डिजिटल इंडिया के छह वर्ष
डिजिटल इंडिया एक सर्वसमावेशी कार्यक्रम है जिसकी शुरुआत भारत सरकार ने देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने की दृष्टि से 2015 में की थी. यह पहल बड़ी संख्या में विचारों को एक एकल, व्यापक दृष्टिकोण में समाहित करती है ताकि उनमें से प्रत्येक को एक बड़े लक्ष्य के रूप में लागू किया जा सके. डिजिटल इंडिया का लक्ष्य विकास क्षेत्रों के नौ स्तंभों को अत्यंत आवश्यक बल प्रदान करना है. ये विकास क्ष़ेत्र हैं- ब्रॉडबैंड हाईवे, मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए सार्वभौमिक पहुंच, पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम, ई-गवर्नेंस: टेक्नोलॉजी के माध्यम से शासन में सुधार, ई-क्रांति - सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी, सभी के लिए सूचना, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, काम-धंधे के लिए सूचना प्रौद्योगिकी और अर्ली हार्वेस्ट कार्यक्रम.
आइए डिजिटल इंडिया की परिकल्पना के अनुरूप सरकार द्वारा शुरू की गई कुछ महत्वपूर्ण पहलों पर नजर डालते हैं.
1. आधार
आधार पहचान प्लेटफार्म, डिजिटल इंडिया के प्रमुख स्तंभों में से एक है, जिसमें देश के प्रत्येक निवासी को एक विशिष्ट पहचान या आधार संख्या प्रदान की जाती है. दुनिया में सबसे बड़ी बायोमेट्रिक्स-आधारित पहचान प्रणाली- आधार, सामाजिक तथा वित्तीय समावेशन, सार्वजनिक क्षेत्र के वितरण सुधार, वित्तीय बजट के प्रबंधन, सुविधा बढ़ाने और परेशानी मुक्त जन-केंद्रित शासन को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक नीति माध्यम है. यह अद्वितीय और सुदृढ़ व्यवस्था है जिससे नकली या फर्जी पहचान पत्रों को खत्म किया जा सकता है और इसे प्रभावी सेवा वितरण के लिए विभिन्न सरकारी कल्याण योजनाओं और कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए आधार /प्राथमिक पहचानकर्ता के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा मिलता है.
2. भारतनेट
दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण दूरसंचार परियोजनाओं में से एक, भारतनेट का लक्ष्य सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ना है. इसके तहत मई 2023 की लक्ष्य तिथि के भीतर 1,000 दिनों में छह लाख गांवों को जोड़ने का है. 2014 की तुलना में, जब केवल 59 ग्राम पंचायतों में ब्रॉडबैंड था, 1.55 लाख ग्राम पंचायतें अब भारतनेट के तहत ऑप्टिकल केबल फाइबर से जुड़ी हैं. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि ग्रामीण भारत और गांवों की डिजिटल इंडिया में भागीदारी भारत के संतुलित विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
3. माइगोव
माईगोव, नागरिकों से जुड़ा प्लेटफार्म है जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरकारी नीतियों, कार्यक्रमों, योजनाओं, दिशा-निर्देशों, एसओपी आदि के बारे में नागरिक हितैषी प्रारूप में प्रामाणिक जानकारी प्रसारित करता है. यह आम नागरिक को शामिल करते हुए अपनी तरह की अनूठी पहली भागीदारीपूर्ण संचालन पहल है. माईगोव का विचार भारत के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन में योगदान करने के परम लक्ष्य के साथ आम नागरिकों और विशेषज्ञों को शामिल करते हुए विचारों के स्वस्थ आदान-प्रदान के लिए एक इंटरफेस बनाने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के उपयोग से सरकार को आम लोगों के करीब लाता है. माईगोव के 1.82 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान, माईगोव चिकित्सा उपकरणों और आवश्यक वस्तुओं के लिए एक क्राउडसोर्सिंग प्लेटफॉर्म के रूप में भी काम कर रहा है. सरकार ने नवीनतम जानकारी प्रदान करने और अफवाहों तथा भ्रामक सूचनाओं पर अंकुश लगाने के लिए भारत की पहली एआई- एनेबल्ड माईगोव कोरोना हेल्पडेस्क भी शुरू किया है.
