क्वाड नेताओं का सम्मेलन
वैश्विक कल्याण के लिए एक बल
24 सितंबर, २०२१ को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से हिस्सा लिया. मार्च 2021 में नेताओं की वर्चुअल बैठक में उद्घाटन के बाद क्वाड नेताओं के बीच यह पहली व्यक्तिगत बैठक थी.
क्वाड क्या है?
क्वाड्रिलेटरल अथवा चतुर्पक्षीय सुरक्षा वार्ता अथवा क्वाड ''चार देशों - भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमरीका के बीच एक राजनयिक (और सामरिक) नेटवर्क है, जो एक मुक्त, समावेशी और उत्थानशील क्षेत्र के प्रति समर्थन के लिए वचनबद्ध है. क्वाड की स्थापना 2007 में तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री जॉन हॉवर्ड, अमरीकी उपराष्ट्रपति डिक चेनी और भारत के प्रधानमत्री मनमोहन सिंह द्वारा की गई थी. प्रधानमंत्री केविन रूड के कार्यकाल में आस्ट्रेलिया के इस संगठन से हटने के बाद क्वाड को भंग कर दिया गया था. परंतु, 2017 में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान चार देशों के नेताओं (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प) ने चतुर्पक्षीय गठबंधन को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की.
इस समूह के लक्ष्यों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा हितों की रक्षा करना शामिल है. यह समूह आसियान सहित अन्य द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकताएं भी पूरी करता है. क्वाड साझीदार आसियान की केंद्रीय भूमिका, आसियान के नेतृत्व वाली संरचना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बारे में आसियान के दृष्टिकोण के समर्थक हैं.
क्वाड नेताओं की बैठकें इन देशों के विदेश मंत्रियों के व्यापक परिश्रम पर निर्भर करती हैं, जिनके बीच अभी तक तीन बैठकें हो चुकी हैं. क्वाड के विदेश मंत्रियों की पिछली बैठक 18 फरवरी, 2021 को हुई थी. उससे पहले अक्तूबर 2020 में टोक्यो में और सितंबर 2019 में न्यूयार्क में विदेश मंत्रियों की बैठकें आयोजित की गई थीं.
प्रथम व्यक्तिगत बैठक के परिणाम
सामयिक चुनौतियों से निपटने के लिए क्वाड की एक रचनात्मक, व्यावहारिक कार्यसूची है. इन चुनौतियों में महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकियां, साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, अवसंरचना, समुद्री सुरक्षा, दुष्प्रचार का मुकाबला, आतंकवाद से निपटना और मानवीय सहायता तथा आपदा राहत जैसे मुद्दे शामिल हैं. सितंबर सम्मेलन में मुख्य रूप से इसी तरह की वैश्विक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया. इनमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला और समावेशी बनाने के उपाय भी शामिल थे. चारों देशों ने कोविड-19 वैक्सीन भागीदारी की भी समीक्षा की, जो इस वर्ष मार्च में शुरु की गई थी.
1. कोविड और वैश्विक स्वास्थ्य
मार्च में क्वाड नेताओं ने वैक्सीन भागीदारी शुरु की थी ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र और विश्वभर में सुरक्षित और कारगर टीकों तक समान पहुंच बढ़ाने में मदद की जा सके. मार्च से ही क्वाड ने सुरक्षित और कारगर कोविड-19 वैक्सीन विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने, टीके दान करने, और महामारी से निपटने में हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सहायता करने की दिशा में मजबूत कदम उठाए हैं. क्वाड देशों ने विश्वभर में 1.2 अरब वैक्सीन डोज दान करने का संकल्प व्यक्त किया है. ये टीके कोवैक्स के जरिए वित्त पोषित टीकों के अतिरिक्त होंगे. अभी तक (सितंबर 2021) ये देश सामूहिक रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र को करीब 7.9 करोड़ सुरक्षित और कारगर वैक्सीन डोज उपलब्ध करा चुके हैं.
बैठक के दौरान भारत ने वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत यह कार्यक्रम विश्व में अन्य देशों को कोविड-१९ वैक्सीन उपलब्ध कराने की भारत सरकार की एक मानवीय पहल है. कोवैक्स सहित, सुरक्षित और कारगर कोविड-19 वैक्सीन का निर्यात पिछले महीने से फिर शुरू करने के अपने निर्णय की घोषणा की. कोविड-19 संकट कार्रवाई आपात सहायता ऋण कार्यक्रम के अंतर्गत 3.3 अरब डॉलर की लागत के जरिए जापान क्षेत्रीय देशों को सुरक्षित, कारगर और गुणवत्तापूर्ण टीके खरीदने में सहायता जारी रखेगा. ऑस्ट्रेलिया दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र में टीकों की खरीद के लिए 2.12 करोड़ डॉलर का सहायता अनुदान प्रदान करेगा. इसके अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया अंतिम छोर तक वैक्सीन पहुंचाने में सहायता करने के लिए 2.19 करोड़ डॉलर आवंटित करेगा और उन क्षेत्रों में अंतिम छोर तक टीका वितरण करने के क्वाड के प्रयासों में समन्वय करने में नेतृत्व प्रदान करेगा. जापान भारत के साथ मिल कर वैक्सीन और उपचार में काम आने वाली औषधियों सहित, कोविड-19 से संबंधित स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश में करीब 10 करोड़ डालर की बढ़ोतरी करेगा.
2. बुनियादी ढांचा
बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (बी३डब्ल्यू) यानी बेहतर विश्व का पुनर्निर्माण संबंधी जी-7 देशों की घोषणा पर अमल करते हुए क्वाड डिजिटल कनेक्टिविटी, जलवायु, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सुरक्षा, और लिंग समानता ढांचे पर ध्यान केंद्रित करते हुए अवसंरचना भागीदारी के लिए काम करेगा. क्वाड क्षेत्र में जारी अवसंरचना उपायों को सुदृढ़ बनाने मेें विशेषज्ञता, क्षमता, और अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा तथा क्षेत्र की जरूरतें पूरी करने के लिए नए अवसरों की पहचान करेगा. उच्च स्तरीय ढांचा बनाने के बारे में क्वाड भागीदारों के मौजूदा नेतृत्व का लक्ष्य पूरा करने के लिए, एक वरिष्ठ क्वाड अवसंरचना समन्वय समूह का गठन किया जाएगा, जिसकी बैठकें नियमित रूप से होंगी ताकि क्षेत्रीय अवसंरचना जरूरतों के मूल्यांकन संबंधी जानकारी साझा की जा सके और पारदर्शी और उच्च स्तरीय अवसंरचना बनाने से सम्बद्ध दृष्टिकोणों के बीच समन्वय कायम किया जा सके. यह समूह क्षेत्रीय भागीदारों सहित तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण प्रयासों में भी समन्वय स्थापित करेगा ताकि परस्पर प्रयास एक-दूसरे को मजबूती प्रदान करें और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण अवसंरचना मांग पूरी करने में पूरक भूमिका अदा करें.
3. हिंद-प्रशांत सुरक्षा
क्वाड देशों ने एक ऐसी खुली नियम आधारित व्यवस्था को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता दोहराई, जो अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित हो ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उससे परे सुरक्षा और खुशहाली बढ़ाने तथा जोखिमों का सामना करने में मदद मिल सके. संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि ''क्वाड देश समुद्री क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून की भूमिका, विशेष रूप से समुद्री कानून से संबंधित संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन में व्यक्त विचारों को वरीयता देना जारी रखेंगे और पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में नियम आधारित समुद्री व्यवस्था के प्रति चुनौतियों से निपटने में सहयोग करेंगे.
4. महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां
क्वाड एक सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला कार्यक्रम शुरू करेगा ताकि सेमी कंडक्टरों और उनके महत्वपूर्ण घटकों के लिए क्षमता का आकलन किया जा सके, कमजोरियों की पहचान की जा सके, और उनकी आपूर्ति के लिए एक मजबूत शृंखला कायम की जा सके. क्वाड भागीदार 5जी के विस्तार के लिए परीक्षण और परीक्षण सुविधाओं संबंधी प्रयासों सहित सक्षम वातावरण बनाने की दिशा में भी मिलकर काम करेंगे.
5. अंतरिक्ष और जलवायु परिवर्तन
क्वाड देश अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग प्रारंभ करेंगे विशेष रूप से, उपग्रह डेटा आदान-प्रदान, जलवायु परिवर्तन संबंधी निगरानी और अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित करना, आपदाओं से निपटने की तैयारी और साझा क्षेत्रों में चुनौतियों से निपटने के लिए मिल कर काम करने पर बल दिया जाएगा. इस तरह के डेटा साझा करने से जलवायु परिवर्तन संबंधी जोखिमों के विश्लेषण में सहयोग करने और सागरों तथा समुद्री संसाधनों के स्थायी उपयोग की दिशा में काम करने, जलवायु परिवर्तन के प्रति बेहतर अनुकूलन और क्वाड जलवायु कार्य समूह के साथ समन्वय करते हुए गंभीर जोखिम की आशंका वाले अन्य हिंद-प्रशांत राष्ट्रों में क्षमता निर्माण में मदद मिलेगी. क्वाड राष्ट्र अन्य हिंद-प्रशांत देशों में अंतरिक्ष संबंधी क्षेत्रों में क्षमता निर्माण में भी मदद करेंगे ताकि वे जोखिम और चुनौतियों का प्रबंधन कर सकें.
जलवायु परिवर्तन संबंधी प्रतिष्ठित अगस्त अंतर-सरकारी समिति की रिपोर्ट के नतीजों में इंगित जलवायु संकट का समाधान करने के लिए, क्वाड राष्ट्र जलवायु आकांक्षा विषय पर अपने प्रयास संकेंद्रित करेंगे. वे राष्ट्रीय उत्सर्जन और नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ ऊर्जा, नवाचार और विकास, साथ ही अनुकूलन, उत्थान और तैयारी के बारे में 2030 के लिए निर्धारित लक्ष्य हासिल करने की दिशा में भी काम करेंगे. क्वाड हरित-जहाजरानी नेटवर्क भी कायम करेगा, अर्थात् वह हरित-बंदरगाह ढांचा बनाएगा और जहाजों में स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करेगा. यह गठबंधन एक स्वच्छ हाइड्रोजन भागीदारी कायम करने की दिशा में भी काम करेगा ताकि स्वच्छ हाइड्रोजन मूल्य शृंखला के सभी तत्वों की लागत में कमी लाई जा सके. इसके अतिरिक्त क्वाड देश जलवायु और सूचना सेवाएं कार्य बल का भी गठन करेंगे और आपदा सक्षम ढांचे के लिए सहयोग के जरिए नए तकनीकी केंद्र का निर्माण करेंगे, जो छोटे विकासशील द्वीप राष्ट्रों में तकनीकी सहायता प्रदान करेगा.
6. क्वाड फैलोशिप
अगली पीढ़ी की स्टेम प्रतिभा यानी विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरी और गणित में प्रतिभा सृजित करने के लिए, क्वाड ने क्वाड फेलोशिप की घोषणा की है. यह अपनी तरह का पहला स्कॉलरशिप कार्यक्रम है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का ऐसा नेटवर्क विकसित करेगा, जो प्राइवेट, सरकारी और शैक्षिक क्षेत्रों में, स्वयं के देशों और क्वाड देशों के बीच नवाचार एवं सहयोग बढ़ाने के प्रति वचनबद्ध हों. फेलोशिप हर वर्ष सौ विद्यार्थियों को प्रायोजित करेगी. इनमें प्रत्येक क्वाड राष्ट्र से 25 विद्यार्थी होंगे, जो अमरीका में प्रमुख स्टेम यानी विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरी और गणित विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर और डॉक्टरल डिग्री के लिए अध्ययन करेंगे.
(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)
स्रोत- पीआईबी