डिजिटल भुगतान अवसंरचना
डिजिटल अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक
बी एस पुरकायस्थ
डिजिटल इंडिया क्रांति में अगला बड़ा कदम सरकार द्वारा अधिदेशित डिजिटल रुपये की शुरुआत होगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में आईआईटी बॉम्बे एलुमनी एसोसिएशन के अपने संबोधन में कहा था कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में इंटरनेट की पहुंच और बढ़ती आय के कारण 2030 तक 800 अरब की व्यापक वृद्धि होने की उम्मीद है. एक बार फिर से, पिछले महीने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भीम-यूपीआई देश में पसंदीदा भुगतान मोड के रूप में उभरा है और जनवरी 2022 में 8.31 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 461.71 करोड़ से अधिक डिजिटल भुगतान लेनदेन का रिकॉर्ड हासिल किया है. इससे पहले, मंत्री ने ट्वीट किया था कि भारत ने 2020 में 25.4 अरब डिजिटल लेनदेन दर्ज किए- जो कि चीन में 15.7 अरब डिजिटल लेनदेन की तुलना में 1.6 गुना और संयुक्त राज्य अमरीका में हुए 1.2 अरब लेनदेन से 21 गुना अधिक हैं.
ये बयान देश के विकास में डिजिटल अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से डिजिटल भुगतान के बुनियादी ढांचे का महत्व उजागर करते हैं. भारत का डिजिटल उपभोक्ता आधार दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में दूसरी सबसे तेज दर से बढ़ रहा है. इसका समावेशी डिजिटल मॉडल देश के भीतर डिजिटल विभाजन को कम कर रहा है और लोगों के सभी वर्गों तक प्रौद्योगिकी का लाभ पहुंचा रहा है. देश फिनटेक और डिजिटल भुगतान नवाचार में विश्व में अग्रणी के रूप में उभरा है. आज इसके 6,300 से अधिक फिनटेक हैं, जिनमें से 28 प्रतिशत निवेश प्रौद्योगिकी में, 27 प्रतिशत भुगतान में, 16 प्रतिशत उधार में, और 9 प्रतिशत बैंकिंग बुनियादी ढांचे में हैं, जबकि 20 प्रतिशत से अधिक अन्य क्षेत्रों में हैं. आम भारतीय ने डिजिटल भुगतान को अपनाकर फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र में अत्यधिक विश्वास दिखाया है और यह उचित रूप से माना जा सकता है कि हम इस क्षेत्र में बड़ी प्रगति करना जारी रखेंगे.
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा
भारत में डिजिटल भुगतान परिदृश्य में नए उत्पादों की एक शृंखला देखी जा सकती है, जिनमें से प्रत्येक, अन्य की तुलना में अधिक परिवर्तनकारी है. भारतीय उपभोक्ताओं ने भी हर नई भुगतान प्रणाली को अपनाया है, जिससे डिजिटल प्रौद्योगिकी के प्रति उनकी गहरी रुचि प्रदर्शित होती है, और डिजिटल भुगतान बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास हुआ है. पिछले तीन वर्षों के दौरान देश में डिजिटल भुगतान लेनदेन में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है. आसान और सुविधाजनक डिजिटल भुगतान मोड जैसे भारत इंटरफेस फॉर मनी-यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (भीम-यूपीआई), तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस), प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई), एनईटीसी (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन) ने पर्याप्त वृद्धि दर्ज की है और व्यक्ति से व्यक्ति (पी 2 पी) और व्यक्ति से व्यापारी (क्क२रू) भुगतानों को बढ़ाकर डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र का कायाकल्प कर दिया है. इसी समय, मौजूदा भुगतान मोड जैसे डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, एनईएफटी (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर), आरटीजीएस (रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) भी तेज गति से बढ़े हैं.
पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान देश में किए गए डिजिटल भुगतानों की कुल संख्या नीचे दी गई है:
वित्तीय वर्ष डिजिटल लेनदेन की कुल संख्या डिजिटल लेनदेन का कुल मूल्य
(करोड़ रुपये में)प्त (लाख करोड़ रुपये में)प्त
2018-19 3134 2482
2019-20 4572 2953
2020-21 5554 3000
2021-22* 6754 2266
स्रोत: आरबीआई, एनपीसीआई और बैंक
प्त नोट: डिजिटल भुगतान मोड पर विचार किया गया: भीम-यूपीआई, आईएमपीएस, एनएसीएच, एईपीएस, एनईटीसी, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, एनईएफटी, आरटीजीएस, पीपीआई और अन्य.
* अनंतिम डेटा (6 फरवरी, 2022 तक)
उपर्युक्त विवरण से पता चलता है कि चार वर्ष की अवधि में पंजीकृत डिजिटल लेनदेन की संख्या में 115 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और आरबीआई से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, सात वर्षों की अवधि में 2020-21 के दौरान समग्र डिजिटल लेनदेन में 19 गुना वृद्धि हुई है. इसके अलावा, आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान अंतर-बैंक लेनदेन ने पिछले चार वर्षों में नौ गुना वृद्धि दर्ज की है.भारत का स्वयं भुगतान प्लेटफॉर्म-यूपीआई देश के पसंदीदा डिजिटल भुगतान विकल्प के रूप में उभरा है, जिसमें वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 22 अरब से अधिक लेनदेन पंजीकृत हैं, जो पिछले तीन वर्षों में चार गुना वृद्धि दर्शाते है. वास्तव में, दुनियाभर के कई देश अपने-अपने यहां यूपीआई की सफलता का अनुकरण करने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई), जिसने यूपीआई विकसित किया, ने कहा कि नेपाल भारत के बाहर पहला देश होगा जिसने यूपीआई को अपने डिजिटल भुगतान मंच के रूप में अपनाया है. जुलाई 2022 तक, भारतीय रिजर्व बैंक यूपीआई को मोनेटरी अथॉरिटी ऑफ सिंगापुर (एमएएस) के भुगतान ऐप पे-नॉव से जोड़ देगा, जिससे भारत और सिंगापुर के बीच सीमा पार से तत्काल भुगतान की, कम लागत वाली सुविधा कायम होगी.
डिजिटल भुगतान के लाभ
I. भुगतान का त्वरित और सुविधाजनक तरीका: नकद के विपरीत, भीम-यूपीआई, आईएमपीएस जैसे डिजिटल मोड का उपयोग करके तुरंत लाभार्थी के खाते में पैसा अंतरित किया जा सकता है. इसके अलावा, भीम-यूपीआई मोड का उपयोग करके, कोई भी मोबाइल फोन के माध्यम से वीपीए (वर्चुअल प्राइवेट एड्रेस) नामक ईमेल प्रकार के पते के साथ डिजिटल लेनदेन को कार्यान्वित कर सकता है.
II. वित्तीय समावेशन में वृद्धि: डिजिटल भुगतान को कार्यान्वित करने के लिए, किसी भी व्यक्ति को बैंक खाते की आवश्यकता होती है जहां से वह भुगतान कर सके या स्वीकार कर सके. इसलिए, डिजिटल भुगतान को अपनाकर, अधिक बैंक रहित व्यक्तियों को बैंकिंग प्रणाली के अंतर्गत लाया जाता है.
III. कोविड-19 महामारी के दौरान बढ़ी स्वीकार्यता: कोविड-19 महामारी ने हमें डिजिटल भुगतान का लाभ और स्वास्थ्य सेवा को सक्षम बनाने में इसकी भूमिका के बारे में सिखाया है. यूपीआई क्यूआर कोड, एनएफसी (नियर फील्ड कम्युनिकेशन) सक्षम कार्ड जैसे संपर्क रहित माध्यम डिजिटल भुगतान में सामाजिक दूरी के ''नए सामान्य” को प्रोत्साहित कर रहे हैं. महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के दौरान, डिजिटल भुगतान ने अर्थव्यवस्था को ऑनलाइन भुगतान में कई गुना उछाल के साथ चालू रखने में मदद की है.
IV. भुगतान में नवाचार को बढ़ावा देना: भीम-यूपीआई के तहत अनेक मानक एपीआईज (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) के एक सेट का उपयोग किया जा रहा है ताकि स्मार्टफोन अपनाने में बढ़ोतरी, इंडियन लैंग्विज इंटरफेस और इंटरनेट तथा डेटा तक सार्वभौमिक पहुंच जैसी प्रवृत्तियों का लाभ अगली पीढ़ी के ऑनलाइन तत्काल भुगतान की सुविधा के लिए उठाया जा सके.
V. राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (एनईटीसी): राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (एनईटीसी) प्रणाली ग्राहक को आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक का उपयोग करके टोल पर रुके बिना राजमार्ग पर एनईटीसी सक्षम टोल प्लाजा पर इलेक्ट्रॉनिक भुगतान करने में सक्षम बनाती है. एनईटीसी लेनदेन की संख्या अप्रैल 2017 के 74.1 लाख से बढ़कर जनवरी 2022 में 2,310.1 लाख हो गई है.
VI. भारत बिल भुगतान प्रणाली: भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, मोबाइल ऐप, भीम-यूपीआई आदि, कई चैनलों के माध्यम से उपभोक्ताओं को एक अंतर-प्रचालनीय और सुगम बिल भुगतान सेवा प्रदान करती है. वर्तमान में, भारत भर से 20 श्रेणियों के बिलर्स को बीबीपीएस पर जोड़ा जा रहा है. बीबीपीएस ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति की है. बीबीपीएस लेनदेन की संख्या अक्टूबर 2017 की 7.6 लाख से बढ़कर जनवरी 2022 में 627.1 लाख हो गई है.
VII. क्यूआर कोड प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाना: विमुद्रीकरण के बाद, क्यूआर कोड के लिए स्वीकृति बुनियादी ढांचे में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है. नतीजतन, क्यूआर आधारित भुगतान तेजी से बढ़ रहे हैं. सेवाओं, ईंधन, किराना, भोजन, यात्रा और कई अन्य श्रेणियों के बिलों का भुगतान करने के लिए कोई भी क्यूआर कोड स्कैन कर सकता है.
VIII. बेहतर गति और समय पर डिलीवरी: नकद भुगतान के विपरीत, डिजिटल भुगतान वस्तुत: तात्कालिक हो सकता है, भले ही प्रेषक और प्राप्तकर्ता एक ही शहर, जिले या देश में न भी हों.
XI. सरकारी प्रणाली में बढ़ी पारदर्शिता: पहले, विशेष रूप से सामाजिक सुरक्षा लाभों के संदर्भ में सरकारी अंतरण के तहत, नकद भुगतान, ''लीकेज” (यानी पूरी राशि प्राप्तकर्ता तक नहीं पहुंचती थी) और ''घोस्ट” (यानी नकली प्राप्तकर्ताओं) का शिकार हो जाते थे. परन्तु, अब डिजिटल भुगतान के माध्यम से लाभ सीधे लक्षित लाभार्थी के खाते में अंतरित (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) किए जाते हैं. वित्त वर्ष 2021-2022 के दौरान 312 योजनाओं के तहत 4.6 लाख करोड़ रुपये मूल्य का लेनदेन डीबीटी के माध्यम से किया गया है.
X. सुरक्षित और संरक्षित: नकद भुगतान प्राप्त करने वालों को न केवल अक्सर अपने भुगतान प्राप्त करने के लिए काफी दूरी तय करनी पड़ती है, बल्कि उनके, विशेष रूप से चोरी हो जाने की आशंका रहती है, जबकि डिजिटल भुगतान अधिक सुरक्षित होते हैं-जिनमें लेनदेन से पूर्व प्रमाणीकरण के कई स्तर होते हैं.
