रशिक्षण की अवधि
प्रशिक्षण पारिस्थितिकी अल्पावधि प्रशिक्षण
प्रशिक्षण प्रदाता पूर्व प्रशिक्षण को मान्यता
उम्मीदवारों का पंजीकरण विशेष परियोजनाएं
स्रोत: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार, 2023
प्रशिक्षण प्रदाता: स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों आदि, विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के अनेक प्रशिक्षण विशेषज्ञों को कौशल केन्द्रों के हिस्से के रूप में भर्ती किया जाएगा, और अन्य मंत्रालयों/विभागों जैसे टूल रूम, सेना प्रशिक्षण केन्द्र आदि से अतिरिक्त रूप से प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करने पर विचार किया जाएगा।
उम्मीदवारों का पंजीकरण : प्रशिक्षण के लिए पूर्व-पंजीकरण ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों स्वरूपों में उपलब्ध है। पंजीकरण के बाद, उम्मीदवार अपने अध्ययन पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण केन्द्र का चयन कर सकते हैं। वे व्यवसाय या भूमिका का चयन करने में मदद करने के लिए कैरियर काउंसलिंग की सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं। प्रशिक्षण शुरू होने से पहले, उन्हें पाठ्यक्रम, प्रशिक्षक की योग्यता, पाठ्य सामग्री आदि के बारे में बुनियादी जानकारी दी जाएगी। आवेदकों से यह अपेक्षा की जाएगी कि वे जिम्मेदारी और स्वामित्व की भावना बढ़ाने में योगदान करें। प्रमाणीकरण के बाद आवेदकों पर सालभर नजर भी रखी जाएगी।
पीएमकेवीवाई 4.0: प्रशिक्षण के विभिन्न प्रारूप
अल्पावधि प्रशिक्षण (एसटीटी): एसटीटी कोर्स में आमतौर पर 200 से 600 घंटे के प्रशिक्षण (2 से 6 महीने) की जरूरत होती है। प्रशिक्षण मान्यता प्राप्त और सम्बद्ध प्रशिक्षण केंद्रों में प्रदान किया जाएगा और उसे राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के साथ जोड़ा किया जाएगा।
पहले से प्राप्त प्रशिक्षण को मान्यता (आरपीएल): भारतीय युवा आरपीएल के लिए उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्रमाणन अर्जित कर सकते हैं। कार्यक्रम के आरपीएल घटक के तहत, पिछले सीखने के अनुभव या कौशल वाला कोई भी व्यक्ति पंजीकरण करा सकता है, परीक्षण करवा सकता है और प्रमाणन प्राप्त कर सकता है। आरपीएल ज्यादातर अनियमित क्षेत्रों में काम करने वालों को लाभ पहुंचा सकता है। इसके अतिरिक्त, पिछले सीखने के अनुभव या कौशल के साथ पुन:प्रशिक्षण और प्रशिक्षण उन्नयन की पेशकश की जानी चाहिए। व्यवसाय की जरूरतों के आधार पर, पूर्ववर्ती प्रशिक्षण को मान्यता के तहत प्रशिक्षण/अभिविन्यास की अवधि 12 से 120 घंटे तक होती है।
विशेष परियोजनाएं: कार्यक्रम का यह खंड उन उपायों से संबद्ध है जो स्थान, जनसांख्यिकी और सामाजिक समूहों से संबंधित विशेष कारणों से पीएमकेवीवाई के तहत अल्पकालिक प्रशिक्षण के नियमों और परिस्थितियों में कुछ अंतर करने की अपेक्षा रखते हैं।
पीएमकेवीवाई 4.0: कार्यान्वयन ढांचा
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) विभिन्न हितधारकों के परामर्श से पीएमकेवीवाई 4.0 के सुचारू कार्यान्वयन के लिए व्यापक नीतिगत ढांचा प्रदान करेगा। वहीं, नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (एनसीवीईटी) द्वारा एक एकीकृत नियामक ढांचा प्रदान किया जाएगा। यह प्रमाणन निकायों (एबीज) और मूल्यांकन एजेंसियों (एएज) को मान्यता देगा और प्रमाणित प्रशिक्षकों और मूल्यांकनकर्ताओं आदि के माध्यम से राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) पाठ्यक्रमों के लिए गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) अपनी तकनीकी और ज्ञान प्रणाली के माध्यम से पीएमकेवीवाई 4.0 के प्रभावकारी निष्पादन में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की मदद करेगा।
पीएमकेवीवाई 4.0 : कार्यान्वयन फ्रेमवर्क
समग्र नीति फ्रेमवर्क कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई)
नियामक फ्रेमवर्क राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी)
ज्ञान साझीदार राष्ट्रीय कौशल विकास निगम
प्रशिक्षण महानिदेशालय मंत्रालय/विभाग/
संस्थान (एमओईएफ, एआईसीटीई आदि)
कार्यान्वयन एजेंसियां
मूल्यांकन और प्रमाणन राज्य शिक्षा बोर्ड
सेक्टर कौशल परिषद औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई)
