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विशेष लेख


अंक संख्या 37,10-16 दिसम्बर ,2022

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मन की बात

(27 नवम्बर 2022)

भारत की जी20 अध्यक्षता

 

  जी-20  की World Population में दो-तिहाई, World Trade में तीन-चौथाई, और World GDP में 85 प्रतिशत भागीदारी है। आप कल्पना कर सकते हैं - भारत के लिए, हर भारतवासी के लिए, ये कितना बड़ा अवसर आया है। ये, इसलिए भी और विशेष हो जाता है क्योंकि ये जिम्मेदारी भारत को आजादी के अमृतकाल में मिली है।   G-20 की अध्यक्षता, हमारे लिए एक बड़ी opportunity बनकर आई है। हमें इस मौके का पूरा उपयोग करते हुए Global Good, विश्व कल्याण पर focus करना है। चाहे Peace हो या Unity, पर्यावरण को लेकर संवेदनशीलता की बात हो, या फिर Sustainable Development की, भारत के पास, इनसे जुड़ी चुनौतियों का समाधान है। हमने One Earth, One Family, One Future की जो theme दी है, उससे वसुधैव कुटुम्बकम के लिए हमारी प्रतिबद्धता जाहिर होती है। हम हमेशा कहते हैं -अर्थात सबका कल्याण हो, सबको शांति मिले, सबको पूर्णता मिले और सबका मंगल हो।

 

जी20-भारत के गौरव प्रदर्शन का एक अवसर

आने वाले दिनों में, देश के अलग-अलग हिस्सों मेंG-20 से जुड़े अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोगों को आपके राज्यों में आने का मौका मिलेगा। मुझे भरोसा है, कि आप, अपने यहाँ की संस्कृति के विविध और विशिष्ट रंगों को दुनिया के सामने लाएंगे और आपको ये भी याद रखना है कि G-20 में आने वाले लोग, भले ही अभी एक Delegate के रूप में आयें, लेकिन भविष्य के tourist भी हैं। मेरा आप सभी से एक और आग्रह है, विशेषतौर से मेरे युवा साथियों से, हरिप्रसाद गारू की तरह ही, आप भी, किसी-ना-किसी रूप में G-20 से जरुर जुड़ें। कपड़े पर G-20 का भारतीय Logo, बहुत cool तरीके से, stylish तरीके से, बनाया जा सकता हैछापा जा सकता है। मैं स्कूलों, कॉलेजों, यूनिवर्सिटीज से भी आग्रह करूंगा कि वो अपने यहाँ G-20 से जुड़ी चर्चा, परिचर्चाcompetition कराने के अवसर बनाएं। आप G20.in website पर जायेंगे तो आपको अपनी रूचि के अनुसार वहाँ बहुत सारी चीजें मिल जाएंगी।

 

अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की छलांग

18 नवंबर को पूरे देश ने Space Sector में एक नया इतिहास बनते देखा। इस दिन भारत ने अपने पहले ऐसे Rocket को अंतरिक्ष में भेजा, जिसे भारत के Private Sector ने Design और तैयार किया था। इस Rocket का नाम है – ‘विक्रमएस’| श्रीहरिकोटा से स्वदेशी Space Start-up  के इस पहले रॉकेट ने जैसे ही ऐतिहासिक उड़ान भरी, हर भारतीय का सिर गर्व से ऊँचा हो गया।विक्रम-एस’ Rocket कई सारी खूबियों से लैस है। दूसरे Rockets की तुलना में यह हल्का भी है, और सस्ता भी है। इसकी Development cost अंतरिक्ष अभियान से जुड़े दूसरे देशों की लागत से भी काफ़ी कम है। कम कीमत में विश्वस्तरीय standard, space technology में अब तो ये भारत की पहचान बन चुकी है। आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस Rocket के कुछ जरुरी हिस्से 3D Printing के जरिए बनाए गए हैं। ये भारत में private space sector के लिए एक नए युग के उदय का प्रतीक है। भारत space के sector में अपनी सफलता, अपने पड़ोसी देशों से भी साझा कर रहा है। हाल ही में, भारत ने एक satellite launch की, जिसे भारत और भूटान ने मिलकर develop किया है। ये satellite बहुत ही अच्छे resolution की तस्वीरें भेजेगी जिससे भूटान को अपने प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में मदद मिलेगी। इस satellite की launching, भारत-भूटान के मजबूत सबंधों का प्रतिबिंब है।

