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विशेष लेख


अंक संख्या 05, 30 अप्रैल -06 मई 2022

आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता को आगे बढ़ाता

पढ़े भारत, बढ़े भारत

पढ़ना अनिवार्य रूप से अर्थ ग्रहण करने अर्थात समझने की प्रक्रिया है. पढ़ना पाठ्य-वस्तु और पाठक के बीच की अंत: क्रिया है, जो पाठक के पूर्व ज्ञान, अनुभव, दृष्टिकोण तथा समाज की सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से स्थापित भाषा-के सदंर्भ द्वारा आकार लेती है. पढ़ने की प्रक्रिया में निरंतर अभ्यास, विकास और परिष्करण की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, पढ़ने के लिए रचनात्मकता और आलोचनात्मक विश्लेषण की भी जरूरत होती है.पढ़ने को हमेशा से सुदृढ़ शैक्षणिक कार्यक्रम के एक प्रमुख संघटक के तौर पर स्वीकार किया गया है. यह स्वीकार करते हुए कि अनेक विद्यालयों की मौजूदा योजनाएं  पढ़ने में बच्चों की निपुणता सुनिश्चित नहीं करतीं, शिक्षा मंत्रालय ने पूर्ववर्ती सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के उप-कार्यक्रम के रूप में राष्ट्रव्यापी-'पढ़े भारत, बढ़े भारतकी शुरुआत की है और एक नई एकीकृत योजना- समग्र शिक्षा के तहत इसे जारी किया है.

 

'पढ़े भारत, बढ़े भारतकार्यक्रम क्या है?

'पढ़े भारत, बढ़े भारत’ (पीबीबीबी) का उद्देश्य समझ-बूझ के साथ पढ़ने-लिखने के प्रति जीवनपर्यन्त स्थायी दिलचस्पी उत्पन्न करते हुए भाषा के विकास में सुधार लाना है. यह इस मान्यता पर आधारित है कि बच्चों को पढ़ने और लिखने की प्रिंट-आधारित विविध गतिविधियों के साथ सक्रिय और उद्देश्यपूर्ण रूप से जुड़ने के विभिन्न अवसरों के साथ ही साथ पुस्तकों के साथ सार्थक और सामाजिक रूप से प्रासंगिक संबंध जोड़ने की आवश्यकता है.राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2005 में स्पष्ट रूप से इंगित किया गया है कि अधिकांश बच्चों में गणित को लेकर भय और असफलता की भावना होती है, यही कारण है कि वे जल्दी ही हार मान लेते हैं और गंभीर गणितीय शिक्षा छोड़ देते हैं. यह पाया गया कि शिक्षण में जो परिपाटी अपनायी जा रही थी, उसमें बच्चों की समझदारी और बुद्धिमानी की कीमत पर, उन्हें यांत्रिक नियम सिखाकर उनके गणितीय कौशलों को तेजी से बढ़ाया गया. इसलिए, बच्चों को ऐसा गणित सीखने में मदद करने की जरूरत महसूस की गई, जिससे वे अपनी  स्कूली शिक्षा के शुरुआती वर्षों से ही गणित को पसंद करने और समझने लगें.इस प्रकार, पढ़े भारत, बढ़े भारत दोहरे दृष्टिकोण का अनुसरण करता है: समझ-बूझ के साथ पढ़ने-लिखने के प्रति स्थायी दिलचस्पी उत्पन्न करते हुए भाषा के विकास में सुधार लाना तथा भौतिक और सामाजिक दुनिया से संबंधित गणित के प्रति सहज और सकारात्मक दिलचस्पी उत्पन्न करना. दूसरे शब्दों में, यह कार्यक्रम समझ के साथ प्रारंभिक पठन और लेखन तथा प्रारंभिक गणित पर ध्यान केंद्रित करता है.

