वर्चुअल बुक फेयर :
पढ़ने की आदतों को बढ़ावा देना
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले 2021 के ऑनलाइन संस्करण के साथ हाल ही में पुस्तकों की आकर्षक दुनिया पर ध्यान केंद्रित किया गया था. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा मेले का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है.
रोज़गार समाचार ने नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. गोविंद प्रसाद शर्मा से सम्पर्क किया. साक्षात्कारकर्ता एस. रंगाबशियम, नई दिल्ली स्थित आकाशवाणी में समाचार एंकर हैं.
प्र. 1) कोरोना महामारी के इस काल में एक वर्चुअल पुस्तक मेले के आयोजन की चुनौतियों के बारे में बताएं.
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के पैमाने जैसे किसी भी आयोजन को चुनौती नहीं दी जा सकती है. फिर भी, सही प्रेरणा से सभी चुनौतियों को दूर किया जा सकता है. महामारी-प्रेरित प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए, मेले का आयोजन इस वर्ष एक वर्चुअल मंच पर किया गया था. हमारे पास सर्वश्रेष्ठ आईटी और वर्चुअल प्रदर्शनी मंच टीमों का समर्थन था, और हम प्रदर्शकों और आगंतुकों की विजिट को आकर्षक बनाने के लिए उनके साथ काम करते हैं. मैं जोड़ना चाहूंगा कि इस पैमाने पर पुस्तक मेले का यह भारत का पहला वर्चुअल संस्करण था. वर्चुअल मंच ने दुनिया भर के लोगों को हमारे साथ जोड़ना संभव बना दिया, जो कि भौतिक मेले में, कई बार, यात्रा, संभार तंत्र, वीजा, अन्य समवर्ती भौतिक घटनाओं आदि के कारण एक चुनौती साबित होता है. एनईपी-2020 की अपनी थीम के साथ एनईपी-2020 के आसपास पहली 4 दिवसीय वर्चुअल घटना थी. नई शिक्षा नीति से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए वेबिनार, पैनल डिस्कशन, बुक लॉन्च, इंटरेक्टिव सेशन, अंतर्राष्ट्रीय संवाद सहित 30 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए.
प्र. 2) पुस्तक प्रेमियों के लिए ऑनलाइन पुस्तकें पढ़ना और खरीदना कितना आसान था?
यह एक 3डी प्लेटफ़ॉर्म था जिसमें पूर्ण अनुभव था. पुस्तकों को ब्राउज़ करने और खरीदने में आसानी के साथ, स्टालों, ई-मीटिंग प्रदर्शकों, नियमित एनडीडब्ल्यूबीएफ साहित्यिक आयोजनों, बच्चों की गतिविधियों, थीम मंडप, आदि के साथ हमने इसे वास्तविक मेले का अहसास दिलाया. आगंतुक प्रदर्शित पुस्तकें देखने में सक्षम थे और प्रदर्शकों के केटलॉग उनकी पहुंच में थे. वे एक बटन के क्लिक पर अपनी पसंद की किताबें खरीदने में सक्षम थे.
प्र. 3) क्या आपको लगता है कि पुस्तक पढ़ने की आदत ने सोशल मीडिया और इंटरनेट के आगमन के साथ एक गति पकड़ ली है? एनबीटी इस चुनौती की दिशा में कैसे काम कर रहा है?
यद्यपि तकनीकी क्रांति, स्मार्टफोन और टैबलेट और किंडल के व्यापक उपयोग का पढ़ने पर प्रभाव पड़ा है, फिर भी मुद्रित संस्करण अभी भी पाठकों द्वारा मांगे जाते हैं - चाहे वह समाचार पत्र हो, पत्रिकाएं हों, या पुरानी अच्छी पुस्तकें हों. हमारे सभी पुस्तक मेलों में, विशेष रूप से वार्षिक नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में, पुस्तक प्रेमियों का आना प्रति वर्ष बढ़ रहा है. सोशल मीडिया और इंटरनेट ने वास्तव में प्रकाशन उद्योग को सहायता प्रदान की है. किताबें इतनी आसानी से सुलभ हो जाती हैं कि किसी पाठक को सिर्फ ऑनलाइन स्टोर पर जाना पड़ता है और एक किताब खरीदनी होती है जो उसे एक या दो दिन के भीतर डिलीवर हो जाती है. इंटरनेट वास्तव में दुनिया के विभिन्न कोनों से समान विचारधारा वाले लोगों को जोड़कर पुस्तकों पर आगे चर्चा की सुविधा प्रदान करता है.
प्र. 4) ई-बुक्स की उपलब्धता के बावजूद, हाथ में पुस्तक होने की खुशी अनमोल है. क्या आप इस मनोवैज्ञानिक व्यवहार और आदत को समझाना चाहते हैं?
एक भौतिक पुस्तक पढ़ने से पाठक को जो खुशी मिलती है, वह किसी अन्य प्रारूप से नहीं मिल सकती. इसके साथ ही ई-बुक्स, ऑडियो बुक्स आदि के बढ़ते चलन को भी नजरअंदाज करना नासमझी होगी क्योंकि जब तक लोगों को ज्ञान की जरूरत होगी और कहानियों की जरूरत होगी, तब तक किसी भी प्रारूप में पुस्तकों की हमेशा मांग रहेगी.