XI. डिजिटल भुगतान का वैश्वीकरण: स्वदेश में विकसित भारत का भीम-यूपीआई (भारत इंटरफेस फॉर मनी-यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) और रुपे कार्ड, डिजिटल भुगतान को कार्यान्वित करने के लिए विश्वस्तरीय प्लेटफॉर्म हैं. वैश्विक प्रौद्योगिकी-दिग्गज, गूगल ने अमरीकी फेडरल रिजर्व से अनुशंसा की है कि डिजिटल भुगतान के मामले में भारत के यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म को भी अपनाया जा सकता है.
XII. ऋण सुविधाएं: डिजिटल भुगतान ऋण सहित औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक नागरिकों की पहुंच बढ़ाते हैं. छोटे पैमाने के उद्यमियों की अक्सर औपचारिक ऋण तक सीमित पहुंच होती है. बैंक और नई ऋण देने वाली कंपनियां डिजिटल लेनदेन इतिहास की समीक्षा करने और नागरिकों को ऋण प्रदान करने में सक्षम हैं.
XIII. फिनटेक को बढ़ावा देना: फिनटेक ने पारदर्शी, सुरक्षित, त्वरित और किफायती तंत्र कायम करते हुए डिजिटल लेनदेन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे समूचे डिजिटल भुगतान परिवेश को लाभ पहुंचा है. फिनटेक ने पर्सन टू पर्सन (पी2पी) के साथ-साथ पर्सन टू मर्चेंट (पी2एम) भुगतान को बढ़ावा देते हुए डिजिटल भुगतान परिदृश्य को बदल दिया है.
ग्रामीण भारत में डिजिटल अंतराल दूर करना: डिजिटल सेवाओं के इस समूचे परिदृश्य का केन्द्र बिन्दु मोबाइल फोन के माध्यम से डिजिटल लेनदेन है. परन्तु, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, लोगों का एक बड़ा वर्ग है, जो ऑनलाइन लेनदेन की सुविधा के लिए सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससीज) पर निर्भर हैं. ये ऑनलाइन लेनदेन कई तरह की सेवाओं में होते हैं लेकिन ये सभी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क पर चलते हैं. 2017-18 से 2019-20 के दौरान सामान्य सेवा केंद्रों में उपलब्धव प्रमुख सेवाओं का विवरण नीचे दिया गया है:
सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससीज) में किए गए लेनदेन (संख्या लाख में)
सेवा का प्रकार 2017-18 2018-19 2019-20
बीसीए बैंकिंग (बिजनेस कॉरस्पंडेंट एजेंट) 522.20 710.37 810.31
डिजीपे + डीएमटी (घरेलू धन हस्तांतरण) 422.14 350.96 224.33
बीमा (नया व्यवसाय) 3.49 6.59 15.24
बीमा (नवीकरण) 11.77 16.74 22.19
पैन- आवेदन 86.00 71.97 80.84
ईपीआईसी प्रिन्टिंग 26.24 23.26 12.97
भारत बिल पेमेंट सिस्टम (बीबीपीएस) 3.30 12.82 9.93
एफएसएसएआई 3.94 7.03 4.48
बिजली बिल भुगतान 56.40 96.18 164.20
पासपोर्ट अप्लीाकेशन 3.18 4.06 4.53
ई-टिकट 0.31 3.73 12.46
स्वच्छ भारत अभियान (अप्लीकेशन) 3.68 3.13 2.01
एनपीएस और एपीवाई (अटल पेंशन योजना) 0.31 0.27 1.08
ई-रिचार्ज 76.52 39.32 47.15
आईआरसीटीसी टिकट बुकिंग 2.33 5.93 11.43
अन्य टूअर्स और ट्रैवल्स 1.79 3.34 2.02
स्रोत : सीएससी पोर्टल
ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न उपाय किए गए गए हैं, जिनमें भीम आधार, एईपीएस और *99# जैसी सुविधाजनक डिजिटल भुगतान प्रणालियों की शुरुआत शामिल है. *99# एनपीसीआई की एक यूएसएसडी (अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डेटा) आधारित मोबाइल बैंकिंग सेवा है. बैंकिंग ग्राहक अपने मोबाइल फोन पर *99# डायल करके इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं और मोबाइल स्क्रीन पर प्रदर्शित एक इंटर-एक्टिव मेनू के माध्यम से लेनदेन कर सकते हैं (केवल लाइव टीएसपीज के लिए उपलब्ध). *99# सर्विस के तहत दी जाने वाली प्रमुख सेवाओं में अंतरबैंक खाता धन संप्रेषण और प्राप्ति, शेष राशि की पूछताछ, यूपीआई पिन सेट करना/बदलना और अन्य सेवाएं शामिल हैं. *99# सेवा वर्तमान में 83 अग्रणी बैंकों और सभी जीएसएम सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जाती है और इसे हिंदी और अंग्रेजी सहित 13 विभिन्न भाषाओं में एक्सेस किया जा सकता है. *99# सेवा विशिष्ट अंतर-संचालित प्रत्यक्ष उपभोक्ता सेवा है जो बड़े पैमाने पर ग्राहकों को मोबाइल फोन (बेसिक और स्मार्टफोन) पर बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए एक अद्वितीय मंच है जो विविध पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारों, जैसे बैंकों और टीएसपीज (दूरसंचार सेवा प्रदाताओं) को एक साथ लाती है.
ग्रामीण भारत में डिजिटल भुगतान को सर्वव्यापी बनाने और देश को ''कम-नकदी” आधारित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के लिए, सरकार जागरूकता उपायों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है. ये हैं:-
1. प्रधान मंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा): इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने ग्रामीण भारत में डिजिटल साक्षरता के लिए पीएमजीदिशा की शुरुआत की है. पीएमजीदिशा योजना के तहत दिए जाने वाले प्रशिक्षण में डिजिटल भुगतान के विभिन्न तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करना शामिल है.
2. डिजिटल भुगतान जागरूकता शिविर: आरबीआई ने बैंकों को सलाह दी है कि वे अपने वित्तीय साक्षरता केंद्रों (एफएलसी) के माध्यम से यूपीआई और *99प्त (यूएसएसडी) के ज़रिए ''गोइंग डिजिटल” के बारे में प्रति माह दो शिविरों का आयोजन करें और विभिन्न लक्षित समूहों जैसे किसान, सूक्ष्म और लघु उद्यमी, स्कूली बच्चे, स्वयं सहायता समूह और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष शिविर आयोजित किए जाएं. बैंकों की ग्रामीण शाखाओं को डिजिटल भुगतान पर प्रति माह एक शिविर आयोजित करने की आवश्यकता है.
3. वित्तीय साक्षरता केंद्र (सीएफएल) परियोजना: वित्तीय साक्षरता पर विशेष ध्यान देने के लिए ब्लॉक स्तर पर वित्तीय साक्षरता केंद्र स्थापित किया गया है. यह प्रायोगिक परियोजना रिजर्व बैंक ने शुरू थी और इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में विस्तारित किया जा रहा है. डिजिटल भुगतान के बारे में जागरूकता, इस परियोजना के तहत शामिल प्रमुख क्षेत्रों में से एक है.
4. वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण कार्यक्रम: ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय साक्षरता और डिजिटल भुगतान के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए गए हैं.
5. आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस): एईपीएस और भीम-आधार ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को सक्षम बना रहे हैं. एनपीसीआई ने ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन के विस्तार के लिए, संपर्क रहित एईपीएस को बढ़ावा देने के वास्ते फेस ऑथेंटिकेशन और आईआरआईएस आधारित एईपीएस का संचालन प्रायोगिक आधार पर किया है.
डिजिटल फ्रॉड की आशंका
जैसे-जैसे डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन लेनदेन आम हो गए हैं, डिजिटल धोखाधड़ी की आशंका भी वास्तविक है. रिजर्व बैंक जैसे नियामक निकायों के साथ सरकार ने विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्मों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं. इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम, (सीईआरटी-इन), सुरक्षित डिजिटल लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम साइबर खतरों और प्रतिरोधी-उपायों के बारे में अलर्ट और सलाह जारी करती है. सीईआरटी-इन फ़िशिंग वेबसाइटों को ट्रैक और अक्षम करने और धोखाधड़ी गतिविधियों की जांच की सुविधा के लिए सेवा प्रदाताओं, नियामकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) के साथ समन्वय में काम करती है. उपयोगकर्ताओं के लिए उनके डेस्कटॉप, मोबाइल/स्मार्ट फोन को सुरक्षित करने और फ़िशिंग हमलों को रोकने के लिए सुरक्षा युक्तियां प्रकाशित की जाती हैं. देश में पीपीआई जारी करने वाली सभी अधिकृत संस्थाओं/बैंकों को सीईआरटी-इन द्वारा आरबीआई के माध्यम से सीईआरटी-इन के पैनलबद्ध लेखा परीक्षकों से प्राथमिकता के आधार पर विशेष ऑडिट करने और उसके बाद ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों का अनुपालन करने और सुरक्षा संबंधी सर्वोत्तम प्रथाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की सलाह दी गई है.
सीईआरटी-इन ने मौजूदा और संभावित साइबर सुरक्षा खतरों के बारे में आवश्यक स्थितिजन्य जागरूकता पैदा करने के लिए राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (एनसीसीसी) की भी स्थापना की है. सीईआरटी-इन वित्तीय क्षेत्र से रिपोर्ट की गई साइबर सुरक्षा घटनाओं के जवाब, नियंत्रण और शमन के लिए कंप्यूटर सिक्योबरिटी इंसिडेंट रेस्पांनस टीम-फिनांस सेक्टर (सीएसआईआरटी-फिन) के संचालन के लिए आवश्यक नेतृत्व प्रदान करता है.
डिजिटल भुगतान सुरक्षित करना
आरबीआई ने डिजिटल भुगतान लेनदेन (कार्ड लेनदेन सहित) की सुरक्षा बढ़ाने और धोखाधड़ी से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं. इनमें ग्राहकों को प्रदान किए जा रहे विभिन्न लाभ (लेन-देन की बढ़ी हुई सुरक्षा, शिकायत निवारण तंत्र में दक्षता आदि के संदर्भ में) भी शामिल हैं. बैंकों को सूचित किया गया है कि वे बैंक की अपनी जोखिम धारणा के आधार पर लेनदेन सीमा, लेनदेन वेग सीमा, धोखाधड़ी जांच और ऐसे ही अन्य उचित जोखिम शमन उपाय करे.डिजिटल लेनदेन से संबंधित सेवाओं में कमी के खिलाफ शिकायतों के निवारण के लिए लोकपाल तंत्र प्रदान करने के लिए, आरबीआई ने सार्वजनिक हित में और भुगतान प्रणालियों से संबंधित व्यवसाय के निष्पक्ष संचालन के हित में 'डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना, 2019’ भी शुरू की है. इसके अलावा, 50 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक कारोबार वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए अनिवार्य किया गया है कि वे अपने ग्राहकों को भुगतान के कम लागत वाले डिजिटल मोड की पेशकश करेंगे और ग्राहकों के साथ-साथ व्यापारियों पर भी इसके लिए कोई शुल्क या मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) नहीं लगाएंगे. 1 जनवरी, 2020 से रुपे डेबिट कार्ड; भीम-यूपीआई; और यूपीआई क्यूआर कोड/भीम-यूपीआई क्यूआर कोड के माध्यम से किए गए भुगतान पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) सहित सभी शुल्क; माफ कर दिए गए है.