4. आरोग्य सेतु
दुनिया का सबसे अधिक डाउनलोड किया जाने वाला कोविड-19 ट्रैकिंग ऐप, आरोग्य सेतु सरकार के लिए बड़ी संख्या में रोगियो वाले स्थानों की पहचान करने के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम करता है और संक्रमण के प्रसार को रोकने में सहायता करता है. यह ऐप भारत सरकार, विशेष रूप से स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों में मदद करता है, जो ऐप के उपयोगकर्ताओं को कोविड-19 से संबंधित जोखिमों, सर्वोत्तम प्रथाओं और संबंधित परामर्श के बारे में जानकारी देता है. यदि कोई व्यक्ति, कोविड-19 से संक्रमित रोगी के साथ पहली या दूसरी डिग्री के संपर्क में आता है, तो आरोग्य सेतु उसे सचेत करता है और समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करता है. स्व-मूल्यांकन परीक्षण भी संक्रमण की संभावनाओं की पहचान करने में मदद करता है.
5. कोविन
कोविन भारत में टीकाकरण अभियान का डिजिटल आधाऱ है. यह एक स्केलेबल, समावेशी और खुला प्लेटफार्म है जो संपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को सेवाएं प्रदान करने के लिए है. कोविन, नागरिकों को परेशानी मुक्त टीकाकरण के साथ सशक्त बनाता है. यह नागरिकों को वैक्सीन उपलब्धता और ऑनलाइन टीकाकरण स्लॉट बुकिंग के लिए टीकाकरण केंद्र खोजने में मदद करता है. नागरिकों के पास अपनी पसंद के केंद्रों पर अपने टीकाकरण सत्र को डिजिटल रूप से पंजीकृत करने का विकल्प है. यह ऐप टीकाकरण के बाद सार्वभौमिक रूप से सत्यापन योग्य डिजिटल प्रमाणपत्र भी जारी करता है. 30 जून, 2021 तक कोविन के माध्यम से 30 करोड़ से अधिक पंजीकरण पूरे किए जा चुके हैं. हाल में, कई देशों ने इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में रुचि दिखाई है.
6. ई-औषधि
ई-औषधि (आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी ऑटोमेटेड ड्रग हेल्थ इनिशिएटिव) पोर्टल भारत भर में चिकित्सा आपूर्ति के लिए अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करता है. पोर्टल ने वैज्ञानिक पूर्वानुमान प्रणाली की सहायता से लागत को 20 प्रतिशत तक कम करना सुनिश्चित कर राज्यों को लाभ पहुंचाया है. यह पोर्टल गोदाम प्रबंधन, गुणवत्ता प्रबंधन, उपकरण आविष्कार प्रबंधन, उपकरण शिकायत शृंखला प्रबंधन, उपकरण
नीलामी प्रक्रिया, मानव संसाधन और वित्त प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने में भी सहायता करता है.
7. टेली-लॉ
टेली-लॉ योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले सुविधाविहीन समुदायों और नागरिकों के लिए कानूनी सहायता सुलभ बनाने का प्रयास है. इस योजना में कानूनी जानकारी और सलाह देने के लिए संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की परिकल्पना की गई है. यह वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग या टेलीफोन/फोन मोड के माध्यम से वकीलों और नागरिकों के बीच ई-संवाद का माध्यम है. कुल पंजीकृत 8,63,755 लाभार्थियों में से 8,41,293 को सलाह (मई 2021 तक) दी गई. लाभार्थियों में 2,59,347 महिलाएं, अनुसूचित जाति के 2,06,534 लोग, अनुसूचित जनजाति के 1,68,677 और अन्य पिछड़ा वर्ग के 2,52, 208 लोग शामिल हैं.
