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विशेष लेख


अंक संख्या 29, 15-21 अक्तूबर ,2022

भारतीय सांकेतिक भाषा

एक समावेशी संचार

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने हाल ही मेंमन की बातमें भारतीय सांकेतिक भाषा और भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) के बारे में विस्‍तार से चर्चा की थी। उन्‍होंने बताया कि किस तरह 7-8 बरस पहले देश में सांकेतिक भाषा के संबंध में अभियान शुरु हुआ और  आईएसएलआरटीसी की स्‍थापना के साथ यह लाखों दिव्‍यांगजनों को लाभांवित कर रहा है। आइए भारतीय सांकेतिक भाषा के बारे में विस्‍तार से जानते हैं। 

 

सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं?

ब्रिटानिका सांकेतिक भाषाको भाषिक संचार के संभव अथवा वांछित न होने पर शारीरिक विशेषकर हाथों और भुजाओं की भाव-भंगिमाओं के उपयोग के माध्‍यम से किए जाने वाले संचार के रूप में परिभाषित करता है। यह पद्धति संभवत: वाक् शक्ति से ज्‍यादा पुरानी है। सांकेतिक भाषा को मोटे तौर पर मुंह बनाकर, कंधे उचकाकर अथवा इंगित करके व्‍यक्‍त किया जा सकता है; अथवा इसमें चेहरे के हाव-भाव द्वारा पुख्‍ता किए गए और संभवत: हाथों के इशारों या मैनुअल अल्‍फाबेट में वर्णित शब्‍दों से संवर्धित किए गए कोडिड मैनुअल संकेतों के सूक्ष्‍म भेदयुक्‍त मिश्रण का उपयोग किया जा सकता है। जहां कहीं भी मौखिक संचार असंभव हो, जैसे कि परस्‍पर अबोधगम्‍य भाषाओं के वक्‍ताओं के बीच अथवा एक या अधिक संचारकों के बधिर होने पर, सांकेतिक भाषा का उपयोग उस खाई को पाटने के लिए किया जा सकता है।

 

भारतीय सांकेतिक भाषा

भारतीय सांकेतिक भाषा का उपयोग पूरे भारत में श्रवण बाधित अथवा बधिर समुदाय में किया जाता है।भारत में बधिर समुदाय मूलत: शहरी समुदाय है, जहां बधिर लोग शैक्षिक संस्‍थाओं, बधिर क्‍लबों और संस्‍थाओं तथा सामाजिक सभाओं में एकत्र होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, आमतौर पर बधिर लोग एक-दूसरे से अलग-थलग रहते हैं और किसी भी सांकेतिक भाषा तक उनकी मामूली अथवा बिल्‍कुल भी पहुंच नहीं होती। इसलिए, वर्तमान में भारतीय सांकेतिक भाषा का उपयोग कस्‍बों और शहरों तक सीमित है। ग्रामीण क्षेत्रों में श्रवण बाधित लोगों तक भारतीय सांकेतिक भाषा की पहुंच संभव बनाना बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ है। भारतीय सांकेतिक भाषा के संबंध में किसी स्‍वतंत्र संस्‍थान का गठन किया जाना बहुत आवश्‍यक था, ताकि वहां भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने और उसके संबंध में प्रशिक्षण और अनुसंधान करने पर विशिष्‍ट तौर पर ध्‍यान केंद्रित किया जा सके।

 

भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी),नई दिल्‍ली,सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय है। इसकी स्‍थापना 2015 में की गई थी। इस केंद्र का विजन एक समावेशी समाज का निर्माण करना है, जिसमें दिव्‍यांगजनों की उन्नति और विकास के लिए समान अवसर प्रदान किए जाते हों, ताकि वे उपयोगी, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन व्‍यतीत सकें। आईएसएलआरटीसी के उद्देश्‍य निम्‍नलिखित हैं :

·         भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) का उपयोग करने के लिए जनशक्ति विकसित करना और द्विभाषिता सहित आईएसएल में शिक्षण और अनुसंधान का संचालन करना;

·         प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तरों पर बधिर विद्यार्थियों के लिए शैक्षिक मोड के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना;

·         भारत और विदेशों में विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से अनुसंधान करना तथा भारतीय सांकेतिक भाषा कोष (शब्दावली) का निर्माण करने सहित भाषाई रिकॉर्ड बनाना/ भारतीय सांकेतिक भाषा का विश्लेषण करना;

