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विशेष लेख


अंक संख्या 33, 12-18नवम्बर ,2022

 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न विषयों पर साझा किए विचार
 

सूर्य का आशीर्वाद

·         सूर्य उपासना की परंपरा इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति, हमारी आस्था का, प्रकृति से कितना गहरा जुड़ाव है। छठ पूजा के जरिये हमारे जीवन में सूर्य के प्रकाश का महत्व समझाया गया है। साथ ही ये सन्देश भी दिया गया है कि उतार-चढ़ाव, जीवन का अभिन्न हिस्सा है। छठ का पर्व हमारे जीवन में स्वच्छता के महत्व पर भी जोर देता है। इस पर्व के आने पर सामुदायिक स्तर पर सड़क, नदी, घाट, पानी के विभिन्न स्त्रोत, सबकी सफाई की जाती है। छठ का पर्व एक भारत-श्रेष्ठ भारतका भी उदाहरण है। आज बिहार और पूर्वांचल के लोग देश के जिस भी कोने में हैं, वहाँ, धूमधाम से छठ का आयोजन हो रहा है। आजकल हम देखते हैं, विदेशों से भी छठ पूजा की कितनी भव्य तस्वीरें आती हैं। यानी भारत की समृद्ध विरासत, हमारी आस्था, दुनिया के कोने-कोने में अपनी पहचान बढ़ा रही है।

 

·         हमने पवित्र छठ पूजा की बात की, भगवान सूर्य की उपासना की बात की। तो क्यों न सूर्य उपासना के साथ-साथ आज हम उनके वरदान की भी चर्चा करें। भारत, आज अपने पारंपरिक अनुभवों को आधुनिक विज्ञान से जोड़ रहा है, तभी, आज हम, सौर ऊर्जा से बिजली बनाने वाले सबसे बड़े देशों में शामिल हो गए हैं। सौर ऊर्जा से कैसे हमारे देश के गरीब और मध्यम वर्ग के जीवन में बदलाव आ रहा है, वो भी अध्ययन का विषय है।

तमिलनाडु में, काँचीपुरम में एक किसान हैं, थिरु के. एझिलन। इन्होंने पी.एम कुसुम योजनाका लाभ लिया और अपने खेत में दस horsepower का solar pump set लगवाया। अब उन्हें अपने खेत के लिए बिजली पर कुछ खर्च नहीं करना होता है। खेत में सिंचाई के लिए अब वो सरकार की बिजली सप्लाई पर निर्भर भी नहीं हैं। वैसे ही राजस्थान के भरतपुर में पी.एम. कुसुम योजनाके एक और लाभार्थी किसान हैं - कमलजी मीणा। कमलजी ने खेत में solar pump लगाया, जिससे उनकी लागत कम हो गई है। लागत कम हुई तो आमदनी भी बढ़ गई। कमलजी सोलार बिजली से दूसरे कई छोटे उद्योगों को भी जोड़ रहे हैं। उनके इलाके में लकड़ी का काम है, गाय के गोबर से बनने वाले उत्पाद हैं, इनमें भी सोलर बिजली का इस्तेमाल हो रहा है, वो, 10-12 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं, यानी, कुसुम योजना से कमलजी ने जो शुरुआत की, उसकी महक कितने ही लोगों तक पहुँचने लगी है।

 

·         साथियो, क्या आप कभी कल्पना कर सकते हैं कि आप महीने भर बिजली का उपयोग करें और आपका बिजली बिल आने के बजाय, आपको बिजली के पैसे मिलें ? सौर ऊर्जा ने ये भी कर दिखाया है। आपने कुछ दिन पहले, देश के पहले सूर्य ग्राम - गुजरात के मोढेरा की खूब चर्चा सुनी होगी। मोढेरा सूर्य ग्राम के ज्यादातर घर, सोलर पावर से बिजली पैदा करने लगे हैं। अब वहां के कई घरों में महीने के आखिर में बिजली का बिल नहीं आ रहा, बल्कि, बिजली से कमाई का cheque आ रहा है। आइये, ‘मन की बातके श्रोताओं को भी मोढेरा के लोगों से मिलवाते हैं। हमारे साथ इस समय phone line पर जुड़े हैं श्रीमान् विपिन भाई पटेल।