8. डिजिलॉकर
डिजिलॉकर महत्वपूर्ण आजीवन दस्तावेजों या प्रमाणपत्रों को जारी करने, साझा करने और सत्यापन के लिए एक सुरक्षित क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म है. इसने डिजिटल दस्तावेजों के उपयोग को बढ़ावा देकर कागज रहित कामकाज के लिए एक नया प्रतिमान बनाया है. वर्तमान में, डिजिलॉकर 347 करोड़ से अधिक प्रामाणिक डिजिटल दस्तावेजों तक पहुंच प्रदान कर रहा है, जिन्हें 100 से अधिक जारीकर्ताओं से जारी किया गया है. इन जारीकर्ताओं में परिवहन विभाग, आयकर विभाग, राजस्व विभाग, राज्य तथा केंद्रीय शिक्षा बोर्ड जैसी केंद्रीय और राज्य एजेंसियां शामिल हैं. डिजिलॉकर सभी सरकारी लाभ, रोज़गार, वित्तीय समावेशन, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सेवाएं तेजी से उपलब्ध कराने में सहायता करता है. इसने विभिन्न एजेंसियों के लिए व्यवसाय करना भी सुगम किया हैै. इससे सरकारी एजेंसियां उपयोगकर्ता की सहमति प्राप्त करने के बाद सीधे जारीकर्ताओं से डेटा का सत्यापन कर सकती हैं.
9. फास्टैग
फास्टैग एक ऐसा उपकरण है जो वाहन के चलने के दौरान सीधे टोल भुगतान करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) तकनीक का उपयोग करता है. फास्टैग (आरएफआईडी) वाहन की विंडस्क्रीन पर चिपका होता है और ग्राहक सीधे फास्टैग से जुड़े खाते से टोल भुगतान कर सकता है. यह कैशलेस भुगतान की सुविधा के साथ-साथ ईंधन और समय की बचत जैसे लाभ प्रदान करता है क्योंकि ग्राहक को टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ता है.
10. उमंग
उमंग (यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस) डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की प्रमुख पहलों में से एक है जिसके तहत सभी सरकारी सेवाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने की सुविधा के लिए एक सामान्य, एकीकृत प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप विकसित किया गया है. इसका प्राथमिक उद्देश्य कई मोबाइल ऐप के प्रबंधन में उपयोगकर्ताओं को होने वाली असुविधा को कम करना और एक ही स्थान से विभिन्न सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने की सुविधा प्रदान करना है. उमंग, केंद्र और राज्य सरकारों की 1200 से अधिक सेवाओं के साथ-साथ 20,000 से अधिक बिल भुगतान सेवाएं भी एक ही स्थान पर उपलब्ध करा रहा है. उमंग को आधार, डिजिलॉकर, पेमेंट गेटवे, एसएमएस/ई-मेल गेटवे आदि के साथ एकीकृत किया गया है ताकि सेवाओं की संपूर्ण डिजिटल/ऑनलाइन डिलीवरी की जा सके. 2016 में शुरुआत के बाद से, उमंग ऐप ने 336.34 लाख पंजीकरण और 169 करोड़ से अधिक लेनदेन के साथ एक लंबा रास्ता तय किया है.
11. भीम
भारत इंटरफेस फॉर मनी-भीम (बीएचआईएम) एक ऐसा ऐप है जो यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोग करके भुगतान लेन-देन को सरल, सुगम और त्वरित बनाता है. इससे तुरंत सीधे बैंक से बैंक में भुगतान किया जा सकता है और मोबाइल नंबर, भुगतान पता या क्यूआर कोड का उपयोग करके धन एकत्र किया जाता है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा विकसित और संचालित, भीम की शुरुआत 2016 में की गई थी. इसका उद्देश्य राष्ट्र का वित्तीय समावेशन करना और समाज को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना है. भीम, भुगतान का एक अनूठा माध्यम है जिसका उपयोग बिना इंटरनेट के भी किया जा सकता है. कोई भी किसी भी फोन से *99प्त डायल कर सकता है और अपने मोबाइल स्क्रीन पर भीम की सुविधाओं का लाभ उठा सकता है. आप *99प्त का उपयोग करके भीम के लिए पंजीकरण भी कर सकते हैं. वर्तमान में भीम 20 भाषाओं में उपलब्ध है.