 

ड्रोन से सेबों की डिलीवरी

कुछ दिनों पहले हमने देखा कि कैसे हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में Drones के जरिए सेब Transport किये गए। किन्नौर, हिमाचल का दूर-सुदूर जिला है और वहां इस मौसम में भारी बर्फ रहा करती है। इतनी बर्फ़बारी में, किन्नौर का हफ़्तों तक, राज्य के बाकी हिस्से से संपर्क बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसे में वहां से सेब का Transportation भी उतना ही कठिन होता है। अब Drone Technology से हिमाचल के स्वादिष्ट किन्नौरी सेब लोगों तक और जल्दी पहुँचने लगेंगे। इससे हमारे किसान भाई-बहनों का खर्च कम होगा - सेब समय पर मंडी पहुँच पायेगा, सेब की बर्बादी कम होगी। हमारे देशवासी अपने Innovations से उन चीजों को भी संभव बना रहे हैं, जिसकी पहले कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। हाल के वर्षों में हमारे देश ने उपलब्धियों का एक लम्बा सफ़र तय किया है। मुझे पूरा विशवास है कि हम भारतीय और विशेषकर हमारी युवा-पीढ़ी अब रुकने वाली नहीं है।

 

भारतीय संगीत की छाप

आपको जानकर अच्छा लगेगा कि बीते वर्षों में भारत से Musical instruments का Export साढ़े तीन गुना बढ़ गया है। Electrical Musical Instruments की बात करें तो इनका Export 60 गुना बढ़ा है। इससे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति और संगीत का craze दुनियाभर में बढ़ रहा है। Indian Musical Instruments के सबसे बड़े खरीदार USA, Germany, France, Japan और UK जैसे विकसित देश हैं। हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है कि हमारे देश में Music, Dance और Art की इतनी समृद्ध विरासत है। संगीत की हमारी विधाओं ने, न केवल हमारी संस्कृति को समृद्ध किया है, बल्कि दुनियाभर के संगीत पर अपनी अमिट छाप भी छोड़ी है।

 

 

आदिवासी संस्कृति का संरक्षण; स्थायी जीवन को बढ़ावा देना

नगालैंड में नागा समाज की जीवनशैली, उनकी कला- संस्कृति और संगीत, ये हर किसी को आकर्षित करती है। ये हमारे देश की गौरवशाली विरासत का अहम हिस्सा है। नागालैंड के लोगों का जीवन और उनके skills sustainable life style के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन परम्पराओं और skills को बचाकर अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए वहाँ के लोगों ने एक संस्था बनाई है, जिसका नाम है – ‘लिडि-क्रो-यूनागा संस्कृति के जो खूबसूरत आयाम धीरे धीरे खोने लगे थे, ‘लिडि-क्रो-यूसंस्था ने उन्हें फिर से पुनर्जीवित करने का काम किया है। उदाहरण के तौर पर, नागा लोक-संगीत अपने आप में एक बहुत समृद्ध विधा है। इस संस्था ने नागा संगीत की Albums launch करने का काम शुरू किया है। अब तक ऐसी तीन albums launch की जा चुकी हैं। ये लोग लोक-संगीत, लोक-नृत्य से जुडी workshops भी आयोजित करते हैं। युवाओं को इन सब चीजों के लिए training भी दी जाती है। यही नहीं, नागालैंड की पारंपरिक शैली में कपड़े बनाने, सिलाई-बुनाई जैसे जो काम, उनकी भी training युवाओं को दी जाती है। पूर्वोत्तर में bamboo से भी कितने ही तरह के  Products बनाए जाते हैं। नई पीढ़ी के युवाओं को bamboo products बनाने का भी सिखाया जाता है। इससे इन युवाओं का अपनी संस्कृति से जुड़ाव तो होता ही है, साथ ही उनके लिए रोजगार के नए-नए अवसर भी पैदा होते हैं। नागा लोक-संस्कृति के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोग जानें, इसके लिए भी लिडि-क्रो-यू के लोग प्रयास करते हैं।आपके क्षेत्र में भी ऐसी सांस्कृतिक विधाएँ और परम्पराएँ होंगी। आप भी अपने-अपने क्षेत्र में इस तरह के प्रयास कर सकते हैं।