साथियो, वर्षाबेन और विपिन भाई ने जो बताया है, वो पूरे देश के लिए, गांवों-शहरों के लिए एक प्रेरणा है। मोढेरा का ये अनुभव पूरे देश में दोहराया जा सकता है। सूर्य की शक्ति, अब पैसे भी बचाएगी और आय भी बढ़ाएगी। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से एक साथी हैं मंजूर अहमद लर्हवाल। कश्मीर में सर्दियों के कारण बिजली का खर्च काफी होता है। इसी कारण, मंजूर जी का बिजली का बिल भी 4 हजार रूपए से ज्यादा आता था, लेकिन, जब से मंजूर जी ने अपने घर पर Solar Rooftop Plant लगवाया है, उनका खर्च आधे से भी कम हो गया है। ऐसे ही, ओडीशा की एक बेटी कुन्नी देउरी, सौर ऊर्जा को अपने साथ-साथ दूसरी महिलाओं के रोजगार का माध्यम बना रही हैं। कुन्नी, ओडीशा के केन्दुझर जिले के करदापाल गांव में रहती है। वो आदिवासी महिलाओं को solar से चलने वाली रीलिंग मशीन पर silk की कताई की training देती हैं। Solar Machine के कारण इन आदिवासी महिलाओं पर बिजली के बिल का बोझ नहीं पड़ता, और उनकी आमदनी हो रही है। यही तो सूर्य देव की सौर ऊर्जा का वरदान ही तो है। वरदान और प्रसाद तो जितना विस्तार हो, उतना ही अच्छा होता है। इसलिए, मेरी आप सबसे प्रार्थना है, आप भी, इसमें जुड़ें और दूसरों को भी जोड़ें।

आत्मनिर्भर अंतरिक्ष क्षेत्र

·         हमारा देश, Solar Sector के साथ ही space sector में भी कमाल कर रहा है। अब से कुछ दिन पहले आपने देखा होगा भारत ने एक साथ 36 satellites को अंतरिक्ष में स्थापित किया है। इस launching से कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कोहिमा तक, पूरे देश में, digital connectivity को और मजबूती मिलेगी। यह आत्मनिर्भरता का एक उदाहरण है। आपसे बात करते हुए मुझे वो पुराना समय भी याद आ रहा है, जब भारत को Cryogenic Rocket Technology देने से मना कर दिया गया था। लेकिन भारत के वैज्ञानिकों ने ना सिर्फ स्वदेशी technology विकसित की बल्कि आज इसकी मदद से एक साथ दर्जनों satellites अंतरिक्ष में भेज रहा है। इस launching के साथ भारत Global commercial market में एक मजबूत player बनकर उभरा है, इससे, अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के लिए अवसरों के नए द्वार भी खुले हैं। जब ये space sector भारत के युवाओं के लिए, भारत के private sector के लिए, खोल दिया गया तब से इसमें क्रांतिकारी परिवर्तन आने लगे हैं।  भारतीय Industry और Start-ups इस क्षेत्र में नए-नए Innovations और नई-नई Technologies लाने में जुटे हैं| विशेषकर, IN-SPACe के सहयोग से इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। IN-SPACe के जरिए गैरसरकारी कंपनियों को भी अपने Payloads और Satellite launch करने की सुविधा मिल रही है। मैं अधिक से अधिक Start-ups और Innovator से आग्रह करूँगा कि वे space sector में भारत में बन रहे इन बड़े अवसरों का पूरा लाभ उठाएँ।

 

राष्ट्र निर्माण में छात्र

·         जब युवा शक्ति की बात आती है तो इसको छात्रसंघ चुनावों से जोड़कर उसका दायरा सीमित कर दिया जाता है। लेकिन Student power का दायरा बहुत बड़ा है, बहुत विशाल है। Student power, भारत को powerful बनाने का आधार है। आखिर, आज जो युवा हैं, वही तो भारत को 2047 तक लेकर जाएंगे। जब भारत शताब्दी मनायेगा, युवाओं की ये शक्ति, उनकी मेहनत, उनका पसीना, उनकी प्रतिभा, भारत को उस ऊँचाई पर लेकर जाएगी, जिस तरह हमारे युवा हैकॉथॉंन्स में problem solve करते हैं, रात-रात भर जागकर घंटों काम करते हैं, वो बहुत ही प्रेरणा देने वाला है। बीते वर्षों में हुई एक हैकॉथॉंन्स ने देश के लाखों युवाओं ने मिलकर, बहुत सारे challenges को निपटाया है, देश को नए solution दिए हैं।

