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विशेष लेख


Issue no 28, 09-15 October 2021

आपकी दोस्त, भारतीय डाक

विश्व डाक दिवस विशेष

 

डेढ़ सौ से अधिक वर्षों से, डाक विभाग संचार प्रणाली की रीढ़ रहा है और इसने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह कई तरह से भारतीय नागरिकों के जीवन से जुड़ा है, जैसे कि डाक पहुंचाना, छोटी बचत योजनाओं के तहत जमा स्वीकार करना, डाक जीवन बीमा (पीएलआई) और ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) के तहत जीवन बीमा कवर प्रदान करना, तथा बिल संग्रह और फार्मों की बिक्री जैसी खुदरा सेवाएं प्रदान करना. डाक विभाग देश के नागरिकों को आवश्यक सरकारी योजनाओं और सेवाओं की अंतिम छोर तक सुपुर्दगी भी प्रदान करता है.

 

विश्व डाक दिवस क्यों मनाया जाता है?

1874 में बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की वर्षगांठ के अवसर पर हर वर्ष 9 अक्तूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है.1969 में टोक्यो, जापान में आयोजित यूपीयू कांग्रेस ने इसे विश्व डाक दिवस घोषित किया था और तब से, डाक सेवाओं के महत्व को उजागर करने के लिए दुनियाभर में इसे मनाया जाता है. विश्व डाक दिवस का उद्देश्य लोगों के जीवन और व्यवसायों में डाक क्षेत्र की भूमिका और देशों के सामाजिक-आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना है. यह उत्सव सदस्य देशों को डाक सेवाओं की भूमिका के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिए गतिविधियां शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करता है. यूपीयू (संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी) में भारत सहित 191 सदस्य देश हैं.

 

भारतीय डाक विभाग राष्ट्रीय स्तर पर जनता और मीडिया के बीच भारतीय डाक की भूमिका और गतिविधियों के बारे में व्यापक जागरूकता उत्पन्न करने के लिए प्रत्येक वर्ष 9 से 15 अक्टूबर तक राष्ट्रीय डाक सप्ताह मनाता है. राष्ट्रीय डाक सप्ताह के हिस्से के रूप में, डाक विभाग बचत बैंक दिवस, डाक दिवस, डाक टिकट दिवस, व्यवसाय विकास दिवस और डाक जीवन बीमा दिवस मनाता है.

 

भारत में डाक सेवाओं का इतिहास

इस विशाल डाक नेटवर्क की उत्पत्ति 1727 में हुई थी, जब कोलकाता में पहला डाकघर स्थापित किया गया. इसके बाद, 1774 में कोलकाता के तत्कालीन तीन प्रेसीडेंसी-नगरों, 1786 में चेन्नै और 1793 में मुंबई में जनरल पोस्ट ऑफिस (जीपीओ) स्थापित किए गए थे. डाक संचालन में एकरूपता लाने के लिए 1837 का भारतीय डाकघर अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के बाद 1854 का अधिक व्यापक भारतीय डाकघर अधिनियम आया, जिसने देश में आधुनिक डाक प्रणाली की नींव रखी. उसी वर्ष, रेलवे मेल सेवा शुरू की गई, और सी मेल सेवा भारत से ग्रेट ब्रिटेन और चीन तक शुरू की गई.1898 के भारतीय डाकघर अधिनियम ने देश में डाक व्यवस्था को और मजबूत किया.

 

भारतीय डाक

भारतीय डाक कई तरह से भारतीय नागरिकों के जीवन से जुड़ा है: जैसे कि डाक पहुंचाना, छोटी बचत योजनाओं के तहत जमा स्वीकार करना, डाक जीवन बीमा (पीएलआई) और ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) के तहत जीवन बीमा कवर प्रदान करना, और बिल संग्रह जैसी खुदरा सेवाएं प्रदान करना, यूआईडीएआई से संबंधित सेवाएं, प्रपत्रों की बिक्री आदि. डाक विभाग महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) मजदूरी संवितरण, छात्रवृत्ति और वृद्धावस्था पेंशन भुगतान जैसी अन्य सेवाओं के निर्वहन में भारत सरकार के लिए एक एजेंट के रूप में भी कार्य करता है. डेढ़ लाख से अधिक डाकघरों (लगभग 90 प्रतिशत या 1.4 लाख डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं) के साथ, डाक विभाग के पास दुनिया में सबसे व्यापक रूप से वितरित डाक नेटवर्क है.

हालांकि, विभाग की मुख्य गतिविधि देशभर में डाक की प्रोसेसिंग और प्रसारण तथा धन का वितरण है, विभाग की एक सदी से भी अधिक समय से अन्य सेवाओं की एक विविध श्रेणी भी है, जिसमें बैंकिंग और बीमा सेवाएं शामिल हैं. पोस्ट मास्टर/पोस्टमैन को उच्च विश्वसनीयता प्राप्त है. अखिल भारतीय पहुंच और स्थानीय कार्यालय/कार्यबल क्षमता के साथ, भारतीय डाक सामाजिक सेवाएं प्रदान करता है और सभी ग्रामीण/दूरस्थ क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करता है.

 

पिछले दो दशकों में, दुनिया ने तेजी से परिवर्तन देखा है. वैश्वीकरण, इंटरनेट के उदय और मोबाइल टेलीफोन की लोकप्रियता के साथ, पारंपरिक डाक सेवाएं तेजी से अपनी प्रासंगिकता खो रही हैं. हालांकि, भारतीय डाक ने वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में कदम रखते हुए सही समय पर सही कदम उठाया है.