डिजिटल रुपये का इंतजार
खुदरा वित्तीय लेनदेन को और अधिक सुविधाजनक बनाने से परे, डिजिटल भुगतान नेटवर्क का थोक, उच्च मूल्य वाले व्यावसायिक लेनदेन जैसे वाणिज्यिक भुगतान, संस्थागत वित्तीय हस्तांतरण या सरकारी वित्तीय सहायता पर गहरा प्रभाव पड़ा है. डिजिटल इंडिया क्रांति में अगला बड़ा कदम सरकार द्वारा अनिवार्य डिजिटल रुपये की शुरुआत होगी. केंद्रीय बजट 2022 के अपने भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि भारतीय रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 22-23 में एक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) प्रारंभ करेगा. सीबीडीसी डिजिटल भुगतान तंत्र का एक और रूप होगा. आरबीआई द्वारा प्रवर्तित सीबीडीसी क्या आकार लेगा, यह अभी पता नहीं चल पाया है. परन्तु, केंद्रीय बैंक संचालित डिजिटल मुद्रा में स्पष्ट लाभ हैं, क्योंकि आज, देशों के बीच थोक भुगतान होता है, संस्थानों के बीच बड़े लेनदेन और विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच बड़े लेनदेन होते हैं, जो सभी डिजिटल मुद्रा के साथ बेहतर रूप से सक्षम होते हैं. सीबीडीसी में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करने की क्षमता है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता में कमी और लेन-देन लागत में कमी आने से सिक्का ढलाई मुनाफे में वृद्धि और निपटान जोखिम में कमी. इस प्रकार सीबीडीसी की शुरुआत संभवत: अधिक मजबूत, कुशल, विश्वसनीय, विनियमित और वैध मुद्रा-आधारित भुगतान विकल्प का कारण बन सकती है. बेशक, कुछ संबद्ध जोखिम हैं जिनका संभावित लाभों के संदर्भ में सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है.
नया डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र
इस बीच, सरकार डिजिटल भुगतान के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना जारी रखे हुए है. नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनआईएक्स आई) ने पेमेंट गेटवे सेवाओं की पेशकश के लिए पे-यू और एनएसडीएल के साथ साझेदारी की है. एनआईएक्सआई अपने सदस्यों और भागीदारों को डिजिटल भुगतान के विभिन्न तरीकों के माध्यम से सदस्यता, डोमेन पंजीकरण शुल्क और कंपनी की किसी भी अन्य सेवाओं के संबंध में भुगतान करने में सक्षम बनाने के लिए एक ऑनलाइन भुगतान संग्रह सेवा लागू कर रहा है. अपनी सभी ग्राहक-उन्मुख वेबसाइटों पर भुगतान गेटवे के इस एकीकरण से वास्तविक समय भुगतान की पेशकश, निर्बाध सेवाएं प्रदान करने और सभी हितधारकों को निर्बाध अनुभव सुनिश्चित करने के द्वारा एनआईएक्सआई के ग्राहकों के लिए उपयोग में आसानी होगी. पेमेंट गेटवे बाजार मुख्य रूप से ई-कॉमर्स सेवाओं और ऑनलाइन भुगतान अनुप्रयोगों की बढ़ती पहुंच से प्रेरित है. फोनपे, पेटीएम, मोबिक्विक और अन्य मोबाइल भुगतान एप्लिकेशन तकनीकी प्रगति के साथ-साथ विकास को गति दे रहे हैं जो डिजिटल भुगतान को आसान और सुरक्षित बनाते हैं.इलेक्ट्रॉनिक बिल (ई-बिल) प्रसंस्करण प्रणाली का शुभारंभ इस संबंध में एक और दूरगामी पहल है. यह व्यापक पारदर्शिता लाने और भुगतान की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) और डिजिटल इंडिया इको-सिस्टम’ का हिस्सा है. ई-बिल पहल आपूर्तिकर्ताओं और ठेकेदारों को अपना दावा ऑनलाइन जमा करने की अनुमति देकर पारदर्शिता, दक्षता और फेसलेस-पेपरलेस भुगतान प्रणाली को बढ़ाएगी जो वास्तविक समय के आधार पर ट्रैक करने योग्य होगी.
