भारत में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास
प्रतिरक्षण वह प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति को आमतौर पर टीका लगाकर किसी संक्रामक रोग से बचाने के लिए प्रतिरक्षित या प्रतिरोधी बनाया जाता है. टीके ऐसे पदार्थ होते हैं जो व्यक्ति को बाद के संक्रमण या बीमारी से बचाने के लिए शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करते हैं.1985 में शुरू किया गया भारत का टीकाकरण कार्यक्रम दुनिया में अपनी तरह के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है. यह कार्यक्रम पूरे देश में आठ जानलेवा बीमारियों (डिप्थीरिया, काली खांसी, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (एचआईबी) के कारण निमोनिया और मेनिन्जाइटिस, टेटनस, पोलियो, तपेदिक, खसरा और हेपेटाइटिस बी) के खिलाफ टीकाकरण प्रदान करता है. इसके अलावा, देश में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) और रोटावायरस वैक्सीन (आरवीवी) के खिलाफ टीकाकरण भी शुरू किया गया है.
साक्ष्य से पता चलता है कि टीका से वंचित रहने वाले और आंशिक रूप से टीकाकरण करवाने वाले बच्चे बचपन की बीमारियों और विकलांगता के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं, और इन्हें पूर्ण प्रतिरक्षित बच्चों की तुलना में मृत्यु का तीन से छह गुना अधिक जोखिम होता है. टीकाकरण में असमानता के प्रमुख कारणों में टीकाकरण के लाभों के बारे में माता-पिता के बीच जागरूकता की कमी होना, टीकाकरण (एईएफआई) के बाद प्रतिकूल घटनाओं का डर होना और टीकाकरण सत्रों के दौरान टीके या टीकाकरण की अनुपलब्धता जैसे परिचालन कारण शामिल हैं.स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय टीकाकरण कवरेज में असमानता को शीघ्र दूर करने और स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करने के प्रयास तेज़ करने के लिए प्रतिबद्ध है. नियमित टीकाकरण योजना और वितरण तंत्र को मजबूत करने के लिए, मंत्रालय ने देश में 90 प्रतिशत से अधिक पूर्ण टीकाकरण कवरेज प्राप्त करने हेतु दिसंबर 2014 में अपना प्रमुख कार्यक्रम 'मिशन इंद्रधनुषÓ शुरू किया.
क्या आप जानते हैं?
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस, जिसे राष्ट्रीय इम्यूनाइजेशन दिवस भी कहा जाता है, पूरे देश में टीकाकरण के महत्व को दर्शाने के लिए हर साल 16 मार्च को मनाया जाता है. यह दिन पहली बार वर्ष 1995 में मनाया गया था, जिस वर्ष भारत ने पल्स पोलियो कार्यक्रम शुरू किया था।
मिशन इन्द्रधनुष
प्रत्येक बच्चे को टीकाकरण का अधिकार प्रदान करने की दृष्टि से, भारत सरकार ने 1985 में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) की शुरुआत की, जो दुनिया में अपनी तरह के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है. यह हर वर्ष 2.6 करोड़ नवजातों और शिशुओं, तथा लगभग 3 करोड़ गर्भवती महिलाओं की आवश्यकताएं पूरा करने के लिए है. कई वर्षों तक चालू रहने के बावजूद, यूआईपी अपने जीवनकाल के पहले वर्ष में केवल 65 प्रतिशत बच्चों को पूरी तरह से प्रतिरक्षित करने में सक्षम रहा.स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने दिसंबर 2014 में यूआईपी के तहत टीका से वंचित और आंशिक रूप से टीकाकरण वाले सभी बच्चों का टीकाकरण करने के लिए एक विशेष अभियान के रूप में मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत की. मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य सभी बच्चों तक पहुंचने के लिए नवीन और नियोजित दृष्टिकोणों के माध्यम से 2020 तक 90 प्रतिशत से अधिक नवजात शिशुओं का पूरी तरह से टीकाकरण करना है. इसका उद्देश्य न केवल निर्दिष्ट महीनों के दौरान विशेष अभियानों के माध्यम से टीकाकरण कवरेज में तेजी से वृद्धि करना है, बल्कि टीकाकरण तक पहुंच में समानता के मुद्दों को हल करने के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने पर भी ध्यान केंद्रित करना है.
