परीक्षा पे चर्चा 2022
परीक्षा की बात प्रधानमंत्री के साथ
एक अप्रैल 2022 को आयोजित, परीक्षा पे चर्चा (पीपीसी) के 5वें संस्करण में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की. बातचीत से पहले प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर छात्रों के प्रदर्शनों का निरीक्षण किया. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, डॉ. सुभाष सरकार, डॉ. राजकुमार रंजन सिंह और श्री राजीव चंद्रशेखर सहित राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों, शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों की वर्चुअल तौर पर उपस्थिति थी.
· प्रधानमंत्री ने पीपीसी के 5वें संस्करण में एक नई प्रथा की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा जो प्रश्न शामिल नहीं किए जा सके, नमो ऐप पर वीडियो, ऑडियो या टेक्स्ट मैसेज के जरिए उनके उत्तर दिए जाएंगे.
· परीक्षा को लेकर तनाव और दबाव के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा 'एक तरह से आप परीक्षा-प्रमाणित हैं.’ पिछली परीक्षाओं से उन्हें जो अनुभव मिला है, उससे उन्हें आगामी परीक्षाओं से निपटने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि अध्ययन का कुछ हिस्सा छूट सकता है, लेकिन उन्हें इस पर जोर न देने के लिए कहा. उन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें अपनी तैयारी की ताकत पर ध्यान देना चाहिए और अपने दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या में तनावमुक्त और स्वाभाविक रहना चाहिए. दूसरों की नकल के रूप में कुछ भी करने की कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है, लेकिन अपनी दिनचर्या के साथ रहें और उत्सव की तरह निश्चिंतता से काम करें.
· यूट्यूब, आदि जैसे ध्यान भटकाने वाले कई ऑनलाइन माध्यमों के सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि समस्या ऑनलाइन या ऑफलाइन अध्ययन के तरीकों से नहीं है. ऑफलाइन अध्ययन में भी, मन बहुत भटक सकता है. उन्होंने कहा, 'यह माध्यम की नहीं बल्कि मन की समस्या है.’ उन्होंने कहा कि चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, जब मन पढ़ाई में लगा हो तो ध्यान भटकाने वाली चीजों से छात्रों को परेशानी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी विकसित होगी और छात्रों को शिक्षा में नई तकनीकों को अपनाना चाहिए. सीखने के नए तरीकों को एक अवसर के रूप में लिया जाना चाहिए, चुनौती के रूप में नहीं. ऑनलाइन आपके ऑफलाइन सीखने को बढ़ावा दे सकता है.
· एनईपी को स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक 'राष्ट्रीय’ शिक्षा नीति है न कि 'नई’ शिक्षा नीति. उन्होंने कहा कि विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद नीति का मसौदा तैयार किया गया था. यह अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा. 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए परामर्श विस्तृत रहा है. इस पर पूरे भारत के लोगों से सलाह ली गई.’ उन्होंने आगे कहा, यह नीति सरकार ने नहीं बल्कि नागरिकों, छात्रों और इसके शिक्षकों ने देश के विकास के लिए बनाई है.
· उन्होंने कहा कि 20वीं सदी की शिक्षा प्रणाली और अवधारणा 21वीं सदी में हमारे विकास पथ को निर्धारित नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि अगर हम बदलती प्रणालियों के साथ विकसित नहीं हुए तो हम पीछे छूट जाएंगे और पीछे की ओर चले जाएंगे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति किसी के जुनून का अनुसरण करने का अवसर देती है. उन्होंने ज्ञान के साथ कौशल के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हिस्से के रूप में कौशल को शामिल करने का यही कारण है.
· प्रधानमंत्री ने विषयों के चुनाव में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) द्वारा प्रदान किए गए लचीलेपन के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि एनईपी के उचित क्रियान्वयन से नए अवसर तैयार होंगे. उन्होंने पूरे देश के स्कूलों से छात्रों द्वारा आविष्कृत नई तकनीकों को लागू करने के नए तरीके खोजने का आग्रह किया.
· प्रधानमंत्री ने अभिभावकों और शिक्षकों से कहा कि वे अपने सपनों को छात्रों पर थोपें नहीं. प्रधानमंत्री ने कहा, 'शिक्षकों और अभिभावकों के अधूरे सपनों को छात्रों पर नहीं थोपा जा सकता. प्रत्येक बच्चे के लिए अपने सपनों को पूरा करना महत्वपूर्ण है’ उन्होंने माता-पिता और शिक्षकों से यह स्वीकार करने का आग्रह किया कि प्रत्येक छात्र में कोई न कोई विशेष क्षमता होती है और उसका पता लगाना चाहिए.
· कैसे प्रेरित रहें और सफल हों, इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा, 'प्रेरणा के लिए कोई इंजेक्शन या फॉर्मूला नहीं है. इसके बजाय, अपने आप को बेहतर तरीके से खोजें और पता करें कि आपको किससे खुशी मिलती है और वही काम करें.’ उन्होंने छात्रों से उन चीजों की पहचान करने के लिए कहा जो उन्हें स्वाभाविक रूप से प्रेरित करती हैं, उन्होंने इस प्रक्रिया में स्वायत्तता पर जोर दिया और छात्रों से कहा कि वे अपने संकटों के लिए सहानुभूति प्राप्त करने का प्रयास न करें. उन्होंने छात्रों को अपने आस-पास देखने की सलाह दी कि कैसे बच्चे, दिव्यांग और प्रकृति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं. उन्होंने कहा, 'हमें अपने परिवेश के प्रयासों और शक्तियों का निरीक्षण करना चाहिए और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए.’ उन्होंने अपनी पुस्तक एग्जाम वॉरियर से यह भी याद किया कि कैसे 'परीक्षा’ के लिए एक पत्र लिखकर और अपनी ताकत व तैयारी के साथ परीक्षा को चुनौती देकर प्रेरित महसूस किया जा सकता है.
