विश्व सामाजिक न्याय दिवस
गरिमा और न्याय का संरक्षण
2007 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने घोषणा की कि 20 फरवरी को प्रतिवर्ष विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाया जाएगा. यह दिन इस बात का स्मरण कराता है कि राष्ट्रों के भीतर शांति और सुरक्षा हासिल करने तथा इसे बनाए रखने के लिए सामाजिक विकास और सामाजिक न्याय अपरिहार्य हैं. जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकीय बदलाव, प्रौद्योगिकी विकास और अधिक सामान्य वैश्वीकरण के साथ, हम एक ऐसी दुनिया देख रहे हैं जो एक अभूतपूर्व गति और पैमाने पर बदल रही है. गरीबी उन्मूलन की दिशा में कदम उठाकर और पूर्ण रोज़गार तथा अच्छे कामों, लैंगिक समानता, और सामाजिक रूप से वंचित समाज के विभिन्न वर्गों सहित सभी के लिए सामाजिक खुशहाली और न्याय तक पहुंच को बढ़ावा देकर इन चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है. भारत के संविधान का अनुच्छेद 46, अन्य बातों के साथ-साथ, यह प्रावधान करता है कि राज्य कमजोर वर्गों और विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से बचाएगा. सरकार सामाजिक न्याय की प्राप्ति के लिए संभावनाएं प्रदान करने के लिए अथक प्रयास कर रही है.
हाथ से मैला उठाने वालों की मुक्ति और पुनर्वास
सेप्टिक टैंकों की सफाई ज्यादातर एक अनियमित गतिविधि है और लोग निजी श्रमिकों को नियुक्त करने का सहारा लेते हैं जिनके पास न तो कौशल होता है और न ही इस काम के लिए आवश्यक सुरक्षा गियर उपलब्ध कराए जाते हैं. मैला ढोने की इस अमानवीय प्रथा को रोकने के लिए, हाथ से मैला उठाने वालों के साथ हुए अन्याय और अपमान को दूर करने तथा उनका सम्मानित जीवन में पुनर्वास करने के लिए, संसद ने सितंबर, 2013 में ''हाथ से मैला ढोने वाले रोज़गार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के रूप में अधिनियमित किया, जो उसी वर्ष दिसंबर में लागू हुआ. कानून का उद्देश्य अस्वच्छ शौचालयों को समाप्त करना और उन्हें स्वच्छ शौचालयों में परिवर्तित करना है; हाथ से मैला ढोने और सीवरों और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई के लिए व्यक्तियों के नियोजन पर रोक लगाना; और हाथ से मैला ढोने वालों की पहचान करना और उन्हें वैकल्पिक व्यवसायों में पुनर्वासित करना. अधिनियम के तहत, सुरक्षात्मक गियर और उपकरणों सहित सुरक्षा सावधानियों के साथ सीवर और सेप्टिक टैंक की मैनुअल सफाई केवल नगरपालिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अनुमति के साथ अपवादात्मक मामलों में जिन्हें दज़र् किया जा सकता है, कराई जा सकती है.
यंत्रीकृत स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना कार्यान्वित की जा रही है. कार्य योजना का लक्ष्य मौजूदा सीवेज प्रणाली का आधुनिकीकरण और नए क्षेत्रों में सीवेज प्रणाली की स्थापना, गैर-सीवर वाले क्षेत्रों में मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन प्रणाली स्थापित करना, सीवर और सेप्टिक की मशीनीकृत सफाई के लिए नगर पालिकाओं और पंचायतों को लैस करना है. टैंक, हेल्पलाइन के साथ स्वच्छता प्रतिक्रिया इकाइयों की स्थापना, सीवर सिस्टम और सेप्टिक टैंक में मानव प्रवेश को समाप्त करने के लिए, पहले से मैनुअल सफाई में लगे व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए, और स्वच्छता पेशेवरों को प्रशिक्षित और प्रमाणित करने के लिए है. सरकार हाथ से मैला उठाने वालों के पुनर्वास के लिए केंद्रीय क्षेत्र की स्वरोज़गार योजना (एसआरएमएस) लागू कर रही है. यह योजना परिवार में पहचान किए गए हाथ से मैला ढोने वाले को एकमुश्त नकद सहायता, हाथ से मैला ढोने वालों और उनके आश्रितों के कौशल विकास प्रशिक्षण, स्व-रोज़गार परियोजनाओं के लिए ऋण लेने वालों के लिए पूंजीगत सब्सिडी और प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना के तहत हाथ से मैला ढोने वालों के सभी चिह्नित परिवारों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है.
पेयजल और स्वच्छता तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय शौचालयों की मैनुअल सफाई की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए अस्वच्छ शौचालयों को स्वच्छता शौचालयों में बदलने के लिए स्वच्छ भारत अभियान के तहत योजनाओं को लागू कर रहे हैं. मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) के तहत शौचालयों का निर्माण किया गया है. पेयजल और स्वच्छता 'ट्विन लीच पिट तकनीक पर आधारित हैं, और इसलिए इन्हें खाली करने की आवश्यकता नहीं है. इसी तरह, रेल मंत्रालय ने उन प्लेटफार्मों पर जहां यात्री ट्रेनें लंबी अवधि के लिए रुकती हैं, सीमेंटेड एप्रन का निर्माण करके और पानी के फ्लश सेनेटरी शौचालयों की सफाई को विनियमित करने के लिए सुरक्षा गियर और उपकरण प्रदान करके मैनुअल सफाई को खत्म करने के लिए कई पहल की हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत चिह्नित हाथ से मैला ढोने वालों को ग्रामीण क्षेत्रों में आवास सुविधा उपलब्ध कराने के लिए विशेष कवरेज का प्रावधान किया गया है. मैला ढोने वाले गैर-बीपीएल परिवार भी योजना के लाभ के पात्र हैं.
बुजुर्गों को सशक्त बनाना
जीवन प्रत्याशा में निरंतर वृद्धि और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में सामान्य सुधार से पिछले कुछ वर्षों में वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या के अनुपात में वृद्धि देखी गई है. चुनौती यह सुनिश्चित करने की है कि वे न केवल लंबे समय तक जीवित रहें, बल्कि एक सुरक्षित, सम्मानजनक और उत्पादक जीवन व्यतीत करें. राष्ट्रीय वयोश्री योजना (आरवीवाई), या वरिष्ठ नागरिकों के लिए भौतिक सहायता और जीवन सहायक उपकरण प्रदान करने की योजना, बीपीएल श्रेणी से संबंधित वरिष्ठ नागरिकों के लिए भौतिक सहायता, जीवन सहायक उपकरणों के मुफ्त वितरण का मार्ग प्रशस्त करती है.
इन उपकरणों में वॉकिंग स्टिक, एल्बो बैसाखी, वॉकर/बैसाखी, ट्राइपॉड/क्वाडपॉड, श्रवण यंत्र, व्हीलचेयर, कृत्रिम दांत, चश्मा शामिल हैं. इस योजना को 1.4.2015 से संशोधित किया गया है. वित्तीय वर्ष 2020-21 और इसे न केवल बीपीएल श्रेणी से संबंधित वरिष्ठ नागरिकों को शामिल करने के लिए विस्तारित किया गया है, बल्कि उन वरिष्ठ नागरिक को शाामिल किया गया है जिनकी मासिक आय 15000/- रुपये से अधिक नहीं है. और जो आयु संबंधी अक्षमताओं/दुर्बलताओं से पीड़ित हैं. एड्स और सहायक जीवन उपकरणों के एक वर्ष के नि:शुल्क रखरखाव का भी प्रावधान है.
वरिष्ठ नागरिकों को शिकायत निवारण के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए 'एल्डरलाइन (14567) नाम से वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक टोल-फ्री राष्ट्रीय हेल्पलाइन शुरू की गई है. हेल्पलाइन माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण (एमडब्ल्यूपीएससी) अधिनियम, 2007 और केंद्र सरकार की योजनाओं के संबंध में जागरूकता पैदा करने के क्षेत्र में भी योगदान देती है जो वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए है. एक वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष (एससीडब्ल्यूएफ) वरिष्ठ नागरिकों की वित्तीय सुरक्षा, वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य देखभाल और पोषण, बुजुर्ग विधवाओं के कल्याण और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए निर्देशित अन्य नवीन योजनाओं को बढ़ावा देने वाली योजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भी (2016 से) है.
एसएसीआरईडी(सीनियर एबल सिटिजन्स फॉर री-एम्प्लॉयमेंट इन डिग्निटी) पोर्टल को इच्छुक वरिष्ठ नागरिकों को उनकी प्राथमिकताओं को ऐसे वरिष्ठ नागरिकों को शामिल करने के लिए तैयार कंपनियों की प्राथमिकताओं के साथ जोड़कर रोजगार प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है. अटल वयोअभ्युदय योजना के तहत, देश में सिल्वर अर्थव्यवस्था (50 से अधिक लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई सभी आर्थिक गतिविधियों, उत्पादों और सेवाओं सहित) को बढ़ावा देने के लिए एक योजना शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य बुजुर्ग कल्याण के क्षेत्र में स्टार्ट-अप की सहायता करना है.
ट्रांसजेंडर-समावेशी भारत
सरकार ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए अधिनियमित किया. अधिनियम लिंग पहचान की आत्म-धारणा की अनुमति देता है, रोजगार, शिक्षा, आवास, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सेवाओं में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव को रोकता है, ट्रांसजेंडर समुदाय के खिलाफ अपराधों को रोकता है, और घर में रहने का अधिकार प्रदान करता है जहां माता-पिता या परिवार के निकटतम सदस्य रहते हैं. इसके अलावा, अधिनियम का उद्देश्य अलग एचआईवी निगरानी केंद्रों सहित ट्रांसजेंडरों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करना है. अधिनियम के तहत, राज्यों के लिए एक ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ स्थापित करना अपेक्षित है.
कल्याणकारी उपाय के एक भाग के रूप में, कौशल विकास के प्रावधान के साथ ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए 'गरिमा गृह- आश्रय गृहों की स्थापना के लिए समुदाय आधारित संगठनों का चयन किया जा रहा है. इन घरों का लक्ष्य सरकार द्वारा चिह्नित प्रत्येक घर में कम से कम 25 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का पुनर्वास करना है. गरिमा गृह के पहले प्रायोगिक केंद्र का उद्घाटन गुजरात के बड़ौदा में किया गया. साथ ही, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पोर्टल शुरू किया गया है, जिसमें वे संबंधित जिला मजिस्ट्रेट से पहचान प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं.
शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण
सामाजिक रूप से वंचित समूहों को समान शैक्षिक अवसर प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई अनेक पहलों में अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) के छात्रों के लिए प्री- और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना; अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित कम आय वाले छात्रों को विदेशों में अध्ययन करने के लिए राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति, डीएनटी, भूमिहीन कृषि मजदूरों और पारंपरिक कारीगर वर्ग को उच्च शिक्षा प्राप्त करने; सफाई से जुड़े और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक व्यवसायों में लगे लोगों के बच्चों को प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति; अनुसूचित जाति के मेधावी छात्रों को उच्च श्रेणी की शिक्षा के अवसर प्रदान करने के उद्देय से अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए शीर्ष श्रेणी की शिक्षा की छात्रवृत्ति योजना; अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप योजना; अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए नि:शुल्क कोचिंग की योजना; सामान्य महिला आबादी और आदिवासी महिलाओं के बीच साक्षरता के स्तर में अंतर को पाटने के उद्देश्य से कम साक्षरता वाले जिलों में अजजा लड़कियों के बीच शिक्षा को सुदृढ़ करने की योजना; अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) आदि शामिल हैं.
गैर-अधिसूचित, अर्ध-घुमंतू और घुमंतू जनजातियां
डीएनटी समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण की योजना (सीड) डीएनटी उम्मीदवारों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली कोचिंग प्रदान के लिए है ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं, स्वास्थ्य बीमा, सामुदायिक स्तर पर आजीविका पहल और इन समुदायों के सदस्यों के लिए घरों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता में सक्षम हो सकें.
एसएमआईएलई (आजीविका और उद्यम के लिए वंचित व्यक्तियों के लिए समर्थन)
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने एक प्रमुख योजना 'स्माइल तैयार की है, जिसमें दो उप-योजनाएं शामिल हैं- 'ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए व्यापक पुनर्वास हेतु केंद्रीय क्षेत्र की योजना और भीख मांगने वाले व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना. इस प्रमुख योजना में पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं के प्रावधान, परामर्श, शिक्षा, कौशल विकास, और राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों/स्थानीय शहरी निकायों, स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग से आर्थिक संबंधों पर ध्यान देने के साथ दोनों समूहों के लिए कल्याणकारी उपायों, समुदाय आधारित संगठन, (सीबीओ) और संस्थान सहित कई व्यापक उपाय शामिल हैं. इस योजना के जल्द शुरू होने की उम्मीद है.
संकलन : अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन
स्रोत: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय/पत्र सूचना कार्यालय