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विशेष लेख


अंक संख्या 06, 7-13 मई 2022

आओ जानें

 

आयुष: भारत का हरा सोना

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्यूएचओ) और भारत सरकार ने डब्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) की स्थापना के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. पारंपरिक चिकित्सा के लिए इस वैश्विक ज्ञान केंद्र को, भारत सरकार से 250 मिलियन अमरीकी डालर की निवेश सहायता प्रदान की है, जिसका उद्देश्य लोगों और इस ग्रह के स्वास्थ्य में सुधार के लिए आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से दुनियाभर से पारंपरिक चिकित्सा की क्षमता का दोहन करना है. प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 19 अप्रैल, 2022 को गुजरात के जामनगर में नए केंद्र की आधारशिला रखी. यह दुनियाभर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र बाह्य वैश्विक  केंद्र (कार्यालय) है. यह केंद्र एक स्वस्थ ग्रह के निर्माण और वैश्विक कल्याण के लिए हमारी समृद्ध पारंपरिक पद्धतियों का लाभ उठाने में योगदान देगा. केंद्र के पांच मुख्य क्षेत्र अनुसंधान और नेतृत्व, साक्ष्य और शिक्षा, डेटा और विश्लेषण, स्थिरता और इक्विटी तथा नवाचार और प्रौद्योगिकी होंगे.इस केंद्र की स्थापना के लिए गतिविधियों के समन्वय, निष्पादन और निगरानी के लिए एक संयुक्त कार्य बल (जेटीएफ) का गठन किया गया है. इस बल में भारत सरकार, भारत के स्थायी मिशन, जिनेवा और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि शामिल हैं. इसके दायरे में, आईटीआरए, जामनगर, गुजरात में एक अंतरिम कार्यालय की स्थापना की जा रही है, जो पहचान की गई तकनीकी गतिविधियों और पूरी तरह कार्यात्मक डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम की योजना को संचालित करने के लिए है.

भारत में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन का कार्यालय गुजरात के जामनगर में इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद (आईटीआरए) में अपना अंतरिम कार्यालय होगा. अंतरिम कार्यालय का उद्देश्य व्यापक रूप से साक्ष्य और नवाचार, पारंपरिक चिकित्सा के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित समाधान, कोक्रेन के सहयोग से व्यवस्थित समीक्षा, डब्ल्यूएचओ जीपीडब्ल्यू 13 में पारंपरिक चिकित्सा डेटा पर वैश्विक सर्वेक्षण (कार्य का तेरहवां सामान्य कार्यक्रम 2019-2023) करना तथा सतत विकास लक्ष्यों, पारंपरिक चिकित्सा सामाजिक-सांस्कृतिक और जैव विविधता विरासत के साथ सतत विकास और प्रबंधन तथा विविध क्षेत्र के कार्यों, डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम के मुख्य कार्यालय की स्थापना के लिए व्यापार संचालन और प्रशासनिक प्रक्रियाओं के लिए एक अग्रगामी दृष्टिकोण के साथ कार्य करना सम्मिलित है.डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित सभी वैश्विक स्वास्थ्य मामलों में नेतृत्व प्रदान करेगा और साथ ही पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान, व्यवहारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न नीतियों को आकार देने में सदस्य देशों को समर्थन प्रदान करेगा.

जीसीटीएम की क्या आवश्यकता थी?

i.             आयुष पद्धतियों को दुनियाभर में स्थापित करना.

ii.         पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित वैश्विक स्वास्थ्य मामलों में नेतृत्व प्रदान करना.

iii.      पारंपरिक चिकित्सा की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता, पहुंच और तर्कसंगत उपयोग सुनिश्चित करना.

iv. डेटा अंडरटेकिंग एनॉलिटिक्स एकत्र करने और प्रभाव का आकलन करने के लिए प्रासंगिक तकनीकी क्षेत्रों, उपकरणों और कार्यप्रणाली में मानदंड, मानक और दिशानिर्देश विकसित करना. मौजूदा टीएम डेटा बैंकों, आभासी पुस्तकालयों और शैक्षणिक तथा अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से डब्ल्यूएचओ टीएम सूचना विज्ञान केंद्र की परिकल्पना करना.

v. उद्देश्यों की प्रासंगिकता के क्षेत्र में विशिष्ट क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करना तथा परिसर, आवासीय, या वेब-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम, और डब्ल्यूएचओ अकादमी तथा अन्य रणनीतिक भागीदारों के साथ साझेदारी के माध्यम से आयोजित करना.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक, डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस ने कहा कि डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम की शुरुआत के पीछे भारत का 'वसुधैव कुटुम्बकमका दर्शन एक प्रेरक शक्ति है. डॉ. घेब्रेयसस ने कहा, 'दुनियाभर में लाखों लोगों के लिए, पारंपरिक चिकित्सा कई बीमारियों के इलाज के लिए पहला मार्ग है. डब्ल्यूएचओ के मिशन का एक अनिवार्य हिस्सा यह सुनिश्चित करना है कि सभी लोगों की सुरक्षित और प्रभावी उपचार तक पहुंच कायम हो और यह नया केंद्र पारंपरिक चिकित्सा के साक्ष्य आधार को मजबूत करने के लिए विज्ञान की शक्ति का उपयोग करने में मदद करेगा. मैं इसके समर्थन के लिए भारत सरकार का आभारी हूं, और हम इसे सफल बनाने के लिए तत्पर हैं.

डॉ घेब्रेयसस ने कहा कि केंद्र की स्थापना ऐतिहासिक है और गेम चेंजर साबित होगी. केंद्र को साक्ष्य, डेटा और स्थिरता तथा पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग के अनुकूलन के एजेंडे को चलाने के लिए नवाचार के इंजन के रूप में डिज़ाइन किया गया है. महानिदेशक ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में नवाचार की शक्ति का उपयोग करने के लिए प्रधान मंत्री और भारत सरकार की सराहना की. उन्होंने भारतीय अस्पतालों में डेटा और एकीकृत सूचना साझाकरण प्रणालियों के उपयोग की सराहना की. उन्होंने पारंपरिक चिकित्सा में अनुसंधान के लिए डेटा संग्रह की भावना को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय की प्रशंसा की.आयुष उत्पादों में बढ़ती वैश्विक मांग और निवेश को देखते हुए महानिदेशक ने कहा कि पूरी दुनिया भारत रही है और भारत पूरी दुनिया में जा रहा है. उन्होंने सामान्य रूप से स्वास्थ्य और विशेष रूप से पारंपरिक दवाओं में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में दीर्घकालिक निवेश पर जोर दिया; नवोन्मेषकों, उद्योग और सरकार द्वारा पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और न्यायसंगत तरीके से पारंपरिक दवाओं का विकास करना और उन समुदायों के हितों की रक्षा करना, जिन्होंने इन विधियों को विकसित किया है तथा इन समुदायों को भी इसका फायदा मिलना चाहिए, जब इन दवाओं को बाजार में लाया जाता है, जिसमें बौद्धिक संपदा के लाभ साझा करना भी शामिल है.

जीसीटीएम पारंपरिक चिकित्सा नीतियों और मानकों के लिए एक मजबूत साक्ष्य आधार विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, साथ ही साथ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और उत्पादों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत करने और अधिकतम तथा दीर्घकालिक प्रभाव के लिए उनकी गुणवत्ता और सुरक्षा को विनियमित करने में विभिन्न देशों की सहायता करेगा.

परंपरागत चिकित्सा क्या है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन 'पारंपरिक चिकित्साÓ शब्द का वर्णन 'ज्ञान, कौशल और पद्धतियों संपूर्ण योग के रूप में करता है जिसका स्वदेशी और विभिन्न संस्कृतियों ने समय के साथ स्वास्थ्य को बनाए रखने और शारीरिक तथा मानसिक बीमारी को रोकने, निदान और उपचार के लिए उपयोग किया है.’ इसकी पहुंच में प्राचीन प्रथाओं जैसे एक्यूपंक्चर, आयुर्वेदिक दवा और हर्बल मिश्रण के साथ-साथ आधुनिक दवाएं भी शामिल हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इसके 194 सदस्य देशों में से 170 ने अब तक पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग की सूचना दी है. इसके अलावा, उनकी सरकारों ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और उत्पादों पर विश्वसनीय साक्ष्य और डेटा का एक निकाय बनाने में डब्ल्यूएचओ का समर्थन मांगा है.

पारंपरिक चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल वितरण प्रणाली का एक प्रमुख स्तंभ है और अच्छे स्वास्थ्य और आरोग्यता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. सुरक्षित और प्रभावी पारंपरिक चिकित्सा यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी कि सभी लोगों की गुणवत्तापूर्ण आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं और सुरक्षित, प्रभावी तथा सस्ती आवश्यक दवाओं तक पहुंच हो, क्योंकि दुनिया 2030 में सतत विकास के लिए दस वर्ष के लक्ष्यों  के करीब पहुंच गई है. डब्ल्यूएचओ-जीसीटीएम संबंधित देशों में पारंपरिक चिकित्सा (टीएम) को विनियमित करने, एकीकृत करने और आगे बढ़ाने में देशों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों की पहचान करेगा.आयुष क्षेत्र में हुई प्रगति के बारे में बताते हुए प्रधान मंत्री ने कहा, 'हम पहले से ही आयुष औषधियों, पूरक और सौंदर्य प्रसाधनों के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि देख रहे हैं. 2014 में, जहां आयुष क्षेत्र 3 अरब डॉलर से कम था, आज यह बढ़कर 18 अरब डॉलर से अधिक हो गया है.

टीएम को बढ़ावा देने के लिए उठाए जा रहे कदम

सरकार आयुष प्रणालियों के प्रचार और विकास के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के माध्यम से देश में राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) की केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रही है.आयुष ग्राम की अवधारणा के तहत, आयुष आधारित जीवन शैली को व्यवहार परिवर्तन संचार, स्थानीय औषधीय जड़ी बूटियों की पहचान और उपयोग के लिए ग्राम स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण और आयुष स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान के जरिए बढ़ावा दिया जाता है.आयुष ग्राम की अवधारणा के तहत, आयुष आधारित जीवन शैली को व्यवहार परिवर्तन संचार, स्थानीय औषधीय जड़ी बूटियों की पहचान और उपयोग के लिए ग्राम स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण और आयुष स्वास्थ्य सेवाओं के जरिए बढ़ावा दिया जाता है.

अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना के तहत, आयुष मंत्रालय दुनियाभर में आयुर्वेद सहित आयुष चिकित्सा की आयुष पद्धतियों को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए विभिन्न कदम उठाता है. मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय बैठकों, सम्मेलनों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, संगोष्ठियों और आयुष पद्धतियों के प्रचार और प्रसार के लिए भारत सरकार के विशेष असाइनमेंट में भाग लेने के लिए आयुष विशेषज्ञों को विदेशों में नियुक्त करता है. आयुष दवा निर्माताओं, उद्यमियों, आयुष संस्थानों आदि को (i) अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों, सम्मेलनों, कार्यशालाओं, व्यापार मेलों आदि में भाग लेने के लिए, आयुष दवाओं के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करने और; (ii) विदेशों के नियामक प्राधिकरणों के साथ आयुष उत्पादों का पंजीकरण के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है.

आयुष प्रणालियों के बारे में प्रामाणिक जानकारी प्रसारित करने के लिए 31 देशों में 33 आयुष सूचना प्रकोष्ठों की स्थापना की गई है. आयुष मंत्रालय ने पोर्ट डिक्सन अस्पताल और चेरस पुनर्वास अस्पताल में अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए विदेश मंत्रालय के आईटीईसी कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य मंत्रालय, मलेशिया में दो विशेषज्ञों (आयुर्वेद और सिद्ध) को प्रतिनियुक्ति पर भेजा है.आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक दवाओं के क्षेत्र में स्टार्टअप संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. सरकार आयुष -मार्केट प्लेस के आधुनिकीकरण और विस्तार पर भी काम कर रही है.

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वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन

प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 20 अप्रैल, 2022 को गुजरात के गांधीनगर में महात्मा मंदिर में वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन (जीएएसएसएस) का उद्घाटन किया. शिखर सम्मेलन की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा जामनगर में डब्ल्यूएचओ-ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के उद्घाटन के एक दिन बाद हुई.तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन का उद्देश्य निवेश क्षमता को उजागर करना और नवाचार, अनुसंधान और विकास, स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य  उद्योग को बढ़ावा देना था. इसने उद्योग जगत के प्रमुखों, शिक्षाविदों और विद्वानों को एक साथ लाने और भविष्य के सहयोग के लिए एक मंच के रूप में कार्य करने में मदद की है.

जीएआईआईएस 2022 भारत सरकार द्वारा दुनिया का ध्यान भारत के प्राचीन ज्ञान भंडार और पारंपरिक ज्ञान की ओर आकर्षित करने तथा एक सतत भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इसका लाभ उठाने का एक विशिष्ट प्रयास था. शिखर सम्मेलन का आयोजन 'अच्छे स्वास्थ्य और आरोग्यताको बढ़ावा देने के सतत विकास लक्ष्य संख्या 3 के अनुरूप किया गया था.प्रधान मंत्री ने आयुष निर्यात संवर्धन परिषद और चार आयुष आईसीटी पहल शुरू करने की घोषणा की जिसमें आयुष सूचना हब, आयुसॉफ्ट, आयुष नेक्स्ट और आयुष जीआईएस शामिल हैं. उन्होंने 'प्रोफेसर आयुष्माननाम की एक कॉमिक बुक का भी विमोचन किया, जिसमें बताया गया है कि कैसे आयुष पद्धतियों और उत्पादों ने केवल कोविड-19 बल्कि अन्य बीमारियों से भी लड़ने में मदद की. शिखर सम्मेलन के दौरान, देशों, प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों, किसान समूहों और उद्योग के बीच 70 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए. पहले जीएआईआईएस में 30 से अधिक एफएमसीजी कंपनियों ने भाग लिया. इससे लगभग 5.5 लाख रोजगार सृजित होने की उम्मीद है जो 76 लाख से अधिक लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा. इसके अलावा, सरकार देशभर में आयुष उत्पादों के प्रचार, अनुसंधान और निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए आयुष पार्कों का एक नेटवर्क विकसित करेगी.

शिखर सम्मेलन ने नीतियों को रणनीतिक समर्थन प्रदान करते हुए निवेश को आकर्षित करने के लिए एक सक्षम ढांचा विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पूरी दुनिया के निवेशकों और उद्यमियों ने आयुष द्वारा प्रस्तुत तुलनात्मक लाभों और विशाल युवा शक्ति, कुशल श्रम के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल और कल्याण सेवाओं में आयुष की विश्वसनीयता के रूप में इसकी ताकत को महसूस किया.

संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन

स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय/विश्व स्वास्थ्य संगठन/gaiis.in