· प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर चीजों को पूरे ध्यान से सीखा जाएगा तो कुछ भी नहीं भुलाया जा सकेगा. उन्होंने छात्र से वर्तमान में जीने को कहा. वर्तमान के बारे में यह सचेतनता उन्हें बेहतर ढंग से सीखने और याद रखने में मदद करेगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान बेहद महत्वपूर्ण होता है और जो वर्तमान में जीता है और उसे पूरी तरह से समझता है वह जीवन का अधिकतम लाभ उठाता है. उन्होंने उनसे स्मृति की शक्ति को संजोने और उसका विस्तार करते रहने को कहा. उन्होंने यह भी कहा कि एक स्थिर दिमाग चीजों को याद करने के लिए सबसे उपयुक्त है.
· प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी के प्रयास के परिणाम का मूल्यांकन करना और समय कैसे व्यतीत किया जा रहा है, इसका मूल्यांकन करना अच्छा है. उन्होंने कहा कि आउटपुट और परिणाम का विश्लेषण करने की यह आदत शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. उन्होंने कहा कि अक्सर हम उन विषयों के लिए अधिक समय देते हैं जो हमारे लिए आसान और रुचिकर होते हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए 'मन, दिल और शरीर के साथ होने वाली धोखाधड़ी’ पर काबू पाने के लिए सोच-समझकर प्रयास करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, 'ऐसी चीजें करें जो आपको पसंद हों और तभी आपको अधिकतम परिणाम मिलेगा.’
· प्रतियोगी परीक्षाओं और बोर्ड परीक्षा के लिए अध्ययन की मांगों को कैसे संभालना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा के लिए पढ़ना गलत है. उन्होंने कहा कि अगर कोई पूरे मन से पाठ्यक्रम का अध्ययन करता है, तो अलग-अलग परीक्षाएं मायने नहीं रखती हैं. उन्होंने कहा कि परीक्षा उत्तीर्ण करने के बजाय विषय में महारत हासिल करने का लक्ष्य रखना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि एथलीट खेल के लिए प्रशिक्षण लेते हैं न कि प्रतियोगिता के लिए. उन्होंने कहा, 'आप एक विशेष पीढ़ी के हैं. हां, प्रतिस्पर्धा अधिक है लेकिन अवसर भी अधिक हैं. उन्होंने छात्र से प्रतियोगिता को अपने समय का सबसे बड़ा उपहार मानने के लिए कहा.
· जब एक अभिभावक ने प्रधानमंत्री से पूछा कि ग्रामीण लड़कियों के उत्थान में समाज कैसे योगदान दे सकता है, श्री मोदी ने कहा कि जब से लड़कियों की शिक्षा को नजरअंदाज किया गया तब से लेकर अब तक स्थिति में काफी बदलाव आया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि लड़कियों की उचित शिक्षा सुनिश्चित किए बिना कोई भी समाज सुधार नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि बेटियों के अवसरों और सशक्तिकरण को संस्थागत बनाया जाना चाहिए. बेटियां हमारी मूल्यवान धरोहर बन रही हैं और यह बदलाव स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के वर्ष में, स्वतंत्र भारत के इतिहास में भारत में सबसे अधिक संसद सदस्य हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, 'बेटी परिवार की ताकत होती है. जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हमारी नारी शक्ति को उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए देखने से बेहतर और क्या हो सकता है.
· नई पीढ़ी को पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान के लिए क्या करना चाहिए? और अपनी कक्षा एवं पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा कैसे बनाया जाए. प्रधानमंत्री ने छात्रों को धन्यवाद दिया और इस देश को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने का श्रेय उन्हें दिया. बच्चों ने विरोधियों की अवहेलना की और प्रधानमंत्री की स्वच्छता की प्रतिज्ञा को सही मायने में समझा. उन्होंने 'पी3 मूवमेंट’- प्रो प्लैनेट पीपल एंड लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट- लाइफ के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि हमें 'यूज एंड थ्रो’ संस्कृति से दूर होकर सर्कुलर इकोनॉमी की जीवनशैली की ओर बढ़ना होगा.
· प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम का संचालन करने वाले छात्रों के कौशल और आत्मविश्वास की सराहना की. उन्होंने दूसरों में गुणों की सराहना करने और उनसे सीखने की क्षमता विकसित करने की आवश्यकता को दोहराया. हमें ईर्ष्या के बजाय सीखने की प्रवृत्ति रखनी चाहिए. जीवन में सफलता के लिए यह क्षमता महत्वपूर्ण है.
· व्यक्तिगत टिप्पणी के साथ अपने वक्तव्य का समापन किया कि उनके लिए पीपीसी बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जब वे युवा छात्रों के साथ बातचीत करते हैं तो वे खुद को 50 साल छोटा महसूस करते हैं. 'मैं आपकी पीढ़ी के साथ जुड़कर आपसे सीखने की कोशिश करता हूं. जैसे-जैसे मैं आपसे जुड़ता हूं, मुझे आपकी आकांक्षाओं और सपनों की झलक मिलती है और मैं अपने जीवन को उसके अनुसार ढालने की कोशिश करता हूं. इसलिए यह कार्यक्रम मुझे बढ़ने में मदद करता है. मुझे अपनी मदद करने और बढ़ने के लिए समय देने के लिए मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूं’.
(स्रोत : पत्र सूचना कार्यालय,
pmindia.gov.in)