संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा के लिए
तैयारी की रणनीति
उत्कर्ष कुमार ने 2018 में गोल्डमैन सैश, बैंगलोर में काम करते हुए सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया. इसके बाद, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और तैयारी के लिए वे ओल्ड राजेन्द्र नगर, नई दिल्ली पहुंचे. वे दिल्ली से पहली बार सिविल सेवा परीक्षा में बैठे. परन्तु, 15 अंकों से अंतिम योग्यता-सूची में आने से चूक गए. साक्षात्कार के बाद, कोविड-19 लॉकडाउन लग गया, जिसे देखते हुए वे अपने गृहनगर हजारीबाग चले गये. उन्होंने वहां दूसरे प्रयास की तैयारी की, जिसमें 55वां रैंक हासिल करके आईएएस बनने में सफलता प्राप्त की. रोज़गार समाचार ने उत्कर्ष किशोर से परीक्षा की तैयारी की उनकी रणनीति के बारे में बात की.
प्रश्न 1. आपने किस पेपर में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए और इसके पीछे मुख्य कारण क्या थे?
उत्कर्ष : सामान्य अध्ययन ढ्ढङ्क (नीतिशास्त्र) और मेरे वैकल्पिक विषय गणित ने मुझे बढ़त दिलायी. मैंने नीतिशास्त्र में 121/250 (शीर्ष 10 में) और गणित में 322/500 (सभी वैकल्पिक विषयों में उच्चतम) अंक प्राप्त किए. सामान्य अध्ययन के अन्य प्रश्नपत्रों से भिन्न, नीतिशास्त्र के लिए अध्ययन की अवधारणाओं के उच्च स्तरीय अनुप्रयोग की आवश्यकता होती है. 2019 की परीक्षा में विशाखा यादव ने असाधारण 160 अंक और 2020 में दिव्या मिश्रा ने 129 अंक हासिल किए, जबकि इन दोनों ही वर्षों में सामान्य अध्ययन के अन्य प्रश्नपत्रों में 110 से अधिक अंक प्राप्त करना बड़ा ही दुर्लभ था. मैंने - शंकर मेन्स टेस्ट सीरीज़, लुकमान एथिक्स टेस्ट सीरीज़ और फोरम की एडब्ल्यूएफजी आंसर राइटिंग आदि के जरिए व्यापक अध्ययन किया. मैंने विभिन्न प्रकार के प्रश्नों के लिए विशेष दृष्टिकोण भी अपनाया :
· नीति शास्त्र में बहुत सारे मूल्य और शब्दावली से आमना-सामना होता है : अखंडता, जवाबदेही, पारदर्शिता आदि. इन्हें ठीक से समझा जाना चाहिए और अपने शब्दों में परिभाषित किया जाना चाहिए. उदाहरणों को व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्तरों पर भी परखा जाना चाहिए.
· सूक्तियां या कथन अक्सर पूछे जाते हैं. एक अच्छा तरीका यह है कि कथन को सरल उदाहरणों में समझाएं, और फिर आज के संदर्भ में उनकी चर्चा करें. शासन से उदाहरण लाने की कोशिश करें, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों से विविध उदाहरण भी शामिल करें.
· लोक प्रशासन का नैतिक दृष्टिकोण से अध्ययन करने की आवश्यकता है : भ्रष्टाचार, नागरिक चार्टर (जवाबदेही), आरटीआई (पारदर्शिता). कॉर्पोरेट प्रशासन विभिन्न हितधारकों (शेयरधारकों, प्रबंधन, निदेशक मंडल, ग्राहकों, समाज, नियामकों आदि) की समझ पर आधारित है.
· मूल्य संवर्धन : समितियों आदि की रिपोर्टें (नोलन के 7 मूल्य, एआरसी 2), व्यक्तिगत और सार्वजनिक प्रकृति के उदाहरण और अनुकरणीय व्यक्तियों (जैसे निष्ठा या ईमानदारी के बारे में एम विश्वेश्वरय्या आदि) से उदाहरण, सूक्तियां, विचारकों को उद्धृत करते हुए (जैसे : युद्ध और शांति पर 'एक्विनास 'जस्ट वॉर, वैश्विक मुद्दों पर विवेकानंद का सर्वदेशीयवाद, गांधी के ट्रस्टीशिप सिद्धांत के रूप में सीएसआर), और फ़्लोचार्ट आदि.
· विचारक : पीएचडी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन प्रत्येक विचारक से जुड़े सिद्धांतों और मुख्य धारणा की पहचान करने की आवश्यकता है. साथ ही प्रतिष्ठित नेताओं को मूल्यों से जोड़ने का प्रयास करें (उदाहरण के लिए: नेहरू: लोकतंत्र, वैज्ञानिक स्वभाव; अम्बेडकर: साहस, न्याय). केस स्टडीज के लिए विविध प्रकार के व्यापक अभ्यास की आवश्यकता होती है, सावधानीपूर्वक मुद्दे की पहचान और हितधारक विश्लेषण, समकालीन मुद्दों से संबंध (जैसे: तमिलनाडु हिरासत में यातना आदि), दोनों अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान प्रदान करना (जहां संभव हो मौजूदा प्रशासन तंत्र का उपयोग करना).
प्रश्न 2. क्या आपको लगता है कि अपनी क्षमताओं पर अधिक ध्यान देने से बेहतर परिणाम मिलते हैं या अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए?
उत्कर्ष : हमें दोनों करने की आवश्यपकता है; क्षमताओं और कमजोरियों, दोनों की पहचान के बाद उन पर ध्यान केन्द्रित करना है. कमजोरियों पर काम करने से जबरदस्त सुधार देखने को मिलेगा, लेकिन क्षमता में भी लगातार सुधार लाने की जरूरत है. मेरे पहले प्रयास की मार्कशीट ने मुझे बताया कि मेरा वैकल्पिक और साक्षात्कार बेहतरीन था, जबकि मेरा जीएस खराब था. दूसरे प्रयास में मैंने तदनुरूप समय आवंटित किया : 30 प्रतिशत वैकल्पिक के लिए, 70 प्रतिशत जीएस के लिए. मेरे वैकल्पिक विषय के अंकों में 303 से 322 तक मामूली सुधार हुआ; जबकि जीएस 331/1000 से उछलकर 385/1000 पर पहुंच गया.
प्रश्न 3. उत्तर लिखने में भाषा पर अच्छी पकड़ होना कितना महत्वपूर्ण है?
उत्कर्ष : सरल भाषा में स्पष्ट और सटीक उत्तर लिखने में सक्षम होने की आवश्यकता है. शब्दावली को व्यापक होने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यह प्रासंगिक मूल धारणा तैयार करने में मदद करती है (नैतिकता: कर्तव्य के प्रति समर्पण, दृढ़ विश्वास की शक्ति, राजनीति: स्थानीय निकायों के लिए लोकतंत्र को गहरा करना आदि). इन मूल धारणाओं को भाषा के अध्ययन के माध्यम से नहीं, बल्कि तैयारी के दौरान उठाया जाता है.
प्रश्न 4. क्या आपने कोई मॉक टेस्ट दिया? वे कितने मददगार हैं?
उत्कर्ष : मॉक टेस्ट हमारी प्रगति का आकलन करते हैं : कमजोर क्षेत्रों को उजागर करते हैं, ताकत की पहचान करते हैं और भीड़ से स्वयं की तुलना करने में मदद करते हैं. प्रारंभिक परीक्षा के लिए, मैं 3 कोचिंग से परीक्षा पत्र हल कराने की सलाह देता हूं; जबकि जीएस मेन्स के लिए, किसी भी प्रतिष्ठित कोचिंग (मैंने शंकर आईएएस का इस्तेमाल किया) से 12-14 टेस्ट सीरीज़ हल करने की सलाह देता हूं. परीक्षण के दौरान प्रदर्शित योग्यता का सावधानीपूर्वक विश्लेषण संतुलित सफलता के लिए प्रेरित कर सकता है. बेंटिक की नीतियों पर एक प्रश्न ने मुझे सभी गवर्नर जनरल की नीतियों और सुधारों को संकलित करने के लिए प्रेरित किया; 2020 के जीएस 1 में कर्जन की नीतियों पर एक प्रश्न था. इसी तरह विजयनगर कला और संस्कृति पर एक प्रश्न ने मुझे प्रमुख राज्यों के लिए कला और संस्कृति का संकलन करने के लिए प्रेरित किया. जीएस १ 2020 में पाल साम्राज्य के बौद्ध धर्म पर एक प्रश्न था.
प्रश्न 5. क्या आपने कोचिंग संस्थानों की मदद ली? आप उन उम्मीदवारों के लिए मार्गदर्शन के और कौन से तरीके सुझाते हैं जो कोचिंग का खर्च वहन नहीं कर सकते?
उत्कर्ष : मैंने अपनी तैयारी के विभिन्न चरणों में कोचिंग संस्थानों का इस्तेमाल किया. शुरुआत में, मैं वजीराम और रवि में फाउंडेशन कोर्स में शामिल हुआ. किसी कोचिंग में शामिल होना हमें ज्ञान के सागर में खो जाने से बचाता है और संदेह दूर करने के लिए शिक्षकों तक और संभवत: एक अच्छे सहकर्मी समूह, तक पहुंच प्रदान करता है. परन्तु, इसमें शामिल वित्तीय लागत और बड़ी कक्षाओं (300-600 छात्र) पर विचार करने की आवश्यकता है. इसके अलावा कोचिंग पाठ्यक्रम की अंतर्निहित प्रकृति के कारण केवल 50-60 प्रतिशत पाठ्यक्रम को कवर कर सकता है. मैंने अपने आप सक्रिय रूप से अध्ययन करके, कक्षा में चर्चा की गई बातों को व्यापक रूप से संशोधित करके पाठ्यक्रम को उपयोगी बनाया; मेरे पास हर 2 घंटे की कक्षा में 5-6 प्रासंगिक प्रश्न होते थे. फिर भी, मैंने बीच में ही 50 प्रतिशत कक्षाओं में जाना बंद कर दिया. संक्षेप में, जबकि कोचिंग हमारी तैयारी को प्रारंभिक बढ़ावा दे सकते हैं, वे आवश्यक नहीं हैं. यदि अच्छी तरह से उपयोग किया जाता है, तो वे तैयारी में बढ़त ला सकते हैं. आज, टॉपर्स और सामग्री की रणनीतियां आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध हैं (विशेषकर मासिक करेंट अफेयर्स पत्रिकाएं जैसे विज़न आईएएस) तो यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्म पर मुफ्त और किफ़ायती लेक्चर सीरीज़ हैं. वे विशेष रूप से तलाशने लायक हैं।
प्रश्न 6. तैयारियों के दौरान आपके लिये बड़ी बाधाएं क्या थीं और कैसे आपने उन पर विजय पायी?
उत्कर्ष: तकनीकी क्षेत्र से ह्यूमेनिटीज विषयों की ओर आना आसान नहीं था. जब मैंने आरंभिक भाग पूरा करना शुरू किया तो मेरे विश्लेषणात्मक मस्तिष्क ने मुझे ह्यूमेनिटीज विषयों की रूपरेखा और शैली को समझने में मदद की (जैसे कला और संस्कृति का अध्ययन थीम वार और साम्राज्यवार किया जा सकता है).
· इतने विषयों के लिये समय प्रबंधन. पहले प्रयास में जब मैंने ऑप्शनल विषयों की तैयारी के लिये पर्याप्त समय दिया तो मैं कई जीएस विषयों के साथ न्याय नहीं कर सका. इससे मैंने सबक लिया और दूसरे प्रयास में जीएस के साथ बेहतर संतुलन बना पाया.
· उत्तर लिखने से पहले संपूर्णता की ललक (और इसीलिये हिचक)। अंतत: मैंने उत्तर लिखने शुरू किये; और हांलाकि मेरे शुरुआती उत्तर बुरे थे; वे सबसे खराब उत्तर थे जो मैंने लिखे. लेकिन बाद के प्रत्येक उत्तर अच्छे होते चले गये.
· प्रस्तुतिकरण: मैं बहुत छोटे अक्षर और लंबे वाक्य लिखा करता था, मेरे शीर्षक स्पष्ट नहीं थे. मैंने टॉप करने वाले अनेक विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं देखीं, यह सीखने के लिये कि लोग कैसे लिखा करते हैं. मैं बड़े अक्षरों में लिखने लगा, शीर्षक, विषयवस्तु और उत्तर के विभिन्न हिस्सों के बीच स्पेस में सुधार करने लगा, शीर्षकों को रेखांकित और घेरे में रखने लगा, उत्तर के बीच में, एकरसता तोड़ने के लिये फ्लोचार्ट, चित्र और मैप शामिल करने लगा.
प्रश्न 7. गणित को वैकल्पिक विषय रखने वाले उम्मीदवारों के लिए, आप कौन सी सर्वोत्तम तैयारी रणनीति सुझाते हैं?
उत्कर्ष : आईएमएस नोट्स का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें. वे परीक्षा में 80 प्रतिशत प्रश्नों के लिए पर्याप्त हैं. अवधारणाओं को समझने और अपनी नोटबुक में अभ्यास करने पर ध्यान दें. कुछ चीजें होंगी जिन्हें आपको याद रखने की आवश्यकता होगी - द्वितीय डिग्री इक्वेशन को कोनिक से घटाना, रीयल अनालिसिस टेस्ट , चारपिट मैथड् आदि. आप उन प्रूफ को छोड़ सकते हैं जो पहले पुनरावृत्ति में जटिल या महत्वपूर्ण नहीं लगते हैं. लेकिन हर बार जब आप नोट्स से संशोधन करते हैं तो अपने कवरेज को बढ़ाने का प्रयास करें. उन समस्याओं पर ध्यान दें जहां आप पहली बार फंस जाते हैं. आईएमएस नोट्स और आपके द्वारा हल की गई किसी भी बुक और टेस्ट सीरीज़, दोनों का इस्तेमाल इस कार्य के लिए करें. सुनिश्चित करें कि आप पीआईक्यूज को हल करते हैं, वे आपके रडार और सत्यापन हैं. यह भी सुनिश्चित करें कि आप पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद एक टेस्ट सीरीज़ में शामिल हों. 3 एच में टेस्ट लिखना रिवीजन करते समय हल करने से काफी अलग है. गणित के मामले में एक अच्छा नियम यह है कि प्रीलिम्स से पहले मैथ्स को अच्छी तरह से तैयार किया जाए, और प्रीलिम्स और मेन्स के बीच केवल टेस्ट और लाइट रिवीजन के अभ्यास पर ध्यान केंद्रित किया जाए. यह जीएस की तैयारी के लिए समय उपलब्ध कराएगा, अक्सर हमारे लिए गणित के उम्मीदवारों के लिए संतुलन बनाना मुश्किल होता है।
प्रश्न 8. तैयारी की सबसे महत्वपूर्ण अवधि कौन सी है ?
उत्कर्ष : हालांकि सभी अवधि का अपना अलग महत्व है, लेकिन प्रीलिम्स और मेन्स के बीच की अवधि अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह वह समय है जब हम सफलता का हल्का स्वाद चख चुके होते हैं (प्रीलिम्स निकाल लेने के बाद), और तीन महीने का समय बहुत तेजी से गुजर जाता है. मेरा रुटीन था- सुबह में 9 से 12.30 के बीच समाचार पत्र और गणित का हाफ टेस्ट, दोपहर में 2 से 5.30 तक जीएस अध्ययन/जांच और रात में रिवीजन. प्रत्येक सप्ताह मैं 1-2 जीएस जांच परीक्षा, 1-2 गणित परीक्षा, 1 निबंध जांच (सभी 3 घंटे की परीक्षा), 3-4 उत्तर लेखन परीक्षा (प्रत्येक 1 घंटे का) देता. यह अवधि अपने उत्तर की गुणवत्ता बढ़ाने, इसे बेहतर से और बेहतर करने की अवधि है
प्रश्न 9. क्या आपने नोट बनाने में कोई विशिष्ट कौशल लागू किया?
उत्कर्ष : नोट्स तैयार करने में मैंने एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित पुस्तकों, संदर्भ ग्रंथों और सम-सामयिक घटनाओं (समाचार पत्रों और सम-सामयिक पत्रिकाओं) की सामग्री का उपयोग किया. नोट बनाने में परिश्रम करने से परीक्षा के दौरान कष्ट कम होता है. यह अनुमान लगाने का खेल है कि परीक्षा के दृष्टिकोण से किसी विषय के कौन से आयाम प्रासंगिक हैं. प्रत्येक जीएस प्रश्न के लिए, हमें 2-3 (10 अंक) या 3-5 (15 अंक) आयाम प्रस्तुत करने होंगे. आदर्श रूप से हमारे नोट्स में ये आयाम होने चाहिए, और हमारा काम परीक्षा हॉल में प्रश्न की जरूरत के लिए उन्हें तैयार करना है. उम्मीदवारों को विषय नोट्स (सांख्यिकी, समिति रिपोर्ट, उद्धरण, आरेख और मानचित्र कार्य) के साथ मूल्यवर्धन भी शामिल करना चाहिए. जैसे-जैसे हम परीक्षण लिखते हैं, परीक्षा के बारे में हमारी समझ में सुधार होता है; हमारे नोट्स सुधरते हैं तो उत्तरों में सुधार होता है. इस चक्र को आदर्श रूप से 4-5 बार चलाने की जरूरत है. हर बार जब हम किसी किताब या करंट अफेयर्स पत्रिका का अध्ययन करते हैं, या परीक्षा के बाद संशोधित करते हैं, या विश्लेषण करते हैं तो ये नोट्स विकसित होते हैं. इसलिए उन्हें एमएस वर्ड, एवर नोट, वननोट, नोशन आदि पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से बनाना अधिक सुविधाजनक है.
प्रश्न 10. प्रौद्योगिकी तक अधिक पहुंच वाले उम्मीदवारों को क्या किसी तरह का लाभ मिलता है?
उत्कर्ष : प्रौद्योगिकी तक पहुंच से तैयारियों को व्यवस्थित करने में मदद मिलती है. समाचार पत्र सुबह में उपलब्ध हो जाता है यदि आप घर से बाहर हैं तब भी. अध्ययन सामग्री ( किताबें, समसामयिक घटनाओं से संबंधित पत्रिकाएं) और जांच परीक्षाएं (प्रीलिम्स, मेन्स) ऑनलाइन उपलब्ध हैं. मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं मूल्यांकन के लिये स्कैन और अपलोड की जा सकती हैं. नोट्स ऑनलाइन डाले जा सकते हैं और बातचीत से अपडेट किये जा सकते हैं. इंटरव्यू के लिये वीडियो कॉल पर आमने सामने य़ा ग्रुप डिस्कशन में तैयारी की जा सकती है. कई उपयोगी चैनल हैं और टेलिग्राम पर डिस्कशन ग्रुप है; जैसे एक चैनल प्रीलिम्स पीआरक्यू (पिछले वर्ष के प्रश्न पत्र) को क्विज के रूप में पोस्ट करता है- उम्मीदवारों को प्रौद्योगिकी पर दिये गये समय को लेकर अत्यंत सतर्क होने की जरूरत है- एक बार में घंटों व्यय करना, या प्रत्येक खाली मिनट में नोटिफिकेशन को देख लेने की प्रवृत्ति विकसित कर लेना आसान है- लेकिन यह तैयारी के लिये सही नहीं है- और इससे तत्काल की संतुष्टि होती है. हमें इसके बदले लंबे समय तक तैयारी की ललक पैदा करनी चाहिये. इन कारणों से प्रौद्योगिकी पूरी तरह नहीं तो लगभग आवश्यक प्रतीत होती है.
प्रश्न 11. क्या महामारी का आपकी तैयारियों और परिणामों पर असर पड़ा ? आप उम्मीदवारों को ऐसी अप्रत्याशित स्थितियों का मुकाबला करने के लिये क्या सुझाव देंगे?
उत्कर्ष: प्रत्येक संकट चुनौतियों के साथ- साथ अवसर भी सामने रखता है. जब अचानक लॉकडाउन लागू हुआ, मैं एक पारिवारिक स्वास्थ्य समस्या को लेकर गुड़गांव में था, मुझे दिल्ली में अपने कमरे से किताबें लिये बिना झारखंड जाने को बाध्य होना पड़ा. चूंकि मेरे नोट्स इलेक्ट्रॉनिक थे, इसलिये मैं 2 महीने तक अपने साथ की दो-तीन किताबों की मदद से अपनी तैयारी जारी रख सका. अनिश्चितता और नकारात्मक विचारों को लेकर तनाव पैदा होता है, जैसे सीएसई 2019 के रिजल्ट्स में देरी, और सीएसई 2020 की प्रारम्भिक परीक्षा का स्थगित होना; बाद में सीएसई 2020 के साक्षात्कार के स्थगित होने का भी मनोबल पर असर पड़ा. ऐसी स्थितियों में तैयारियों पर असर पड़ता है. हालांकि निर्धारित तिथियों के स्थगित होने से मुझे तैयारी में रह गयी कमियों को पूरा करने का मौका मिला. आमतौर पर एक उम्मीदवार को साक्षात्कार और प्रारंभिक परीक्षा के बीच मुश्किल से एक महीने का समय मिलता है, लेकिन मुझे 6 महीने मिले! मैंने इस समय का उपयोग जीएस की तैयारी में किया और अपना ऑप्शनल पूरा कर लिया. इससे मुझे दूसरे प्रयास में बहुत मदद मिली.
प्रश्न 1२. क्या आपके विचार में किसी के लिये यह संभव है कि वह नौकरी के साथ-साथ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर ले ? क्या काम का अनुभव किसी तरह उम्मीदवार की मदद कर सकता है ?
उत्कर्ष : हमने ऐसे उदाहरण देखे हैं कि उम्मीदवारों ने नौकरी के साथ-साथ तैयारी भी की - जैसे अभिलाष बर्नवाल (ऑल इंडिया रैंक 44, सीएसई 2017). लेकिन तैयारी पूरी गहनता मांगती है और नौकरी के साथ, अतिरिक्त 1-2 साल लग सकते हैं. इसलिये हम देखते हैं कि कम प्राथमिकता वाली नौकरियों में लगे उम्मीदवार ईओएल लेकर पूरी मेहनत से परीक्षा की तैयारी करते हैं. यदि कोई आर्थिक और मानसिक रूप से सक्षम हो सकता है तो मुझे लगता है कि 1-2 साल के लिये नौकरी छोड़ने में कोई हर्ज नहीं है. इसके बाद पाठ्यक्रम लगभग पूरा हो जायेगा और तैयारी के लिये बहुत कम समय की जरूरत पड़ेगी. कार्य अनुभव से मदद मिलती है. आम तौर पर देखा गया है कि कार्य अनुभव वाले उम्मीदवार बेहतर समय प्रबंधन कर पाते हैं और उनके पास बेहतर संपर्क अनुभव होता है. इसके अलावा उनके पास एक अतिरिक्त अवसर भी उपलब्ध होता है जो उन्हें अधिक कठिन परिश्रम करने में सक्षम बनाता है. उन्हें लगातार इस बात का अहसास होता है कि पैसे कमाने के बदले तैयारी क्यों कर रहे हैं? कार्य अनुभव के आधार पर उन्हें साक्षात्कार में भी मदद और सही मार्ग दर्शन मिल जाता है. मुझसे दोनो बार गोल्डमैन सैश के अनुभव के बारे में सवाल पूछे गये. हांलाकि उम्मीदवार को इसका औचित्य स्पष्ट करना पड़ता है कि वह अपना कार्य क्षेत्र बदल कर सिविल सर्विसेज में क्यों आना चाहता है. और चूंकि सिविल सर्विसेज के प्रमोशन समय आधारित होते हैं इसलिये जितनी जल्दी संभव हो इसमें आना बेहतर है.
प्रश्न 1३. कॅरिअर के चुनाव में सर्वश्रेष्ठ तरीका क्या है? क्या सिविल सेवा के उम्मीदवार को आसान स्नातक पाठ्यक्रम लेकर सिविल परीक्षा की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये या अधिक रोज़गारपरक डिग्री पाठ्यक्रम लेकर अन्य विकल्पों को खुला रखना चाहिये?
उत्कर्ष: मेरे विचार में पूर्व स्नातकों को अपनी रुचि से प्रेरित होकर, उसी के अनुसार निर्णय लेना चाहिये. यदि किसी को ह्यूमेनिटीज विषय अच्छे लगते हैं तो उसे बी.ए करना चाहिये. यदि उसकी रुचि गणित और विज्ञान में है तो उसे प्रोफेशनल बी.एससी/बी.टेक करना चाहिये. 'कॉलेज शिक्षा में अच्छा करने से अच्छे कॅरिअर अवसरों के द्वार खुल जाते हैं; ह्यूमेनिटीज ऑप्शनल के विद्यार्थियों के लिये उच्च अध्ययन और शोध का विकल्प रहता है जबकि प्रोफेशनल विद्यार्थियों को सीधे नौकरी मिल जाती है. यदि सिविल सर्विसेज लक्ष्य (लगातार प्रयास का पारितोषिक मिलता है) है तो भी ये अच्छे बैकअप हैं. मुझे एक इंजीनियर के रूप में गणित के वैकल्पिक विषय का महत्वपूर्ण लाभ मिला.
(उत्कर्ष ने सिविल सेवा परीक्षा 2020 में अखिल भारतीय स्तर पर 55वां रैंक हासिल किया है. उनसे टेलीग्राम चैनल @utkarsh5_55 पर संपर्क किया जा सकता है, जिस पर वह उम्मीदवारों को विस्तृत रणनीति, नोट्स, समस्या पत्रक आदि मुफ्त में साझा करते हैं).