महाकाल लोक परियोजना
भारत के धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर
प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर, 2022 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकाल लोक में महाकाल लोक परियोजना का पहला चरण राष्ट्र को समर्पित किया।यह परियोजना इस संपूर्ण क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करने के अलावा मंदिर में दर्शनों के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाएं प्रदान करके उनके अनुभव को समृद्ध करने का काम करेगी।भारत सरकार ने हाल के वर्षों में देश में धार्मिक पर्यटन को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और महाकाल लोक परियोजना का उदघाटन इसी पहल का एक हिस्सा है। देश में धार्मिक पर्यटन के पहलू में गहराई से जाने से पहले, आइए सबसे पहले नव-उद्घाटित महाकाल कॉरिडोर के बारे में कुछ तथ्य जान लेते हैं।
महाकाल लोक परियोजना क्या है?
महाकाल लोक परियोजना के पहले चरण का उद्देश्य पूरे क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करना और विरासत संरचनाओं के संरक्षण तथा पुनरूर्द्धार पर विशेष जोर देना है। परियोजना के तहत मंदिर परिसर का करीब सात गुना विस्तार किया जाएगा। पूरी परियोजना की कुल लागत लगभग 850 करोड़ रुपये है।मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले व्यक्तियों की वर्तमान संख्या लगभग 1.5 करोड़ प्रति वर्ष है, जिसके दोगुना होने की उम्मीद है। परियोजना के विकास की योजना दो चरणों की बनाई गई है।
महाकाल कॉरिडोर की खासियत क्या हैं?
महाकाल कॉरिडोर, जिसे महाकाल पथ भी कहा जाता है, में 108 स्तंभ (खंभे) हैं जो भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप (नृत्य रूप) को दर्शाते हैं। महाकाल पथ के किनारे भगवान शिव के जीवन को दर्शाने वाली कई धार्मिक मूर्तियां स्थापित हैं। पथ के साथ-साथ भित्ति की दीवार शिव पुराण से सृजन के कार्य, गणेश के जन्म, सती और दक्ष से जुड़ी कहानियों पर आधारित है। प्लाजा का क्षेत्रफल 2.5 हेक्टेयर में फैला हुआ है और एक कमल तालाब से घिरा हुआ है जिसमें पानी के फव्वारे के साथ शिव की मूर्ति है।
इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सर्विलांस कैमरों की मदद से पूरे परिसर की चौबीसों घंटे निगरानी की जाएगी। तीर्थयात्रियों के लिए इस क्षेत्र में विश्व स्तरीय सुविधाएं प्रदान की गई हैं।
अपनी यात्रा के दौरान, प्रधान मंत्री ने नंदी द्वार-नंदी की पवित्र प्रतिमा से महाकाल लोक में प्रवेश किया। इसके बाद उन्होंने महाकाल लोक मंदिर परिसर का दौरा किया और सप्तऋषि मंडल, मंडपम, त्रिपुरासुर वध और नवगढ़ को देखा।
महाकाल, उज्जैन का क्या महत्व है?
उज्जैन भारत में मौजूद पवित्र और सबसे पुराने शहरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव अभी भी इस स्थान पर निवास करते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं। उज्जैन की समृद्ध संस्कृति और विरासत हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करती है। इस शहर में कई धार्मिक तीर्थ हैं। 'महाकालेश्वर मंदिर', जिसे महाकाल मंदिर के नाम से जाना जाता है, एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसमें भगवान शिव के बारह प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक शामिल है। कई हिंदू शास्त्रों में महाकालेश्वर के गौरवशाली मंदिर का उल्लेख किया गया है। इन ग्रंथों के अनुसार मंदिर बहुत ही भव्य और सदाशय था। इसकी नींव और चबूतरा पत्थरों से बनाया गया था। मंदिर लकड़ी के खंभों पर टिका था। गुप्त काल से पहले मंदिरों में कोई शिखर नहीं था। मंदिरों की छतें ज्यादातर सपाट थीं। इसे तत्कालीन कला और वास्तुकला का अनूठा उदाहरण बताया गया है। महाकालेश्वर के मंदिर को 'दक्षिणामूर्ति' के रूप में मान्यता प्राप्त है, क्योंकि भगवान की छवि दक्षिण दिशा की ओर है। महाशिवरात्रि प्रमुख त्योहार है जो मंदिर में पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
भारत में धार्मिक पर्यटन
भारत में विभिन्न धर्मों के तीर्थस्थल हैं जो देश और दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। सरकार ने धार्मिक पर्यटन को भारत में पर्यटन क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक के रूप में मान्यता दी है और योजनाओं की शुरुआत की है तथा पर्यटकों को आकर्षित करने और स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए सर्किट विकसित कर रही है। ये पहल सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे को विकसित करके भारत की समृद्ध विरासत को बढ़ावा देती है। ये पहलें न केवल लोगों के लिए तीर्थयात्रा को और अधिक आरामदायक बना रही हैं बल्कि दुनिया भर के पर्यटकों को भी आकर्षित कर रही हैं जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार सृजन हो रहा है। यह जरूरी है कि हम इन स्थानों पर साफ-सफाई बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाएं।
तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन धार्मिक पर्यटन अनुभव को समृद्ध करने के लिए पूरे भारत में तीर्थ स्थलों को विकसित करने और पहचान करने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य पूर्ण धार्मिक पर्यटन अनुभव प्रदान करने के लिए तीर्थ स्थलों को प्राथमिकता, नियोजित और टिकाऊ तरीके से एकीकृत करना है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत विकास के लिए पंद्रह विषयगत सर्किटों की पहचान की गई है। इनमें से कुछ सर्किट रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट, सूफी सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, सिख सर्किट और ईसाई सर्किट हैं।
स्रोत- पत्र सूचना कार्यालय/मध्य प्रदेश पर्यटन/'मन की बात' पुस्तिका
संकलन- अनीशा बैनर्जी और अनुजा भारद्वाजन