डिजिटल अर्थव्यवस्था के सपने को साकार करना
भारत में एक मजबूत नियामक प्रणाली और बड़े मूल्य एवं खुदरा भुगतान की सुदृढ़ प्रणाली है जिसने इन भुगतान प्रणालियों में लेनदेन की मात्रा में तेजी से वृद्धि में योगदान दिया है. भारत के फिनटेक उद्योग, जो भारत में डिजिटल भुगतान क्रांति का स्रोत है, का संयुक्त मूल्यांकन अगले तीन वर्षों में बढ़कर 150 अरब डालर हो जाएगा. सरकार द्वारा ई-भुगतान में और मोबाइल नेटवर्क के मामले में डिजिटल बुनियादी ढांचे में भी पर्याप्त वृद्धि हुई है. देश को अब डिजिटल भुगतान को बढ़ाने के लिए कागजी समाशोधन की मात्रा को कम करने और स्वीकृति के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए और प्रयास करने की आवश्यकता है.विमुद्रीकरण, सर्वव्यापी यूपीआई, मोबाइल वॉलेट और सुविधाजनक डिजिटल भुगतान समाधान ने वित्तीय लेनदेन के डिजिटलीकरण को प्रेरित किया है. स्मार्टफोन आज न केवल संचार या मनोरंजन के लिए एक उपकरण हैं, बल्कि भारतीयों के लिए मोबाइल बैंकों के रूप में दोहरा काम कर रहे हैं. जैसे-जैसे डिजिटल भुगतान रेखांकित चेक का स्थान लेते जाएंगे, और स्थानीय ऑनलाइन शॉपिंग, स्पर्श और अनुभव सौदेबाजी की जगह लेती जाएगी, तो यह डिजिटल भुगतान अवसंरचना है जो संपूर्ण क्रांति का आधार बनेगी.
डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की मजबूत नींव और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के माध्यम से विस्तारित डिजिटल पहुंच के साथ, भारत अब विकास के अगले चरण के लिए तैयार है - जबरदस्त आर्थिक मूल्य का निर्माण और नागरिकों का सशक्तिकरण, क्योंकि नए डिजिटल एप्लिकेशन एक-एक करके, सभी सेक्टरों में व्याप्त हो रहे हैं. मैकिन्से की रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल अर्थव्यवस्था से 2025 तक 6 से 6.5 करोड़ तक रोज़गार सृजित होने की संभावना है. डिजिटल इंडिया ने डिजिटल बुनियादी ढांचे और सेवाओं के लचीलेपन को साबित कर दिया है और भारत महामारी के बाद की दुनिया में एक अधिक आत्मविश्वास और अधिक आशावादी राष्ट्र के रूप में उभरा है. संभावित आर्थिक मूल्य का एक बड़ा हिस्सा वित्तीय सेवाओं, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, रसद, नौकरियों और कौशल बाजार, ई-गवर्नेंस और अन्य क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों में नए डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र से आ सकता है. आगे बढ़ते हुए, डिजिटलीकरण की तीव्र दर चुनौतियों के साथ-साथ अवसरों को भी प्रस्तुत करने वाली है. हम कितनी कुशलता से चुनौतियों को संचालित करते हैं और अवसरों का लाभ उठाते हैं, यह निर्धारित करेगा कि हम
5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण को कितनी जल्दी प्राप्त करते हैं.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और उनसे ideainks2020@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)
व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.