 

पीबीबीबी के उद्देश्य

बच्चों को निरंतर एवं स्थायी पठन और लेखन कौशलों से संपन्न समझ-बूझ के साथ प्रेरित, स्वतंत्र और संबद्ध पाठक और लेखक बनने तथा कक्षा के अनुरूप सीखने के स्तरों को हासिल करने में समर्थ बनाना;

बच्चों को संख्या, मापन और आकारों के विषय में तर्क समझने योग्य बनाना; और उन्हें संख्यावाचक और स्थानिक कौशल के माध्यम से स्वतंत्र रूप से समस्या का समाधान करने योग्य बनाना;

3. पढ़ने-लिखने को आनदंदायक और वास्तविक जीवन के अनुभवों के साथ जोड़ना; और

4. घर से विद्यालय के अवस्थान्तर में सामाजिक परिप्रेक्ष्य को मान्यता देना तथा स्वतंत्र और संबद्ध पाठक लेखक बनने की प्रक्रिया में बाल साहित्य की भूमिका.

इन उद्देश्यों को निम्नलिखित के द्वारा साकार किया जा रहा है:

) समझ के साथ पढ़ने-लिखने और प्रारंभिक गणित के शिक्षण शास्त्र पर ध्यान देते हुए तथा शिक्षकों, प्रधान अध्यापकों, माता-पिता, शैक्षिक प्रशासकों और नीति निर्माताओं के साथ इन विषयों पर संवाद की शुरुआत करते हुए;

) पढ़ने-लिखने और प्रारंभिक गणित सीखने के अर्थपूर्ण के संदर्भ में कक्षा

1 और 2 में पढ़ने वाले बच्चों की जरूरतों के बारे संवेदनशीलता विकसित करते हुए;

) पढ़ने लिखने और प्रारंभिक गणित के शिक्षा शास्त्र से अवगत लोगों के संसाधन समूह और शिक्षकों का समूह तैयार करते हुए; और

) प्रारंभिक पढ़ने-लिखने और प्रारंभिक गणित से संबंधित अनुभवों को जीवंत बनाने के लिए कक्षा और विद्यालय के वातावरण को सुगम बनाते हुए.

 

कार्यान्वयन किस प्रकार किया जा रहा है?

तीन कारक- पाठ्य-वस्तु, पाठक और संदर्भ- दोनों ही व्यवस्था में - जहां पढ़ने, लिखने और मौखिक भाषा की गतिविधि की जाती हैं और जिस प्रकार इस गतिविधि को किया जाता है, वह किसी भी प्रकार के पठन/लेखन/ वाचन को अर्थपूर्ण या अर्थहीन अनुभव बनाता है. इसी तरह, पाठक द्वारा उद्घाटित समस्याओं के समाधान का संदर्भ संख्याओं और स्थानिक कौशल की बेहतर समझ प्रदान करता है. इन कारकों पर विचार करते हुए कार्यान्वयन के लिए कार्यक्रमों की संरचना निम्नलिखित संघटकों के साथ की जाती है.राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कई रणनीतियों और दृष्टिकोणों का उपयोग करके पीबीबीबी का कार्यान्वयन कर रहे हैं. इनमें प्रारंभिक अध्ययन के एनसीईआरटी मॉडल को अपनाना, पूरक पठन सामग्री का प्रावधान,  प्रारंभिक गणित और प्रारंभिक पठन के लिए राज्य विशिष्ट मॉडल का विकास, यूनिसेफ जैसे संगठनों के साथ सहयोग आदि शामिल हैं.

 

पीबीबीबी पुस्तकालय अनुदान और पढ़ने को प्रोत्साहन

 प्रत्येक आयु वर्ग के विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत डालने के लिए सरकारी स्कूलों के लिए पुस्तकालय अनुदान प्रदान कर पुस्तकों के प्रावधान के माध्यम से स्कूलों के पुस्तकालयों को मजबूती प्रदान करने का कार्य किया जा रहा है. पुस्तकालय अनुदान के लिए निधियां विद्यालय की श्रेणी के आधार पर 5000/- रुपये से लेकर  20000/- रुपये तक हैं.पुस्तकालय अनुदान के संबंध में पुराने दिशानिर्देश भी हाल ही में संशोधित किए गए हैं. दिनांक 28 अक्टूबर, 2021 के मौजूदा दिशा-निर्देश, पुस्तकालयों के विकास और पुस्तकालय की पुस्तकों की खरीद तथा इन लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में मदद करने में समर्थ गतिविधियों के अलावा समग्र रूप से पढ़ने को प्रोत्साहन देने पर जोर देते हैं. इसके अलावा, मौजूदा दिशा-निर्देशों को तैयार करते समय नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों पर भी गौर किया गया.