 

प्रदत्त सेवाओं में निम्नलिखित शामिल है:-

(i)                  बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं: डाकघर बचत बैंक, जमा खाते, खाते में तत्काल भुगतान की सुविधा (इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक), एटीएम, -बैंकिंग, मनरेगा मजदूरी भुगतान, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली.

(ii)                 बीमा उत्पाद: डाक जीवन बीमा, ग्रामीण डाक जीवन बीमा, फसल बीमा, स्वास्थ्य, दुर्घटना और सामान्य बीमा.

(iii)                तीसरे पक्ष के उत्पादों का वितरण: आम जनता के लिए ई-सेवाओं का प्रावधान; विविध बिल संग्रह और भुगतान गतिविधियां; सरकारी विभागों और निजी क्षेत्र को सूचना का प्रावधान और दस्तावेजों, प्रमाणपत्रों, आवेदन प्रपत्रों (300 से अधिक सेवाओं) की सुविधा, सभी वाणिज्यिक आधार पर.

(iv)              सरकारी सेवाओं का प्रबंधन: इसमें कई सरकारी सेवाएं जैसे आधार सेवाएं, किसान विकास पत्र, सुकन्या समृद्धि खाते, जीवन प्रमाण, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र, जन सुरक्षा योजनाएं शामिल हैं.

(v)                दीन दयाल स्पर्श योजना: स्कूली बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने और डाक टिकट संग्रह की पहुंच बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा 2017 में एक अखिल भारतीय छात्रवृत्ति कार्यक्रम शुरू किया गया था.

(vi)              पासपोर्ट सेवा केंद्रों के रूप में डाकघर: डाक विभाग और विदेश मंत्रालय द्वारा बड़े पैमाने पर नागरिकों को पासपोर्ट सेवाएं प्रदान करने के लिए पासपोर्ट सेवा केंद्रों के रूप में डाकघरों के नेटवर्क का लाभ उठाने के लिए सहमत होने के बाद यह सेवा शुरू हुई.

(vii)             सभी नागरिक-केंद्रित सेवाओं के लिए संपर्क का एकल बिंदु: डीओपी और कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) -गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) द्वारा प्रवर्तित ने सीएससी के डिजिटल सेवा पोर्टल का उपयोग करके विभिन्न त्र२ष्ट (सरकार से नागरिक) और क्च२ष्ट (व्यवसाय से ग्राहक) के लिए सहायक डिजिटल सेवाएं प्रदान करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.

 

लॉकडाउन की अवधि के दौरान डाक सेवा को एक आवश्यक सेवा घोषित किया गया था. डाक विभाग ने 1.57 लाख से अधिक डाकघरों और 4,00,000 डाक कर्मचारियों के अपने विशाल नेटवर्क का उपयोग नागरिकों को उनके दरवाजे पर, यहां तक कि देश के दूर-दराज के कोनों में भी,आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए किया.

 

आवश्यक सेवाओं की डोरस्टेप डिलीवरी की सुविधा के लिए, 'पोस्ट इंफो मोबाइल एप्लिकेशन को उन ग्राहकों से सेवा अनुरोध प्राप्त करने के लिए विकसित किया गया था जो डाकघरों में नहीं आ सकते थे. डाक और योजनाओं को पहुंचाने की अपनी सेवा से परे, उन्होंने लोगों के लिए आवश्यक दवाएं, चिकित्सा संस्थानों के लिए उपकरण और यहां तक कि जरूरतमंद लोगों को भोजन, राशन और पीपीई किट भी वितरित किए. डाक विभाग ने अपनी अभिनव आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) के माध्यम से 3.27 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को उनके दरवाजे पर वित्तीय सहायता प्रदान करके सेवा प्रदान की.

 

देशभर में ट्रेन और उड़ान सेवाओं के निलंबन के परिणामस्वरूप, मेल मोटर सेवा ने आवश्यक वस्तुओं, यानी दवाओं, चिकित्सा उपकरण, वेंटिलेटर, कोविड परीक्षण किट, आदि और आम जनता, अस्पताल, और विभिन्न सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाओं द्वारा बुक किए गए अन्य डाक लेखों की नियमित आवाजाही सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

 

नवाचार

(i)                  सार्वजनिक लेटरबॉक्स की निकासी का डिजिटल फुटप्रिंट रखने के लिए, डाक विभाग ने इन-हाउस विकसित 'नान्यथाÓ सॉफ्टवेयर के माध्यम से लेटरबॉक्स की इलेक्ट्रॉनिक निकासी को लागू किया है.

(ii)                अपंजीकृत मेल के संचरण को ट्रैक करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने के लिए, जिसे अब तक मैन्युअल रूप से संभाला जाता था, डाक विभाग ने अपंजीकृत मेल के लिए सेवा की गुणवत्ता में सुधार हेतु अपंजीकृत बैग के लिए बार कोडेड बैग लेबल पेश किए हैं.

(iii)               न्यू इंडिया (दर्पण) परियोजना के लिए ग्रामीण डाकघर के डिजिटल उन्नयन के तहत, डाक विभाग ने ऑनलाइन डाक और वित्तीय लेन-देन करने के लिए पूरे देश में 1,29,159 शाखा डाकघरों को सिम-आधारित हैंडहेल्ड डिवाइस प्रदान किए हैं.

 

(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)

स्रोत-  डाक विभाग