पिछले 8 वर्षों के दौरान सरकार की महत्वपूर्ण पहल
भाग II - यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई)
पिछले कुछ वर्षों में भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली तेजी से विकसित हुई है. इसे संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए विकास और भविष्योन्मुखी नियामक तथा सरकारी नीतियों से प्रोत्साहन मिला है. सार्वभौमिक खाता व्यवस्था, स्मार्टफोन की बढ़ती पैठ और कम लागत वाली भुगतान प्रणाली को लेकर डिजिटल लेन-देन में पहले कभी इतना बड़ा उछाल नहीं आया था. 2016 में, यूपीआई भारत के डिजिटल भुगतान परिदृश्य में एक गेम चेंजर बनकर उभरा. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 31 दिसंबर, 2016 को 'डिजी धन मेला’ के उद्घाटन के दौरान भीम यूपीआई (भारत इंटरफेस फॉर मनी - यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) ऐप लॉन्च किया और लोगों से देश को नकदी रहित अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए डिजिटल भुगतान को एक आदत बनाने का आग्रह किया. सरकार का दृष्टिकोण भारत के सभी नागरिकों को सुविधाजनक, आसान, किफायती, त्वरित और सुरक्षित तरीके से निर्बाध डिजिटल भुगतान की सुविधा प्रदान करने का रहा है. अप्रैल 2016 से, यूपीआई तेजी से डिजिटल भुगतान का पर्याय बन गया है, जिसने एक महीने में 500 करोड़ से अधिक लेन-देन को पार करने के लिए एक विशिष्ट वृद्धि प्रक्षेप पथ देखा है.
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा विकसित और संचालित, देश में सभी खुदरा भुगतान प्रणालियों के लिए एक छत्र संगठन, यूपीआई ने स्मार्टफोन अनुकूलन और मोबाइल डेटा की गहरी पैठ जैसी प्रवृत्तियों का लाभ उठाया है. यूपीआई उपयोगकर्ताओं को तत्काल पुश करने और लेन-देन को निर्बाध रूप से संप्रेषित करने का अधिकार देता है जिसने आज के दिन लोगों के भुगतान करने के तरीके को बदल दिया है.
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस या यूपीआई क्या है?
यूपीआई एक ऐसी प्रणाली है जो कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन (किसी सहभागी बैंक के) में, कई बैंकिंग सुविधाओं, निर्बाध फंड रूटिंग और मर्चेंट भुगतान को एक हुड में विलय करने की शक्ति प्रदान करती है. यूपीआई एक अनूठा भुगतान समाधान है जो प्राप्तकर्ता को स्मार्टफोन से भुगतान अनुरोध शुरू करने का अधिकार देता है. यह 'पीयर टू पीयर’ संग्रह अनुरोध को भी पूरा करता है जिसे शेड्यूल किया जा सकता है और आवश्यकता तथा सुविधा के अनुसार भुगतान किया जा सकता है.यूपीआई के माध्यम से, कोई भी व्यक्ति अपने बैंक खाते को मोबाइल एप्लिकेशन से लिंक कर सकता है और सुरक्षित रूप से लेनदेन कर सकता है. दोस्तों को पैसे ट्रांसफर करने से लेकर पेमेंट करने वाले मर्चेंट तक, ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर यूटिलिटी बिल चुकाने तक, यूपीआई मनी ट्रांसफर को आसान, सुरक्षित और त्वरित बनाता है. यह साथियों के बीच बिल साझा करने जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए पुश एंड पुल लेन-देन को शेड्यूल करने का विकल्प भी प्रदान करता है.
यूपीआई पैसे भेजने और संग्रह करने के लिए भुगतान पहचानकर्त्ता के रूप में 'वर्चुअल एड्रेस’ की सुविधा देता है और सिंगल क्लिक, टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन पर काम करता है. इंटरफेस एनपीसीआई की तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) का उन्नत संस्करण है जो 24*7*365 धन अंतरण सेवा है. ग्राहक के डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए, ग्राहक के अपने बैंक के अलावा कहीं भी खाता संख्या मैपर नहीं है. यह ग्राहक को स्वतंत्र रूप से वित्तीय पता दूसरों के साथ साझा करने की अनुमति देता है.
यूपीआई लोगो
भारत एक डिजिटल भविष्य की ओर बढ़ रहा है, भीम यूपीआई देश को कैशलेस सोसाइटी की ओर ले जाने के लिए एक प्रगतिशील पहल करके इसके विकास में सहायता कर रहा है. हमारे राष्ट्रीय ध्वज के साथ फास्ट-फॉरवर्ड प्रतीक जोड़कर और एक एथलीट की मुद्रा से प्रेरणा लेकर बनाए गए तिरंगे के तीर, इस कथन को दृष्टिगोचर कर लेते हैं.
यूपीआई के लाभ
ग्राहकों के लिए यूपीआई के कई लाभ हैं. यह चौबीसों घंटे उपलब्ध है, चौबीसों घंटे मोबाइल के माध्यम से तत्काल धन हस्तांतरण को सक्षम बनाता है, चौबीसों घंटे और 365 दिनों में, विभिन्न बैंक खातों तक पहुंचने के लिए एक ही मंच प्रदान करता है, एकल क्लिक प्रमाणीकरण को सक्षम करता है, वर्चुअल आईडी के उपयोग के माध्यम से सुरक्षित लेनदेन सुनिश्चित करता है. ग्राहक को कार्ड नंबर, खाता संख्या, आईएफएससी आदि जैसे विवरण दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है; उपयोगिता बिल भुगतान, काउंटर भुगतान, क्यूआर कोड (स्कैन और भुगतान) आधारित भुगतान की सुविधा प्रदान करता है और ग्राहक को सीधे मोबाइल ऐप से शिकायत करने की सुविधा भी देता है. व्यापारियों को ग्राहकों से निर्बाध निधि संग्रह की सुविधा प्राप्त होती है; ग्राहक के वर्चुअल पते जैसे विवरण कार्ड में संग्रहीत करने का कोई जोखिम नहीं है; और वे उन ग्राहकों को टैप करने में सक्षम हैं जिनके पास क्रेडिट/डेबिट कार्ड नहीं हैं. यूपीआई ई-कॉमर्स और एम-कॉमर्स लेन-देन और सीओडी संग्रह समस्या को हल करने के लिए भी उपयुक्त है.
इन उपयोगकर्ताओं के अलावा, यूपीआई ने बैंकों को एटीएम और शाखाओं जैसे चैनलों पर नकदी आवश्यकताओं को कम करने में भी मदद की है, जिसके परिणामस्वरूप परिचालन लागत में कमी आई है और ग्राहक सुविधा में सुधार हुआ है. यह माइक्रो-पेंशन, डिजिटल बीमा उत्पादों और लचीले ऋणों जैसे फिनटेक अनुप्रयोगों के व्यापक क्षेत्र में अपनी धाक जमा सकता है. ये यूपीआई के सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा बनाए गए व्यक्तिश: समाधान हैं.तकनीकी कंपनियां डिजिटल इकोसिस्टम का विस्तार करने के लिए यूपीआई की ताक़त का तेजी से लाभ उठा रही हैं और इससे वित्तीय समावेशन की गति में काफी तेजी आई है.
भारत के बाहर यूपीआई की भूमिका
भारत के बाहर यूपीआई की पहुंच का विस्तार करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कई कदम उठाए हैं. एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (एनआईपीएल), एनपीसीआई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, यूपीआई के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए समर्पित है. एनआईपीएल ने व्यापारिक प्रतिष्ठान में भीम यूपीआई क्यूआर की सीमा पार स्वीकृति को सक्षम करने के लिए विभिन्न राष्ट्रों में पहल की हैं. इन साझेदारियों से भारतीय यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर अपनी सभी खुदरा खरीद के लिए भीम यूपीआई क्यूआर का उपयोग करके भुगतान करने में सुविधा होगी. उदाहरण के लिए, भीम यूपीआई क्यूआर को सिंगापुर (मार्च 2020), भूटान (जुलाई 2021), यूएई और नेपाल (फरवरी 2022) में स्वीकृति मिल चुकी है.
उल्लेखनीय आंकड़े
कुल डिजिटल लेन-देन जो वित्त वर्ष 2016-17 में 1,004 करोड़ था, ने यूपीआई के लॉन्च के बाद जबर्दस्त वृद्धि देखी है. वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान, 106 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिससे यह आंकड़ा 2,071 करोड़ लेन-देन तक पहुंच गया.वित्त वर्ष 2018-19 में, यूपीआई का देश में कुल 31 अरब डिजिटल लेन-देन का 17 प्रतिशत हिस्सा था. अगले वित्तीय वर्ष में यूपीआई की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत से अधिक हो गई क्योंकि इसने कुल 46 अरब डिजिटल लेन-देन में से 12.5 बिलियन लेन-देन को संसाधित किया. वित्त वर्ष 2020-21 में, यूपीआई ने कुल 55 अरब डिजिटल लेनदेन का 40 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया. इन आंकड़ों को संदर्भ में रखने के लिए, भीम यूपीआई पर लेन-देन का मूल्य वित्त वर्ष 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 15 प्रतिशत था.अप्रैल 2022 तक, 316 बैंक यूपीआई पर लाइव थे, जिसमें 558.3 करोड़ लेन-देन की राशि लगभग 10 लाख करोड़ रुपये मूल्य की थी.
संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन
स्रोत: एनपीसीआई/पीआईबी