प्रशिक्षकों और मूल्यांकनकर्ताओं का प्रशिक्षण राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान उत्कृष्टता केन्द्र
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई)
अन्य संस्थान जैसे टूल रूम/प्रौद्योगिकी केंद्र, एसडीआई आदि
प्रशिक्षण प्रदाता प्रधानमंत्री कौशल केन्द्र
(स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय) उद्योग भागीदार, सेना कौशल केन्द्र, टूल रूम, हुनर केन्द्र, निजी प्रशिक्षण प्रदाता
उद्योग भागीदार: उम्मीदवार जिला कौशल समितियां स्किल इंडिया पोर्टल
स्रोत : एमएसडीई, भारत सरकार, 2023
विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियां जैसे एनएसडीसी, प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी), मंत्रालयों/विभागों की एजेंसियां/संस्थाएं भी इस प्रमुख कार्यक्रम के सुचारू कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होंगी। प्रशिक्षार्थियों के मूल्यांकन, प्रमाणन और सम्मान प्रदान करने का काम राज्य शिक्षा बोर्डों, क्षेत्र कौशल परिषदों और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) और एनसीवीईटी द्वारा मान्यता प्राप्त अन्य संस्थाओं को सौंपा जाएगा। इसी तरह प्रशिक्षकों और मूल्यांकनकर्ताओं के प्रशिक्षण का काम राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (एनएसटीआईज), उत्कृष्टता केंद्र (सीओईज), अन्य प्रमुख संस्थानों जैसे टूल रूम, प्रौद्योगिकी केंद्र, कौशल विकास संस्थान (एसडीआई) आदि को सौंपा जाएगा।
राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के लक्ष्य के अनुसार, सूचीबद्ध प्रशिक्षण प्रदाता (टीपी), प्रशिक्षण केंद्र (टीसी), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, स्कूल, उच्च शिक्षा संस्थान (एचईआई), कौशल केन्द्रों के साथ-साथ अन्य मंत्रालयों/विभागों के प्रशिक्षण केंद्र (टूल रूम), सेना कौशल केंद्र, आदि), उद्योग भागीदार और निजी प्रशिक्षण प्रदाता गुणवत्ता प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होंगे। जिला कौशल समितियों (डीएससी) द्वारा तैयार/संचालित जिला कौशल विकास योजना (डीएसडीपी) पीएमकेवीवाई 4.0 के लिए अधिक प्रशिक्षण केंद्र/कौशल केंद्र स्थापित करने और उद्योग की आवश्यकता के अनुरूप रोज़गार भूमिकाओं/पाठ्यक्रमों के चयन का आधार होगा।
उम्मीदवारों की संपूर्ण प्रशिक्षण प्रक्रिया की निगरानी और जांच करने के लिए स्किल इंडिया पोर्टल (एसआईपी) या किसी अन्य के माध्यम से डिजिटल प्लेटफॉर्म का व्यापक उपयोग किया जाएगा जिसमें नामांकन, प्रशिक्षण, मूल्यांकन और प्रमाणन शामिल होगा। इसे आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति से जोड़ा जाएगा। उद्योग इंटरफेस को बढ़ावा देने के लिए, उद्योग भागीदारों को पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण, ढांचागत और वित्तीय सहायता के विकास में सहायता प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उद्योग भागीदार कौशल अंतराल और नौकरी के नए अवसरों आदि की पहचान करने में महत्वपूर्ण जानकारी भी प्रदान करेंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी युवाओं को विदेश में रोजगार के अवसरों के लिए तैयार करने के लिए विभिन्न राज्यों में 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। उन्होंने यह भी कहा कि स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म कौशल बढ़ाने के लिए डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का और विस्तार करेगा। पीएमकेवीवाई 4.0 में एक नियोजित और व्यवस्थित तंत्र कायम करने का वादा किया गया है, जो निश्चित रूप से युवाओं के लिए रोजगार के ढेर सारे अवसर पैदा करेगा, बशर्ते इसे ठीक से लागू किया जाए।
(*लेखक केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, रांची के जनसंचार विभाग और एक भारत श्रेष्ठ भारत विभाग में सहायक प्रोफेसर (वरिष्ठ) और समन्वयक हैं। उनसे rajesh.kumar@cuj.ac.in पर संपर्क किया जा सकता है।) ये लेखक के निजी विचार हैं।
लेखक केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, रांची के जनसंचार विभाग में पीएचडी स्कॉलर हैं। उनसे vkjmessi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)
ये लेखक के निजी विचार हैं।