प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मन की बात
मुख्य बातें
· कुछ दिन पहले देश ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जो, हम सभी को प्रेरणा देती है. इस महीने 5 तारीख को देश में यूनीकॉर्न की संख्या 100 के आंकड़े तक पहुंच गई है और आपको तो पता ही है, एक यूनीकॉर्न, यानी, कम-से-कम साढ़े सात हज़ार करोड़ रुपये का स्ह्लड्डह्म्ह्लStart-Up.इन यूनिकार्न्स का कुल valuation 330 billion dollar, यानी, 25 लाख करोड़ रुपयों से भी ज्यादा है. निश्चित रूप से, ये बात, हर भारतीय के लिए गर्व करने वाली बात है. आपको यह जानकर भी हैरानी होगी, कि, हमारे कुल यूनीकॉर्न में से 44 पिछले साल बने थे. इतना ही नहीं, इस वर्ष के 3-4 महीने में ही 14 और नए यूनीकॉर्न बन गए. इसका मतलब यह हुआ कि global pandemic के इस दौर में भी हमारे Start-Ups, wealth और value, create करते रहे हैं. Indian यूनीकॉर्न्स का Average Annual Growth Rate,USA,UK और अन्य कई देशों से भी ज्यादा है Analysts का तो ये भी कहना है कि आने वाले वर्षों में इस संख्या में तेज उछाल देखने को मिलेगी. एक अच्छी बात ये भी है, कि, हमारे यूनीकॉर्न्स diversifying हैं. ये e-commerce,Fin-tech,Ed-Tech, Bio-Tech जैसे कई क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.
· एक और बात जिसे मैं ज्यादा अहम मानता हूं वो ये है कि Start-Ups की दुनिया New India की spirit को reflect कर रही है. आज, भारत का Start-Ups ecosystem सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है, छोटे-छोटे शहरों और कस्बों से भी entrepreneurs सामने आ रहे हैं. इससे पता चलता है कि भारत में जिसके पास innovative idea है, वो, wealth create कर सकता है.
· एक अच्छा mentor Start-Up को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है. वह founders को right decision के लिए हर तरह से guide कर सकता है. मुझे, इस बात का गर्व है कि भारत में ऐसे बहुत से mentors हैं जिन्होंने Starts-Ups को आगे बढ़ाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है. श्रीधर वेम्बू जी को हाल ही में पद्म सम्मान मिला है. वह खुद एक सफल entrepreneur हैं, लेकिन अब उन्होंने, दूसरे entrepreneur को groom करने का भी बीड़ा उठाया है. हमारे यहां मदन पडाकी जैसे लोग भी हैं जिन्होंने rural entrepreneurs को बढ़ावा देने के लिए 2014 में One-Bridge नाम का platform बनाया था. आज, One-Bridge दक्षिण और पूर्वी-भारत के 75 से अधिक जिलों में मौजूद है. इससे जुड़े 9000 से अधिक rural entrepreneurs ग्रामीण उपभोक्ताओं को अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं. मीरा शेनॉय जी भी ऐसी ही एक मिसाल है. वो Rural,Tribal और disabled youth के लिए Market Linked Skills Training के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं. मैंने यहां तो कुछ ही नाम लिए हैं, लेकिन, आज हमारे बीच mentors की कमी नहीं है. हमारे लिए यह बहुत प्रसन्नता की बात है कि Start-Up के लिए आज देश में एक पूरा support system तैयार हो रहा है. मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में हमें भारत के Start-Up World के प्रगति की नई उड़ान देखने को मिलेगी.
· कुछ दिनों पहले तमिलनाडु के Thanjavur के एक Self-Help Group ने मुझे भेजा है. यह एक special Thanjavur Doll है, जिसे GI Tag भी मिला हुआ है. ये Thanjavur Doll जितनी खूबसूरत होती है, उतनी ही खूबसूरती से, ये, महिला सशक्तिकरण की नई गाथा भी लिख रही है. Thanjavur में महिलाओं के Self-Help Group के store और kiosk भी खुल रहे हैं. इसकी वजह से कितने ही गरीब परिवारों की जिंदगी बदल गई है. ऐसे kiosk और stores की सहायता से महिलाएं अब अपने product ग्राहकों को सीधे बेच पा रही हैं. इस पहल को 'थारगईगल कइविनई पोरुत्तकल विरप्पनई अंगाड़ी’ नाम दिया गया है. ख़ास बात ये है कि इस पहल से 22 Self –Help Group जुड़े हुए हैं.
· ये महिला Self Help Group Thanjavur Doll और Bronze Lamp जैसे GI Product के अलावा खिलौने, mat और Artificial Jewellery भी बनाते हैं. ऐसे स्टोर की वजह से, GI Product के साथ-साथ Handicraft के Products की बिक्री में काफी तेजी देखने को मिली है. इस मुहिम की वजह से न केवल कारीगरों को बढ़ावा मिला है, बल्कि, महिलाओं की आमदनी बढ़ने से उनका सशक्तिकरण भी हो रहा है.
