म्यूकर माइकोसिस या 'ब्लैक फंगस रोग क्या है और यह कोविड-19 रोगियों को क्यों प्रभावित कर रहा है?
हाल ही में भारत में कोविड-19 रोगियों में बड़ी संख्या में म्यूकर माइकोसिस की सूचना मिली है. यह आम बोलचाल की भाषा में 'ब्लैक फंगसÓ रोग के रूप में भी जाना जाता है, यह फंगल रोग चिंता का कारण बनता जा रहा है क्योंकि यह जानलेवा हो सकता है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से म्यूकर माइकोसिस को महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत एक घातक बीमारी घोषित करने का आग्रह किया है. मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों और मेडिकल कॉलेजों के लिए सभी संदिग्ध और पुष्ट मामलों की रिपोर्ट जिला स्तर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से संबंधित स्वास्थ्य विभागों को और बाद में, एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) को देना अनिवार्य करने को कहा है.
म्यूकर माइकोसिस क्या है?
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) म्यूकर माइकोसिस को एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल संक्रमण के रूप में परिभाषित करता है, जो 'म्यूकॉर्माइसेट्सÓ नामक मोल्ड्स के समूह के कारण होता है. ये फंगल पूरे वातावरण में रहते हैं, विशेष रूप से मिट्टी में और सड़ने वाले कार्बनिक पदार्थों में, जैसे कि पत्तियां, खाद के ढेर, या सड़ी हुई लकड़ी. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार, संक्रमण मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जो अन्य स्वास्थ्य समस्याओं (मधुमेह या इम्यूनोसप्रेस्ड व्यक्ति होने) के कारण दवा पर हैं यह समस्या पर्यावरणीय रोगजनकों से लड़ने की उनकी क्षमता को कम कर देती है. ऐसे व्यक्तियों के साइनस या फेफड़े हवा से फंगल के जीवाणुओं के अंदर जाने के बाद प्रभावित होते हैं. त्वचा पर कटने, खरोंचने या जलने के बाद फंगल के त्वचा में प्रवेश करने पर त्वचा पर म्यूकर माइकोसिस भी विकसित हो सकता है.
क्या म्यूकर माइकोसिस कई प्रकार का होता है?
हां, सीडीसी के अनुसार, म्यूकर माइकोसिस के विभिन्न प्रकार हैं. राइनो ऑर्बिटल सेरेब्रल म्यूकर माइकोसिस और पल्मोनरी म्यूकर माइकोसिस दो ऐसे प्रकार हैं जो कोविड-19 रोगियों में बताए जा रहे हैं. पहला तब होता है जब फंगलजीवाणु शरीर में जाता है और बाद में नाक, आंख (आंखों) की आरबिट/आंख के सॉकेट, ओरल कैविटी में संक्रमण का कारण बनता है, और यहां तक कि यह मस्तिष्क में भी फैल सकता है. दूसरा तब होता है जब फंगल के जीवाणु श्वसन तंत्र तक पहुंचते हैं और फेफड़ों को प्रभावित करते हैं.
इसके अन्य प्रकार ये हैं- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल म्यूकर माइकोसिस (वयस्कों की तुलना में युवा शिशुओं में अधिक आम), और क्यूटेनियस म्यूकर माइकोसिस (त्वचा कटने/ फटने से फंगी शरीर में प्रवेश करने के बाद होता है).
लक्षण क्या हैं?
आईसीएमआर के अनुसार, लक्षणों में आंखों और/या नाक के आसपास दर्द और लालिमा, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खूनी उल्टी और मानसिक स्थिति में बदलाव शामिल हैं. म्यूकोर्मिसेट्स से संक्रमित व्यक्ति में साइनस में दर्द, नाक से खून बहना, सीने में दर्द और चेहरे पर सूजन भी देखी जा सकती है. किसी कोविड-19 रोगी के संक्रमित होने का संदेह तब होता है जब उमसें निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं:
· साइनसाइटिस - नाक बंद या कंजेशन हो जाना, नाक से पानी निकलना (काला/खूनी), गाल की हड्डी पर स्थानीय दर्द
· चेहरे के एक तरफ दर्द, सुन्नता या सूजन
· नाक/तालु के ऊपर कालापन
· दांत दर्द, दांतों जबड़े का ढीला होना
· दर्द के साथ धुंधली या दोहरी दृष्टि; बुखार, त्वचा का घाव; थ्रोम्बोसिस और परिगलन (एस्चर)
· सीने में दर्द, फुफ्फुस बहाव, हेमोप्टाइसिस, श्वसन संबंधी लक्षणों का बिगड़ना
आईसीएमआर के अनुसार, बैक्टीरियल साइनसिसिस के मामलों के रूप में बंद नाक वाले सभी मामलों को, विशेष रूप से इम्युनोसुप्रेशन और/या इम्युनोमोड्यूलेटर पर कोविड-19 रोगियों के संदर्भ में, म्यूकोर्मिकोसिस के रूप में नहीं गिना जाना चाहिए. हालांकि, किसी को चेतावनी के संकेतों और लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए और फंगल एटियोलोजी का पता लगाने के लिए उपयुक्त (के.ओ.एच. स्टेनिंग और माइक्रोस्कोपी, कल्चर, माल्डी-टी.ओ.एफ.) के रूप में सक्रियजांच कराने में संकोच नहीं करना चाहिए.
