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विशेष लेख


Special article vol.31

ब्रिक्स 2016, उपलब्धियां और चुनौतियां

जयंत राय चौधरी

गोवा में हाल में संपन्न ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, जो कि अब तक का ऐसा 8वां शिखर सम्मेलन था, जिसमें शक्तिशाली उभरती अर्थव्यवस्थाओं के एक आर्थिक मंच से महत्वपूर्ण तब्दीली के साथ एक राजनीतिक मंच के तौर पर उभरा है जिसने उन वैश्विक प्रवृत्तियों पर विचार किया जो कि वाणिज्य और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल सकती हैं। आतंकवादको अपना मुख्य एजेंडा के तौर पर लेते हुए, भारत ने राजनीतिक विषय-वस्तु प्रस्तुत करना सुनिश्चित किया जहां एक टोकन के रूप में पश्चिम-विरोधी स्वरूप को छोडक़र कुछ भी नहीं होता था।

अब तक ब्रिक्स शिखर सम्मेलनों में टाल-मटोल की राजनीति, वित्तीय स्थिरता और अवसंरचना विकास जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहती थी। लेकिन, ब्रिक्स सम्मेलन की गोवा घोषणा में भारत आतंकवाद के मुद्दे को अपने स्वयं के संदर्भ के साथ-साथ अफगानिस्तान के संदर्भ में लेकर आने में कामयाब रहा जो वास्तविक रूप में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से पीडि़त है। शासनाध्यक्षों द्वारा जारी बयान में आतंकवाद और उग्रवाद पर चर्चाओं में समूह द्वारा अपनी महत्ता दर्शाते हुए इसका 37 बार उल्लेख किया गया है। घोषणा में कहा गया है, ‘‘हम कुछेक ब्रिक्स देशों के खिलाफ हाल के कई हमलों, उन हमलों सहित जो भारत में किये गये हैं, की कड़ाई से निंदा करते हैं’’ हम आतंकवाद की इसके सभी स्वरूपों और अभिव्यक्तियों में कड़ाई से निंदा करते हैं और इस बात पर ज़ोर दिया गया कि किसी भी प्रकार की आतंकवादी कार्रवाई को उचित नहीं ठहराया जा सकता, चाहे वह विचारधारा, धार्मिक, राजनीतिक, नस्लीय और जातीय अथवा किसी अन्य कारण के आधार पर की गई हो। हम अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने में, द्विपक्षीय स्तर पर और अंतर्राष्ट्रीय मंचों में दोनों प्रकार से सहयोग को मज़बूत करने पर सहमत हैं’’

विदेश मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने आतंकवाद को लेकर प्रदत्त केंद्रीय भूमिका को स्वीकार किया और कहा: ‘‘गोवा घोषणा में पिछले सभी ब्रिक्स सम्मेलनों में आतंकवाद के विरूद्ध अब तक की सबसे तीख़ी भाषा का उल्लेख किया गया है’’ उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में आतंकवाद की ‘‘अभूतपूर्व भत्र्सना’’ की गई और ब्रिक्स नेताओं ने भारत में हाल में हुए हमलों की कड़ाई के साथ निंदा की। श्री विकास स्वरूप ने कहा, ‘‘ब्रिक्स नेताओं ने पहली बार सभी देशों से अपने-अपने क्षेत्रों से आतंकी कार्रवाइयों की रोकथाम का आह्वान किया। वे इस बात पर सहमत थे कि धर्म के आधार पर आतंकवाद तर्कसंगत नहीं है। ब्रिक्स नेताओं ने पहली बार आतंकवाद की रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प के प्रभावी कार्यान्वयन का आह्वान किया और संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद रोकथाम संबंधी दायरे की प्रभावकारिता को बढ़ाने की मांग की।

दिलचस्प बात यह है कि ब्रिक्स सम्मेलन ने अपनी गोवा घोषणा में इस एक पैराग्राफ को भी शामिल किया:‘‘चीन और रूस अंतर्राष्ट्रीय मामलों में ब्राज़ील, भारत और दक्षिण अफ्रीका की स्थिति और भूमिका से संबंधित महत्व को दोहराते हैं और संयुक्त राष्ट्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उनकी आकांक्षा का समर्थन करते हैं।’’ यद्यपि चीन को अभी भारत अथवा अन्य इच्छुक शक्तियों के लिये संयुक्त राष्ट्र की स्थाई सदस्यता को समर्थन करना है, यह बयान उन राष्ट्रों के नज़दीक लेकर आया है जो कि उन्हें  पी-5 अथवा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों-अमरीका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन की तरह समान लीग में उन्हें देखने पर सहमत हो रहे हैं।