12. स्वयं
स्वयं (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव-लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स), कई मायनों में एक अनूठा प्लेटफार्म है. इसकी मुख्य विशेषताएं इसे विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य लक्षित समूहों में लोकप्रिय बनाती हैं. स्वयं के माध्यम से प्रदान किए जाने वाले 2,000 से अधिक पाठ्यक्रम (स्कूल, व्यावसायिक, स्नातक, स्नातकोत्तर, इंजीनियरिंग और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रम) शिक्षार्थियों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध हैं. यह प्लेटफॉर्म शिक्षार्थियों को प्रोक्टर्ड परीक्षा, साप्ताहिक असाइनमेंट, वीडियो व्याख्यान, डाउनलोड / प्रिंट की जा सकने वाली विशेष रूप से तैयार की गई पठन सामग्री उपलब्ध कराता है. इनके अलावा यह स्व-मूल्यांकन परीक्षण और क्विज तक पहुंच प्रदान करता है, और शंका समाधान के लिए ऑनलाइन चर्चा का मंच प्रदान करता है. एक लाख से अधिक शिक्षार्थियों ने स्वयं के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रमाण पत्र प्राप्त किए हैं.
13. ई-नाम
ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है जो कृषि वस्तुओं के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने के लिए मौजूदा एपीएमसी (कृषि उत्पाद विपणन समिति) मंडियों का नेटवर्क बनाता है. ई-नाम पोर्टल एपीएमसी से संबंधित सभी सूचनाओं और सेवाओं के लिए सिंगल विंडो सेवा प्रदान करता है. इसमें कमोडिटी की आवक तथा कीमतें, खरीद-बिक्री व्यापार प्रस्ताव, व्यापार प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया का प्रावधान और अन्य सेवाएं शामिल हैं. सामग्री प्रवाह (कृषि उत्पाद) मंडियों के माध्यम से होता रहता है और ऑनलाइन वितरण से कारोबार लागत तथा सूचना विषमता कम होती है. 1.69 करोड़ किसान, 1.5 लाख व्यापारी, 87,000 कमीशन एजेंट और 2,000 एफपीओ ई-नाम से जुड़े हैं. लघु किसान कृषि व्यवसाय संघ (एसएफएसी) भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में ई-नाम को लागू करने वाली प्रमुख एजेंसी है.
14. दीक्षा
राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और शिक्षा मंत्रालय की पहल- दीक्षा (ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचा) स्कूली शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय प्लेटफार्म है. 2017 में दीक्षा की शुरुआत के बाद 35 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ-साथ सीबीएसई, एनसीई-आरटी, एससीईआरटी और करोड़ों शिक्षार्थी तथा शिक्षक इसका उपयोग कर रहे हैं. दीक्षा वर्तमान में 18़ से अधिक भाषाओं में है और श्रवण-बाधित व्यक्तियों के लिए सांकेतिक भाषा में तथा दृष्टिबाधितों के लिए डिजिटल एक्सेसिबल इंफॉर्मेशन सिस्टम के माध्यम से भी सामग्री प्रदान करता है. कोविड-19 के कारण बाधित स्कूली शिक्षा की स्थिति में, दीक्षा ने सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के लिए अभिनव कार्यक्रमों के माध्यम से घर पर पढ़ाने तथा पढ़ने को संभव बनाया है.
15. गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जैम), विभिन्न सरकारी विभागों/संगठनों/सार्वजनिक क्षेत्र इकाईयों द्वारा आवश्यक सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद के लिए एकल खिड़की समाधान है. गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस का उद्देश्य सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता, दक्षता और गति को बढ़ाना है. यह सरकारी उपयोगकर्ताओं को सीधी खरीद, ई-बोली और रिवर्स ई-नीलामी की सुविधा भी प्रदान करता है. पोर्टल सभी हितधारकों अर्थात सरकारी उपयोगकर्ताओं, उत्पाद विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं के लिए ऑनलाइन पंजीकरण सुविधाएं प्रदान करता है.
16. नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड
नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड-एनसीएमसी, एक ऑफलाइन संपर्क रहित कार्ड है जो सार्वजनिक परिवहन और खुदरा सहित कम मूल्य के सभी नियमित लेन-देन के लिए नागरिकों को डिजिटल भुगतान का एक आसान, सुविधाजनक और तेज तरीका प्रदान करता है. अप्रैल 2021 तक 2.66 करोड़ से अधिक एनसीएमसी डेबिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं.
17. मोबाइल फोन के लिए पीएलआई योजना
भारत दुनिया की अगली स्मार्टफोन राजधानी हो सकता है, अगले दो वर्षों में जिसके 820 मिलियन उपयोगकर्ता होने का अनुमान है. ऐसे आशाजनक परिदृश्य में, एक संपूर्ण मोबाइल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण से देश को निकट भविष्य में रोज़गार पैदा करने के साथ-साथ वैश्विक उत्पादन मानचित्र पर मदद मिलेगी. 12,195 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ स्वीकृत, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए पीएलआई योजना 1 अप्रैल, 2021 से लागू हुई है.
18. डिजी बुनाई
डिजीबुनाई जैक्वार्ड और डॉबी वीविंग के लिए अपनी तरह का पहला ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है. इसमें डिजाइनरों / बुनकरों के लिए एक अनूठी विशेषता है. कंप्यूटेड एडेड टेक्स्टाइल डिजाइनिंग और वीविंग सॉफ्टवेयर, बुनाई से पहले विभिन्न रंगों के संयोजन और आकारों के साथ पूरे परिधान को डिजिटल रूप से देखने की क्षमता के साथ बुनाई के लिए डिजाइन निर्माण, ग्राफ बनाने और जेक्वार्ड कार्ड्स को पंचिंग की प्री-लूम लोडिंग प्रक्रिया का अनुकूलन करता है. यह विशेष रूप से निर्माण योग्य है (स्थानीय डिज़ाइनों का पुस्तकालय तथा भाषा) और इसमें उपयोगकर्ता की पसंद के डिजिटल डिज़ाइन टूल को एकीकृत करने की क्षमता भी है. पोर्टल का उद्देश्य आजीविका तथा स्वरोज़गार में वृद्धि करना और भारत की हथकरघा विरासत को संरक्षित करना है.
19. खोया पाया
खोया पाया पोर्टल एक नागरिक आधारित वेबसाइट है जो लापता और पाए गए बच्चों की जानकारी का आदान-प्रदान करता है. इसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने विकसित किया है. यह वेबसाइट एक सक्षम प्लेटफार्म है, जिस पर नागरिक लापता बच्चों के बारे में, साथ ही उनके ठिकाने के बारे में, बिना ज्यादा समय बर्बाद किए बता सकते हैं. इस वेब पोर्टल पर, पाए गए बच्चों की जानकारी भी दी जा सकती है. यह जानकारी टेक्स्ट, फोटोग्राफ, वीडियो तथा साइट पर सूचना प्रसारित करने और अपलोड करने के अन्य माध्यमों के माध्यम से दी जा सकती है.
20. पीएम-दिशा
प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएम-दिशा) डिजिटल साक्षरता जागरूकता, शिक्षा और क्षमता का एक गतिशील और एकीकृत प्लेटफार्म है जो ग्रामीण समुदायों को वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में पूरी तरह से भाग लेने में मदद करेगा. यह राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्रों के 6 करोड़ नागरिकों को बुनियादी कंप्यूटर प्रशिक्षण प्रदान करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम है. यह कार्यक्रम उन्हें डिजिटल एक्सेस उपकरण (टैबलेट, स्मार्टफोन) संचालित करने और डिजिटल भुगतान करने के लिए भी प्रशिक्षित करता है.
(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)
स्रोत: digitalindia.gov.in