चक्रवातों का नामकरण क्य़ों और कैसे?
अरब सागर में लगातार चार वर्ष से मॉनसून से पहले उठ रहे चक्रवातों में चौथा चक्रवात-ताउते 18 मई 2021 को गुजरात तट से टकराया. उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तेज वलयाकार तूफान होता है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में गर्म महासागरों के ऊपर बनता है. इसके असर से कम वायुमंडलीय दबाव के कारण तेज हवाएं चलती हैं और गरज के साथ भारी वर्षा होती है. चक्रवात यानी साइक्लोन शब्द ग्रीक भाषा के शब्द साइक्लोस से बना है जिसका अर्थ होता है सांप की कुंडली. साइक्लोन शब्द हेनरी पेडिंगटन ने दिया जिन्हें बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठा उष्णकटिबंधीय तूफान समुद्र में कुंडली मारे सांपों की तरह दिखता था. ताउक्ते (उच्चारण ताउते) नाम म्यांमार ने सुझाया जिसका अर्थ होता है 'गेकोÓ यानी 'बहुत तेज आवाज करने वाली छिपकलीÓ. लेकिन चक्रवाती तूफान को यह विचित्र नाम दिया क्यों गया?
चक्रवातों का नामकरण कैसे किया जाता है?
विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) के अनुसार उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को क्षेत्र विशेष के नियमों के अनुसार नाम दिया जाता है. अटलांटिक और दक्षिणी गोलार्द्ध (हिंद महासागर और दक्षिणी प्रशांत) में चक्रवातों को वर्णमाला क्रम में नाम दिया जाता है तथा महिला और पुरुषों के नाम बारी बारी से रखे जाते हैं.
हांलाकि वर्ष 2000 में उत्तरी हिंद महासागर के देशों ने उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को नाम देने के लिये एक नयी प्रणाली शुरू की जिसमें नाम किसी लिंग भेद के बिना देशों के अनुसार वर्णमाला क्रम में सूचीबद्ध किये जाते हैं. सामान्य नियम के अनुसार नामों की सूची क्षेत्र विशेष के राष्ट्रीय मौसम और जलविज्ञान सेवा तथा विश्व मौसम संगठन द्वारा प्रस्तावित होती है.
इस सूची को संबंधित क्षेत्रीय उष्णकटिबंधीय चक्रवात केंद्रों द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है. चूंकि भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) एक विशेषज्ञता प्राप्त क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र है, इसलिये बंगाल की खाड़ी और अरब सागर सहित उत्तरी हिंद महासागर से उठने वाले चक्रवातों को विभाग उनकी संबद्ध तीव्रता तक पहुंचने पर नाम देता है. अप्रैल 2020 में आईएमडी ने भविष्य में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठ सकने वाले चक्रवाती तूफानों के लिये 169 नामों की सूची जारी की. ताउते इस सूची से उपयोग में लिया जाने वाला पांचवां नाम है.
चक्रवातों को नाम क्यों दिया जाता है?
चूंकि संख्य़ाओं और तकनीकी शब्दों की तुलना में नामों को याद रखना ज्यादा आसान है, इसलिये चक्रवातों को नाम दिया जाता है ताकि चेतावनी संदेशों में उन्हें तुरंत पहचानने में मदद मिले. चक्रवातों को नाम देने से मीडिया को भी उनकी रिपोर्टिंग में आसानी होती है, चेतावनियों के प्रति रुचि और सतर्कता बढ़ती है और समुदाय की तैयारियां भी बढ़ती है. विश्व मौसम संगठन के अनुसार छोटे और आसान नामों का उपयोग, अक्षांश और देशांतर की पहचान बताने वाले पुराने भारी भरकम नामों की तुलना में सरल होता है, इनके लिखने - बोलने में तेजी आती है और त्रुटि की भी संभावना कम रहती है. ये फायदे दूर दराज फैले सैकड़ों मौसम केंद्रों, तटवर्ती केंद्रों और समुद्र में जहाजों तक तूफान की सूचना पहुंचाने में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाते हैं.
सूची से किसी नाम को चुनने की कसौटी क्या है?
1. प्रस्तावित नाम क) राजनीति और राजनीतिक हस्तियों ख) धार्मिक आस्थाओं ग) संस्कृतियों और घ) लिंग भेद से तटस्थ होना चाहिये.
2. नाम का चुनाव इस तरह होना चाहिये कि उससे विश्व के किसी भी समूह की भावनाय़ें आहत न हों.
3. यह बहुत अभद्र और क्रूर नहीं होना चाहिये.
4. नाम छोटा, उच्चारण करने में आसान और किसी को भी किसी तरह का आघात पहुंचाने वाला नहीं होना चाहिये.
5. नाम आठ अक्षरों से अधिक का न हो.
6. प्रस्तावित नाम अपने सही उच्चारण और वॉयस ओवर के साथ उपलब्ध कराया जाना चाहिये.
7. विश्व मौसम संगठन समिति को अधिकार है कि वह उपर्युक्त नियमों में से किसी एक के भी पूरा न होने पर किसी भी नाम को नांमजूर कर दे.
8. किसी सदस्य द्वारा कोई तर्कसंगत आपत्ति उठाये जाने पर तय किये गये नामों को भी लागू किये जाने के दौरान, समिति की मंजूरी से समय समय पर समीक्षा होनी चाहिये.
9. उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवाती तूफान के नाम दोहराये नहीं जायेंगे. एक बार प्रयुक्त हो चुके नाम का फिर उपयोग नहीं होगा.चक्रवातों के नाम नये होने चाहिये. यह नाम आरएसएमसी नयी दिल्ली सहित दुनिया के किसी भी क्षेत्र विशेष मौसम केंद्र की मौजूदा सूची में पहले से नहीं होना चाहिये.
विश्व मौसम संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुसार यदि कोई चक्रवात भीषण तबाही मचाने वाला और घातक साबित होता है तो वह नाम हटा दिया जाता है और फिर कभी किसी अन्य चक्रवात के लिये प्रयुक्त नहीं होता.
चक्रवातों के नामकरण में कौन शामिल होते हैं?
विश्व में 6 क्षेत्र विशेष मौसम केंद्र (आरएसएमसी) और 5 उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (टीसीडब्ल्यूसी) हैं जिन्हें परामर्श जारी करने और चक्रवातों को नाम देने का दायित्व सौंपा गया है. भारतीय मौसम विभाग इन 6 आरएसएमसी में एक है जो विश्व मौसम संगठन /एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग समिति के 13 सदस्य देशों को चक्रवात और तूफान के संबंध में परामर्श उपलब्ध कराता है. इस समिति में बंगलादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सउदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और यमन हैं.
भारतीय मौसम विभाग सूची में जोड़े जाने वाले नामों के लिये आम लोगों से भी सुझाव आमंत्रित करता है बशर्ते सुझाये गये नाम अनिवार्य मूलभूत शर्तों को पूरा करते हों.
(अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन द्वारा संकलित)
(स्रोत: डब्ल्यूएमओ/आईएमडी/ एनडीएमए / पीआईबी)