बिमसटेक

 ब्रिक्स 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के अवसर पर शुरू किया गया था। इसके बारे में विचार गोल्डमैन सैचस में मुख्य अर्थशास्त्री जिम ओ नील को 2001 में एक परिवर्णी शब्द ब्रिक को लेकर आया था जिसने ब्राजील, रूस, भारत और चीन की इनके व्यापक भूक्षेत्र, व्यापक जनसंख्या और तेज़ी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं को देखते हुए वैश्विक विकास के अगले केंद्र बिंदुओं के तौर पर पहचान की थी। समूह ने सर्वाधिक आर्थिक तौर पर उन्नत अफ्रीकी अर्थव्यवस्था बताते हुए दक्षिण अफ्रीका को क्लबका हिस्सा बनाने का फैसला किया। बाद में कई बैठकों में, भारत ने, जिसने गोवा शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की, कार्यसूची निर्धारक के तौर पर अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए ब्रिक्स-बिमसटेक आउटरीच सम्मेलन आयोजित करके और ब्रिक्स को एक क्षेत्रीय फ़ोकस प्रदान करते हुए अपनी आर्थिक कूटनीति के उद्देश्य के साथ इसे जोडऩे का फैसला किया। बंगाल की खाड़ी के देशों जैसे कि बंगलादेश, सिंगापुर आदि ने ब्रिक्स से संबंधित नये गतिशील विकास बाज़ारों से जुडऩे के अवसरों का पूर्ण इस्तेमाल किया।

16 अक्तूबर, 2016 को ब्रिक्स-बिमसटेक  आउटरीच सम्मेलन में बंगला इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्ट्रल टेक्निकल एंड इकोनोमिक को-ऑपरेशन (बिमसटेक) के सभी सात सदस्य राष्ट्रों के नेताओं ने भाग लिया, जिसमें भारत के अलावा बंगलादेश, म्यांमा, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं। आउटरीच सम्मेलन के अलावा बिमसटेक देशों ने आपस में बैठकें की जिसकी अध्यक्षता भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। बिमसटेक सदस्य देशों ने भी आतंकवाद को लेकर कड़े शब्दों में बयान जारी किया। घोषणा में जलवायु परिवर्तन, परस्पर संपर्क, आपदा प्रबंधन, कृषि , बिमसटेक मुक्त व्यापार समझौता, आपराधिक मामलों में परस्पर सहायता, बहु-वाहन समझौता, मात्स्यिकी, ब्लू इकोनॉमी, माऊन्टेन इको-सिस्टम्स, ऊर्जा, स्वास्थ्य, पर्यटन, लोगों के बीच परस्पर संपर्क आदि के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई।

प्रभावशाली सरकारी चीनी समाचार पत्र डेली टाइम्स ने शिखर सम्मेलन के बारे में कहा, ‘‘गोवा शिखर सम्मेलन और पूववर्ती किसी अन्य के बीच प्रमुख अंतर यह था कि भारत ने बिमसटेक को ब्रिक्स बैठक के साथ जोड़ दिया।’’ समाचार पत्र के अनुसार क्षेत्रीय देशों-बंगलादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यामां, नेपाल और भूटान को ब्रिक्स की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को साथ लाते हुए भारत ने संगठन को वैधता और स्थिरता का श्वास प्रदान किया, जो कि अन्यथा ‘‘खोखली और मरणासन्न अवस्था में था’’

अर्थव्यवस्था

ब्रिक्स राष्ट्रों ने ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच की स्थापना, राजनयिक अकादमियों के बीच परस्पर सहयोग और ब्रिक्स की कस्टम्स सहयोग समिति पर विनियमों के समझौतों पर हस्ताक्षर करते हुए अपने लक्ष्यों की दिशा में भी आगे कदम बढ़ाये। यह भी फैसला किया गया कि ‘‘वैश्विक वित्तीय संरचना में आगे अंतर को कम करने’’ के वास्ते बाज़ारोन्मुख सिद्धांतों पर आधारित ‘‘ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी की स्थापना के लिये तीव्र गति से’’ कार्य किया जायेगा। इसके अलावा समूह ने ब्रिक्स रेलवे अनुसंधान नेटवर्क, ब्रिक्स खेल परिषद और विविध युवा-केंद्रित मंचकी स्थापना करने का भी फ़ैसला किया।’’

