विश्व मृदा दिवस
पृथ्वी पर जीवन कायम रखने वाले अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने का प्रयास
विश्व मृदा दिवस हर साल 5 दिसंबर को स्वस्थ मिट्टी के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने और मृदा संसाधनों के सतत प्रबंधन का समर्थन करने के साधन के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2014 में अपने आरंभ लेकर विश्व मृदा दिवस,2014 में 42 कार्यक्रमों के आयोजन से बढ़कर 2021तक आते-आते125 देशों में लगभग 781आयोजनों का रूप ले चुका है।मृदा में पोषक तत्वों की हानि होना एक प्रमुख मृदा क्षरण प्रक्रिया है, जो पोषण के लिए खतरा बनती जा रही है और इसे खाद्य सुरक्षा और निरंतरता के लिए वैश्विक स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक माना जाता है। विश्व मृदा दिवस 2022, और इसका अभियान 'मृदा: जहां भोजन होता है', का उद्देश्य मृदा प्रबंधन की दिशा में बढ़ती चुनौतियों का समाधान करके, मृदा के प्रति जागरूकता बढ़ाकर और समाज को मृदा का स्वास्थ्य बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहित करके स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और मानव कल्याण को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
मृदा क्यों महत्वपूर्ण है?
मृदा वह है, जहां से भोजन की शुरूआत होती है। मृदा हमारे अधिकांश भोजन (कृषि उत्पादों का प्रमुख स्रोत) का स्रोत और हमारे ग्रह की जीवन-रक्षा प्रणाली का केंद्र है। मृदा पौधों और पेड़ों को पोषक तत्व, पानी और खनिज प्रदान करती है, कार्बन जमा करती है, और अरबों कीटों, छोटे जीवों, जीवाणुओं और कई अन्य सूक्ष्मजीवों का घर है। एफएओ के अनुसार, हमारे ग्रह की जैविक विविधता का एक चौथाई भाग मृदा में मौजूद है। मृदा में अरबों सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया, कवक और प्रोटोजोआ के साथ-साथ हजारों कीट, घुन और कीड़े हैं। एक चम्मच स्वस्थ मृदा में पृथ्वी पर पाए जाने वाले लोगों की तुलना में अधिक सूक्ष्म जीव समाहित होते हैं। इसलिएमृदा की जैव विविधता पर ध्यान देना पृथ्वी पर जीवन की रक्षा के लिए मददगार है।इसके बावजूद, पृथ्वी ग्रह पर उपजाऊ मृदा की मात्रा खतरनाक रफ्तार से कम हो रही है, जिससे दुनिया भर की आबादी, जिसके वर्ष 2050 तक नौ अरब तक पहुंचने का अनुमान है, का पेट भरने के लिए किसानों की खाद्यान्न उगाने की क्षमता से समझौता किया जा रहा है। जैसा कि खाद्य एवं कृषि संगठन ( एफएओ) ने कहा है “मृदा क्षरण,खामोश, लेकिन मानवता के लिए भीषण परिणामों के साथ घटित होने वाली प्रक्रिया है । अध्ययनों से पता चलता है कि पृथ्वी ग्रह की लगभग एक तिहाई मृदा मध्यम से गंभीर क्षरण का सामना कर रही है।” इसलिए, मृदा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के प्रयास करना "सभी के लिए खाद्य सुरक्षा और पोषण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण सहायकसिद्ध होगा।"
मृदा एक सीमित संसाधन है, क्योंकि यह अनवीकरणीय है। मूल चट्टान या पेरेंट रॉक से एक सेंटीमीटर मृदा बनने में सैकड़ों से हजारों साल लग सकते हैं। कृषि की खराब पद्धतियां, जैसे अत्यधिक जुताई, अत्यधिक सिंचाई, उर्वरकों, शाकनाशियों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग, पोषक तत्व निर्माण करने की मृदा की क्षमता की तुलना में, उसके पोषक तत्वों को तेजी से समाप्त कर देता है, जिससे मृदा की उर्वरता में कमी आती है और मृदा का क्षरण होता है।मृदा केवल खाद्य स्रोत भर नहीं है। यह जलवायु परिवर्तन को धीमा करती है, क्योंकि यह बाढ़ और सूखे के लिए लचीलापन प्रदान करती है। मृदा स्थलीय आर्गेनिक कार्बन सर्वाधिक मात्रा में एकत्र करती है, जो वनस्पति में संग्रहीत मात्रा से दोगुना से भी अधिक होता है।
भारत अपनी मृदाओं की देखभाल कैसे कर रहा है?
वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय मृदा वर्ष के अवसर पर देश में मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एचएससी) योजना का शुभारंभ किया गया। इसका उद्देश्य मृदा और मृदा प्रबंधन के बारे में जानकारी बढ़ाना और वैज्ञानिकों/विस्तार कर्मियों और किसानों के बीच के फासले को कम करना है। यह कार्यक्रम किसानों की आवश्यकताओं के आधार पर वैज्ञानिक जानकारी सुगम बनाने के लिए संचालित किया जा रहा है।एचएससीका आशय प्रत्येक किसान को उसकी जोत की मृदा की पोषक स्थिति की जानकारी देना है और उसे उर्वरकों की खुराक और आवश्यक मृदा सुधारके बारे में सलाह देना है, ताकि वह मृदा के स्वास्थ्य को लंबे समय तक बरकरार रखने के लिए उन्हें उपयोग में लाना जारी रख सके।
एचएससीएक छपी हुई रिपोर्ट होती है, जो किसी किसान को उसकी प्रत्येक जोत के लिए सौंपी जाती है। इसमें 12 मापदंडों के संबंध में उसकी मृदा की स्थिति की जानकारी दी जाती है। ये मापदंड हैं - मैक्रो-पोषक तत्व एन (नाइट्रोजन), पी (फास्फोरस), के (पोटेशियम); माध्यमिक पोषक तत्व एस (सल्फर); (सूक्ष्म पोषक तत्व) जेडएन(जिंक), एफई (आयरन), सीयू (कॉपर), एमएन (मैंगनीज), बीओ (बोरॉन); और भौतिक पैरामीटर पीएच (हाइड्रोजन की क्षमता), ईसी (विद्युत चालकता), ओसी (ऑर्गेनिक कार्बन)। इसके आधार पर, एचएससीखेत के लिए आवश्यक उर्वरक सिफारिशों और मृदा सुधारों को भी इंगित करता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के उद्देश्य
- सभी किसानों को हर दो साल में मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना, ताकि उपजाऊ बनाने की पद्धतियों में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने का आधार प्रदान किया जा सके।
- क्षमता निर्माण, कृषि छात्रों की भागीदारी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)/राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ प्रभावी संयोजन के माध्यम से मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं (एसटीएल) के कामकाज को मजबूत बनाना।
- राज्यों में समान रूप से नमूना लेने की मानकीकृत प्रक्रियाओं के साथ मृदा की उर्वरता संबंधी बाधाओं का निदान करना तथा लक्षित जिलो में तालुका/ब्लॉक स्तर की उर्वरक सिफारिशों का विश्लेषण और उन्हें डिजाइन करना।
- पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए जिलों में मृदा परीक्षण आधारित पोषक तत्व प्रबंधन का विकास और प्रचार-प्रसार करना।
- किसानों को उनकी फसल प्रणालियों की कमियों के लिए सुधारात्मक उपाय लागू करने और संतुलन और एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन प्रथाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- पोषक तत्व प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए जिला और राज्य स्तर के कर्मचारियों और प्रगतिशील किसानों की क्षमता का निर्माण करना।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के लाभ
– योजना के तहत मृदा की जांच कराकर प्रारुपित रिपोर्ट किसानों को उपलब्ध कराई जाती है। इस रिपोर्ट से वे यह तय करने समर्थ हो पाते हैं कि उन्हें किस फसल की खेती करनी चाहिए और किसकी नहीं।
– अधिकारी नियमित रूप से मृदा की जांच करते हैं और किसानों को रिपोर्ट उपलब्ध कराते हैं। इसलिए, यदि कुछ कारकों के कारण मृदा की प्रकृति बदलती है, तो किसानों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा, उनके पास हमेशा अपनी मृदा के बारे में अद्यतन डेटा होता है।
– सरकार का काम मृदा की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक उपायों को सूचीबद्ध करने से नहीं खत्म नहीं हो जाता। दरअसल सरकार सुधारात्मक उपाय करने में किसानों की मदद करने के लिए विशेषज्ञों को भी नियुक्त करती है।
– किसानों को एक उचित मृदा स्वास्थ्य रिकॉर्ड मिलता है। किसान मृदा प्रबंधन पद्धतियों का भी अध्ययन कर सकते हैं और तदनुसार अपनी फसलों और भूमि के भविष्य की योजना बना सकते हैं। इस कार्ड से किसानों को सटीक रूप से पता चल जाता है कि उनकी मृदा में कौन से पोषक तत्वों का अभाव है और इसलिए उन्हें किन फसल में निवेश करना चाहिए। यह कार्ड किसानों को यह भी बताता है कि उन्हें किन उर्वरकों की आवश्यकता है।
स्रोतः पीआईबी/एफएओ/विकासपीडिया
संकलन: अनुजा भारद्वाजन एवं अनीशा बनर्जी