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विशेष लेख


Issue no 14, 03-09 July 2021

 

आइये मानवता की सेवा में समर्पित चिकित्सकों को धन्यवाद दें

कोविड-19 महामारी ने पूरे विश्व के लोगों पर व्यापक प्रभाव डाला है. इस गंभीर स्वास्थ्य संकट के समय में, डॉक्टर आगे आकर काम कर रहे हैं और राष्ट्र को अपनी अमूल्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. हममें से अधिकांश लोगों के पास अपने घर से सुरक्षित रूप से काम करने का विकल्प है जबकि ये चिकित्सा पेशेवर अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं और अडिग खड़े हैं. उनका निस्वार्थ संकल्प न केवल हमारे मन में बल्कि हमारे कार्यों में भी सम्मान का पात्र है. कोविड-19 के विरुद्ध इस चुनौतीपूर्ण लड़ाई में, आइए हम हर समय मास्क पहनें, अपने हाथों को साफ रखें, सामाजिक दूरी बनाए रखें, टीकाकरण करवाएं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और मौलिक रूप से, खुद तथ्यों से अवगत रहें और अफवाहों से दूर रहें.

1.       मिथक : टीकाकरण के बाद कोई भी व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित नहीं हो सकता है.

                तथ्य : कोविड-19 की रोकथाम के लिए टीकाकरण महत्वपूर्ण है. वैक्सीन वायरस की पुनरावृत्ति को रोकेगी और यह बीमारी को गंभीर नहीं होने देगी. हालांकि, इस दौरान आपका आरटी-पीसीआर परीक्षण पॉजिटिव हो सकता है और आप दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं. इसलिए, टीकाकरण के बाद भी कोविड-उपयुक्त व्यवहार (मास्क पहनना, नियमित रूप से हाथ धोना, सामाजिक दूरी बनाए रखना) का पालन करना आवश्यक है. ध्यान दें कि केवल 0.03-0.0४ प्रतिशत लोग टीकाकरण के बाद कोविड-19 से संक्रमित हुए हंै और उनमें हल्के लक्षण थे.

2.       मिथक : मास्क के लंबे समय तक पहनने से शरीर में कार्बन डाईआक्साइड (ष्टह्र२) का कुप्रभाव और ऑक्सीजन की कमी हो जाती है.

                तथ्य : यह दावा फर्जी है. खुद को संक्रमित होने से बचाने के लिए मास्क पहनना जरूरी है.

3.       मिथक : धूम्रपान करने वाले और शाकाहारी लोगों को कोविड-19 होने का खतरा कम होता है.

                तथ्य : वर्तमान में, सीरोलॉजिकल अध्ययनों के आधार पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि शाकाहारी भोजन और धूम्रपान किसी को कोविड-19 से बचा सकता है.

4.       मिथक : 5त्र मोबाइल नेटवर्क कोविड-19 को फैलाने में मदद करते हैं.

                तथ्य : वायरस रेडियो तरंगों/मोबाइल नेटवर्क पर नहीं फैल सकता. कोविड-19 किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बोलने पर सांस के साथ निकलने वाली बूंदों से फैलता है. लोग दूषित सतह को छूने के बाद अपनी आंख, मुंह या नाक को छूने से भी संक्रमित हो सकते हैं. मोबाइल टावर गैर-आयनकारी रेडियो फ्रीक्वेंसी का उत्सर्जन करते हैं जिनमें बहुत कम शक्ति होती है और वे मानव सहित जीवित कोशिकाओं को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाने में असमर्थ होते हैं. दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने रेडियो फ्रीक्वेंसी फील्ड (यानी, बेस स्टेशन उत्सर्जन) के लिए जोखिम सीमा के लिए मानदंड निर्धारित किए हैं जो गैर-आयनीकरण विकिरण संरक्षण (आईसीएनआई-आरपी) पर अंतरराष्ट्रीय आयोग द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 10 गुना अधिक कठोर हैं और डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित हैं. उन देशों में भी कोविड-19 मामले सामने आए हैं, जहां 5त्र नहीं है.

5.       मिथक : कोरोना वायरस गर्म और आर्द्र जलवायु में नहीं फैल सकता है.