प्र. 5) युवावस्था में प्रेरित करना. क्या एनबीटी की स्कूल और कॉलेज जाने वाले पाठकों को लक्षित करने की कोई रणनीति है?
माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 31 जनवरी, 2021 को मन की बात में की गई घोषणा के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय के मार्गदर्शन में एनबीटी जल्द ही युवा लेखकों के लिए एक मेंटोरशिप योजना शुरू करने जा रहा है. कार्यक्रम में पूरे भारत के 22 भारतीय भाषाओं के युवा लेखकों का चयन किया जाएगा, जिन्हें राष्ट्र के समृद्ध इतिहास और परंपराओं के बारे में लिखने के लिए सलाह दी जाएगी.
प्र. 6) समाज के एक वर्ग के लिए, किताबें खरीदना एक लक्जरी हो सकता है. आप किताबों को विशाल जनसमूह के लिए वहन योग्य बनाने की योजना कैसे बनाते हैं?
नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत 1957 में अपने प्रारंभ होने के बाद से, हमेशा देश के प्रत्येक पाठक, जो एक किताब की चाह में है, को सस्ता और सुलभ साहित्य उपलब्ध कराने के अपने जनादेश के साथ खड़ा हुआ है, हमारे 4 क्षेत्रीय कार्यालय, कई बुकशॉप और मोबाइल प्रदर्शनी वैन देश के सभी हिस्सों से पाठकों को हमारी सभी पुस्तकें प्रदान करने में मदद करते हैं.
प्र. 7) क्षेत्रीय भाषाओं में बहुत अच्छा साहित्य उपलब्ध है. क्या आप इसे अंग्रेजी और हिंदी के पाठकों को भी उपलब्ध कराने की योजना बना रहे हैं?
एनबीटी देश का एकमात्र संगठन है जो 51 से अधिक भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में पुस्तकें प्रकाशित करता है. हम आदिवासी भाषाओं, बोलियों के साथ-साथ ब्रेल में भी पुस्तकें और पठन सामग्री प्रकाशित करते हैं. हमारे पास एक समर्पित शृंखला, आदान -प्रदान शृंखला है, जो अन्य भारतीय भाषाओं के लोगों के लिए एक विशेष भाषा के प्रसिद्ध साहित्यिक कार्यों को प्रस्तुत करती है. एनबीटी 'एक भारत श्रेष्ठ भारत की सोच में विश्वास करता है और अपने कई अनुवादित कार्यों के माध्यम से, हम विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के ज्ञान, संस्कृति, परंपराओं और प्रथाओं के आदान प्रदान की सुविधा देकर भारत की एकता और अखंडता को मजबूत करना चाहते हैं.
प्र. 8) क्या एनबीटी भारतीय भाषाओं में और सस्ती कीमतों पर विश्व साहित्य उपलब्ध करा सकता है?
हमारे पास पहले से ही ऐसी विभिन्न शृंखलाएं हैं जो भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी में भी विश्व साहित्य का अनुवाद प्रदान करती हैं. उदाहरण के लिए, हमारी विश्व साहित्य शृंखला के अंतर्गत, हम एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों के समकालीन लेखन की रचनाओं को प्रकाशित करते हैं. हमारा एशियाई/पैसिफिक सह-प्रकाशन प्रोग्राम यूनेस्को के तत्वावधान में एशियाई लेखकों द्वारा एशियाई बच्चों के लिए किताबें विकसित करने पर एक आदर्श प्रयास है, ये किताबें इस विशाल महाद्वीप के लिए एक समान विरासत बनाने के लिए कदम हैं और आज एशिया की सबसे अच्छी पुस्तकें हैं. भारतीय भाषाओं के अलावा, एनबीटी ने संयुक्त राष्ट्र की सभी छह आधिकारिक भाषाओं अर्थात् अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश में पुस्तकें प्रकाशित की हैं.
प्र. 9) क्या आप हमारे पाठकों को कोई संदेश देना चाहेंगे?
यह समय, आवागमन और मनोरंजन के अन्य रूपों पर पाबंदी होने के कारण हर किसी के लिए अभूतपूर्व परीक्षा की घड़ी का समय है. मैं बस हर किसी को, विशेष रूप से हमारे युवा पाठकों को सलाह देना चाहता हूं कि वे इस स्थिति का लाभ उठाएं और अपनी ऊर्जा को उन गतिविधियों के प्रति निर्देशित करें जो आपके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाती हैं. पुस्तकों का आनंद लें और पठन की अपनी रुचि को फिर से खोजें. माता-पिता को अपने बच्चों को खाली समय में किताबें पढ़ने और उन्हें उदाहरण द्वारा प्रोत्साहित करना चाहिए.
(एस. रंगाबशियम आकाशवाण् में समाचार एंकर हैं, ई-मेल: s_ranga
bashiam@yahoo.co.in)
व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं