स्फूर्ति - पारंपरिक उद्योगों को सक्रिय करने की योजना
समीर स्फूर्ति - (पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए कोष की योजना) का उद्देश्य छोटी इकाइयों और कारीगरों को समूहों में संगठित करके पारंपरिक उद्योगों को एक नया जीवन प्रदान करना है, जिससे उनके उत्पादन में वृद्धि हो सके, उत्पादों की विपणन क्षमता बढ़ाकर और स्थाई रोज़गार प्रदान करके उन्हें प्रतिस्पर्धी और लाभदायक बनाया जा सके। इसमें हथकरघा, हस्तशिल्प, खादी, कयर, बांस, शहद, कृषि-प्रसंस्करण आदि जैसे पारंपरिक उत्पादों से संबंधित क्लस्टर गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। स्फूर्ति, जिसे प्रारंभ में 2005-06 में लॉन्च किया गया था, को 2014 में देश भर में पारंपरिक उद्योगों के विविध क्षेत्रों को कवर करने के लिएइसके वर्तमान स्वरूप में ही नया रूप दिया गया।
मुख्य उद्देश्य
इस योजना का मूल उद्देश्य पारंपरिक उद्योगों और कारीगरों को समूहों में संगठित करना और उन्हें प्रतिस्पर्धी बनाना, निरंतर रोजगार प्रदान करना और उत्पादों की बिक्री में वृद्धि करना है। अंतत: कारीगरों के एक सामूहिक विनिर्माण उद्यम की स्थापना का समर्थन करना है, इससे कारीगरों को वर्तमान बाजारों और उपभोक्ताओं के लिए उपयुक्त मूल्यवर्धित उत्पादों का उत्पादन करने की अनुमति मिलती है, जिससे उन्नत उत्पाद से उनके मूल्य का हिस्सा बढ़ जाता है।
वित्तीय सहायता
नियमित समूहों (500 कारीगरों तक) को 2.5 करोड़ रुपये और प्रमुख समूह (500 से अधिक कारीगर) को5 करोड़ रूकी वित्तीय सहायता दी जाती है। वित्तीय सहायता में सरकार का योगदान 90% और 95% के बीच भिन्न-2 होता है, जबकि समूहों के एसपीवी (विशेष प्रयोजन वाहन) 10% - 5% (पूर्वोत्तर, जम्मू और कश्मीर और पहाड़ी राज्यों में) का योगदान करते हैं।
प्रमुख हस्तक्षेप
स्फूर्ति के तहत समर्थन में ठोस हस्तक्षेप, सॉफ्ट हस्तक्षेप और विषयगत हस्तक्षेप शामिल हैं। भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए ठोस हस्तक्षेपों में फैक्ट्री/सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) की स्थापना, नई मशीनों की खरीद, डिजाइन हाउस की स्थापना, कच्चे माल की खरीद आदि शामिल हैं। सॉफ्ट हस्तक्षेप के तहत, कारीगरों को प्रशिक्षण, जागरूकता निर्माण, एक्सपोजर विजिट आदि के लिए 100% अनुदान समर्थन दिया जाता है। विषयगत हस्तक्षेप के तहत, ब्रांड निर्माण, विपणन और ई-कॉमर्स, अनुसंधान और विकास पहल आदि के लिए एक ही क्षेत्र में कई समूहों को सहायता दी जाती है।
पात्रता
पारंपरिक क्लस्टर से मौजूदा कारीगर क्लस्टर बनाने के पात्र हैं।गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), केंद्र और राज्य सरकारों के संस्थान और, अर्ध-सरकारी संस्थान, राज्य और केंद्र सरकार के क्षेत्रीय कर्मचारी, पंचायती राज संस्थान (पीआरआई), और इसी तरह की एजेंसियां, उपयुक्त विशेषज्ञता के साथ स्फूर्ति के तहतक्लस्टर का विकास करने के लिए पात्र हैं। ।
कार्यावयन
कार्यान्वयन एजेंसियां (आईए), जिसमें ग़ैर सरकारी संगठन, केंद्र और राज्य सरकारों के संस्थान शामिल हैं, जिनके पास कारीगरों के साथ जमीनी स्तर पर काम करने का अनुभव है, कारीगरों को एक साथ लाते हैं और उद्यम का प्रबंधन करने के लिए उन्हें दीर्घकालिक एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) में संगठित करते हैं। कार्यान्वयन एजेंसियां क्षमता निर्माण और कारीगरों की सहायता सहित क्लस्टर परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा नोडल एजेंसियां हैं जो कि क्षेत्रीय विशेषज्ञता के साथ राष्ट्रीय स्तर के संस्थान हैं तथा कलस्तर कार्यावयन में समर्थन और पर्यवेक्षण के लिए कलस्टर्स (कार्यान्वयन एजेंसियां, एसपीवी और कारीगर)तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के मध्यएक इंटरफेस के तौर पर कार्य करती हैं। नोडल एजेंसियां तकनीकी एजेंसियों को भी संलग्न करते हैं जो कि सेक्ट्रल अनुभव के साथ प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान हैं।
स्फूर्ति के तहत, एक क्लस्टर को तभी कार्यात्मक माना जाता है जब वह निम्नलिखित कार्यों को पूरा करता है:
• भवन निर्माण पूरा करना
• सीएफसी के लिए अपेक्षित सभी मशीनरी स्थापित करना
• सभी मशीनरी और सीएफसी बिल्डिंग का विद्युतीकरण
• वाणिज्यिक उत्पादन के लिए ट्रायल रन
• विपणन लिंकेज के लिए समझौते
• सभी स्वीकृतियां और अनुमतियां
• वाणिज्यिक उत्पादन और बिक्री संचालित करना
क्लस्टर के कार्यात्मक होने की प्रक्रिया में बड़ी संख्या में कारीगर शामिल होते हैं, जिन्हें एकजुट और संगठित करना होता है। चूंकि समूहों में 300-1000 कारीगर शामिल हैं, इसलिए कारीगरों को शिक्षित करने और इस बड़े समूह के बीच तालमेल लाने में काफी समय लगता और प्रयास करना पड़ता है। इस तरह के तालमेल के विकसित होने के बाद ही कारीगर एक सामान्य लक्ष्य की दिशा में काम करने में सक्षम होते हैं।
उपलब्धियां
स्फूर्ति के अधीन 2015-16 से लेकर कुल 498 कलस्टर्स स्वीकर्त किए गए हैं। इससे रू 1292.94 करोड़ की प्रतिबद्धता प्रदान की गई है जिससे प्रत्यक्ष तौर पर 2.94 लाख परंपरागत दस्तकारों को लाभ हुआ है। ये कलस्टर्स देश के कोने-कोने में फैले हैं और 89 आकांक्षी जिलों सहित 311 जि़लों में विस्तारित हैं। स्फूर्ति के तहत स्वीकृत 498 क्लस्टरों में से 261 अब तक कार्य कर रहे हैं, जिसका अर्थ है कि भवन और मशीनरी की स्थापना पूरी हो चुकी है और उत्पादन तथा विपणन शुरू हो गया है।
क्लस्टर में कई तरह के सेक्टर और उनके कारीगर शामिल हैं। देश के सभी हिस्सो में हस्तशिल्प, बांस, कपड़ा, कयर, शहद, कृषि-व्यवसाय, खादी, आदि शामिल किए जाते हैं। अधिकांश समूहों में स्फूर्ति लाभार्थियों में महिलाएं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक शामिल हैं।
स्फूर्ति कलस्टर्स की क्षेत्रवार कवरेज
सेक्टर
|
एग्री-बिजनेस
|
बांस
|
कयर
|
हस्तशिल्प
|
शहर
|
खादी
|
टेक्सटाईल
|
कुल
|
कार्यात्मक
|
48
|
20
|
27
|
71
|
5
|
3
|
87
|
261
|
कार्यान्वयन अधीन
|
85
|
19
|
13
|
62
|
12
|
1
|
45
|
237
|
कुल
|
133
|
39
|
40
|
133
|
17
|
4
|
132
|
498
|
हाल की पहलें:
(i) पहले, स्फूर्ति क्लस्टर के लिए कार्यान्वयन की अवधि 3 वर्ष थी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि योजना के तहत हस्तक्षेपों का लाभ कारीगरों को जल्दी उपलब्ध हो, नियमित और प्रमुख क्लस्टर स्थापित करने की समय-सीमा को क्रमशः 12 और 18 महीने कर दिया गया है। इसे सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने कारीगरों को चार किस्तों में अपना योगदान जमा करने की अनुमति देने, मशीनों की निविदा और भवन निर्माण के लिए आईएएस को मार्गदर्शन, क्लस्टरों की प्रगति पर नियमित समीक्षा बैठक आदि जैसे कदम उठाए हैं।
(ii) प्रक्रियात्मक उन्नयन के अलावा, प्रत्येक क्लस्टर को अत्याधुनिक मॉडल क्लस्टर बनाने के लिए क्लस्टरों को उद्योग की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
a. मंत्रालय ने डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित किया है जिसके तहत अधिक पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए समूहों को लगातार अपनी उत्पादन लाइनों, विनिर्माण और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाने के लिए कहा जाता है।
b. अधिक लागत प्रभावी और कुशल होने के लिए लीन सिस्टम विशेषज्ञों के परामर्श से क्लस्टर को अपनी मशीनरी को संरेखित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
c. प्रत्येक क्लस्टर में हरित प्रौद्योगिकी जैसे कि सौर ऊर्जा, अपशिष्ट न्यूनीकरण/उपयोग, वर्षा जल संचयन आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है और अपनाया जा रहा है।
d. मंत्रालय सामान्य सुविधा केंद्रों (सीएफसी) की बाहरी दीवारों पर कला और शिल्प, उत्पादों और क्लस्टर की संस्कृति को चित्रित करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है ताकि पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके और सीएफसी को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जा सके।
e. सभी स्फूर्ति क्लस्टरों में सौंदर्यीकरण के लिए क्लस्टर के चारों ओर हरियाली और वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जा रहा है.
f. ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण और शहद समूहों में, अपनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा हैजो इसके स्रोत की प्रामाणिक पहचान के कारण उपज के मूल्य में वृद्धि करते हैं।
g. इसके अलावा, क्लस्टरों में कारीगरों की आय की निगरानी के लिए ऐप विकसित करने के लिए नोडल एजेंसियों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
(iii) डिजाइन विकास के लिए सभी क्लस्टरों को विशिष्ट संस्थानों से जोड़ा जा रहा है ताकि बाजार की मांग के अनुसार नए उत्पाद तैयार किए जा सकें।
(iv) डिजिटल प्रचार और उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए कुछ नोडल एजेंसियों द्वारा डिज़ाइन किए गए समर्पित पोर्टल सहित सभी समूहों को ई-कॉमर्स पोर्टल से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
(v) विभिन्न क्षेत्रों में क्लस्टरों को नई तकनीकों पर समर्थन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ समझौते पर काम किया जा रहा है.
(vi) कोविड-19 महामारी के दौरान, मंत्रालय ने स्फूर्ति कारीगरों को उनके दैनिक परिचालन खर्चों को पूरा करने के लिए कार्यशील पूंजी ऋण के साथ वित्तीय सहायता प्रदान की। इस पहल ने न केवल कठिन कोविड-19 संकट के दौरान हाथ में तत्काल नकदी के साथ कारीगरों की सहायता की, बल्कि उन्हें अपना उत्पादन जारी रखने और अपनी आजीविका बनाए रखने के लिए भी सशक्त बनाया।
(vii) कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन, भौतिक बिक्री पर प्रतिबंध और बाजार की मांग में गिरावट से उत्पन्न चुनौतियों को कम करने के लिए, समूहों को आभासी प्रदर्शनियों, ऑनलाइन क्रेता-विक्रेता मीट, मास्क, सैनिटाइजर जैसे सहायक चिकित्सा उत्पादों के उत्पादन में भागीदारी आदि के साथ सहायता प्रदान की गई है।
(viii) क्लस्टरों की वर्षवार स्वीकृति और कार्यात्मकता का उल्लेख नीचे तालिका में किया गया है:
वित्तीय वर्ष
|
स्वीकृत कलस्टरों की संख्या
|
कार्यरत कलस्टरों की संख्या
|
2015-16
|
29
|
शून्य
|
2016-17
|
38
|
2
|
2017-18
|
2
|
16
|
2018-19
|
64
|
12
|
2019-20
|
157
|
19
|
2020-21
|
107
|
96
|
2021-22
|
101
|
106
|
2022-23
|
-
|
10
|
कुल
|
498
|
261
|
नई दिल्ली के दिल्ली हाट में 1 से 15 अक्टूबर, 2022 तक आज़ादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में पहली बार स्फूर्ति समूहों के पारंपरिक उत्पादों की राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। स्फूर्ति मेला के दौरान, 28 राज्यों से 50 स्फूर्ति कलसटरोंसे 100 दस्तकारों ने अपने हथकरघा, हस्तशिल्प, खादी, कयर, एग्रो प्रोसेसिंग के परंपरागत उत्पाद प्रदर्शित किए। इनमें जम्मू एवं कश्मीर का सोज़नी एम्ब्रायडरी कलस्टर, मेघालय का केन और बैम्बू कलस्टर, कर्नाटक का चन्नापटना टॉय कलसटर, राजस्थान का प्राकृतिक डाई कलस्टर, बिहार का मधुबनी पेंटिंग कलस्टर, महाराष्ट्र का कोल्हापुरी परंपरागत ज्वैलरी कलस्टर, केरल का कयर कलस्टर, उत्तर प्रदेश का कारपेट और दरी कलस्टर, ओड़ीशा का मिलेट कलस्टर, अरूणाचल प्रदेश का एरि सिल्क खादी कलस्टर और अन्य शामिल हैं। इस मेले का उद्देश्य त्यौहार के सीज़न के दौरान नागरिकों के मध्य देश भर से परंपरागत उत्पादों को प्रोत्साहित करना था। इसके अलावा, इस मेले ने दस्तकारों के लिए अपने कलस्टर उत्पादोंके विपणन और बिक्री के लिए नए अवसर भी खोलने का काम किया। इस मेले के थीम पवेलियन में पारंपरिक उत्पादों की निर्माण प्रक्रियाओं का जीवंत प्रदर्शन भी आयोजित किया गया।
(लेखिका आर्थिक सलाहकार है और एमएसएमई मंत्रालय में वित्त एवं बजट डिविजन की देख-रेख करती है।उनसे sameera.saurabh@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)
व्यक्त विचार व्यक्तिगत है