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विशेष लेख


Issue no 47, 19-25 February 2022

बजट 2022-23 : उदीयमान अवसरों सहित ढांचागत एवं

डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार

समीरा सौरभ

भा  रत का लक्ष्य वर्ष 2026-27 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, लिहाजा केंद्रीय बजट 2022-23 में अवसंरचना के निर्माण पर प्रमुख रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है. इन्फ्रा और कम लागत के आवास पर जोर देने से यह सुनिश्चित हुआ है कि बजट रियल एस्टेट क्षेत्र की अधिकांश अपेक्षाओं को पूरा करता है. बजट में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का व्यय निर्धारित किए जाने के साथ, पीएमएवाई (प्रधानमंत्री आवास योजना) के तहत किफायती आवास के लिए 48,000 करोड़ रुपये के आवंटन से परिधीय या बाहरी इलाकों और शहरों से सटे क्षेत्रों में रियल एस्टेट को बढ़ावा मिलने की संभावना है. बजट में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में चिह्नित पात्र लाभार्थियों के लिए 80 लाख मकानों को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. यह कदम भावी विकास के लिए बाहरी इलाकों की भूमि को अधिक सुलभ और खुला बनाएगा. इससे बाहरी क्षेत्र में मकानों की बिक्री में वृद्धि होने की संभावना है. इससे लॉजिस्टिक और वेयरहाउसिंग गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा. बजट शहरी क्षेत्र की नीतियों, क्षमता निर्माण, योजना, कार्यान्वयन और गवर्नेंस पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत के शहरों में बेहतर शहरी नियोजन पर जोर देता है.

केंद्र सरकार भूमि और निर्माण से संबंधित स्वीकृतियों में लगने वाले समय में कमी लाने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम भी करेगी. मध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को किफायती आवास के लिए धन प्राप्त करने में मदद करने के लिए सरकार और वित्तीय क्षेत्र के नियामक मिलकर काम करेंगे. केंद्रीय बजट-2022 में किफायती आवास पर ध्यान केंद्रित किया गया है और इससे किफायती मकान बनाने वाले डेवलपर्स को लाभ होगा. इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों के विकास पर सरकार द्वारा ध्यान देने से रोज़गार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे शहरी क्षेत्रों में किफायती मकानों की मांग बढ़ेगी. आवास आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह स्टील, सीमेंट, पेंट और अन्य उद्योगों के विकास को बढ़ावा देता है.

आसान वित्तपोषण सुनिश्चित करने के लिए डेटा सेंटर्स और ऊर्जा भंडारण प्रणाली को अवसंरचना का दर्जा दिया गया है. पूंजीगत  निवेश अपने व्यापक प्रभाव के माध्यम से त्वरित और निरंतर आर्थिक सुधार और समेकन की कुंजी रखता है. पूंजीगत निवेश, बड़े उद्योगों और एमएसएमई से विनिर्मित इनपुट, पेशेवरों की सेवाओं की बढ़ती मांग सहित रोज़गार के अवसरों के सृजन में भी सहायता करता है और बेहतर कृषि-अवसंरचना के माध्यम से किसानों की मदद करता है.

निजी निवेश को अपनी सामर्थ्य बढ़ाने और अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए सहायता की आवश्यकता होती है. 2022-23 में सार्वजनिक निवेश को सर्वाधिक रखने तथा निजी निवेश और मांग को बढ़ावा देने की आवश्यकता होगी. केंद्र का बजटीय पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 22 में 5.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 23 के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह पिछले वर्ष की तुलना में इन्फ्रा पूंजीगत व्यय परिव्यय (कैपएक्स  आउटले) में 35.4 प्रतिशत की वृद्धि है, जिससे कुल राशि लगभग 7.5 लाख करोड़ रुपये हो गई है. वित्त वर्ष 2023 में राज्यों को पूंजीगत व्यय परिव्यय के लिए वित्तीय सहायता में 1 लाख करोड़ की भारी वृद्धि (ब्याज मुक्त ऋण में) किए जाने की घोषणा की गई है, जबकि वित्त वर्ष 2022 में 15,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी गई थी.

