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विशेष लेख


अंक संख्या 35,26नवम्बर-02 दिसम्बर ,2022

भारत जलवायु के लिये मैंग्रोव गठबंधन में शामिल हुआ

 

जलवायु के लिये मैंग्रोव गठबंधन (एमएसी) को मिस्र के शर्म अल-शेख में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज के 27वें सत्र (सीओपी27) में लॉन्च किया गया। इसमें भारत भी एक सदस्य के रूप में शामिल है।

          भारत,दक्षिण एशिया के कुल मैंग्रोव कवर में लगभग आधे का योगदान देता है और सुंदरबन के घर-पश्चिम बंगाल में भारत में मैंग्रोव कवर का उच्चतम प्रतिशत है। भारत और बांग्लादेश में फैला सुंदरबन दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन भीहै। गुजरात तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गोवा और केरल में भी मैंग्रोव वन हैं। इस प्रकार,इस गठबंधन में भारत की सदस्यता मैंग्रोव के संरक्षण और बहाली को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देगी।

 

एमएसी क्या है?

संयुक्‍त अरब अमीरात (यूएई) की जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण मंत्री मरियम बिंत मोहम्मद अल्महेरी द्वारा घोषित एमएसी एक अंतर-सरकारी गठबंधन है, जो मैंग्रोव पारिस्थितकी तंत्रों के संरक्षण और बहाली के कार्य को विस्‍तृत और त्‍वरित बनाने की दिशा में प्रयासरत है। यूएई और इंडोनेशिया के नेतृत्व में यह पहल दुनिया भर के समुदायों के लाभ के लिए मैंग्रोव पारिस्थितकी तंत्रों के संरक्षण और बहाली के कार्य को व्‍यापक बनाने और उसमें तेजी लाने का प्रयास है। ऑस्ट्रेलिया, जापान, स्पेन और श्रीलंका केसाथ भारत एमएसी में शामिल होने वाले पहले पांच देशों में से एक है। इस कदम का उद्देश्य मैंग्रोव वनों के संरक्षण और बहाली के कार्य को बढ़ाना और उसमें तेजी लाना है।एमएसी के अंग के रूप में, प्राकृतिक रूप से इसकी बहाली और नियोजित पौधरोपण गतिविधियों के संबंध में भारत के प्रयासों में वृद्धि होने की उम्मीद है।

 

मैंग्रोव क्या होते हैं?

मैंग्रोव छोटे पेड़ और झाड़ियां होते हैं, जो समुद्र तटों के साथ उगते हैं, खारे पानी में पोषित होते हैं तथा भूमि और समुद्र के किनारे अनोखे वनों का निर्माण करते हैं। मैंग्रोव वनों का निर्माण ऐसे पेड़ों से होता है, जो दुनिया के उन गर्म अंतर-ज्‍वारीय क्षेत्रों में रहने के लिए अनुकूलित हो चुके हैं, जहां पानी काफी शांत रहता है और जहां जड़ें जमाने के लिए पर्याप्त तलछट होती है।ये विविध प्रकार के वन दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जो डेल्टा, नदी के मुहानों, लैगून और ग्रह के चारों ओर की विस्तृत पट्टी  में आश्रित तटों में बढ़ते हैंतथा जैव विविधता और लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

 

          मैंग्रोव कभी भी एकांत में नहीं रहते। वे अक्सर अन्य ज्वारीय दलदली भूमि प्रणालियों, के साथ ही साथ नजदीकी स्थलीय, मीठे पानी तथा प्रवाल भित्तियों और समुद्री घास सहित समुद्री पर्यावासों के साथ परस्पर जुड़े हुए पाए जाते हैं।मैंग्रोव पानी के नीचे अनिवार्य रूप से एक जंगल का निर्माण करते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर जलीय जीवन उत्‍पन्‍न होता है।मैंग्रोव खाड़ियों के छोर छोटी मछलियों का सुरक्षित ठिकाना होते हैं, जो उन्‍हें शिकार होने से बचाते हैं और पर्याप्त भोजन प्रदान करते हैं।साथ ही साथ वे शिकारी मछलियों को भी समृद्ध चारागाह प्रदान करते हैं, जो उन बदकिस्मत जीवों का शिकार करने के लिए मैंग्रोव किनारे आती हैं, जिन्हें छिपने की अच्छी जगह नहीं मिल पाती।मैंग्रोव की गहराई में, कीचड़युक्‍त जगहों पर बड़ी संख्या में सीपियां और केकड़े पाए जाते हैं, जो पोषक तत्वों से भरपूर नरम तलछट में वास करते हैं।

          मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र दुनिया के  सर्वाधिक उत्पादक और पारिस्थितिकीय दृष्टि से महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों में से एक हैं। भूमि आधारित उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की तुलना में 400 प्रतिशत तेजी से कार्बन का भंडारण करने में सक्षम होने के नाते वे महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन सह-लाभ प्रदान करते हैं। वे समुद्र के बढ़ते जलस्तर, भूक्षरण और तूफान सेतटीय क्षेत्रों को बचाते हैं और समुद्री जैव विविधता को प्रजनन का आधार प्रदान करते हैं। दुनिया भर में मछलियों की कुल आबादी का लगभग 80 प्रतिशत अपने अस्तित्व के लिए इन पारिस्थितिक तंत्रों पर निर्भर है। मैंग्रोव वन स्थलीय वनों की तुलना में प्रति हेक्टेयर दस गुना अधिक कार्बन का भंडारण कर सकते हैं। साथ ही, वे भूमि आधारित उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की तुलना में 400 प्रतिशत तेजी से कार्बन का भंडारण कर सकते हैं।

 

भारत में मैंग्रोव का संरक्षण और बचाव

भारत,दक्षिण एशिया के कुल मैंग्रोव कवर में लगभग आधे का योगदान देता है और सुंदरबन के घर - पश्चिम बंगाल में भारत में मैंग्रोव कवर का उच्चतम प्रतिशत है। भारत और बांग्लादेश में फैला सुंदरबन दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन भी है। गुजरात तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूहमहाराष्ट्रओडिशाआंध्र प्रदेशतमिलनाडुगोवा और केरल में भी मैंग्रोव वन हैं। भारत की तटरेखा के 30% से अधिक हिस्से में मैंग्रोव वन हैं। देश के लगभग 50% मैंग्रोव वन सुंदरबन में हैं। यह क्षेत्र स्तनधारियों की 58 प्रजातियों, सरीसृपों की 55 प्रजातियों और पक्षियों की लगभग 248 प्रजातियों का बसेरा है, साथ ही वृहद सुंदरवन क्षेत्र में 12 मिलियन मानव आबादी की भी बसावट है।

 

          सरकार ने प्रचार के साथ-साथ विनियामक उपायों के माध्यम से देश में वनों की रक्षा, रखरखाव, संरक्षण और संवर्धन के लिए कदम उठाए हैं। 'मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों के संरक्षण और प्रबंधन' पर राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम के तहत एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना के माध्यम से प्रोत्साहन उपायों को लागू किया जा रहा है।इस कार्यक्रम के अंतर्गत मैंग्रोव के संरक्षण और प्रबंधन के लिए वार्षिक प्रबंधन कार्य योजना (एमएपी) निरुपित और सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जाती है। भारत नेमैंग्रोव वनों के प्रबंधन के लिए तीन कार्यनीतियां अपनाई हैं; प्रचार, नियामक और भागीदारी।  भारत वन स्थिति रिपोर्ट,2021के अनुसार, मैंग्रोव कवर में वृद्धि दर्शाने वाले राज्य ओडिशा (8 वर्ग किमी) और महाराष्ट्र (4 वर्ग किमी) हैं। नियामक उपायों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना (2019);वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972;भारतीय वन अधिनियम, 1927;जैविक विविधता अधिनियम, 2002;और इन अधिनियमों के तहत समय-समय पर संशोधित नियमों के माध्यम से लागू किया गया है।

 

          वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर, इंडिया द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, नौ राज्यों (महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक) के नागरिकों'मैजिकल मैंग्रोव' अभियान के माध्‍यम से मैंग्रोव संरक्षण से जोड़ा गया है। सैकड़ों स्वयं सेवकों ने मैंग्रोव संरक्षण के संबंध में जानकारी ग्रहण करने तथा समुदाय के और अधिक लोगों इसके लिए प्रेरित करने के लिए अपना समय समर्पित किया है। स्वयं सेवक प्रस्तुतियों, वीडियो, कहानी की किताबों और मैंग्रोव ऐप के क्यूरेटेड टूलकिट से लैस हैं।

 

          सरकार मैंग्रोव के संरक्षण और प्रबंधन के लिए केंद्र प्रायोजित योजना के तहत तटीय राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को सर्वेक्षण और सीमांकन, वैकल्पिक और पूरक आजीविका, सुरक्षा उपायों तथा शिक्षा और जागरूकता गतिविधियों सहित कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए सहायता प्रदान करती है। सरकार ने 3 राज्यों अर्थात गुजरात, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय हिस्सों में तटीय संसाधनों के संरक्षण और सुरक्षा के उद्देश्य से एक एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना भी शुरू की है, मैंग्रोव रोपण जिसकी प्रमुख गतिविधियों में से एक है।

 

स्रोतःपीआईबी/यूएनएफसीसीसी/विज्ञानप्रसार/गोवावनविभाग

संकलन: अनुजा भारद्वाजन और अनीषा बनर्जी