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विशेष लेख


अंक संख्या 37,10-16 दिसम्बर ,2022

हरित ऊर्जा

भविष्य के लिए महत्वपूर्ण विकल्प

 

डॉ. मानस रंजन सेनापति

 

अक्षय ऊर्जा या हरित ऊर्जा प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा है । नवीकरणीय संसाधनों के उदाहरणों में पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैव ईंधन और पन-बिजली ऊर्जा शामिल हैं। अक्षय ऊर्जा की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसका दोहन  हानिकारक जहरीले प्रदूषकों के विसर्जन के बिना किया जा सकता है। गैर-नवीकरणीय ऊर्जा या पारंपरिक जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, तेल और गैस के नियत समय में समाप्त होने की संभावना है। उपभोग की वर्तमान दर से तेल भंडार 30 से 40 वर्ष तक, गैस भंडार 50 से 60 वर्ष तक, कोयला भंडार 80 से 100 वर्ष तक और यूरेनियम भंडार 1000 वर्ष तक उपलब्‍ध होने का अनुमान है। इसलिए अक्षय ऊर्जा का संरक्षण न केवल संसाधनों को बचाने के लिए बल्कि हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। हर साल 14 दिसंबर को मनाया जाने वाले राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का उद्देश्य देश में ऊर्जा की बचत के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना है। हरित ऊर्जा, प्राकृतिक स्रोतों जैसे सूरज की रोशनी, हवा, बारिश, ज्वार, पौधे, शैवाल और भूतापीय गर्मी से प्राप्त होती है। ये ऊर्जा संसाधन पर्यावरण के अनुकूल हैं और हमारे कार्बन फुटप्रिंट को कम करते हैं। हरित ऊर्जा, हालांकि उन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करती है जो पूरी दुनिया में आसानी से उपलब्ध हैं, जिनमें ग्रामीण और दूरदराज के इलाके भी शामिल हैं, जहां अन्यथा बिजली की पहुंच नहीं होती।अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में प्रगति ने सौर पैनलों, पवन टर्बाइनों और हरित ऊर्जा के अन्य स्रोतों की लागत कम की है, जिससे बिजली उत्पादन करने की क्षमता तेल, गैस, कोयला और उपयोगिता कंपनियों के बजाय लोगों के हाथों में आ गई है। दुनिया की लगभग 30 प्रतिशत बिजली अक्षय ऊर्जा से आती है, जिसमें जलविद्युत, सौर, पवन और अन्य शामिल हैं। कोस्टा रिका ने पनबिजली, भू-तापीय, पवन, बायोमास और सौर ऊर्जा के संयोजन से लगातार सात वर्षों तक नवीकरणीय स्रोतों से अपनी 98% बिजली का उत्पादन किया है। भारत स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है और पिछले 7 वर्षों में उसकी गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा में 25% से अधिक की वृद्धि हुई है।



यह अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक, दुनिया की ऊर्जा की सबसे बड़ी मात्रा वैकल्पिक या अक्षय ऊर्जा स्रोतों द्वारा आपूर्ति की जाएगी। हरित प्रौद्योगिकियां, प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं को शामिल करती हैं जो पर्यावरण पर मानव प्रभाव को कम करने और सतत विकास के तरीकों में हमारी मदद करती हैं। आज पर्यावरण उस सीमा को पार करने की ओर बढ रहा है जिससे जलवायु में व्‍यापक बदलाव आ सकते हैं जिनके कई विपरीत प्रभाव सामने आएंगे। हमारी वर्तमान कार्रवाइयाँ दुनिया को एक पारिस्थितिक भूस्खलन की ओर ले जा रही हैं और अगर ऐसा होता है तो यह विनाश को अपरिहार्य बना देगा। हरित प्रौद्योगिकियां पृथ्वी को बचाने की दिशा में एक उभरता हुआ दृष्टिकोण हैं। ऐसे में इनके नफा-नुकसान दोनों की पड़ताल जरूरी है। हरित प्रौद्योगिकी नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करती है जो कभी कम नहीं होते। हरित प्रौद्योगिकी नई और नवीन ऊर्जा उत्पादन तकनीकों को अपनाती है। अक्षय ऊर्जा वह ऊर्जा है जो एक असीमित स्रोत से प्राप्त होती है। ऊर्जा संसाधनों के उचित उपयोग पर इन दिनों काफी बहस चल रही है। यह बहुत महत्‍वपूर्ण है कि हम अपनी आवश्यकता के लिए ऊर्जा के किस स्रोत का चयन करें और ऐसा क्यों करें। स्वच्छता, लागत, स्थिरता, दक्षता और पर्यावरणीय पहलुओं जैसे अधिकांश कारकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह एक कड़वा सच है कि दुनिया भर में कई उद्योग और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान हरित होने के बजाय अब भी बिजली उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हैं।