                तथ्य : कोई भी व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित हो सकता है, चाहे उस स्थान की जलवायु कितनी भी गर्म या आर्द्र क्यों न हो. गर्म मौसम वाले देशों में कोविड-19 के मामले सामने आए हैं. अपने आप को बचाने के लिए, सुनिश्चित करें कि आप अपने हाथों को बार-बार और अच्छी तरह से साफ करते हैं और अपनी आंखों, मुंह और नाक को छूने से बचें.

6.       मिथक : जलवायु परिवर्तन और बारिश से संक्रमण की गति धीमी हो सकती है.

                तथ्य :  कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करके ही कोरोना वायरस के प्रसार को कम किया जा सकता है.

7.       मिथक : नियमित रूप से सेलाइन से नाक धोने से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव होता है.

                तथ्य : इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि उक्त पद्धति ने लोगों को संक्रमित होने से बचाया है.

8.       मिथक : लहसुन खाने से कोविड-19 से बचाव होता है.

                तथ्य : लहसुन एक स्वास्थ्यकारी भोजन है जिसमें कुछ रोगाणुरोधी गुण हो सकते हैं. हालांकि, वर्तमान प्रकोप से कोई प्रमाण नहीं है कि लहसुन खाने से लोग नए कोरोना वायरस से सुरक्षित रहे हों.

9.       मिथक : पान के पत्तों का सेवन करने से कोविड-19 को रोका जा सकता है और संक्रमित व्यक्ति को भी ठीक किया जा सकता है.

                तथ्य : यह दावा झूठा है. कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करके ही कोरोना वायरस प्रसार को रोका जा सकता है.

10.   मिथक : कोरोना वायरस के पॉजिटिव परीक्षण के बाद अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक है.

                तथ्य : सभी मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है. गैर-लाक्षणिक और हल्के मामलों का घर पर ही उपचार-प्रबंधन किया जा सकता है.

11.   मिथक : रेमडेसिविर कोविड-19 के लिए एक जीवनरक्षक दवा है.

                तथ्य : रेमडेसिविर उन लोगों के लिए एक प्रायोगिक दवा है जो सामान्य रूप से बीमार हैं और ऑक्सीजन ले रहे हैं. अध्ययन यह नहीं दर्शाते हैं रेमडेसिविर से मृत्यु दर में कमी आई है. इसका उपयोग उन रोगियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए जो ऑक्सीजन पर नहीं है या घर में उपचार पर हैं.

12.   मिथक : कोविड-19 वैक्सीन पुरुषों और महिलाओं दोनों में बांझपन का कारण बन सकती है.

                तथ्य : इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि टीके से बांझपन हो सकता है. यह पूरी तरह से सुरक्षित है.

13.   मिथक : एक या अधिक सह-रुग्णता वाले लोगों को टीका नहीं लगवाना चाहिए.

                तथ्य : सह-रुग्णता वाले लोग उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं और उन्हें टीका लगवाना चाहिए. सह-रुग्णता वाले वयस्कों के लिए टीका सुरक्षित और प्रभावी है.

14.   मिथक : यदि किसी को कोविड-19 है, तो उसे टीका लगवाने की आवश्यकता नहीं है.

                तथ्य : संक्रमण के पिछले इतिहास के बावजूद टीके की पूरी अनुसूची प्राप्त करने की सलाह दी जाती है. कोविड-19 से ठीक होने के तीन महीने बाद टीका लगवाना चाहिए.

15.   मिथक : महिलाओं को मासिक धर्म से पांच दिन पहले और बाद में टीका नहीं लगवाना चाहिए.

                तथ्य : विशेषज्ञों ने इस दावे को अस्वीकार करते हुए कहा है कि वैक्सीन पर पीरियड्स का कोई असर नहीं होता है.

16.   मिथक : टीका लगवाने के शीघ्र बाद एंटीबॉडी का विकास होता है.

                तथ्य : एंटीबॉडी का सुरक्षात्मक स्तर आमतौर पर कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के दो सप्ताह बाद विकसित होता है.

17.   मिथक : टीकाकरण के बाद कोई भी व्यक्ति केवल छह महीने तक सुरक्षित रहेगा.

                तथ्य : टीका लगाए गए व्यक्तियों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की अवधि अभी तक निर्धारित नहीं की गई है. इसलिए मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग जारी रखने की सलाह दी जाती है.