मिशन इन्द्रधनुष के तहत सरकार टीके से बचाव योग्य बीमारियों के खिलाफ मुफ्त टीकाकरण प्रदान कर रही है. मिशन इंद्रधनुष का अंतिम लक्ष्य दो साल तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सभी उपलब्ध टीकों के साथ पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना है. मिशन इंद्रधनुष की भी ग्राम स्वराज अभियान और विस्तारित ग्राम स्वराज अभियान के तहत प्रमुख योजनाओं में से एक के रूप में पहचान की गई थी.
क्या आप जानते हैं?
भारत में टीकाकरण कार्यक्रम 1978 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 'प्रतिरक्षण के विस्तारित कार्यक्रम’ (ईपीआई) के रूप में शुरू किया गया था. 1985 में, कार्यक्रम को 'सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम’ (यूआईपी) के रूप में संशोधित किया गया था, जिसे 1989-90 तक देश के सभी जिलों को दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रम में शामिल करने के लिए चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया था.
सघन मिशन इंद्रधनुष
(आईएमआई)
टीकाकरण कार्यक्रम को और तेज करने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 8 अक्टूबर, 2017 को गहन मिशन इंद्रधनुष का शुभारंभ किया. गहन मिशन इंद्रधनुष ने चयनित जिलों (उच्च प्राथमिकता वाले जिलों) और शहरी क्षेत्रों में कम प्रदर्शन वाले क्षेत्रों को कवर किया है. प्रवासी आबादी वाले उप-केंद्रों और शहरी मलिन बस्तियों में असेवित/कम कवरेज वाले इलाकों पर विशेष ध्यान दिया जाता है. राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) के तहत चिह्नित शहरी बस्तियों और शहरों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है. गहन मिशन इंद्रधनुष रणनीति में दो व्यापक हस्तक्षेप शामिल हैं: गहन मिशन इंद्रधनुष अभियान और नियमित टीकाकरण प्रणाली का लाभ बनाए रखने के लिए सुदृढ़ीकरण. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने 7 फरवरी, 2022 को गहन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) 4.0 का शुभारंभ किया. गहन मिशन इंद्रधनुष 4.0 के तीन चरण होंगे और यह देशभर में 33 राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों के 416 जिलों (आजादी का अमृत महोत्सव के लिए पहचाने गए 75 जिलों सहित) में संचालित किया जाएगा.
यूआईपी के दो प्रमुख मील के पत्थर
· 2014 में, भारत को शेष दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के साथ, आधिकारिक तौर पर पोलियो मुक्त घोषित किया गया था।
· 2015 में, भारत ने मातृ और नवजात टेटनस उन्मूलन हासिल किया.
कोविड-19
वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में, भारत का राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम दुनिया के सबसे सफल और सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रमों में से एक रहा है. आर्थिक सर्वेक्षण 2022 में इसका उल्लेख किया गया है कि भारतीय राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम ने न केवल घरेलू स्तर पर कोविड टीकों के उत्पादन का समर्थन किया है, बल्कि इसने अपनी आबादी को मुफ्त टीके भी सुनिश्चित किए हैं. भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जो कोविड के टीके तैयार कर रहे हैं. देश ने दो मेड-इन-इंडिया कोविड टीकों के साथ शुरुआत की. आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, भारत का पहला घरेलू कोविड-19 वैक्सीन, होल विरियन इनएक्टिवेटेड कोरोना वायरस वैक्सीन (कोवैक्सीन), भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के सहयोग से विकसित और निर्मित किया गया था. कोवीशील्ड वैक्सीन के आईसीएमआर वित्तपोषित नैदानिक परीक्षणों के साथ इसे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के सहयोग से विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा देश में निर्मित किया जा रहा है.इसके बाद, मिशन कोविड सुरक्षा के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग, डीबीटी-बीआईआरएसी (बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल) के साथ साझेदारी में, दवा कंपनी कैडिला हेल्थकेयर द्वारा भारत में कोविड-19-जाइकोव-डी के खिलाफ दुनिया का पहला डीएनए-आधारित वैक्सीन विकसित किया गया था. यह भारत का दूसरा स्वदेश में विकसित कोविड-19 वैक्सीन है. मैसर्स गामालेया इंस्टीट्यूट, रूस द्वारा विकसित और मेसर्स डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड द्वारा आयातित स्पुतनिक-वी का भी देश में टीकाकरण अभियान में उपयोग किया जा रहा है.