 

नवाचारी लक्ष्य

·         मैंने लाल किले से जय अनुसंधानका आह्वान किया था। मैनें इस दशक को भारत का TechEd बनाने की बात भी कही थी। इसी महीने 14-15 अक्टूबर को सभी 23 IITs अपने Innovations और Research project को प्रदर्शित करने के लिए पहली बार एक मंच पर आए। इस मेले में देशभर से चुनकर आए students और researchers उन्होंने 75 से अधिक बेहतरीन projects को प्रदर्शित किया। Healthcare, Agriculture, Robotics, Semiconductors, 5G  ऐसी ढ़ेर सारी themes पर ये project बनाए गए थे। वैसे तो ये सारे ही Project एक से बढ़कर एक थे, लेकिन, मैं कुछ projects के बारे में आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। जैसे, IIT भुवनेश्वर की एक टीम ने नवजात शिशुओं के लिए Portable ventilator विकसित किया है। ये उन बच्चों का जीवन बचाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है जिनका जन्म तय समय से पहले हो जाता है। IIT Madras और IIT Kanpur ने भारत के स्वदेशी 5G Test bed को तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। मुझे आशा है कि आने वाले समय में इस तरह के कई और प्रयास देखने को मिलेंगे। मुझे यह भी उम्मीद है कि IITs से प्रेरणा लेकर दूसरे institutions भी अनुसंधान एवं विकास से जुड़ी अपनी activities में तेजी लाएंगे।

 

भारत और पर्यावरण

·         पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता, हमारे समाज के कणकण में समाहित है और इसे हम अपने चारों ओर महसूस कर सकते हैं। देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो पर्यावरण की रक्षा के लिए अपना जीवन खपा देते हैं। बेंगलुरु में रहने वाले सुरेश कुमार जी में, प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए गजब का जुनून है। 20 साल पहले उन्होंने शहर के सहकारनगर के एक जंगल को फिर से हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया था। अब इनकी सुन्दरता हर किसी का मन मोह लेती है। तमिलनाडु के कोयंबटूर के अनाईकट्टी में आदिवासी महिलाओं की एक टीम का है। इन महिलाओं ने निर्यात के लिए दस हजार Eco-friendly टेराकोटा Tea Cups का निर्माण किया। त्रिपुरा के कुछ गाँव, Bio-Village 2 की सीढ़ी चढ़ गए हैं। Bio-Village 2 में इस बात पर ज़ोर होता है कि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कैसे कम से कम किया जाए। इसमें विभिन्न उपायों से लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने पर पूरा ध्यान दिया जाता है। Solar Energy, Biogas, Bee Keeping और Bio Fertilizers, इन सब पर पूरा focus रहता है। कुल मिलाकर अगर देखें, तो, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अभियान को Bio-Village 2 बहुत मजबूती देने वाला है। Mission Life का सीधा सिद्धांत है ऐसी जीवनशैली, ऐसी Lifestyle को बढ़ावा, जो पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचाए। मेरा आग्रह है कि आप भी Mission Life  को जानिए, उसे अपनाने का प्रयास कीजिये 

 

खेलों में एकता

·         31 अक्टूबर को, राष्ट्रीय एकता दिवस है, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म-जयन्ती का पुण्य अवसर है। इस दिन देश के कोने-कोने में Run for Unity का आयोजन किया जाता है। ये दौड़, देश में एकता के सूत्र को मजबूत करती है, हमारे युवाओं को प्रेरित करती है। अब से कुछ दिन पहले, ऐसी ही भावना, हमारे राष्ट्रीय खेलों के दौरान भी देखी है। जुड़ेगा इंडिया तो जीतेगा इंडियाइस Theme के साथ राष्ट्रीय खेलों ने जहाँ एकता का मजबूत सन्देश दिया, वहीं भारत की खेल संस्कृति को भी बढ़ावा देने का काम किया है। भारत में राष्ट्रीय खेलों का अब तक का सबसे बड़ा आयोजन था। इसमें 36 खेलों को शामिल किया गया, जिसमें, 7 नई और दो स्वदेशी स्पर्धा योगासन और मल्लखम्ब भी शामिल रही। मैं पदक जीतने वाले, नए Record बनाने वाले, इस खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले, सभी खिलाड़ियों को, बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मैं इन खिलाड़ियों के सुनहरे भविष्य की कामना भी करता हूँ।

 

जनजातीय संरक्षण, प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण

·         नवम्बर महीने में 15 तारीख को हम जन-जातीय गौरव दिवस मनाते हैं। आपको याद होगा, देश ने पिछले साल भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयन्ती के दिन आदिवासी विरासत और गौरव को Celebrate करने के लिए ये शुरुआत की थी। भगवान बिरसा मुंडा ने अपने छोटे से जीवन काल में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लाखों लोगों को एकजुट कर दिया था। उन्होंने भारत की आजादी और आदिवासी संस्कृति की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था। ऐसा कितना कुछ है, जो हम धरती आबा बिरसा मुंडा से सीख सकते हैं। धरती आबा ने तो कहा था- यह धरती हमारी है, हम इसके रक्षक हैं। उनके इस वाक्य में मातृभूमि के लिए कर्तव्य भावना भी है और पर्यावरण के लिए हमारे कर्तव्यों का अहसास भी है। आज भी हम देश के आदिवासी समाजों से प्रकृति और पर्यावरण को लेकर बहुत कुछ सीख सकते हैं।

 

मानगढ़ संहार

·         भारत के स्वतंत्रता संग्राम और हमारी समृद्ध आदिवासी विरासत में मानगढ़ का बहुत ही विशिष्ट स्थान रहा है। यहाँ पर नवम्बर 1913 में एक भयानक नरसंहार हुआ था, जिसमें अंग्रेजों ने स्थानीय आदिवासियों की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि इस नरसंहार में एक हजार से अधिक आदिवासियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस जनजातीय आन्दोलन का नेतृत्व गोविन्द गुरु जी ने किया था, जिनका जीवन हर किसी को प्रेरित करने वाला है। आज मैं उन सभी आदिवासी शहीदों और गोविन्द गुरु जी के अदम्य साहस और शौर्य को नमन करता हूँ। हम इस अमृतकाल में भगवान बिरसा मुंडा, गोविन्द गुरु और अन्य स्वातंत्र सेनानियों के आदर्शों का जितनी निष्ठा से पालन करेंगे, हमारा देश उतनी ही ऊँचाइयों को छू लेगा।

 

गुरुओं और उनकी शिक्षा को याद करना

·         8 नवम्बर को गुरुपुरब है। गुरु नानक जी का प्रकाश पर्व जितना हमारी आस्था के लिए महत्वपूर्ण है, उतना ही हमें इससे सीखने को भी मिलता है। गुरु नानकदेव जी ने अपने पूरे जीवन, मानवता के लिए प्रकाश फैलाया।  पिछले कुछ वर्षों में देश ने गुरुओं के प्रकाश को जन-जन तक पहुँचाने के लिए अनेकों प्रयास किए हैं। हमें गुरु नानकदेव जी का 550वाँ प्रकाश पर्व, देश और विदेश में व्यापक स्तर पर मनाने का सौभाग्य मिला था। दशकों के इंतजार के बाद करतारपुर साहिब कॉरिडोर का निर्माण होना भी उतना ही सुखद है। कुछ दिन पहले ही मुझे हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे के शिलान्यास का भी सौभाग्य मिला है। हमें हमारे गुरुओं के विचारों से लगातार सीखना है, उनके लिए समर्पित रहना है।

 

राज्यों को शुंभकामनाएं

·         आने वाले दिनों में कई राज्य, अपने राज्य दिवस भी मनाएंगे। आंध्र प्रदेश अपना स्थापना दिवस मनाएगा, केरला पिरावि मनाया जाएगा। कर्नाटका राज्योत्सव मनाया जाएगा। इसी तरह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और हरियाणा भी अपने राज्य दिवस मनाएंगे। मैं इन सभी राज्यों के लोगों को शुभकामनाएँ देता हूँ। हमारे सभी राज्यों में, एक दूसरे से सीखने की, सहयोग करने की, और मिलकर काम करने की spirit जितनी मजबूत होगी, देश उतना ही आगे जाएगा।

स्रोत प्रसूका