· मेरा 'मन की बात’ के श्रोताओं से भी एक आग्रह है. आप, अपने क्षेत्र में ये पता लगायें, कि, कौन से महिला Self Help Group काम कर रहे हैं. उनके Products के बारे में भी आप जानकारी जुटाएं और ज्यादा-से-ज्यादा इन उत्पादों को उपयोग में लाएं. ऐसा करके, आप Self Help Group, की आय बढ़ाने में तो मदद करेंगे ही, 'आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को भी गति देंगे.
· हमारे देश में कई सारी भाषा, लिपियां और बोलियों का समृद्ध खजाना है. अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पहनावा, खानपान और संस्कृति, ये हमारी पहचान है. ये Diversity ये विविधता, एक राष्ट्र के रूप में, हमें, अधिक सशक्त करती है, और एकजुट रखती है. इसी से जुड़ा एक बेहद प्रेरक उदाहरण है एक बेटी कल्पना का, जिसे, मैं आप सभी के साथ साझा करना चाहता हूं. कल्पना ने हाल ही में कर्नाटका में अपनी 10वीं की परीक्षा पास की है, लेकिन, उनकी सफलता की बेहद खास बात ये है कि, कल्पना को कुछ समय पहले तक कन्नड़ा भाषा ही नहीं आती थी. उन्होंने, ना सिर्फ तीन महीने में कन्नड़ा भाषा सीखी, बल्कि, 92 प्रतिशत नम्बर भी लाकर के दिखाए. कल्पना, मूल रूप से उत्तराखंड के जोशीमठ की रहने वाली हैं. वे पहले TB से पीड़ित रही थीं और जब वे तीसरी कक्षा में थीं तभी उनकी आंखों की रोशनी भी चली गई थी, लेकिन, कहते हैं न, 'जहां चाह-वहां राह’. कल्पना बाद में मैसूरू की रहने वाली प्रोफेसर तारामूर्ति के संपर्क में आई, जिन्होंने न सिर्फ उन्हें प्रोत्साहित किया, बल्कि हर तरह से उनकी मदद भी की. आज, वो अपनी मेहनत से हम सबके लिए एक उदाहरण बन गई हैं. मैं, कल्पना को उनके हौंसले के लिए बधाई देता हूं.
· इसी तरह, हमारे देश में कई ऐसे लोग भी हैं जो देश की भाषाई विविधता को मजबूत करने का काम कर रहे हैं. ऐसे ही एक साथी हैं, पश्चिम बंगाल में पुरुलिया के श्रीपति टूडू जी. टूडू जी, पुरुलिया की सिद्धो-कानो-बिरसा यूनिवर्सिटी में संथाली भाषा के प्रोफेसर हैं. उन्होंने, संथाली समाज के लिए, उनकी अपनी 'ओल चिकी’ लिपि में, देश के संविधान की कॉपी तैयार की है. श्रीपति टूडू जी कहते हैं कि हमारा संविधान हमारे देश के हर एक नागरिक को उनके अधिकार और कर्तव्य का बोध कराता है. इसलिए, प्रत्येक नागरिक को इससे परिचित होना जरूरी है. इसलिए, उन्होंने संथाली समाज के लिए उनकी अपनी लिपि में संविधान की कॉपी तैयार करके भेंट-सौगात के रूप में दी है. मैं, श्रीपति जी की इस सोच और उनके प्रयासों की सराहना करता हूं. ये 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना का जीवन्त उदाहरण है.
· उत्तराखंड के 'चार-धाम’ की पवित्र यात्रा चल रही है. कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो बाबा केदार के धाम में दर्शन-पूजन के साथ-साथ स्वच्छता की साधना भी कर रहे हैं. कोई अपने ठहरने के स्थान के पास सफाई कर रहा है, तो कोई यात्रा मार्ग से कूड़ा-कचरा साफ कर रहा है. स्वच्छ भारत की अभियान टीम के साथ मिलकर कई संस्थाएं और स्वयंसेवी संगठन भी वहां काम कर रहे हैं. ऐसे ही लोगों के प्रयासों से देव भूमि और तीर्थों की वो दैवीय अनुभूति बनी हुई हैं, जिसे अनुभव करने के लिए हम वहां जाते हैं, इस देवत्व और आध्यात्मिकता को बनाए रखने की जिम्मेदारी हमारी भी तो है.
· कुछ दिन बाद ही, 5 जून को 'विश्व पर्यावरण दिवस’के रूप में मनाया जाता है. पर्यावरण को लेकर हमें अपने आस-पास के सकारात्मक अभियान चलाने चाहिए और ये निरंतर करने वाला काम है. आप, इस बार सब को साथ जोड़ कर- स्वच्छता और वृक्षारोपण के लिए कुछ प्रयास ज़रूर करें. आप, खुद भी पेड़ लगाइये और दूसरों को भी प्रेरित करिए.