अक्षय ऊर्जा की आवश्यकता
भविष्य में दुनिया की आबादी में 50-100% की वृद्धि और औद्योगिक तथा नव विकसित औद्योगिक देशों में शहरीकरण सहित, आर्थिक कल्याण में वृद्धि, भविष्य के आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी परिवर्तनों के कारण चुनौतियां स्पष्ट हैं। अधिक संसाधन कुशल खपत पैटर्न तथा प्रौद्योगिकियां और अनुसंधान, नवाचार तथा विभिन्न उपभोग क्षेत्रों के लिए कार्यनीतियों में पर्यावरणीय प्रभाव और संसाधनों की खपत में कमी पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। अक्षय ऊर्जा उन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करती है जिनकी भरपाई, प्रकृति यानी सूर्य, हवा, पानी, पृथ्वी की गर्मी और पौधे लगातार करते हैं । अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियां, इन ईंधनों को ऊर्जा के प्रयोग करने योग्य रूपों अक्सर बिजली  में और गर्मी, रसायन या यांत्रिक शक्ति में भी बदल देती हैं । अक्षय ऊर्जा उत्पादन, जैसे पवन और सौर ऊर्जा के परिवर्तनशील या अनिरंतर होने के कारण कभी-कभी आलोचना की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, इसका महत्व कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें प्रत्येक में अक्षय ऊर्जा का प्रवेश शामिल है।


अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के महत्वपूर्ण पर्यावरणीय लाभ हो सकते हैं। कोयले और प्राकृतिक गैस के विपरीत, वे महत्वपूर्ण मात्रा में सीओ2 और जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाली अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन के बिना बिजली और ईंधन उत्पन्न कर सकते हैं। हम अक्सर अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को "स्वच्छ" और "हरित" कहते हैं क्योंकि वे तुलनात्मक रूप से कम प्रदूषक पैदा करती हैं। हालांकि, जीवाश्म ईंधन जलाने से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं, जो सूरज की गर्मी का प्रपाशन कर ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देती हैं। जलवायु वैज्ञानिक आमतौर पर इस बात से सहमत हैं कि पिछली शताब्दी में पृथ्वी के औसत तापमान में चिंताजनक रूप से वृद्धि हुई है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो समुद्र का स्तर बढ़ जाएगा, और वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बाढ़, लू, सूखा और मौसम की अन्य चरम स्थितियाँ हमें अधिक प्रभावित कर सकती हैं।

जीवाश्म ईंधन को जब जलाया जाता है तो अन्य प्रदूषक भी हवा, मिट्टी और पानी में विसर्जित होते हैं। ये प्रदूषक पर्यावरण और मनुष्यों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। वायु प्रदूषण से अस्थमा, निमोनिया, फेफड़ों के कैंसर आदि जैसी बीमारियां हो सकती हैं । तापीय ऊर्जा संयंत्रों से निकलने वाले सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड के कारण होने वाली अम्लीय वर्षा पौधों और जलीय जानवरों को प्रभावित करती है। नाइट्रोजन ऑक्साइड भी फोटोकैमिकल स्मॉग का कारण बनती हैं। अक्षय ऊर्जा हमें ऊर्जा स्वतंत्रता और सुरक्षा विकसित करने में भी मदद करेगी। कुछ पेट्रोलियम को वनस्पति तेल से बने ईंधन से बदलकर, उदाहरण के लिए जैव ईंधन, न केवल पैसे बचाए जा सकते हैं बल्कि ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत किया जा  सकता है। अक्षय ऊर्जा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, और प्रौद्योगिकियों में लगातार सुधार हो रहा है। अक्षय ऊर्जा संसाधनों का पता लगाने के कई तरीके हैं। हम में से अधिकांश पहले से ही अपने दैनिक जीवन में अक्षय ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं।

