रोज़गार समाचार
सदस्य बनें @ 530 रु में और प्रिंट संस्करण के साथ पाएं ई- संस्करण बिल्कुल मुफ्त ।। केवल ई- संस्करण @ 400 रु || विज्ञापनदाता ध्यान दें !! विज्ञापनदाताओं से अनुरोध है कि रिक्तियों का पूर्ण विवरण दें। छोटे विज्ञापनों का न्यूनतम आकार अब 200 वर्ग सेमी होगा || || नई विज्ञापन नीति ||

विशेष लेख


Issue no 11, 12-18 June 2021

छह भारतीय स्थल यूनेस्को की विश्व विरासत की अस्थायी सूची में शामिल

 

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने मई में घोषणा की कि छह भारतीय स्थलों को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल करने के लिए चुना गया है. ये स्थल हैं-तमिलनाडु में कांचीपुरम के मंदिर, नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेताघाट, मध्य प्रदेश में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर वाराणसी  का रिवरफ्रंट, कर्नाटक का हीरे बेंकल मेगालिथिक स्थल और महाराष्ट्र में मराठा सैन्य वास्तुकला. वर्तमान में, यूनेस्को की प्रतिष्ठित विश्व विरासत सूची में दुनियाभर के 1,121 स्थल हैं और अब ये छह स्थल इस सूची में शामिल होने की दौड़ में शामिल हो गए हैं.

विश्व विरासत को कैसे परिभाषित किया जाता है?

              यूनेस्को ने विश्व विरासत को पृथ्वी पर ऐसे स्थानों के रूप में परिभाषित किया है जो मानवता के लिए उत्कृष्ट सार्वभौमिक महत्व के हैं. विश्व विरासत कई प्रकार की हो सकती है जैसे सांस्कृतिक, प्राकृतिक, मिश्रित (सांस्कृतिक और प्राकृतिक) और चल विरासत. स्थापत्य निर्माण, स्मारकीय मूर्तिकला तथा पेंटिंग, पुरातात्विक प्रकृति के आधार या संरचनाएं, शिलालेख, गुफा आवास तथा स्थल और इतिहास, कला, विज्ञान, सौंदर्यशास्त्र तथा नृविज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण भवन सांस्कृतिक विरासत माने  जाने वालेे हैं. प्राकृतिक विरासत में प्राकृतिक भौतिक तथा जैविक संरचनाएं या इस तरह की संरचनाओं के समूह, भूवैज्ञानिक तथा फिज़िओग्रा-एफिकल संरचनाएं और सटीक रूप से चित्रित क्षेत्र शामिल हैं जो जानवरों तथा पौधों की लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी प्रजातियों का निवास स्थान और प्राकृतिक स्थलों या सटीक रूप से चित्रित प्राकृतिक क्षेत्र बनाते हैं. ये वैज्ञानिक, संरक्षण और सौंदर्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं. जो स्थल आंशिक या संपूर्ण रूप से सांस्कृतिक और प्राकृतिक दोनों प्रकार की विरासत की परिभाषाओं  के अनुरूप हैं, उन्हें मिश्रित सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के रूप में माना जाता है. चल विरासत में पुस्तकें, दस्तावेज, कपड़े, कलाकृतियां और ऐतिहासिक, पुरातात्विक, डाक टिकट तथा मुद्रा संग्रहण  और विज्ञान या प्रौद्योगिकी से संबंधित वस्तुएं भी शामिल हो सकती हैं. यूनेस्को सांस्कृतिक परिदृश्यों को भी परिभाषित करता है जो सांस्कृतिक गुण हैं और प्रकृति तथा मनुष्य के संयुक्त कार्यों को दर्शाते हैं और जो उनके प्राकृतिक पर्यावरण तथा क्रमिक सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक ताकतों, बाहरी और आंतरिक दोनों द्वारा प्रस्तुत अवसरों और/या भौतिक अवरोधों के प्रभाव में समय के साथ मानव समाज के विकास का दृष्टांत प्रस्तुत करते हैं.

विश्व विरासत सूची क्या है?

              यूनेस्को के अनुसार, विश्व विरासत की अवधारणा को जो चीज असाधारण बनाती है वह है इसका सार्वभौमिक अनुप्रयोग, या उत्कृष्ट सार्वभौमिक महत्व. विश्व धरोहर स्थल दुनिया के सभी लोगों के हैं, चाहे वे किसी भी क्षेत्र में स्थित हों. उत्कृष्ट सार्वभौमिक महत्व का अर्थ है सांस्कृतिक और/या प्राकृतिक महत्व जो इतना असाधारण है कि राष्ट्रीय सीमाओं से परे है और पूरी मानवता की वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए समान महत्व का हो सकता है. इस प्रकार, इस विरासत की स्थायी सुरक्षा समग्र रूप से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए सर्वोच्च महत्व की है. इस तरह के स्थानों को विश्व विरासत सूची में अंकित किया गया है ताकि इन्हें भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके और वे इनका आनंद ले सकें तथा इनकी प्रशंसा कर सकें. मिस्र के पिरामिड, ऑस्ट्रेलिया में ग्रेट बैरियर रीफ, इक्वाडोर में गैलापागोस द्वीप समूह, भारत में ताजमहल, संयुक्त राज्य अमरीका में ग्रांड कैन्यन, या ग्रीस में एक्रोपोलिस जैसे विविध और अद्वितीय स्थान विश्व विरासत सूची में शामिल हैं.

यूनेस्को की संभावित सूची क्या है?

यूनेस्को के संचालन दिशा-निर्देश, 2019 के अनुसार, अस्थायी सूची किसी देश के उन स्थानों या स्थलों की फेहरिस्त है, जिन्हें राष्ट्र विश्व विरासत सूची में नामांकन के लिए उपयुक्त माना जाता है. विश्व धरोहर सूची में अंतिम नामांकन के लिए विचार किए जाने से पहले किसी स्थल को अस्थायी सूची में रखना अनिवार्य है.

इन छह स्थलों को जोड़ने के साथ, अब अस्थायी सूची में भारत के स्थलों की संख्या 48 हो गई हैं. दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोई देश किसी स्थल के अस्थायी सूची में शामिल किए जाने के एक वर्ष के बाद विश्व धरोहर सूची नामांकन डोजियर जमा कर सकता है. अस्थायी सूचियां देशों और विश्व विरासत समिति तथा सलाहकार निकायों के लिए एक उपयोगी और महत्वपूर्ण नियोजन का स्रोत हैं क्योंकि वे भविष्य के नामांकन का संकेत प्रदान करती हैं.

विश्व विरासत सूची में कौन से भारतीय स्थल हैं?

              इस सूची में भारत के 38 विश्व धरोहर स्थल हैं. इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-ताजमहल (उत्तर प्रदेश), महाबोधि मंदिर परिसर, बोधगया (बिहार), हुमायूं का मकबरा (दिल्ली), अजंता - एलोरा गुफाएं (महाराष्ट्र), सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान (पश्चिम बंगाल), भीमबेटका (मध्यप्रदेश) के रॉक शेल्टर , मुंबई का विक्टोरियन गोथिक तथा आर्ट डेको एन्सेम्बल्स (महाराष्ट्र), भारत की माउंटेन रेलवे (दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे तथा कालका-शिमला रेलवे) और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम). इनमें से 30 सांस्कृतिक और सात प्राकृतिक स्थल हैं. एक (खांगचेंदजोंगा राष्ट्रीय उद्यान) मिश्रित स्थल है.

 आइए जानते हैं हाल में अस्थायी  सूची में शामिल किए गए छह स्थलों के बारे में:

ऐतिहासिक शहर वाराणसी का प्रतिष्ठित रिवरफ्रंट

              दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक, वाराणसी भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के सर्वोच्च मूर्तरूपों में से एक है. वर्तमान में इसे हिंदू तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता हैं यह शहर बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म सहित अन्य धर्मों के ज्ञान और श्रद्धा का केंद्र रहा है. गंगा नदी से जुड़े अपार पवित्र महत्व के कारण, 6.5 किलोमीटर रिवरफ्रंट शहर का सबसे प्रतिष्ठित हिस्सा है. रिवरफ्रंट, भूमि के साथ नदी का अंतराफलक है, जो घाटों (नदी के किनारे की ओर जाने वाली सीढ़ियां), आसपास शानदार भव्य इमारतों और पीछे की विचित्र गलियों में मंदिरों, मस्जिदों, महलों, हवेलियों, कुंडों , अखाड़ों, उद्यानों और प्रवेश द्वारों से घिरा है. पुरातात्विक उत्खनन के अनुसार, रिवरफ्रंट व्यावसायिक गतिविधियों का भी केंद्र था. सीढ़ीदार घाट भूमि के साथ नदी के एक स्थापत्य इंटरफेस की एक अद्वितीय भारतीय टाइपोलॉजी हैं, और वाराणसी घाट इस रूप का सबसे शानदार उदाहरण हैं.