·         भारतीय सांकेतिक भाषा को समझने और उपयोग करने के लिए विभिन्न समूहों, अर्थात सरकारी अधिकारियों, शिक्षकों, व्‍यवसायियों सामुदायिक नेताओं और बड़े पैमाने पर जनता को उन्मुख करना और प्रशिक्षित करना;

·         भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए बधिरों और दिव्‍यांगता के क्षेत्र के अन्य संस्थानों के संगठनों के साथ सहयोग करना और

·         भारतीय सांकेतिक भाषा को अद्यतन बनाने के लिए दुनिया के अन्य हिस्सों में उपयोग में लाई जाने वाली सांकेतिक भाषा से संबंधित जानकारी एकत्र करना, ताकि उसका उपयोग इनपुट के तौर पर किया जा सके।

वर्ष 2018 में, 3,000 शब्दों का पहला भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश प्रारंभ किया गया। आज इस शब्दकोश में10,000 शब्द हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के अंतर्गत भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) द्वारा विकसित किए गए इस शब्दकोश में विभिन्न श्रेणियों के शब्दों को समाहित किया गया है। आईएसएल शब्‍दकोश में  पांच श्रेणियों के शब्द सम्मिलित हैं:

·         रोज़मर्रा की शब्दावली: इस श्रेणी में रोज़मर्रा की बातचीत में उपयोग में लाए जाने वाले शब्द शामिल किए गए हैं। इस वीडियो में संकेत और संबंधित अंग्रेजी शब्द सम्मिलित हैं।

·         कानूनी शब्दावली: इस श्रेणी में 237 कानूनी शब्‍दों के वीडियो शामिल हैं,जिनसे विभिन्न कानूनी स्थितियों में उपयोग में लाए जाने वाले "हलफनामा", "बरी करने" आदि जैसी जटिल कानूनी शब्दावली को समझाने में मदद मिलती है।

·         शैक्षणिक शब्दावली: श्रवण बाधित या बधिर बच्चों को जटिल शैक्षणिक अवधारणाओं को समझने में सहायता देने के लिए शैक्षणिक शब्दकोश में "तंत्रिकातंत्र", "रोटेशन" और "क्रांति" आदि जैसे शब्दों को समझाया गया है। भौतिकी, भूगोल, जीवविज्ञान, गणित आदि जैसे विभिन्न विषयों के शब्‍दों को इसमें समाहित किया गया है। इस श्रेणी में 212 शब्दावलियों के लिए 229 वीडियो हैं।

·         चिकित्सकीय शब्दावली: इस श्रेणी में 200 चिकित्सकीय शब्‍दावलियों के लिए 200 सांकेतिक वीडियो शामिल हैं, जो अस्पतालों और चिकित्सकीय स्थितियों में उपयोग की जाने वाली चिकित्सा शब्दावली को बेहतर ढंग से समझने में बधिर समुदाय की मदद करेंगे।

·         तकनीकी शब्दावली: इस श्रेणी के अंतर्गत 204 तकनीकी शब्दावलियों के लिए आईएसएल में संकेतों और स्पष्टीकरण के 206 वीडियो हैं जिनका उपयोग व्यावसायिक प्रशिक्षण या कंप्यूटर पाठ्यक्रमों में किया जाता है।

आईएसएलआरटीसी ने श्रवण बाधित और सुनने में समर्थ लोगों के लिए एक आईएसएल शब्‍दकोश विकसित किया है, जो उन्हें सीखने और अपनी भावनाओं, विचारों आदि को व्यक्त करने के लिए अधिकतम शब्द प्रदान करता है। आईएसएल शब्‍दकोश का उद्देश्य आईएसएल के उपयोग का प्रसार करना और इसके परिणाम स्‍वरूप बधिर लोगों को बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसर प्राप्त करने में मदद करना है। शब्दकोश का उद्देश्य आईएसएल शिक्षकों, आईएसएल शिक्षार्थियों, बधिरों के शिक्षकों, दुभाषियों, बधिर बच्चों के माता-पिता, शोधकर्ताओं आदि के लिए एक संसाधन के रूप में कार्य करना है। बधिर उपयोगकर्ता इस शब्दकोश से लाभान्वित होंगे क्योंकि इससे वे किसी विशेष संकेत और उसके अंग्रेजी / हिंदी समकक्ष के बारे में जानकारी प्राप्‍त  कर सकते हैं।