भारतीय 'मेगा सिटीज़ को आर्थिक विकास के केंद्रों में रूपांतरित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए, टियर-2 और टियर-3 शहरों को भी विकास के संदर्भ में गति बढ़ानी होगी. शहरी योजनाकारों की एक उच्च स्तरीय समिति शहरी क्षेत्र की नीतियों, क्षमता निर्माण, नियोजन, गवर्नेंस के बारे में सिफारिशें देगी. संवर्धित शहरी नियोजन पर बल देने के साथ, शहरी नियोजन को नियंत्रित करने वाले उपनियमों का आधुनिकीकरण करने और शहरों में मास-ट्रांजिट प्रोजेक्ट्स के लिए केंद्र सरकार की सहायता की संभावना है. पांच मौजूदा शैक्षणिक संस्थानों को, प्रत्येक के लिए 250 करोड़ रुपये की बंदोबस्ती निधि के साथ शहरी नियोजन में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में नामित किया जाएगा. अगले पांच वर्षों में 60 लाख नई नौकरियों का सृजन करने के सरकार के लक्ष्य से देशभर में आवासीय रियल एस्टेट के विकास में भी मदद मिलेगी.

केंद्रीय बजट में सार्वजनिक शहरी परिवहन और रेल नेटवर्क के बीच मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता दी गई है. वित्त मंत्री ने गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान के तहत भारत में समग्र बुनियादी ढांचे  के निर्माण के लिए 20,000 करोड़ रुपये के परिव्यय की घोषणा की है. इस पहल से शहर के भीतर  और पूरे क्षेत्र में सार्वजनिक संपर्क में वृद्धि होगी. पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान का प्रारंभ ढांचागत विकास के इंजन को बल देने के लिए किया गया था. यह निर्बाध मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए विशाल अवसंरचनात्मक विकास उपक्रम है. नेशनल मास्टर प्लान एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो पूरे भारत में निर्बाध कनेक्टिविटी के लिए रेलवे, सड़क मार्ग आदि जैसे 16 मंत्रालयों को साथ लाता है.

पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान में सात इंजनों यथा सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, जलमार्गों, निर्बाध संपर्क एवं लोगों,माल और सेवाओं की आवाजाही के लिए सार्वजनिक  परिवहन और लॉजिस्टिक्स संबंधी अवसंरचना शामिल है. इन इंजनों को ऊर्जा पारेषण, आईटी एवं  संचार, व्यापक जल एवं सीवरेज, और सामाजिक अवसंरचना से आवश्यक सहयोग मिल रहा है. पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान यात्रा पर लगने वाले समय में कमी लाते हुए और रोज़गार के अवसरों में वृद्धि करते हुए अंतिम अवस्था तक अवसंरचनात्मक कनेक्टिविटी को सुगम बनाता है.

नेशनल मास्टर प्लान के अंतर्गत सरकार वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में 25,000 किलोमीटर का विस्तार करेगी. सरकार इस पर आने वाली 20,000 करोड़ रुपये की लागत को वित्तपोषण के अभिनव तरीकों के जरिए जुटाएगी. नेशनल मास्टर प्लान विभिन्न परिवहन माध्यमों के संचालकों के बीच डेटा एक्सचेंज की सुविधा के लिए एक नए यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म या यूलिप का उपयोग साथ करता है. यह परिवहन के विभिन्न माध्यमों के बीच माल की कुशल आवाजाही को बढ़ावा देता है, लॉजिस्टिक्स संबंधी लागत में कमी लाता है और कठिन दस्तावेज़ों को खत्म करने के लिए ऐन समय पर इन्वे टरी मैनेजमेंट को प्रोत्साहित करता है. इसके अलावा, यह प्लान पूरे भारत में यात्रियों की निर्बाध यात्रा के लिए एक ओपन-सोर्स मोबिलिटी स्टैक की सुविधा भी प्रदान करता है.

रेलवे इस नेशनल मास्टर प्लान में महत्वतपूर्ण भूमिका निभाता है. यह छोटे किसानों और सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्यमों या एमएसएमई के लिए नए उत्पाद विकसित करेगा. इतना ही नहीं, यह सुरक्षा और क्षमता बढ़ाने के लिए 2,000 किलोमीटर रेलवे नेटवर्क को 'कवच  के तहत लाता है. लोगों एवं वस्तुओं की त्वरित आवाजाही सुगम बनाने के लिए एक्स प्रेसवेज़ हेतु पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान वर्ष 2022-23 में निरुपित किया जाएगा. वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में 25,000 किलोमीटर का विस्तार किया जाए. सार्वजनिक संसाधनों में वृद्धि के लिए  वित्तपोषण के अभिनव तरीकों के जरिए 20,000 करोड़ रुपये जुटाये जाएंगे. आत्मनिर्भर भारत के तहत, वर्ष 2022-23 में सुरक्षा और क्षमता बढ़ाने के लिए 2,000 किलोमीटर नेटवर्क एक विश्वस्तरीय स्वदेशी प्रौद्योगिकी  कवच के तहत लाया जाएगा. बेहतर ऊर्जा दक्षता और यात्री अनुभव के साथ नई पीढ़ी की चार सौ वंदे भारत ट्रेनें अगले तीन वर्षों के दौरान विकसित और निर्मित की जाएंगी. अगले तीन वर्षों के दौरान मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स सुविधाओं के लिए 100 पीएम  गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे.