कांचीपुरम के मंदिर

कांचीपुरम पल्लव वंश की राजधानी थी, जिसने छठी से नौंवीं शताब्दी ईस्वी तक वर्तमान तमिलनाडु राज्य पर शासन किया था. इस शहर का उल्लेख प्राचीन संस्कृत और तमिल साहित्य में मिलता है. कई शताब्दियों तक धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक उत्थान के संयोजन ने कांचीपुरम को एक सौ पचास से अधिक मंदिरों विशेष रूप से शिव और विष्णु को समर्पित मंदिरों की निर्मित विरासत का एक जीवंत केंद्र बना दिया. इस नामांकन के तहत जिन 11 मंदिरों की पहचान की गई है, वे हैं राजसिंहेश्वरम या कैलाशनाथ मंदिर, पीरवत्नेश्वर मंदिर, इरावथनेश्वर मंदिर, परमेश्वर विन्नागरम या वैकुंठपेरुमल मंदिर, मुक्तेश्वर मंदिर, अरुलाला या वरदराज पेरुमल मंदिर, एकंबरेश्वरम मंदिर (थिरुकाचीकंबम), ज्वराहेश्वरम मंदिर, पांडव दूथ पेरुमल मंदिर, यथोथकारी पेरुमल मंदिर और उलागालान्दा पेरुमल मंदिर. शैववाद और वैष्णववाद के प्रख्यात संतों के नेतृत्व में भक्ति आंदोलन के उद्भव  से, मंदिर न केवल संरचनात्मक भवन बन गए, बल्कि अमूर्त विरासत का एक जीवंत संस्थान भी बन गए जो सदियों से कायम है. कई प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान भी इस स्थान से जुड़े हुए थे.

हीरे बेंकल, मेगालिथिक यानी महापाषाण स्थल

मेगालिथ शब्द दो ग्रीक शब्दों- मेगास और लिथोस से बना है. मेगास का अर्थ है महान या बड़ा और लिथोस का अर्थ है पत्थर. हीरे बेंकल स्थल चट्टानों की धारवाड़ शृंखला  के प्रायद्वीपीय नाइसी परिसर के क्षेत्र के भीतर दांतेदार ग्रेनाइट की छोटी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है. पहाड़ी पर महापाषाण लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए हैं. हीरे बेनकल स्थल लौह युग (भारतीय आद्य-इतिहास की महापाषाण संस्कृति) की अंत्येष्टि और अनुष्ठान प्रथाओं में एक असाधारण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है. यहां सैकड़ों मेगालिथ (बहुमत में विशाल बंदरगाह वाले डोलमेन्स) शामिल हैं जो 2,500 से अधिक वर्षों से टीले पर खड़े हैं. हीरे बेनकल की एक और अनूठी विशेषता प्रागैतिहासिक रॉक पेंटिंग हैं. अधिकांश पेंटिंग विशेष रूप से  भूतपूर्व नवपाषाणयुग और प्रारंभिक लौहयुग मेगालिथिक की अतिव्यापी अवधि यानी, 700-500 शताब्दी ईसा पूर्व से संबंधित हैं. हालांकि, मध्यपाषाण काल के कुछ चित्रों का भी उल्लेख किया गया है. हीरे बेनकल से रॉक कला में चित्रण, लौह युग की निर्वाह रणनीतियों (शिकार), इस्तेमाल किए गए हथियारों, जीव-जंतुओं आदि के बारे में सुराग प्रदान करता है.

नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेताघाट

भेड़ाघाट, जिसे अक्सर भारत का ग्रांड कैनियन कहा जाता है, मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले का एक शहर है. इसे संगमरमर की चट्टानों (डोलोमाइट) की उत्कृष्ट सुंदरता और खूबसूरत नर्मदा नदी के दोनों ओर उनके विभिन्न रूपात्मक चमकदार रूपों के लिए जाना जाता है. भेड़ाघाट क्षेत्र के अद्वितीय पत्थरों में सफेद, सलेटी, गुलाबी और नीलपन वाले सलेटी जैसे विभिन्न रंग हैं जो संगमरमर की चट्टानों को अतिरिक्त सुंदरता प्रदान करते हैं. नर्मदा घाटी में विशेष रूप से भेड़ाघाट-लामेतघाट क्षेत्र में कई डायनासोर के जीवाश्म पाए गए हैं. भेड़ाघाट एकमात्र ऐसा स्थल है जहां प्रोटेरोजोइक युग की चट्टानों के महाकोशल समूह के संगमरमर, फाइलाइट, बीआईएफ, क्वार्टजाइट को एक साथ दर्ज किया गया है. यहां नर्मदा नदी 30 मीटर गहरी खाई में गिरती है जिसे धुंआधार जलप्रपात के नाम से जाना जाता है.

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व

मध्य भारत में सतपुड़ा पर्वतमाला में स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व यानी बाघों का रक्षित स्थल, भारत के प्रमुख भौगोलिक पठारों में से एक है. सतपुड़ा का अर्थ है सात तह. यह नर्मदा और ताप्ती नदी के बीच एक वाटरशेड बनाती है. यह वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन की सुस्थापित परंपरा के साथ सबसे पुराने वनों में से एक है. बाघ संरक्षण की दृष्टि से यह स्थल वैश्विक महत्व का है. इसमें बाघों की सबसे अधिक आबादी वाला जंगल है. यह मूल स्थान पर बाघों के संरक्षण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. यह भारत में सबसे बड़े सन्निहित वन और बाघ निवास का हिस्सा है. यहां भारत की बाघों की आबादी का 17 प्रतिशत और बाघों के आवास का 12 प्रतिशत हैं. इसके अलावा यहां हिमालय क्षेत्र की छब्बीस प्रजातियां और नीलगिरि क्षेत्रों की 42 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसमें कई दुर्लभ और स्थानिक पौधे हैं, विशेष रूप से ब्रायोफाइट्स और प्टेरिडोफाइट्स. यह स्थल पुरातात्विक महत्व का भी है, जिसमें 1,500 से 10,000 वर्ष पुराने चित्रों के साथ 50 से अधिक रॉक शेल्टर हैं.

मराठा सैन्य वास्तुकला (सीरियल नामांकन)

पश्चिमी भारत के किले इस क्षेत्र के राजनीतिक और स्थापत्य इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. शेष भारत में, किलों के निर्माण की परंपरा स्थान और समय में छिटपुट रूप से प्रकट होती है. यह पश्चिमी भारत में लगभग 1800 वर्षों की अवधि के लिए एक निरंतर गतिविधि प्रदर्शित करती है, जो सामान्य युग से ठीक पहले की शताब्दियों  में शुरू होती है और लगभग 19वीं शताब्दी तक जारी रही. इस नामांकन के तहत पहचाने गए 14 किलों में रायगढ़ किला, शिवनेरी किला, तोरणा किला, लोहागढ़, साल्हेर किला, मुल्हेर किला, रंगना किला, अंकाई-टंकई किला, कासा किला, सिंधुदुर्ग, अलीबाग किला, सुवर्णदुर्ग और खंडेरी किला हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज की अवधि के दौरान विकसित मराठा सैन्य परिदृश्य, भारतीय इतिहास में एक बहुत ही रोचक घटना का प्रतिनिधित्व करता है जो अपने सैन्य सुप्रयोग के लिए अद्वितीय है. इनकी स्थापत्य भव्यता और सुरम्य सुंदरता के अलावा, अद्वितीय सांस्कृतिक परिदृश्य का दोहन करने वाले सामरिक सैन्य नेटवर्क के माध्यम से किलों को रक्षा की एकल परिचालन प्रणाली में जोड़ने का नवाचार इन्हें अद्वितीय बनाता है.

 यूनेस्को के अनुसार, सीरियल नामांकन ऐसा नामांकन है जिसमें दो या दो से अधिक असंबद्ध क्षेत्र होते हैं. किसी एकल विश्व विरासत नामांकन में विभिन्न भौगोलिक स्थानों में सांस्कृतिक और/या प्राकृतिक गुणों की एक शृंखला शामिल हो सकती है, बशर्ते कि वे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, जैव-भौगोलिक रूप से या उनके पारिस्थितिक तंत्र के माध्यम से संबंधित हों.

(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)

(स्रोत: यूनेस्को, पर्यटन मंत्रालय)