 

शिक्षा की लौ जलाना

शिक्षा के क्षेत्र में जलाया गया एक छोटा सा दीपक भी पूरे समाज को रोशन कर सकता है। यूपी की राजधानी लखनऊ से 70-80 किलोमीटर दूर  हरदोई का एक गांव है बांसा। इस गांव के जतिन ललित सिंह जी शिक्षा की अलख जगाने में जुटे हैं। जतिन जी ने दो साल पहले यहां ‘Community Library and Resource Centre’ शुरू किया था। उनके इस centre में हिंदी और अंग्रेजी साहित्यकंप्यूटर, लॉ और कई सरकारी परीक्षाओं की तैयारियों से जुड़ी 3000 से अधिक किताबें मौजूद हैं। इस Library में बच्चों की पसंद का भी पूरा ख्याल रखा गया है। यहां मौजूद comics की किताबें हों या फिर Educational Toys, बच्चों को खूब भा रहे हैं। छोटे बच्चे खेल-खेल में यहां नई-नई चीजें सीखने आते हैं। पढ़ाई Offline हो या फिर Online, करीब 40 Volunteers इस Centre पर Students को Guide करने में जुटे रहते हैं। हर रोज गांव के तकरीबन 80 विद्यार्थी इस Library में पढ़ने आते हैं। झारखंड के संजय कश्यप जी भी गरीब बच्चों के सपनों को नई उड़ाने दे रहे हैं। अपने विद्यार्थी जीवन में संजय जी को अच्छी पुस्तकों की कमी का सामना करना पड़ा था। ऐसे में उन्होंने ठान लिया कि किताबों की कमी से वे अपने क्षेत्र के बच्चों का भविष्य अंधकारमय नहीं होने देंगे। अपने इसी मिशन की वजह से आज वो झारखंड के कई जिलों में बच्चों के लिए ‘Library Man’ बन गए हैं। संजय जी ने जब अपनी नौकरी की शुरुआत की थीउन्होंने पहला पुस्तकालय अपने पैतृक स्थान पर बनवाया था। नौकरी के दौरान उनका जहां भी Transfer होता था, वहां वे ग़रीब और आदिवासी बच्चों की पढ़ाई के लिए Library खोलने के mission में जुट जाते हैं। ऐसा करते हुए उन्होंने झारखंड के कई जिलों में बच्चों के लिए Library खोल दी है। Library खोलने का उनका यह mission आज एक सामाजिक आंदोलन का रूप ले रहा है।

 

मानव मंदिर- मानव सेवा का प्रतीक

Medical science की दुनिया ने research और innovation के साथ ही अत्याधुनिक technology और उपकरणों के सहारे काफी प्रगति की है, लेकिन कुछ बीमारियाँ, आज भी हमारे लिए, बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है। ऐसी ही एक बीमारी है – Muscular Dystrophy ! यह मुख्य रूप से एक ऐसी अनुवांशिक बीमारी है जो किसी भी उम्र में हो सकती है इसमें शरीर की मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं। रोगी के लिए रोजमर्रा के अपने छोटे-छोटे कामकाज करना भी मुश्किल हो जाता है।  ऐसे मरीजों के उपचार और देखभाल के लिए बड़े सेवा-भाव की जरूरत होती है। हमारे यहां हिमाचल प्रदेश में सोलन में एक ऐसा centre है, जो Muscular Dystrophy के मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण बना है। इस centre का नाम है – ‘मानव मंदिर, इसे Indian Association Of Muscular Dystrophy द्वारा संचालित किया जा रहा है। Physiotherapy, Electrotherapy, और Hydrotherapy के साथ-साथ योग-प्राणायाम की मदद से भी यहां रोग का उपचार किया जाता है। सबसे ज्यादा हौसला देने वाली बात यह है कि इस संस्था का प्रबंधन मुख्य रूप से इस बीमारी से पीड़ित लोग ही कर रहे हैं, मानव मंदिर को Hospital और Research centre के तौर पर विकसित करने की कोशिशें भी जारी हैं।

-पसूका