ज्यादातर ब्रिक्स वित्तीय विशेषज्ञों ने ब्रिक्स रेटिंग्स एजेंसी की आवश्यकता को महसूस किया है क्योंकि पश्चिमी रेटिंग एजेंसियों की रेटिंग्स राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों से काफी भिन्न होती हैं। जबकि गाज़प्रोम, रूस की जानीमानी तेल और गैस संस्था को रूस में एएए रेटिंग प्राप्त है, स्टेंडर्डस एंड पूअर द्वारा इसे बीबी + रेटिंग प्रदान की जाती है, क्योंकि अमरीका या यूरोप स्थित रेटिंग एजेंसियों द्वारा प्रयुक्त पद्धति की छाया किसी भी रूसी संस्था की रेटिंग पर पड़ी होती है। इसी प्रकार भारत का भारतीय स्टेट बैंक जिसकी शताब्दी लंबा अपना इतिहास है किसी भी मामले में कभी इसकी ओर से कोई चूक नहीं की गई और इसकी 300 अरब अमरीकी डॉलर से अधिक की परिसंपत्तियां हैं, को एसएंडपी ने बीबीबी रेटिंग प्रदान की, जबकि इसे सभी घरेलू रेटिंग एजेंसियों ने एएए रेटिंग प्रदान की हुई है। रेटिंग एजेंसी पर एक क्रिसिल पेपर, जिसमें भारत ने अपने तर्क दिये थे कि यद्यपि नेशनल स्केल रेटिंग इसके देश के भीतर ऋण जोखिमों के तुलनात्मक मूल्यांकन होने से सीमित है, वैश्विक स्केल रेटिंग्स ‘‘रेटिंग्स स्वायत्त रेटिंग्स से ढकी अथवा निकट से जुड़ी होने’’ से सीमित होती हैं और ‘‘क्रेडिट गुणवत्ता के बेहतर अंतर प्रदान करने में असमर्थ होती हैं।’’

भारत का वित्त मंत्रालय जिसने ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी का खाका तैयार करने में एग्जि़म बैंक और क्रिसिल के साथ निकटता के साथ काम किया है, चाहता है कि रेटिंग एजेंसी मुंबई में स्थित होनी चाहिये, हालांकि यह फैसला शासनाध्यक्षों को करना है जिन्हें रेटिंग एजेंसी के लिये सहमत होना होगा। ब्रिक्स देश, जिन्होंने अंतर-समूह व्यापार प्रवाहों को प्रोत्साहित करने के लिये सम्मेलन से पहले नई दिल्ली में पांच राष्ट्रों के साथ-साथ बिमसटेक देशों के व्यापारिक घरानों के लिये एक व्यापार मेले का आयोजन किया था, बाज़ारों के व्यापक एकीकरण की तरफ बढऩे, व्यापार करना आसान बनाने में सुविधा प्रदान करने और इसके व्यवसायों के लिये आसानी से पूंजी उपलब्ध करवाने  की सुविधा प्रदान करने के वास्ते प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों से निपटने के लिये कार्य जारी रखने पर सहमत हो गये। गोवा में 8वेंं ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह के नेताओं का अगले पांच वर्षों में अंतर-क्षेत्र व्यापार का आकार दोगुना करके 500 अरब अमरीकी डॉलर करने का आह्वान किया। श्री मोदी ने कहा, ‘‘हालांकि ब्रिक्स देश 2015 में अंतर-ब्रिक्स व्यापार में करीब 250 अरब अमरीकी डॉलर के साथ खड़े थे। हमें इस आंकड़े को 2020 तक दोगुना करके 500 अरब अमरीकी डॉलर का लक्ष्य हासिल करने का प्रयास करना चाहिये।’’ यद्यपि ब्रिक्स राष्ट्रों का एक साथ गणना में विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में एक चौथाई योगदान स्वीकार किया जाता है, अंतर-ब्रिक्स व्यापार 2014 में 297 अरब अमरीकी डॉलर अथवा वैश्विक व्यापार का 5 प्रतिशत से भी कम की स्थिति पर खड़ा था। समूह ने ज़ोर दिया कि इसे मुक्त व्यापार के लिये खड़ा होना चाहिये और विकसित अर्थव्यवस्थाओं द्वारा उनकी अर्थव्यवस्थाओं के नकारात्मक प्रभावों से मंदी के कारण निर्धारित की जा रही सक्रिय बाधाओं को प्रभावी रूप से समाप्त किया जाना चाहिये। चीन के राष्ट्रपति श्री शी जिनपिंग ने एक पूर्ण असामान्य चेतावनी जारी कर दी। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ देशों में अधिक आवक हो रही है।’’ उन्होंने कहा ‘‘संरक्षणवाद बढ़ रहा है और वैश्वीकरण के विरूद्ध ताकतें जोखि़म के रूप में उभर रही हैं।’’ शिखर सम्मेलन के दौरान मुख्य रूप से छाये रहे विषयों में से एक कुछेक पश्चिमी देशों द्वारा अपनी अर्थव्यवस्थाओं की संरक्षा के वास्ते अपनाये गये संरक्षणवाद से बचने की आवश्यकता के बारे में था, जिससे वैश्विक आर्थिक बहाली नेस्तनाबूद हो सकती है।

