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विशेष लेख


अंक संख्या 01, 2-8 अप्रैल 2022

मानसिक स्वास्थ्य : सहायता के लिए बढ़ते हाथ

 

प्रत्येक वर्ष  7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. 1948 में पहली स्वास्थ्य सभा में इसकी स्थापना और 1950 में इसके प्रभावी होने के बाद से, इस आयोजन का उद्देश्य विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए महत्वपूर्ण और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को उजागर करने हेतु एक विशिष्ट स्वास्थ्य विषय के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना है.मानसिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य का एक अभिन्न और आवश्यक घटक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के संविधान में कहा गया है: 'स्वास्थ्य केवल बीमारी या दुर्बलता की अनुपस्थिति नहीं बल्कि पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक सेहत की स्थिति है’.  इस परिभाषा का एक महत्वपूर्ण तात्पर्य यह है कि मानसिक स्वास्थ्य केवल मानसिक विकारों या अक्षमताओं की अनुपस्थिति से कहीं अधिक है. मानसिक स्वास्थ्य वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य के सबसे उपेक्षित क्षेत्रों में से एक है. यह कोविड-19 (कोरोनावायरस) से पहले सत्य तो था, परंतु महामारी ने मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को और खराब कर दिया है.

मानसिक स्वास्थ्य केवल मानसिक विकार की अनुपस्थिति नहीं है. इसे अरोग्यता की स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का एहसास होता है, वे जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकते हैं, उत्पादक और फलदायी रूप से काम कर सकते हैं, और अपने समुदाय में सकारात्मक योगदान देने में सक्षम होते हैं. मानसिक स्वास्थ्य प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मानसिक सेहत से संबंधित गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला को संदर्भित करता है. मानसिक स्वास्थ्य का संबंध मानसिक सेहत को बढ़ावा देने, मानसिक विकारों की रोकथाम और मानसिक विकारों से प्रभावित लोगों के उपचार और पुनर्वास से भी है.आंकड़े चौंका देने वाले हैं. आज, लगभग एक अरब लोग मानसिक विकार के साथ जी रहे हैं और कम आय वाले देशों में, विकार वाले 75 प्रतिशत से अधिक लोगों को इलाज नहीं मिलता है. हर साल करीब 30 लाख लोगों की मादक द्रव्यों के सेवन से मौत हो जाती है. हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है. लगभग 50 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य विकार 14 वर्ष की आयु से शुरू होते हैं. यह अनुमान है कि 160 मिलियन से अधिक लोगों को संघर्षों, प्राकृतिक आपदाओं और अन्य आपात स्थितियों के कारण मानवीय सहायता की आवश्यकता है. ऐसे संकटों के दौरान मानसिक विकारों की दर दोगुनी हो सकती है. अनुमान है कि संघर्ष से प्रभावित 5 में से 1 व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति प्रभावित होती है. (https://blogs.worldbank.org/health/mental-health-lessons-learned-2020-2021-and-forward)

मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी के कई कारण हैं. पहला इसका किसी व्यक्ति पर दाग़ लगना, दूसरा मानसिक स्वास्थ्य विकारों की वास्तविक बीमारियों के विपरीत, एक 'विलासिता की वस्तुके रूप में धारणा होना है. अतिरिक्त शीर्ष कारणों में एक खंडित और पुराना सेवा मॉडल शामिल है. इनमें से कुछ में मुख्य रूप से मनोरोग अस्पतालों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था, निवारक मानसिक स्वास्थ्य सेवा की गंभीर कमी; नीति में बदलाव होना और मानव संसाधनों की कमी शामिल है.मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक विकारों के निर्धारकों में केवल व्यक्तिगत गुण, जैसे कि किसी के विचारों की अभिव्यक्ति, भावनाओं, व्यवहारों और दूसरों के साथ बातचीत को प्रबंधित करने की क्षमता अभिव्यक्ति शामिल हैं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय कारक जैसे कि राष्ट्रीय नीतियां, सामाजिक सुरक्षा, रहन-सहन के मानक, काम करने की स्थिति और सामुदायिक समर्थन शामिल होते हैं.

मानसिक स्वास्थ्य हमारी समग्र स्वास्थ्य स्थिति का एक अभिन्न अंग है. इस प्रकार, एक समग्र दृष्टिकोण का होना जरूरी होता है जो शरीर, मन और आत्मा के मजबूत संबंध को पहचानता है. अवसाद सहित मानसिक विकारों के बोझ को दूर करने के लिए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग 1982 से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू कर रहा है. एनएमएचपी के तहत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के हिस्से के रूप में, केंद्र सरकार निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डीएमएचपी) के कार्यान्वयन के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है:

i.            जिला स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली तक विभिन्न स्तरों पर  मानसिक स्वास्थ्य  सेवाएं, जिनमें बीमारी की रोकथाम, देखभाल को प्रोत्साहन और दीर्घकालिक सतत देखभाल शामिल है, प्रदान करना.

ii.         स्कूलों और कॉलेजों में आत्महत्या रोकथाम सेवाएं, कार्यस्थल तनाव प्रबंधन, जीवन कौशल प्रशिक्षण और परामर्श प्रदान करना.

iii.      मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए बुनियादी ढांचे, उपकरण और मानव संसाधन के मामले में संस्थागत क्षमता बढ़ाना.

iv.         मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण में सामुदायिक जागरूकता और भागीदारी को बढ़ावा देना.

एनएमएचपी की प्रकृति समावेशी है और इसमें एक एकीकृत, भागीदारी, अधिकार और साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण शामिल है. मानसिक स्वास्थ्य के चिकित्सा और गैर-चिकित्सीय पहलुओं को हल करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को व्यापक तरीके से संबोधित किया जाता है. एनएमएचपी के तहत पहचाने गए रणनीतिक क्षेत्र हैं, अन्य बातों के साथ-साथ प्रभावी शासन और जवाबदेही, मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, मानसिक विकारों और आत्महत्या की रोकथाम, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच, मानसिक स्वास्थ्य के लिए मानव संसाधनों की उपलब्धता में वृद्धि, सामुदायिक भागीदारी, अनुसंधान, निगरानी और मूल्यांकन. इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार की दृष्टि से, सरकार प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है. आयुष्मान भारत-एचडब्ल्यूसी योजना के तहत व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के तहत मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को पैकेज में जोड़ा गया है. आयुष्मान भारत के दायरे में स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों में मानसिक, न्यूरोलॉजिकल और पदार्थ उपयोग विकार  पर परिचालन दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. इन दिशा-निर्देशों के माध्यम से प्राथमिक स्तर पर समाज के सभी वर्गों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही हैं.

शिक्षा मंत्रालय ने 'मनोदर्पणनाम से एक सक्रिय पहल शुरू की है, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और परिवारों को मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक सेहत के लिए कोविड प्रकोप और उसके बाद मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है. छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों और चिंताओं की निगरानी और प्रोत्साहन तथा मानसिक स्वास्थ्य और मनो सामाजिक विषयों को संबोधित करने हेतु सहायता प्रदान करने के लिए परामर्श सेवाओं, ऑनलाइन संसाधनों और हेल्पलाइन के माध्यम से कोविड-19 के दौरान और उसके बाद के पहलुओं पर ध्यान देने के लिए शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक मामलों के विशेषज्ञों को सदस्यों के रूप में शामिल करते हुए एक कार्य समूह का गठन किया गया है.

'मनोदर्पणपहल में निम्नलिखित घटकों को शामिल किया गया है:

.           परिवारों के साथ-साथ स्कूल प्रणाली और विश्वविद्यालयों के छात्रों, शिक्षकों और संकायों के लिए परामर्शी दिशानिर्देश.

.           शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट (www.manodarpan.education.gov.in) पर वेब पेज जिसमें मनोवैज्ञानिक सहायता हेतु परामर्श, व्यावहारिक सुझाव, पोस्टर, वीडियो, क्या करें और क्या करें, अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और ऑनलाइन प्रश्न प्रणाली के लिए  शामिल हैं.

.            राष्ट्रीय स्तर का डेटाबेस और स्कूल तथा विश्वविद्यालय स्तर पर परामर्शदाताओं की निर्देशिका.

.           स्कूल, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्रों के लिए देशभर में पहुंच के लिए राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन (8448440632).

.            मनोसामाजिक सहायता पर पुस्तिका: छात्रों के जीवन कौशल और भलाई को समृद्ध करना

.           वेबिनार, वीडियो, पोस्टर, फ़्लायर्स, कॉमिक्स और लघु फिल्मों सहित श्रव्य-दृश्य संसाधन, भौतिक और रचनात्मक कल्याण पर अन्य मंत्रालयों/ विभागों के संसाधनों के अभिसरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य के आवश्यक अंग हैं.

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने देशभर के स्कूली छात्रों को उनकी चिंताओं को साझा करने में मदद करने के लिए अप्रैल 2020 में 'स्कूली बच्चों के लिए एनसीईआरटी परामर्श सेवाएंशुरू की. यह सेवा देश के विभिन्न क्षेत्रों में नि:शुल्क प्रदान की जाती है. कक्षा 1 से 12 तक के -विद्या डीटीएच-टीवी चैनलों पर 'सहयोग: बच्चों की मानसिक भलाई के लिए मार्गदर्शनपर लाइव इंटरैक्टिव सत्र प्रसारित किए जाते हैं. तनाव और चिंता से निपटने के लिए योग पर रिकॉर्ड किए गए वीडियो कक्षा 1 से 12 तक के लिए सितंबर, 2020 बारह डीटीएच टीवी चैनलों के माध्यम से प्रसारित किए जाते हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म दीक्षा में डिजिटल संसाधन भी उपलब्ध कराए गए हैं.आयुष्मान भारत के तहत स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तत्वावधान में, एनसीईआरटी ने 'प्रशिक्षण और संसाधन सामग्री: स्कूल जाने वाले बच्चों का स्वास्थ्य और कल्याणशीर्षक से एक व्यापक पैकेज विकसित किया है. 'भावनात्मक कल्याण और मानसिक स्वास्थ्यपर एक विशिष्ट मॉड्यूल शामिल किया गया है, जिसमें छात्रों और शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित गतिविधियां हैं.

 

संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा  भारद्वाजन

स्रोत : पत्र सूचना कार्यालय/विश्व बैंक/विश्व स्वास्थ्य संगठन/राष्ट्रीय स्वास्थ्य  मिशन