18.   मिथक : एनेस्थेटिक्स कोविड-19 टीकाकरण वाले लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है.

                तथ्य : इस दावे की पुष्टि के लिए आज तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.

19.   मिथक : कोविड-19 के टीके लोगों को चुंबकीय बना सकते हैं.

                तथ्य : कोविड-19 के टीके लोगों को चुंबकीय नहीं बनाते हैं. उनमें धातु आधारित सामग्री शामिल नहीं होती है और ये पूरी तरह से सुरक्षित हैं. टीके मानव शरीर में चुंबकीय प्रतिक्रिया का कारण नहीं बन सकते.

20.   मिथक : कोविड-19-टीकाकृत हाथ बिजली पैदा करता है.

                तथ्य : कोविड-19 वैक्सीन से शरीर में विद्युत प्रवाह नहीं होता है.

21.   मिथक : कोविशील्ड की केवल एक खुराक पर्याप्त है.

                तथ्य : भारत में, कोविशील्ड टीकाकरण कार्यक्रम में दो खुराक शामिल हैं. पहली खुराक के 12 सप्ताह बाद दूसरी खुराक लेना आवश्यक है.

22.   कोवैक्सीन वैक्सीन कोविशील्ड वैक्सीन जितनी सुरक्षित नहीं है.

                तथ्य : कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों को कई जांच और परीक्षणों के बाद प्रारंभ किया गया था. दोनों टीके सुरक्षित हैं. माननीय प्रधान मंत्री ने मार्च में कोवैक्सीन की पहली खुराक ली थी.

23.   मिथक : कोवैक्सीन के अंतिम वैक्सीन उत्पाद में नवजात बछड़ा सीरम होता है.

                तथ्य : नवजात बछड़े के सीरम का उपयोग केवल वेरो कोशिकाएं तैयार करने/उनके विकास के लिए किया जाता है. विभिन्न प्रकार के गोजातीय और अन्य पशु सीरम वेरो कोशिका वृद्धि के लिए विश्व स्तर पर उपयोग किए जाने वाले मानक संवर्धन घटक हैं. वेरो कोशिकाओं का उपयोग सेल लाइनों को स्थापित करने के लिए किया जाता है जो टीकों के उत्पादन में मदद करती हैं. इस तकनीक का उपयोग पोलियो, रेबीज और इन्फ्लुएंजा के टीकों में दशकों से किया जा रहा है. इन वेरो कोशिकाओं को, विकास के बाद, पानी, रसायनों (तकनीकी रूप से बफर के रूप में भी जाना जाता है) से धोया जाता है, नवजात बछड़ा सीरम से मुक्त इसके बाद, ये वेरो कोशिकाएं वायरल वृद्धि के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाती हैं. वायरल वृद्धि की प्रक्रिया में वेरो कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं. इसके बाद यह विकसित वायरस भी मर जाता है (निष्क्रिय हो जाता है) और शुद्ध हो जाता है. इस मारे गए वायरस का उपयोग अंतिम टीका बनाने के लिए किया जाता है, और अंतिम टीका तैयार करने में किसी भी बछड़ा सीरम का उपयोग नहीं किया जाता है.

24.   मिथक : म्यूकरमाइकोसिस का इलाज फिटकरी, हल्दी, सेंधा नमक और सरसों के तेल से किया जा सकता है.

                तथ्य : यह दावा झूठा है. इस उपाय से काले फंगस के उपचार का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. कृपया ऐसी किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के उपचार के लिए केवल घरेलू उपचारों पर निर्भर न रहें.

भारत जुलाई में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाता है, आइए हम डॉक्टरों और चिकित्सकों को मानवता के प्रति समर्पित उनकी अथक सेवाओं के लिए धन्यवाद दें. आइए जागरूकता के साथ गलत सूचनाओं का मुकाबला करके इस लड़ाई में शामिल हों. आइए अपने कार्यों और व्यवहार में सचेत रहें और उनकी सहायता करने की प्रतिज्ञा लें. वे हमारी मदद करते हैं.

(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन) (स्रोत: एमआईबी/पसूका/रू4त्रश)

 

चित्र: डीपीडी