· 21 जून को, हम 8वां 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ मनाने वाले हैं. इस बार 'योग दिवस’ की theme है – Yoga for humanity मैं आप सभी से 'योग दिवस’ को बहुत ही उत्साह के साथ मनाने का आग्रह करूंगा!! हाँ! कोरोना से जुड़ी सावधानियां भी बरतें. कोरोना महामारी ने हम सभी को यह एहसास भी कराया है, कि हमारे जीवन में, स्वास्थ्य का, कितना अधिक महत्व है, और योग, इसमें कितना बड़ा माध्यम है, लोग यह महसूस कर रहे हैं कि योग से physical,Spiritual और intellectual well being को भी कितना बढ़ावा मिलता है. विश्व के top Business person से लेकर film और sports personalities तक, students से लेकर सामान्य मानवी तक, सभी, योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना रहे हैं.
· इस बार देश-विदेश में 'योग दिवस’ पर होने वाले कुछ बेहद innovative उदाहरणों के बारे में मुझे जानकारी मिली है. इन्हीं में से एक है guardian Ring एक बड़ा ही unique programme होगा. इसमें Movement of sun को celebrate किया जाएगा, यानी, सूरज जैसे-जैसे यात्रा करेगा, धरती के अलग-अलग हिस्सों से, हम, योग के जरिये उसका स्वागत करेंगे. अलग-अलग देशों में Indian missions वहां के local time के मुताबिक सूर्योदय के समय योग कार्यक्रम आयोजित करेंगे. एक देश के बाद दूसरे देश से कार्यक्रम शुरू होगा. पूरब से पश्चिम तक निरंतर यात्रा चलती रहेगी, फिर ऐसे ही, ये, आगे बढ़ता रहेगा. इन कार्यक्रमों की streaming भी इसी तरह एक के बाद एक जुड़ती जायेगी, यानी, ये, एक तरह का Relay Yoga Streaming Event होगा. आप भी इसे जरूर देखिएगा.
· साथियो, कुछ दिन पहले मैं जापान गया था. अपने कई कार्यक्रमों के बीच मुझे कुछ शानदार शख्सियतों से मिलने का मौका मिला. वे लोग हैं तो जापान के, लेकिन भारत के प्रति इनमें गज़ब का लगाव और प्रेम है. इनमें से एक हैं हिरोशि कोइके जी, जो एक जाने-माने Art Director हैं. आपको ये जानकार बहुत ही ख़ुशी होगी कि इन्होंने Mahabharat Project को Direct किया है. इस Project की शुरुआत Cambodia में हुई थी और पिछले 9 सालों से ये निरंतर जारी है! हिरोशि कोइके जी हर काम बहुत ही अलग तरीके से करते हैं. वे, हर साल, एशिया के किसी देश की यात्रा करते हैं और वहां Local Artist और Musicians के साथ महाभारत के कुछ हिस्सों को Produce करते हैं. इस Project के माध्यम से उन्होंने India, Cambodia और Indonesia सहित नौ देशों में Production किये हैं और Stage Performance भी दी है.
· जापान में जिन अन्य दो लोगों से मिला, वे हैं, आत्सुशि मात्सुओ जी और केन्जी योशी जी. ये दोनों ही TEM Production Company से जुड़े हैं. इस Company का संबंध रामायण की उस Japanese Animation Film से है, जो 1993 में Release हुई थी. यह Project जापान के बहुत ही मशहूर Film Director युगो साको जी से जुड़ा हुआ था. करीब 40 साल पहले, 1983 में, उन्हें, पहली बार रामायण के बारे में पता चला था. 'रामायण’ उनके हृदय को छू गयी, जिसके बाद उन्होनें इस पर गहराई से research शुरू कर दी. इतना ही नहीं, उन्होंने, जापानी भाषा में रामायण के 10 versions पढ़ डाले, और वे इतने पर ही नहीं रुके, वे इसे, animation पर भी उतारना चाहते थे. इसमें Indian Animations ने भी उनकी काफी मदद की. अब 30 सालों के बाद ये animation film फिर से 4K re-master की जा रही है. इस project के जल्द ही पूरा होने की संभावना है. हमसे हज़ारों किलोमीटर दूर जापान में बैठे लोग जो न हमारी भाषा जानते हैं, जो न हमारी परम्पराओं के बारे में उतना जानते हैं, उनका हमारी संस्कृति के लिए समर्पण, ये श्रद्धा, ये आदर, बहुत ही प्रशंसनीय है - कौन हिन्दुस्तानी इस पर गर्व नही करेगा?
स्रोत: pmindia.gov.in