 

पढ़े भारत अभियान

 केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने जनवरी, 2020 में 100 दिवसीय पठन अभियान 'पढ़े भारतका शुभारंभ किया. इस अभियान का शुभारंभ एनईपी 2020  के अनुरूप किया गया, जो स्थानीय/मातृभाषा/ क्षेत्रीय/जनजातीय भाषा में बच्चों के लिए उनकी आयु के अनुसार पढ़ने के लिए पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करके बच्चों के लिए आनदंदायक पठन संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर देती है.पढ़े भारत अभियान बालवाटिका से कक्षा 8 में पढ़ने वाले बच्चों पर केंद्रित था. 10 अप्रैल, 2022 तक आयोजित किए गए इस पठन अभियान का उद्देश्य बच्चों, शिक्षकों, माता-पिता, समुदाय, शैक्षिक प्रशासकों आदि सहित राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सभी हितधारकों की भागीदारी कराना था. पढ़ने को आनदंदायक बनाने और पढ़ने की खुशी के साथ आजीवन संबंध बनाने के प्रति ध्यान केंद्रित करते हुए प्रति सप्ताह प्रति समूह एक गतिविधि की संकल्पना की गई.पढ़े भारत अभियान की एक अनूठी विशेषता यह थी कि इसमें मातृभाषा/स्थानीय/ क्षेत्रीय भाषाओं सहित भारतीय भाषाओं पर ध्यान दिया गया. इस संबंध में, अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाए जाने वाले 21 फरवरी को भी इस अभियान के साथ जोड़ा गया था. यह दिन देशभर में बच्चों को अपनी मातृभाषा/स्थानीय भाषा में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए 'कहानी पढ़ो अपनी भाषा मेंगतिविधि के साथ मनाया गया.यह अभियान आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता मिशन के दृष्टिकोण और लक्ष्यों के भी अनुरूप था.

 

साक्षरता और संख्यात्मकता मिशन क्या है?

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 2021 में समग्र शिक्षा के अंतर्गत साक्षरता और संख्यात्मकता पर 'बेहतर समझ और संख्यात्मक ज्ञान के साथ पढ़ाई में प्रवीणता हेतु राष्ट्रीय पहल-निपुण भारत मिशन 2011’ नामक एक राष्ट्रीय मिशन का शुभारंभ किया. इस मिशन का उद्देश्य प्राथमिक कक्षाओं में सार्वभौमिक आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता हासिल करना है. मिशन के दिशानिर्देश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए कक्षा 3 तक हर बच्चे के लिए आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता में प्रवीणता का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्राथमिकताएं और कार्रवाई योग्य एजेंडा निर्धारित करते हैं. मिशन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं, जिनमें विकास लक्ष्यों का संहिताकरण और 3 से 9 वर्ष की आयु के लिए शिक्षण निष्कर्ष और बालवाटिका से ग्रेड III तक आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता के लक्ष्य शामिल हैं.

इसे हासिल करने के लिए, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्राथमिक स्तर पर लगभग 25 लाख शिक्षकों को शामिल करते हुए सितंबर, 2021 में आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता के लिए 'स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र प्रगति के लिए विशिष्ट राष्ट्रीय पहल (निष्ठा 3.0)’  की शुरुआत की गई.राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कहा गया है कि 'हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता वर्ष 2026-27 तक प्राथमिक विद्यालयों में सार्वभौमिक आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता हासिल करना होनी चाहिए. यदि यह सबसे मूलभूत शिक्षा (अर्थात बुनियादी स्तर पर पढ़ना, लिखना और अंकगणित) पहले हासिल नहीं की जाती, तो इस नीति का शेष हिस्सा हमारे छात्रों के इतने बड़े भाग के लिए काफी हद तक अप्रासंगिक हो जाएगा.’

 

संकलन : अनुजा भारद्वाजन और अनीषा बनर्जी

स्रोत : पीआईबी/एमओई/ट्विटर