कोविड-19 रोगियों के लिए यह चिंता का विषय क्यों बन गया है?
म्यूकर माइकोसिस कोई नई बीमारी नहीं है. इस तरह के संक्रमण महामारी से पहले भी बताए गए थे. हालांकि इसकी संख्या बहुत कम थी. अब, कोविड-19 के कारण, यह दुर्लभ लेकिन घातक फंगल संक्रमण बड़ी संख्या में बताया जा रहा है. कोरोना वायरस रोग से जुड़ा म्यूकर माइकोसिस उन रोगियों में देखा जा रहा है जो कोविड-19 से या तो ठीक हो रहे हैं या उबर चुके हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि कोविड-19 के उपचार में उपयोग की जाने वाली दवाएं लिम्फोसाइप्स की संख्या को कम कर देती हैं, जिससे 'लिम्फोपेनियाÓ नामक चिकित्सा स्थिति पैदा हो जाती है, जो कोविड-19 रोगियों को फंगल संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है. इसके अलावा, यदि ह्यूमिडिफायर में पानी को नियमित रूप से साफ और रिफिल नहीं किया जाता है, तो ऑक्सीजन थेरेपी लेने वाले कोविड-19 रोगियों में फंगल संक्रमण होने का खतरा होता है.
म्यूकर माइकोसिस को कैसे रोका जा सकता है?
म्यूकर माइकोसिस एक दुर्लभ बीमारी है जो ज्यादातर उन लोगों को प्रभावित करती है जिनकी प्रतिरक्षण प्रणाली स्टेरॉयड, अनियंत्रित मधुमेह मेलिटस, सह-रुग्णता (प्रत्यारोपण पश्चात/घातकता) के कारण कमजोर है, जो वोरिकोनाज़ोल थेरेपी से गुज़र चुके हैं, या लंबे समय तक आईसीयू में रहे हैं. आईसीएमआर धूल भरे निर्माण स्थलों पर जाने, बागवानी कार्य, काई या खाद को संभालने के दौरान मास्क के उपयोग, जूते, लंबी पतलून, लंबी बाजू की शर्ट और दस्ताने पहनने और पूरी तरह से स्क्रब बाथ सहित व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने का सुझाव देता है.
अन्य महत्वपूर्ण निर्देशों में हाइपरग्लाइसेमिया (उच्च रक्त शर्करा) को नियंत्रित करना, कोविड-19 डिस्चार्ज के बाद रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करना और मधुमेह रोगियों में भी स्टेरॉयड का विवेकपूर्ण उपयोग (सही समय, सही खुराक और अवधि), ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ, स्टराइल पानी का उपयोग करना और एंटीबायोटिक्स/ एंटीफंगल का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करना शामिल है.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि म्यूकर माइकोसिस संचारी रोग नहीं है.
म्यूकर माइकोसिस का उपचार कैसे किया जा सकता है?
म्यूकर माइकोसिस एक गंभीर संक्रमण है और इसका इलाज डॉक्टर द्वारा बताई गई एंटीफंगल दवा, आमतौर पर एम्फोटेरिसिन-बी के साथ किया जाना चाहिए. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, फार्मास्यूटिकल्स विभाग और विदेश मंत्रालय के साथ, एम्फोटेरिसिन-बी दवा के घरेलू उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है. केंद्र सरकार ने वैश्विक निर्माताओं से आपूर्ति हासिल करके घरेलू उपलब्धता को पूरा करने के लिए भी प्रभावी प्रयास किए हैं.
देश में एम्फोटेरिसिन-बी के पांच मौजूदा निर्माता हैं, जिनके नाम भारत सीरम एंड वैक्सीन्स लिमिटेड, बीडीआर फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड, सन फार्मा लिमिटेड, सिपला लिमिटेड, लाइफ केयर इनोवेशन और एक इम्पोर्टर माइलान लैब्स हैं. पांच और निर्माताओं को देश के भीतर ही एंटी-फंगल दवा के उत्पादन का लाइसेंस दिया गया है. ये हैं- नैटको फार्मास्यूटिकल्स (हैदराबाद), एलेम्बिक फार्मास्युटिकल्स (वडोदरा), गुफिक बायोसाइंसेज लिमिटेड (गुजरात), एमक्योर फार्मास्युटिकल्स (पुणे), और लाइका (गुजरात). संचयी रूप से, ये कंपनियां जुलाई 2021 से एम्फोटेरिसिन-बी की 1,11,000 शीशियों का प्रति माह उत्पादन शुरू कर देंगी. सरकार इन पांच निर्माताओं को इस उत्पादन में शीघ्रता लाने में मदद करने की कोशिश कर रही है ताकि ये अतिरिक्त आपूर्ति जून 2021 में शुरू हो सके. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय अन्य एंटिफंगल दवाओं को खरीदने की भी कोशिश कर रहा है जिनका उपयोग म्यूकर माइकोसिस के उपचार में किया जा सकता है.
कुछ मामलों में, उपचार में शल्य चिकित्सा द्वारा सभी मृत और संक्रमित ऊतकों को निकालना शामिल हो सकता है.
(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)
(स्रोत: आईसीएमआर एडवाइजरी, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और राष्ट्रीय कोविड-19 कार्य बल द्वारा विकसित, सीडीसी, माइगॉव, पीआईबी, एमआईबी.)