प्रतिष्ठित स्ट्रेट्स टाइम्स ऑफ सिंगापुर ने कहा: ‘‘समूह (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) ने विशेषकर ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका के संघर्षशील होने से अपनी कुछ चमक को खो दिया है। चूंकि चीन इसी प्रकार की मंदी से बचने के प्रयास कर रहा है, केवल भारत की आर्थिक स्थिति में चमक दिखाई देती है। अब भी इन संघर्षों से ब्रिक्स को आने वाली स्थितियों का आभास करा देना चाहिये, यदि वित्तीय एकीकरण और व्यापार वृद्धि, जिसने अपनी वृद्धि की वर्तमान पुनरावृत्ति को जारी रखने में सहयोग किया।’’ सम्मेलन में बौद्धिक संपदा अधिकारों और डिजिटल अर्थव्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों में सहयोग के लिये आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया। गोवा घोषणाा में डिजिटल अंतरालों की ‘‘मुक्त और ग़ैर खंडित’’ प्रकृति के बारे में उल्लेख किया गया जो कि ब्रिक्स शक्तियों की व्यापार के लिये साइबर स्पेस को खुला रखने और नेट के जरिये व्यापार की स्वतंत्रता को भंग करने के लिये विशिष्ट व्यापार व्यवस्थाओं को रोकने की आकांक्षा के संदर्भ में था।

नया विकास बैंक

सम्मेलन का तात्कालिक परिणाम दो दिन बाद (18 अक्तूबर) शंघाई में ब्रिक्स अंतर बैंक सहयोग तंत्रके लिये नया विकास बैंक और प्रत्येक देश से प्रतिनिधि बैंक

के प्रतिनिधि के बीच हस्ताक्षर होना था, जिससे सदस्य देशों के बीच अन्य व्यवहारों, ब्याज और मुद्रा विनिमयों की सुविधा होगी।

 

8वें ब्रिक्स सम्मेलन में 100 अरब अमरीकी डॉलर की आकस्मिक खर्च रिज़र्व व्यवस्था के कार्यान्वयन को भी चिन्हित किया गया जो कि इसके सदस्य देशों के बीच आगे व्यापार और वित्तीय संयोजन के लिये लागू कर दी गई। ब्रिक्स समूह का नया विकास बैंक एक नवसृजित अंतर्राष्ट्रीय ऋणदाता संस्था, भारतीय परियोजनाओं के लिये धनराशि उधार देने में सहायता के लिये ओवरसीज रुपये मार्किट को लक्षित करते हुए रुपया बॉण्ड भी जारी करेगा। यह इस वर्ष के शुरू में चीन में 3 अरब रेनमिनबि मूल्य के सफल रेनमिनबि बॉण्ड जारी होने के बाद जारी किया जा रहा है। नये विकास बैंक की स्थापना ब्रिक्स देशों ने 5 राष्ट्रों-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने प्रत्येक राष्ट्र की ओर से समान रूप से 50 अरब अमरीकी डॉलर की शुरुआती पूंजी से इस वायदे के साथ विश्व बैंक -आईएमएफ के विकल्प के तौर पर की थी कि नया बैंक उन शर्तों के बगैर ऋण प्रदान करेगा जो कि विश्व बैंक ऋण प्राप्तकर्ताओं पर लगाता है। अब तक यह ब्रिक्स राष्ट्रों में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के वास्ते 811 मिलियन अमरीकी डॉलर के ऋण प्रदान कर चुका है।