आईएसएल शब्‍दकोश में देश के विभिन्न भागों में उपयोग होने वाले क्षेत्रीय संकेत भी शामिल हैं। इसका मूलभू‍त विचार बधिरों और सुनने में समर्थ समुदायों के बीच संचार संबंधी बाधाओं को दूर करना है। इसका लक्ष्‍य बधिरों को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अवसर का संवैधानिक अधिकार देना तथा उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाना भी है। शब्दसूची में संकेतों के साथ उनके अंग्रेजी और हिंदी समकक्ष भी दिए गए हैं। आईएसएल में शै‍क्षणिक, चिकित्सकीय, कानूनी और तकनीकी शब्दावलियों की व्याख्याएं हैं, ताकि बधिर लोग आमतौर पर शै‍क्षणिक या कानूनी या चिकित्सकीय स्थितियों में उपयोग में लाए जाने वाले जटिल शब्दों को समझ सकें।

 

आईएसएल शब्‍दकोश के आरंभ होने के बाद से ही उसका उपयोग विशेष शिक्षकों, आईएसएल दुभाषियों, श्रवण बाधित बच्चों के माता-पिता, क्षेत्र के पेशेवरों, श्रवण बाधित लोगों के साथ काम करने वाले संगठनों सहित आम जनता द्वारा किया गया है। शब्दकोश का उपयोग दिव्‍यांग बच्चों के लिए शैक्षिक सामग्री तैयार करने और स्‍पीच/ टेक्स्ट- टू- साइन तथा साइन-टू-स्पीच/ टेक्स्ट मशीन अनुवाद सॉफ़्टवेयर के संसाधन  के रूप में भी किया जा रहा है। आईएसएल शब्दकोश, आईएसएल के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने, बातचीत में सहायता प्रदान करने और श्रवण बाधित व्यक्तियों को बेहतर सुगम्‍यता या एक्‍सेसेबिलिटी सेवाएं प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण संसाधन है, और इस प्रकार यह दिव्‍यांगजन अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 2016 के लक्ष्यों को साकार करने की दिशा में एक आवश्यक कदम है।

एनईपी में भारतीय सांकेतिक भाषा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020, पैरा 4.22 में, अन्य बातों के साथ-साथ, देशभर में भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के मानकीकरण और श्रवण बाधित विद्यार्थियों के उपयोग के लिए राष्ट्रीय और राज्यस्‍तरीय पाठ्यचर्या की सामग्री तैयार करने की सिफारिश करती है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने भारतीय सांकेतिक भाषा में एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्‍तकों पर आधारित वीडियो तैयार  करने के उद्देश्य से भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कियेहैं। आईएसएलशब्‍दकोश को वीडियो प्रारूप में लॉन्च किया गया है और यह हितधारकों के बीच व्यापक पहुंच और प्रसार के लिए दीक्षापोर्टल पर उपलब्ध है। एनसीईआरटी वीडियो में ऑडियो और सब-टाइटल शामिल करके इस शब्‍दकोश को मजबूत बना रहा है,ताकि 10,000 शब्दों वाले इस शब्‍दकोश की पहुंच केवल श्रवणबाधितों तक ही सीमित न रहे। इसके अलावा, एनसीईआरटी आईएसएलआरटीसी के साथ मिलकर 10,000 शब्दों के मौजूदा आईएसएल शब्‍दकोश में स्कूली पाठ्यक्रम पर आधारित नई शब्‍दावलियां और शब्द जोड़ रहा है। अबतक, एनसीईआरटी ने कक्षा I से VI तक 800 से अधिक आईएसएल वीडियो बनाए हैं और उन्‍हें दीक्षा पर अपलोड किया है ताकि उनका उपयोग श्रवण बाधित (एचआई) लोग कर सके। ये वीडियो पीएमई विद्या (वनक्लास, वनचैनल), डीटीएचटीवी चैनलों के माध्यम से भी नियमित रूप से प्रसारित किए जाते हैं ताकि इन ई-कॉन्‍टेंट्स तक सुसंगत पहुंच सुनिश्चित की जा सके।

स्रोत :पीआईपी/आईएसएलआरटीसी/ब्रिटानिका

संकलन :अनुजा भारद्वाजन एवं अनीषा बेनर्जी