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने फरवरी में इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस (इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजी एंड कॉम्पिटिटिवनेस के वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से संबद्ध) की दो रिपोर्ट जारी की, जिसका शीर्षक कोविड-19-इंडियाज वैक्सीन डेवलपमेंट स्टोरी और भारत की कोविड-19 टीकाकरण प्रशासन यात्रा है. रिपोर्ट में उन महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है जिन्होंने भारत के कोविड-19 वैक्सीन विकास और प्रशासन के प्रयासों की सफलता में योगदान दिया है, जिसमें स्वदेशी टीकों का निर्माण, मजबूती और समय पर प्रक्रियाएं और अनुमोदन के लिए प्रोटोकॉल शामिल हैं जो टीकाकरण का सुरक्षित प्रचालन सुनिश्चित करते हैं.रिपोर्ट में भारत सरकार के समक्ष पेश आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों को स्वीकार किया गया है, जो भारत के 1.3 अरब लोगों, जो कोविड-19 टीकों के लिए पात्र थे, में बहुतायत में टीके वितरित करने और लगाने; देश के कुछ हिस्सों में प्रचलित वैक्सीन झिझक को दूर करने के साथ-साथ वैक्सीन उत्सुकता के स्वतंत्र और समान वितरण तथा प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने को लेकर थीं. इसमें भारत जैसे देश के आकार और विविधता को देखते हुए व्यापक प्रयासों की भी सराहना की गई है. भारत के टीकाकरण कार्यक्रम का चरणबद्ध दृष्टिकोण, उन लोगों की आबादी को प्राथमिकता देना था, जिसकी स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं, बुजुर्गों और बीमार लोगों सहित, को सबसे बड़ी आवश्यकता थी और इनका इन रिपोर्टों में उदाहरण के रूप में वर्णन किया गया है.रिपोर्ट में टीकाकरण के दौरान प्रतिकूल घटनाओं के प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण और कौशल की दिशा में प्रयासों; वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के रूप में कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से टीकाकरण सत्र और पोस्ट-टीकाकरण प्रमाणन के डिजिटल शेड्यूलिंग का भी उल्लेख किया गया है जिन्हें अन्य देश भारत से सीख सकते हैं.
वैक्सीन मैत्री
कोविड-19 टीकों के विकास के बाद से, वैश्विक भलाई के लिए दुनिया अपनी बेहतर वैक्सीन निर्माण क्षमता का लाभ उठाने के लिए भारत की ओर टकटकी लगाए बैठी थी. वैक्सीन मैत्री की अनूठी पहल, जिसका अर्थ है वैक्सीन फ्रेंडशिप, शुरू की गई थी क्योंकि भारत की विदेश नीति 'वसुधैव कुटुम्बकम’ के अपने सदियों पुराने सिद्धांत - द वर्ल्ड इज वन फैमिली से शासित होती है. जनवरी 2021 में शुरू किए गए इस ऐतिहासिक अभियान ने हमें दूर-दूर से अत्यधिक प्रशंसा दिलाई और यह भी प्रदर्शित किया कि कठिन समय में प्रभावी कूटनीति कैसी दिखती है. वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के केंद्र में 'हम में से कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक कि हर कोई सुरक्षित नहीं है’ का सिद्धांत समाहित है. भारत इस मानवीय पहल के भाग के तौर पर, विश्वभर के देशों को भारत में बनी वैक्सीनों की आपूर्ति और दान कर रहा है. इनमें सबसे पहले वैक्सीन प्राप्त करने वाले देश हमारे पड़ौसी देश मालदीव और भूटान हैं.
संकलन-अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन
स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय/इन्वेस्ट इंडिया/ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन/ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय/राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम