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विशेष लेख


अंक संख्या-21, 20-26 अगस्त,2022

विश्व मानवता दिवस



   पंकज कुमार चौबे 

 

   19 अगस्त को विश्व मानवता दिवस मनाया जाता है.इस दिवस को आज मनाये जाने क़ी आवश्यकता क्यूं पड़ी और इसकी प्रासंगिकता क्या है? इसकी  पड़ताल करने क़ी आवश्यकता है.  तभी  हम ठीक ठीक उत्तर पा सकते हैं.हम  आज विकास क़ी सहज अवधारणा को पार कर, इसके अतिवाद का भी अतिक्रमण कर, आगे बढ़ गये हैं.  वर्तमान विकास क़ी प्रक्रिया ने हमारे समाज को, देश और दुनिया को उलझन  में डाल दिया है. इससे दुनिया के तमाम देश एक अंधी दौड़ में शामिल हो गए हैं. विकास का जो पैमाना हमने निर्धारित किया है , उससे दुनियाभर में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गैर बराबरी और अविश्वास पैदा हुआ है.  जिसने गृह युद्ध और वर्चस्व क़ी लड़ाई  शुरू हो गई है. हजारों लाखों की संख्या में लोग विस्थापित हो रहे हैं या मारे ज़ा रहे हैं. इसने लोगों में प्रतिशोध की भावना भर दी है. प्रतिशोध ने हिंसा को जन्म दिया है. इस हिंसा के बीच कार्य कर रहे लोग जो सेवा दे रहे हैं उनको भी जान गवांना पड़ रहा है. यह सोचनीय और विचारणीय विषय है. इसे संपूर्णता में दखे जाने की आवश्यकता है. दरअसल मानव कल्याण हमारा ध्येय होना चाहिए.



  मानवता  आज हमारे लिए सर्वोपरी होना चाहिए.इसी बाबत  प्रत्येक वर्ष 19 अगस्त को मानव- कल्याण को बढ़ावा देने  के लिये  और मानवीय सरोकार के लिये मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2009 में संयुक्त राष्ट्र की आपातकालीन सहायता के समन्वय पर एक प्रस्ताव के हिस्से के रूप में इस दिन को नामित किया गया था.  आगे संयुक्त राष्ट्र ने 19 अगस्त को विश्व मानवतावादी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. यह दिन उन तमाम लोगों के क़ुरबानी का सम्मान करने के लिए है. इन लोगों ने सभी तरह  क़ी बाधाओं को दरकिनार कर मानव सेवा का  चुनाव  किया है.सेवा के दौरान यानी युद्ध में या किसी तरह क़ी विपत्ति में लोगों क़ी सहयता करने वाले सेनानियों को निशाना बनाया जाता है. जिसमें लोगों क़ी जान चली जाती है. इस तरह क़ी घटना से सबक लेते हुए इसकी शुरुआत क़ी गई.वर्ष 2008 में  एक  प्रस्ताव पारित  कर विश्व मानवता दिवस पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मनाया गया । इस प्रस्ताव को स्वीडन ने तैयार किया था। इसकी आवश्यकता तब पड़ी जब इराक की राजधानी बगदाद में 19 अगस्त, 2003 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर हमला किया गया था। इस हमले में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के 22 सहकर्मी मारे गए थे, जिनमें इराक में यू. एन. ओ. महासचिव के विशेष प्रतिनिधि सर्जियो विएरा डी मेलो की भी बम विस्फोट के कारण मृत्यु हो गयी। इसके बाद से  19 अगस्त को विश्व मानवता दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया. 



बगदाद की त्रासदी के बाद अब तक 4,000 से ज्यादा राहतकर्मियों को निशाना बनाया गया है। जिसमें कई लोग मृत्यु  के शिकार हुए हैं, कितने ही घायल हुए हैं, कइयों को गिरफ्तार किया गया है। इस प्रकार प्रत्येक वर्ष औसतन 300 राहतकर्मियों को निशाना बनाया जाता है। विश्व भर में फैली अशांति और संघर्ष में लाखों लोग अपनी जगह -जमीन से विस्थापित हुए हैं और । ऐसे लोगों की संख्या साढ़े छह करोड़ से अधिक हो सकती है। बच्चों को भी हिंसा के लिये प्रशिक्षण दिया जाता है और तरह तरह क़ी अतिवादी संस्थाओं द्वारा इनका इस्तेमाल लड़ाइयों और अन्य हिंसक वरदातों में किया जाता है। दुनिया क़ी आधी  आबादी अर्थात महिलाओं का  तरह-तरह से उत्पीड़न और अपमान किया जाता है। इस तरह के संकट के लिये हम स्वयं जिम्मेदार हैं.