ऊर्जा सरंक्षण
ऊर्जा की मांग की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ऊर्जा का उचित उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है। दुनिया भर के विशेषज्ञों की राय है कि बिजली उत्पादन के लिए अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाना चाहिए। पवन, पन-बिजली, भूतापीय, सौर और बायोमास की सतत प्रकृति ऊर्जा आपूर्ति कंपनियों को उनका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसके अलावा, लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने घरों पर छोटे सौर पैनल स्थापित कर सकते हैं। ऊर्जा का संरक्षण और अक्षय स्रोतों का उपयोग ऊर्जा रोडमैप का अंतिम लक्ष्य है। कई वाहन गैसोलीन (जो एक जीवाश्म ईंधन है) से चलते हैं। गैसोलीन एक दिन समाप्त हो जाएगा और वाहन उद्योग को अपना व्यवसाय जारी रखने के लिए कुछ नई प्रकार की ऊर्जा जैसे हाइब्रिड सिस्टम या इलेक्ट्रिक वाहनों का सहारा लेना चाहिए। ऊर्जा को कई तरह से संरक्षित किया जा सकता है। कई बार हम लाइट, पंखे और अन्य उपकरणों को बंद करने पर ध्यान नहीं देते हैं। उपयोग में न होने पर लाइट, एसी और हीटर बंद करने से प्रति दिन 282 किलोवाट ऊर्जा की बचत की जा सकती है। इससे निश्चित रूप से बिजली बिल बहुत कम आएगा। अत्यधिक उद्दीप्‍त लैंप अब लगभग प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एलईडी) बल्बों से बदल दिए गए हैं। 43 वाट के हलोजन बल्ब या 60 वाट के पारंपरिक बल्ब जितना प्रकाश देने के लिए केवल 12 वाट का एलईडी बल्ब लगता है। बिजली की बचत करने का यह एक आसान तरीका है। इससे न केवल धन की बचत होती है बल्कि ऊर्जा की भी बचत होती है। विभिन्न प्रतिष्ठानों में बिजली के बिलों के बड़े प्रतिशत के लिए एयर कंडीशनिंग और हीटिंग जिम्मेदार हैं। हम एयर कंडीशनर और हीटर के थर्मोस्टैट को कुछ डिग्री तक समायोजित कर सकते हैं और इनके इस्‍तेमाल के सभी फायदे ले सकते हैं। उदाहरण के रूप में, यदि हीटर आमतौर पर चरम सर्दियों में 71 डिग्री फ़ारेनहाइट पर सेट होता है, तो इसे 69 पर सेट करें और इसी तरह गर्मियों में एयर कंडीशनर में भी ऐसा किया जा सकता है। केवल कुछ डिग्री कम करने से ऊर्जा की खपत की मात्रा में काफी कमी लाई जा  सकती है और इससे पैसे की बचत भी होती है।


निष्कर्ष
भारत स्वच्छ और हरित ऊर्जा स्रोत के लिए प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन इस दिशा में एक बडा कदम है, केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने हाल में मिस्र के शर्म अल-शेख में संपन्न सीओपी 27 के मौके पर यह बात कही थी।
हरित ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने का उद्देश्य कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से जुड़े निराशावादी पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना है। अक्षय ऊर्जा स्रोत का उपयोग करने का विकल्प न केवल लंबी अवधि में लागत बचत में तब्दील होगा, बल्कि पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन के जोखिमों से बचाने में भी मदद करेगा। एनर्जी ऑडिट को अपनाकर ऊर्जा संरक्षण के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार के स्तर पर ऊर्जा संरक्षण जागरूकता अभियान शुरू किया जाना चाहिए। इसके अलावा, बिजली उत्पादन इकाइयों को धीरे-धीरे नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग का सहारा लेना चाहिए क्योंकि वे विपुल हैं और कभी समाप्त नहीं होंगे। हरित ऊर्जा स्रोतों और उनके उपयोग के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने में सोशल मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जनता को ऊर्जा संरक्षण और उपयोग पर हरित अनुकूल कार्यों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि लोग ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग के महत्व के बारे में तेजी से जागरूक हो रहे हैं, लेकिन अब भी इस क्षेत्र में बहुत काम करने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, लोगों को वैकल्पिक ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के महत्व के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिए बुद्धिजीवियों और विषय विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिएं।उन्हें पर्यावरण और जीवित प्राणियों के स्पष्ट दोषों के कारण जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने के लिए भी हतोत्साहित करना चाहिए। स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रम में अक्षय या हरित ऊर्जा पर पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं ताकि विद्यार्थियों को  इनके महत्व से परिचित कराया जा सके और इस क्षेत्र में उनके ज्ञान में वृद्धि की जा सके। स्वच्छ और हरित ऊर्जा बनाम जीवाश्म ईंधन, सार्वजनिक परिवहन बनाम सड़कें, इलेक्ट्रिक वाहन बनाम आंतरिक दहन इंजन वाहन, और प्रकृति-आधारित समाधान बनाम तेल और गैस उत्पादन पर हरित कार्य आजकल ध्यान आकर्षित करते हैं। अगला दशक अक्षय ऊर्जा का युग होने जा रहा है। सरकारी नीतिगत पहलों को मजबूत करने के लिए निजी क्षेत्र की सहायता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। इसके लिए ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है जो प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण और सहयोगी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दें। हरित ऊर्जा स्रोतों में नवोन्मेष, विकासशील देशों को आधुनिक और स्थायी ऊर्जा प्रणालियों तथा प्रौद्योगिकियों को अपनाने में सक्षम करेगा।


(लेखक डीन, साइंस ऑफ बीजू पटनायक यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलॉजी और ट्रिडेंट अकादमी ऑफ टेक्नॉलॉजी
,भुवनेश्वर में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर हैं।)

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.