रेलवे के साथ कनेक्टिविटी सहित सार्वजनिक शहरी परिवहन

बड़े पैमाने पर उपयुक्त मेट्रो प्रणालियों का निर्माण करने के लिए वित्तपोषण के अभिनव तरीकों और त्वरित  कार्यान्वयन को प्रोत्साहित किया जाएगा. सार्वजनिक शहरी परिवहन और रेलवे स्टेशनों के बीच मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता के आधार पर सुगम बनाया जाएगा. नागरिक संरचनाओं सहित मेट्रो प्रणालियों के डिज़ाइन को भारतीय परिस्थितियों और जरूरतों के अनुरूप पुन: परिवर्तित और मानकीकृत किया जाएगा.

नेशनल मास्टर प्लान यह सुनिश्चित करता है कि स्थानीय कारोबार 'एक-स्टेशन एक-उत्पाद अवधारणा से लाभान्वित हों. इतना ही नहीं, रेलवे और डाक नेटवर्क को एकीकृत करने से देश में पार्सल की निर्बाध आवाजाही को प्रोत्साोहन मिलता है. नई पीढ़ी की 400 वंदे भारत ट्रेनों का विकास और विनिर्माण यात्री अनुभव को बढ़ाएगा.

पर्वतमाला : राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम

दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक सड़कों के पारिस्थितिकीय रूप से टिकाऊ प्रमुख विकल्प के रूप में राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम को पीपीपी मोड पर शुरू किया जाएगा. इसका उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देने के अलावा यात्रियों के लिए कनेक्टिविटी और सुविधा को बेहतर बनाना है. इसमें भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों को भी शामिल किया जा सकता है, जहां पारंपरिक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली व्यवहार्य नहीं है. 2022-23 में 60 किमी लंबी 8 रोपवे परियोजनाओं के ठेके दिए जाएंगे.

केंद्रीय बजट ने स्वच्छ तकनीक, टिकाऊ शहरी जीवन और बेहतर गवर्नेंस पर ध्यान केंद्रित करते हुए  व्यवस्थित शहरी विकास के प्रति सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है. सरकार द्वारा सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों का सृजन करने और कार्बन फुटप्रिंट में व्यापक कमी लाने में सहायक ईवी को प्रोत्साहन देने पर ध्यान केंद्रित करते समय मेगा सिटीज़ के साथ-साथ टियर -2 और टियर -3 शहरों के बीच सही संतुलन बनाए जाने की संभावना है.

पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल (पीएमडीईवीआईएनई) 

पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल (पीएमडीईवीआईएनई) पूर्वोत्तर परिषद के माध्यम से लागू की जाएगी. यह पीएम गतिशक्ति की भावना के अनुरूप पूर्वोत्तर की जरूरतों के मुताबिक बुनियादी सुविधाओं और सामाजिक विकास की परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण करेगी. यह विभिन्न क्षेत्रों की कमियों को दूर करते हुए युवाओं एवं महिलाओं के लिए आजीविका से जुड़ी गतिविधियों को सक्षम बनाएगी.

कभी भी-कहीं भी डाक घर बचत 

वर्ष 2022 में शत-प्रतिशत 1.5 लाख डाक घरों में कोर बैंकिंग सिस्टम चालू हो जाएगा, जिससे 'वित्तीय समावेशन  संभव होगा और 11 नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम के माध्यम से अपना खाता देखा जा सकेगा और डाक घर के खाते से बैंक खाते के बीच धन का ऑनलाइन अंतरण भी हो सकेगा. इससे विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसानों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 'इंटर-ऑपरेबिलिटी और वित्तीय समावेशन की सुविधा उपलब्ध होगी.

डिजिटल बैंकिंग

हाल के वर्षों में, देश में डिजिटल बैंकिंग, डिजिटल भुगतान और फिनटेक नवाचारों में त्वरित गति से वृद्धि हुई है. सरकार उपभोक्ता, अनुकूल तरीके से देश के सभी हिस्सों तक डिजिटल बैंकिंग की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निरंतर इन क्षेत्रों को प्रोत्साहित कर रही है. इसी उद्देश्य  को आगे बढ़ाते हुए तथा देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष का उत्सव मनाने के लिए सरकार ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के द्वारा देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिटों (डीबीयू) की स्थाापना का प्रस्ताव किया है.

-पासपोर्ट          

नागरिकों की विदेश यात्रा में सुविधा बढ़ाने के लिए 2022-23 में एम्बेडेड चिप और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए -पासपोर्ट जारी किए जाएंगे.

शहरी नियोजन के लिए राज्यों  को सहायता 

शहरी क्षमता निर्माण के लिए राज्यों को सहायता प्रदान की जाएगी. भवन उपनियमों का आधुनिकीकरण किया जाएगा, टाउन प्लानिंग स्कीम (टीपीएस) और ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) लागू किए जाएंगे. इनसे सुधारों में सहायता मिलेगी, ताकि लोग मास ट्रांजिट सिस्टम्स  के निकट रह सकें और काम कर सकें. केंद्र सरकार की ओर से मास ट्रांजिट परियोजनाओं और अमृत योजना के लिए उपलब्धि करायी गई वित्तीय सहायता का उपयोग राज्य अपने टीओडी और टीपीएस को सुगम बनाने संबंधी कार्य योजनाओं के निर्माण करने और उनके कार्यान्वयन में करेंगे.

भूमि अभिलेख प्रबंधन

भूमि संसाधनों का कुशल उपयोग प्रबल रूप से अनिवार्य है. राज्यों को अभिलेखों के आईटी आधारित प्रबंधन को सुगम बनाने के लिए विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. अनुसूची की किसी भी भाषा में भूमि अभिलेखों के लिप्यंतरण की सुविधा भी शुरू की जाएगी.

राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) को अपनाने या लिंकेज के साथ 'एक राष्ट्र एक पंजीकरण सॉफ्टवेयर को पंजीकरण के लिए एक समान प्रक्रिया और विलेखों तथा  दस्तावेजों के 'कहीं भी पंजीकरण के विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा.

एवीजीसी प्रमोशन टास्क फोर्स

एनिमेशन, विजुअलइफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक (एवीजी सी) क्षेत्र में युवाओं को रोज़गार देने की अपार संभावनाएं हैं. सभी हितधारकों के साथ एक एवीजीसी प्रमोशन टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा जो इसे साकार करने के तरीकों की सिफारिश करेगा और हमारे बाज़ारों की और वैश्विक मांग की पूर्ति करने के लिए  उनके अनुरूप घरेलू क्षमता का निर्माण करेगा.

दूरसंचार क्षेत्र

दूरसंचार क्षेत्र सामान्य रूप से दूरसंचार और विशेष रूप से 5जी प्रौद्योगिकी, प्रगति और रोज़गार के अवसर प्रदान करने में समर्थ बना सकते हैं. 5जी के लिए मजबूत इकोसिस्टम बनाने हेतु उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के अंग के रूप में एक डिज़ाइन आधारित विनिर्माण  योजना शुरू की जाएगी.

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता 

हमारी सरकार सशस्त्र बलों के लिए उपकरणों के आयातों में कमी लाने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. वर्ष 2022-23 में पूंजीगत खरीद बजट का 68 प्रतिशत भाग घरेलू उद्योग के लिए निर्धारित किया जाएगा, जो कि वर्ष  2021-22 में 58 प्रतिशत था. रक्षा बजट का 25 प्रतिशत रक्षा अनुसंधान एवं विकास के लिए निर्धारित किए जाने के साथ ८८ रक्षा क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास को उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षा जगत के लिए खोल दिया जाएगा. निजी उद्योगों को एसपीवी मॉडल के माध्यम से डीआरडीओ और अन्य संगठनों के सहयोग से सैन्य प्लेटफार्म और उपकरणों के डिज़ाइन और विकास को निष्पादित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. व्यापक परीक्षण और प्रमाणन आवश्यकताएं पूरी करने के लिए एक स्वतंत्र नोडल छत्रक निकाय स्थापित किया जाएगा.

सौर ऊर्जा

वर्ष 2030 तक 280 गीगावाट स्थापित सौर क्षमता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने के लिए घरेलू विनिर्माण को सुगम बनाने के लिए पॉलीसिलिकॉन से सौर पीवी मॉड्यूल तक पूरी तरह से एकीकृत विनिर्माण इकाइयों को प्राथमिकता देने सहित उच्च दक्षता मॉड्यूल के निर्माण हेतु उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) के लिए 19,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया जायेगा.

सर्कुलर इकोनॉमी

सर्कुलर इकोनॉमी ट्रांजिशन से उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ नए कारोबारों और बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसरों के सृजन में मदद मिलने की संभावना है. दस क्षेत्रों जैसे इलेक्ट्रॉनिक कचरा, उपयोग में नहीं आने वाले वाहन, प्रयुक्त तेल अपशिष्ट तथा विषैले और जोखिमपूर्ण औद्योगिक अपशिष्ट के लिए कार्य योजना तैयार है. अब अवसंरचना, रिवर्स लॉजिस्टिक्स, प्रौद्योगिकी उन्नयन और अनौपचारिक क्षेत्र के साथ एकीकरण के मुद्दों के समाधान पर ध्यान दिया जाएगा. इसे विनियमों, विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व रूपरेखा और नवोन्मेेषी सुविधा को शामिल करते हुए सक्रिय सार्वजनिक नीतियों द्वारा सहायता दी जाएगी.

उदीयमान अवसर

कृत्रिम आसूचना, भू-स्थानिक प्रणालियों तथा ड्रोन, सेमीकंडक्टर और उसकी व्यवस्था, अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, जीनोमिक्सा तथा फार्मास्युटिकल्स, हरित ऊर्जा और स्वच्छ आवागमन प्रणालियों में बड़े पैमाने पर सतत विकास तथा देश को आधुनिक बनाने में सहायता देने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं. ये युवाओं को रोज़गार प्रदान करती हैं तथा भारतीय उद्योग जगत को अधिक प्रभावी और प्रतिस्पर्धी बनाती हैं. सहायक नीतियां, हल्के-फुल्के नियम, घरेलू क्षमता निर्माण के लिए सुविधाजनक कार्य और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना सरकार के दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करेगा. इन उदीयमान अवसरों में अनुसंधान एवं विकास के लिए शिक्षाविदों, उद्योग और सार्वजनिक संस्थानों के बीच सहयोग के प्रयासों के अलावा सरकारी योगदान प्रदान किया जाएगा. फसल के आकलन के लिए कृषि और खेतीबाड़ी क्षेत्र को किसान ड्रोन जैसे प्रौद्योगिकी उपयोग के साथ सहायता मिलेगी.

निष्कर्ष

डेटा सेंटर उद्योग के लिए अवसंरचना का दर्जा कंपनियों को आसान ऋण प्राप्त करने और संसाधनों के प्रबंधन में मददगार होगा, क्योंकि उद्योग शीर्ष वास्ताविक भौगोलिक स्थलों (टॉप क्लाउड रीजन्स)  के बाहर विस्तार के इच्छुक हैं. डेटा स्थानीयकरण के लिए व्यापक नियामकों की आवश्यकता ने उद्योग के विकास को गति दी है, जिससे घरेलू स्तर पर अडानी जैसे बड़े समूहों के साथ-साथ माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी शीर्ष इंटरनेट फर्मों की ओर से निवेश किया गया है. इससे अगले पांच से दस वर्षों में भारत में डेटा-सेंटर उद्योग में कुल निवेश 70,000-72,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. इस बजट में कुल व्यय में से पूंजीगतव्यय के अनुपात में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाया गया है और पीएम-डीईवीआईएनई और पर्वतमाला जैसी योजनाओं की शुरुआत से व्यय में भौगोलिक इक्विटी आएगी. सरकार ने विकास के लिए अवसंरचना, विशेष रूप से परिवहन और संचार के प्रति निजी क्षेत्र का ध्यान आकृष्टकरने के लिए सार्वजनिक निवेश का मार्ग चुना है. संवर्धित आवंटन का बड़ा हिस्सा (क्रमश: 133, 28 और 2 प्रतिशत की वृद्धि सहित क्रमश: 76,665 करोड़ रुपये, 30,000 करोड़ रुपये और 4,000 करोड़ रुपये) राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे और ग्रामीण सड़कों को मिला है. इसके अलावा, लगभग 1 लाख करोड़ रुपये (50 साल के ब्याज मुक्त ऋण के लिए आरक्षित से लिया गया) का उपयोग राज्यों द्वारा अवसंरचना के लिए किया जाएगा. बजट राजकोषीय विवेक बनाए रखते हुए अवसंरचना, निरंतरता और समावेशी विकास पर ध्यान देने सहित भविष्य के लिए एक मजबूत बुनियाद का निर्माण करता है. बजट स्वच्छ गतिशीलता से संबंधित विभिन्न पहलों के साथ जलवायु परिवर्तन से निपटने की भारत की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है. यह ग्रामीण क्षेत्र, एमएसएमई और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर विभिन्न वर्गों पर ध्यान देते हुए समावेशी दृष्टिकोण रखता है.

(लेखिका आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार में निदेशक हैं. उनसे sameera.saurabh@gmail. Com पर संपर्क किया जा सकता है)

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.