              मानवता  क़ी बात करने वाले विश्व भर में कई नेता हुए हैं. जिन्होंने  अपनी नेतृत्व क्षमता द्वारा यह स्थापित दुनिया के सामने एक सकारात्मक विचार प्रस्तुत किये. इस सन्दर्भ में महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले लिया जाना चाहिए. गांधी जी ने भारत क़ी स्वतंत्रता में जिस अहिंसक लड़ाई का सूत्रपात करते हैं वह पूरी दुनिया के लिए एक मिशाल है. गांधी कहते हैं ' अहिंसा मनुष्य जाति के हाथ में बड़ी से बड़ी शक्ति है. मनुष्य के बुद्धि चातुर्य ने संहार और सर्वनाश के जो प्रचंड से प्रचंड अस्त्र शस्त्र बनाये हैं,उनसे भी अहिंसा अधिक प्रचंड शक्ति है.

 

 

सर्वनाश  और संहार मानव धर्म नहीं है. मनुष्य आवश्यकता पड़ने पर अपने भाई के हाथों मरने  के लिये तैयार रह कर स्वतंत्रता से जीता है, उसे मार कर कभी नहीं. प्रत्येक हत्या अथवा  दूसरे को पहुंचाई गई  चोट, फ़िर उसका उद्देश्य कुछ  भी रहा हो, मानवता के खिलाफ एक अपराध है.'अहिंसा के जरिये, जिस मानवता को स्थापित करने क़ी बात करते हैं वह समरसतापूर्ण है. जिसमें हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है. हिंसा कमजोरी का प्रतीक है. गांधीजी के साथ -साथ  दुनिया के तमाम नेताओं ने हिंसा को गैर जरुरी माना है. मदर टेरेसा ने अपनी सेवा भावना के जरिये दुनिया को प्रेम सौहार्द का सन्देश दिया. हमें आज जो रास्ता दिखा सकता है उनके विचारों को पूरी दुनिया क़ी भलाई के लिए अपनाये जाने क़ी जरूरत है.  आज यह जरूर है कि पूरी दुनिया मनवाता के संकट के दौर से गुजर रही है. इसी बीच अपनी परवाह किये बिना,लोगों की सेवा में,अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले लोगों के पद चिन्ह पर चलकर मानवता को बचाया ज़ा सकता है. हमें इस बात का ध्यान रखना होग़ा कि जो हमारे विरोधी हो या समर्थक उनके प्रति भी प्रेम का भाव रखना चाहिए. इस सन्दर्भ में गांधी जी कहते हैं 'जो लोग हमसे प्रेम करते हैं केवल उन्हीं से यदि हम प्रेम करें, तों वह अहिंसा नहीं है. अहिंसा तभी कही जाएगी ज़ब हम अपने से नफरत करने वालों पर भी अपना प्यार बरसायें.'

 

 

              विश्व मानवता दिवस के बहाने हमें इस वर्ष भी क़ुरबानी देने वाले सेवियों को याद करना चाहिए. उनके योगदान के बहाने आज सबको विचार करना चाहिए कि ऐसी परिस्थिति क्यूं उत्पन्न हो रही है जिसमें लोग जान गवां रहे हैं. सेवा धर्म है और यह सार्वोपरि है.आज पूरी दुनिया में युद्ध की आहट सूनी ज़ा सकती है. इसे बचने  और बचाने के लिए इस वर्ष संकल्प लेने की जरूरत है कि हमें युद्ध कि त्रासदी से दुनिया को बचाना चाहिए. और इस संकल्प को बार बार दुहराना चाहिए.

 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार है जिनसे pankaj.chaubey9@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

 व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं