रोज़गार समाचार
सदस्य बनें @ 530 रु में और प्रिंट संस्करण के साथ पाएं ई- संस्करण बिल्कुल मुफ्त ।। केवल ई- संस्करण @ 400 रु || विज्ञापनदाता ध्यान दें !! विज्ञापनदाताओं से अनुरोध है कि रिक्तियों का पूर्ण विवरण दें। छोटे विज्ञापनों का न्यूनतम आकार अब 200 वर्ग सेमी होगा || || नई विज्ञापन नीति ||

विशेष लेख


Issue no 24,11-17 September 2021

पोषण माह

लोगों की पोषण स्थिति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय विकास के संकेतक के रूप में मान्यताप्राप्त है. पोषण विकास प्रक्रिया का इनपुट और आउटपुट दोनों है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, स्वास्थ्य किसी व्यक्ति में न केवल बीमारी की अनुपस्थिति है बल्कि उसकी उत्पादकता और कार्य-निष्पादन के संबंध में पूर्ण मानसिक और शारीरिक आरोग्यता की स्थिति है. सफल सामाजिक-आर्थिक और सतत् विकास के लिए एक सुपोषित, स्वस्थ कार्यबल पूर्व शर्त है.

भारत सरकार ने, नागरिकों की पोषण संबंधी स्थिति बेहतर बनाने और पोषण को राष्ट्रीय विकास एजेंडा के केंद्र-बिंदु में लाने के लिए, 2018 में पोषण अभियान शुरू किया. यह कुपोषण को एक लक्षित दृष्टिकोण में दूर करने के विजन के साथ एक बहु-मंत्रालयी कन्वर्जेंस मिशन है.  सामुदायिक जुटाव सुनिश्चित करने और लोगों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए, हर साल सितंबर में पूरे देश में राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है. पोषण माह का उद्देश्य जनभागीदारी को प्रोत्साहित करना है, ताकि छोटे बच्चों और महिलाओं में कुपोषण को दूर करने के लिए जन आंदोलन उत्पन्न किया जा सके और सभी के लिए स्वास्थ्य और पोषण सुनिश्चित किया जा सके.

पोषण अभियान क्या है?

पोषण अभियान बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण संबंधी परिणामों में सुधार के लिए भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है. 8 मार्च, 2018 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजस्थान के झुंझुनू से प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया, पोषण (प्रधानमंत्री की समग्र पोषण के लिए व्यापक योजना) अभियान कुपोषण की समस्या की ओर देश का ध्यान आकृष्ट करने और इस समस्या को एक मिशन-मोड के तहत हल करने हेतु निदेशित है.

पोषण अभियान एक जन आंदोलन यानी "People's Movement" है जिसमें स्थानीय निकायों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी विभागों, सामाजिक संगठनों और सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों की व्यापक समावेशी भागीदारी शामिल है. एक नेक और समग्र लक्ष्य के साथ शुरू किया गया, पोषण अभियान कुल मिलाकर आबादी के लक्षित सदस्यों और उनके परिवार के सदस्यों, जिनमें पति, पिता, सास और समुदाय के सदस्य, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता (एएनएम, आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता) शामिल हैं, के मध्य महत्वपूर्ण पोषण व्यवहार के बारे में जागरूकता और ज़िम्मेदारी बढ़ाने के लिए है. पोषण माह का लक्ष्य  एक सामंजस्यपूर्ण तरीके से तेजी के साथ पोषण अभियान के समग्र लक्ष्यों को हासिल करना है. सरकार के सभी विभागों और अन्य संबद्ध संगठनों ने कुपोषण मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाया है.

इस वर्ष पोषण माह  का फ़ोकस

जैसा कि भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, इसका उद्देश्य न केवल सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों को बढ़ावा देना है बल्कि एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण भी है. त्वरित और गहन पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, संपूर्ण पोषण में सुधार की दिशा में केंद्रित और समेकित दृष्टिकोण के लिए पूरे माह को साप्ताहिक विषयों में विभाजित किया गया है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ मिलकर पूरे महीने के लिए कई गतिविधियों की योजना बनाई है. इस वर्ष पोषण माह के दौरान गतिविधियों की विस्तृत शृंखला आंगनवाड़ियों, स्कूल परिसरों, ग्राम पंचायतों और अन्य स्थानों पर उपलब्ध स्थान में सभी हितधारकों द्वारा पोषण वाटिका (पोषक उद्यान) के लिए वृक्षारोपण अभियान चलाने पर केंद्रित होगी. पौधारोपण गतिविधि पौष्टिक फलों के पेड़, स्थानीय सब्जियों और औषधीय पौधों तथा जड़ी-बूटियों के पौधे लगाने पर केंद्रित होगी. कोविड टीकाकरण और कोविड प्रोटोकॉल के पालन के लिए संवेदीकरण/जागरूकता अभियान भी आयोजित किया जाएगा. पोषण माह के दौरान बच्चों (6 साल से कम उम्र के) के लिए कद और वजन मापने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाएगा. गर्भवती महिलाओं के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध भोजन के पोषण महत्व को उजागर करने के लिए स्लोगन-लेखन और रेसिपी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा.

सरकार और कॉर्पोरेट निकायों के कर्मचारियों के लिए विभिन्न कार्यस्थलों पर '5-मिनट योग प्रोटोकॉल (योग-ब्रेक या योग विराम) पर सत्र होंगे तथा क्षेत्रीय / स्थानीय भोजन के महत्व पर जागरूकता अभियान, पोषण किट, जिसमें क्षेत्रीय पोषक तत्व  के खाद्य पदार्थ शामिल होंगे, भोजन (उदाहरण के लिए सुकडी-गुजरात, पंजिरी-पंजाब, सत्तू-बिहार, चिक्की- महाराष्ट्र) का वितरण, एनीमिया शिविर, एसएएम (गंभीर तीव्र कुपोषण) बच्चों की खण्डवार पहचान के लिए अभियान, एसएएम बच्चों के लिए पूरक आहार कार्यक्रम की निगरानी, एक पहल के रूप में 5 वर्ष की आयु तक के बच्चों में एसएएम का प्रसार, तीव्र कुपोषण के सामुदायिक प्रबंधन के लिए संवेदीकरण और एसएएम बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन का वितरण आदि शामिल हैं.

पोषण माह के दौरान, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में जमीनी स्तर तक पोषण जागरूकता से संबंधित गतिविधियां संचालित की जाएंगी. कार्यान्वयन विभागों/एजेंसियों जैसे कि महिला एवं बाल विकास विभाग आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग आशा, एएनएम, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग स्कूलों के माध्यम से, पंचायती राज विभाग पंचायतों के माध्यम से, और ग्रामीण विकास विभाग स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के स्वस्थ भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए गतिविधियों को अंजाम दिया जाएगा और पूरे महीने समग्र पोषण का संदेश फैलाया जाएगा.

 इस वर्ष अपनाए जा रहे विषयागत दृष्टिकोण के बारे में निम्नलिखित तालिका में प्रकाश डाला गया है-

     तिथियां   (साप्ताहिक)

          विषय

सितंबर 1-7

''पोषण वाटिकाके रूप में पौधारोपण गतिविधि

सितंबर 8-15

पोषण के लिए योग और आयुष

सितंबर 16-23

अधिक बोझ वाले जिलों के आंगनबाड़ी लाभार्थियों को 'क्षेत्रीय पोषण किट का वितरण

सितंबर 24-30

एसएएम के बच्चों की पहचान और पौष्टिक भोजन का वितरण

                                             

पोषण अभियान के उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मिशन पोषण 2.0 (सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0) की घोषणा 2021-2022 के बजट में एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम के रूप में की गई थी, ताकि पोषण संबंधी सामग्री, वितरण, आउटरीच और परिणामों को मजबूत करने के लिए विकासशील व्यवहारों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके जिससे स्वास्थ्य, कल्याण और रोग तथा कुपोषण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो सके. 

पोषण माह  की गतिविधियां सामाजिक व्यवहार परिवर्तन और संचार पर केंद्रित हैं. राष्ट्रीय पोषण माह में आठ प्रमुख विषय हैं, अर्थात् प्रसवपूर्व देखभाल, इष्टतम स्तनपान, पूरक आहार, एनीमिया, विकास निगरानी, शिक्षा; लड़कियों के लिए आहार और शादी की सही उम्र, स्वच्छता और साफ-सफाई तथा खाद्य सुदृढ़ीकरण. पोषण माह में फोकल विषय होने के अलावा, इन क्षेत्रों में कई अन्य सरकारी पहल देखी गई हैं. ऐसा ही एक कार्यक्रम स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया 'प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान है, जिसका उद्देश्य हर महीने की 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वभौमिक रूप से सुनिश्चित, व्यापक और गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल प्रदान करना है. पीएमएसएमए के अंतर्गत प्रदत्त सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में गर्भावस्था की दूसरी/तीसरी तिमाही में महिलाओं को प्रसवपूर्व देखभाल सेवाओं के न्यूनतम पैकेज की गारंटी प्रदान की जाती है. कार्यक्रम निजी क्षेत्र के साथ जुड़ाव के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण का अनुसरण करता है जिसमें निजी चिकित्सकों को जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान रणनीति विकसित करने के लिए स्वेच्छा से कार्य करने और निजी क्षेत्र को सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभियान में शामिल होने लेने के लिए अपील करना शामिल है.

मां (''माँ का पूर्ण स्नेह) स्वास्थ्य प्रणालियों के माध्यम से स्तनपान को प्रोत्साहित करने तथा स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए काउंसलिंग सेवाओं की व्यवस्था हेतु समुचित ध्यान केंद्रित करने के प्रयास में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम को 'मां नाम दिया गया है, जो एक स्तनपान कराने वाली मां को परिवार के सदस्यों और स्वास्थ्य सुविधाओं से सफलतापूर्वक स्तनपान कराने के लिए आवश्यक समर्थन को दर्शाता है. 'मां कार्यक्रम का लक्ष्य उच्च स्तनपान दरों को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों के माध्यम से स्तनपान व्यवहारों के प्रचार, संरक्षण और समर्थन की दिशा में प्रयासों को पुनर्जीवित करना है. कार्यक्रम का उद्देश्य कुशल सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से जागरूकता पैदा करने वाली गतिविधियों के जरिए स्तनपान के लिए एक अनुकूल वातावरण का निर्माण करना, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं, परिवार के सदस्यों और समाज को लक्षित करना और उन स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रोत्साहित करना तथा पहचान करना है, जो स्तनपान प्रबंधन के लिए प्रक्रियाओं के साथ-साथ स्तनपान की उच्च दर दर्शाती हैं, ताकि इष्टतम स्तनपान व्यवहारों को बढ़ावा दिया जा सके और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में स्तनपान सहायता सेवाओं को सुदृढ़ किया जा सके.

सरकार ने शिशु और छोटे बच्चों के आहार (आईवाईसीएफ) पर राष्ट्रीय दिशानिर्देश भी जारी किए हैं, जिसका उद्देश्य शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए इष्टतम आहार व्यवहारों में सुधार लाना और इष्टतम आहार व्यवहारों को प्राप्त करने के लिए जागरूकता बढ़ाना है. प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और विकास के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा योजना, 0-6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं पर लक्षित है. आंगनवाड़ी सेवा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को शिशु और छोटे बच्चे को खिलाने के तरीकों पर परामर्श प्रदान किया जाता है. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को नकद प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है. मातृत्व लाभ अधिनियम में हालिया संशोधन आईवाईसीएफ व्यवहारों को मजबूत करने में एक और महत्वपूर्ण कदम है.

छोटे बच्चों के लिए गृह आधारित देखभाल (एचबीवाईसी) की शुरुआत गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल (एचबीएनसी) के विस्तार के रूप में की गई है, जिसमें आशा कार्यकर्ताओं द्वारा समुदाय आधारित देखभाल प्रदान करने के लिए 15वें महीने तक बाल पालन व्यवहारों, पोषण परामर्श और स्तनपान को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ अभिसरण में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान और मातृ एवं शिशु देखभाल पर जागरूकता पैदा करने के लिए ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) मनाया जाता है. जनसंचार और सोशल मीडिया के माध्यम से स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा को भी बढ़ावा दिया जाता है ताकि स्वास्थ्य व्यवहारों में सुधार किया जा सके और सेवा प्राप्त करने के लिए मांग उत्पन्न की जा सके.

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात के एक कार्यक्रम में हमारे जीवन में पोषण के महत्व पर जोर दिया था. उन्होंने बच्चों और छात्रों को उनकी इष्टतम क्षमता प्राप्त करने में मदद के लिए पोषण द्वारा निभाई गई भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने पिछले कुछ वर्षों के दौरान, विशेष रूप से गांवों में किए गए प्रयासों, का भी उल्लेख किया जहां पोषण सप्ताह और पोषण माह में जन भागीदारी पोषण जागरूकता को जन आंदोलन में परिवर्तित कर रही है.

(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)

स्रोत- पोषण अभियान/महिला एवं बाल विकास मंत्रालय/ एनएचपी/पीआईबी