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विशेष लेख


अंक संख्या 44, 29 जनवरी - 04 फरवरी,2022

वर्ष 2021 के दौरान स्वास्थ्य एवं

परिवार कल्याण मंत्रालय के नए कदम

प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम)

 माननीय प्रधानमंत्री ने 25 अक्तूबर, 2021 को वित्त वर्ष 2025-26 तक के लिए लगभग 64,180 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना स्कीम (अब परिवर्तित नाम-प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन) का शुभारंभ किया. यह देशभर की स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूती प्रदान करने के लिए विशालतम अखिल भारतीय योजना है.

इस योजना के तहत किए जाने वाले उपायों में सभी स्तरों यथा प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक पर निरंतर देखरेख के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों और संस्थाओं की क्षमताओं को विकसित करने तथा वर्तमान और भविष्य की महामारियों/आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए स्वास्थ्य  प्रणालियों को तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

मिशन का लक्ष्य सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों और बीमारी के प्रकोप का पता लगाने, जांच करने, रोकथाम करने और उनसे निपटने के लिए मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों में ब्लॉक, जिला, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क विकसित करके और प्रवेश बिंदुओं पर स्वास्थ्य इकाइयों को मजबूत करके आईटी-सक्षम रोग निगरानी प्रणाली का निर्माण करना है. संवर्धित निवेश को कोविड-19 और जैव-चिकित्सकीय अनुसंधान सहित अन्य संक्रामक रोगों पर अनुसंधान में सहायता देने के लिए भी लक्षित किया जाता है, जो कोविड-19 जैसी महामारी के लिए अल्पावधि और मध्यम अवधि रिस्पोंस के लिए जानकारी देने तथा जानवरों और मनुष्यों में संक्रामक रोग के प्रकोप की रोकथाम करने, पता लगाने और उससे निपटने के लिए वन हेल्थ अप्रोच प्रदान करने के लिए मूलभूत क्षमता विकसित करने हेतु साक्ष्य उत्पन्न करते हैं.

'प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन योजना के अंतर्गत वित्त वर्ष 2025-26 तक प्राप्त किए जाने वाले मुख्य हस्तक्षेप निम्नलिखित हैं :

केंद्र प्रायोजित संघटक :

1.            अत्यधिक फोकस वाले 10 राज्यों में 17,788 ग्रामीण स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों के लिए सहायता करना. 15वें वित्त आयोग के तहत स्वास्थ्य क्षेत्र के अनुदान और एनएचएम  के अंतर्गत अन्य राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के लिए सहायता करना.

2.            सभी राज्यों में 11,024 शहरी स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों की स्थापना करना.

3.            अत्यधिक फोकस वाले 11 राज्यों में 3382 ब्लॉक सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयां. 15वें वित्त आयोग के तहत स्वास्थ्य क्षेत्र के अनुदान और एनएचएम के अंतर्गत अन्य राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के लिए सहायता करना.

4.            सभी जिलों में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं की स्थापना करना.

5.            5 लाख से अधिक आबादी वाले सभी जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक की स्थापना करना.

केंद्रीय क्षेत्र के संघटक :

1.            150 बिस्तरों वाले क्रिटिकल केयर अस्पताल ब्लॉकों सहित प्रशिक्षण और परामर्श स्थलों के रूप में 12 केंद्रीय संस्थाएं.

2.            राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), 5 नए क्षेत्रीय एनसीडीसी और 20 महानगरीय स्वास्थ्य निगरानी इकाइयों को सुदृढ़ बनाना;

3.            सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को जोड़ने के लिए समस्त राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल का विस्तार;

4.            17 नई सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को चालू करना और 32 हवाई अड्डों, 11 बंदरगाहों और 7 लैंड क्रॉसिंग पर स्थित प्रवेश बिंदुओं पर 33 मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को मजबूत बनाना;

5.            15 स्वास्थ्य आपातकालीन संचालन केंद्रों और 2 कंटेनर आधारित मोबाइल अस्पतालों की स्थापना करना; तथा

वन हेल्थ के लिए एक राष्ट्रीय संस्था, वायरोलॉजी के लिए 4 नए राष्ट्रीय संस्थानों, डब्ल्यूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय अनुसंधान मंच और 9 जैव सुरक्षा स्तर III प्रयोगशालाओं की स्थापना करना.

प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई)

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) का उद्देश्य किफायती, विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में व्याप्त क्षेत्रीय असंतुलनों में सुधार लाना तथा देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाओं को उन्नत बनाना है. इस योजना के मोटे तौर पर दो संघटक हैं :

·         अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ) की स्थापना

·          मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों/ संस्थाओं( जीएमसीआई) का उन्नयन

इस योजना के अंतर्गत, अब तक 22 नए एम्स की स्थापना की जा चुकी है और मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों/ संस्थाओं (जीएमसी आई) के उन्नयन की 75 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है.

चरण-I के अंतर्गत 6 एम्स :  चरण-I के अंतर्गत 6 एम्स (एम्स-भोपाल, एम्स -भुवनेश्वर, एम्स-जोधपुर, एम्स-पटना, एम्स-रायपुर और एम्स-ऋषिकेश) को मंजूरी दी गई है और वे पहले से ही पूरी तरह काम करना शुरू कर चुके हैं.

चरण-II , IV, V, VI और VII के अंतर्गत अन्य नए एम्स :  मंत्रिमंडल ने बाद  के चरणों के लिए 16 एम्स को मंजूरी/स्वीकृति प्रदान की है. 7 एम्स  यथा- नागपुर,  रायबरेली, मंगलगिरी, गोरखपुर, बठिंडा, बीबीनगर और कल्याणी में सीमित ओपीडी सेवाएं चालू हैं. इस वर्ष के दौरान कोविड-19 के मरीजों के लिए सीमित ओपीडी सुविधा एम्स मंगलगिरी, एम्स  नागपुर और एम्स बठिंडा में शुरू की गई. एम्स मंगलगिरी, एम्स  नागपुर और एम्स   बठिंडा में कोविड-टेस्ट लैब भी चालू हैं. एम्स गोरखपुर में 300 बिस्तर वाली ओपीडी 7-12-2021 से शुरू की जा चुकी है.

प्रति वर्ष प्रति एम्स 100 सीटों के साथ अंडर ग्रेजुएट एमबीबीएस पाठ्यक्रम 8 नए एम्स यथा मंगलगिरी, नागपुर, रायबरेली, कल्याणी, गोरखपुर, बठिंडा, देवघर, बीबीनगर में तथा एम्स गुवाहाटी, जम्मू-राजकोट और बिलासपुर में 50-50 सीटों के साथ पहले से प्रारंभ हो चुका है.

8 एम्स यथा एम्स रायबरेली, नागपुर, मंगलगिरी, कल्याणी, गोरखपुर, बठिंडा, बिलासपुर और देवघर में निर्माण उन्नत अवस्था में पहुंच चुका है. इसके अलावा एम्स गुवाहाटी, (असम), अवंतीपुरा, (कश्मीर), सांबा, (जम्मू) और राजकोट, (गुजरात) में भी निर्माण कार्य प्रगति पर है.

 

मौजूदा जीएमसीआई का उन्नयन : योजना के प्रारंभ होने के बाद से 2000 आईसीयू बिस्तरों सहित 12000 से अधिक सुपर स्पेशलिटी बिस्तरों को जोड़ते हुए मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों/संस्थाओं की 53 उन्नयन परियोजनाएं पूर्ण की जा चुकी हैं. इन उन्नयन परियोजनाओं के अंतर्गत निर्मित सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक्स/ ट्रामा सेंटर का उपयोग कोविड-हॉस्पिटल ब्लॉक्स के रूप में भी किया जा रहा है. गोवा मेडिकल कॉलेज, पणजी, राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, अदिलाबाद, अगरतला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, त्रिपुरा और रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ आफ्थेलमोलॉजी (आरआईओ), आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी सहित चार परियोजनाओं को 2021-22 के दौरान (नवंबर 2021 तक) पूरा किया जा चुका है.

आयुष्मान भारत

आयुष्मान भारत का उद्देश्य निरंतर देखरेख के दृष्टिकोण को अंगीकार करते हुए प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली (निवारक, तत्पर, पुनर्वास एवं प्रशामक देखभाल को कवर करते हुए) पर समग्र रूप से ध्यान देना है. इस योजना के तहत, मंत्रालय आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों (एबी-एचडब्ल्यूसी) के माध्यम से समग्र प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (सीपीएचसी) का निरुपण और कार्यान्वयन करना जारी रखे हुए है.

आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी)

·         राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों (दिल्ली के अतिरिक्त) को लगभग 1,52,130 आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों (एबी-एचडब्ल्यू्सी) के लिए स्वीेकृति प्रदान की गई है और राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा एबी-एचडब्ल्यू्सी पोर्टल पर दी गई जानकारी के अनुसार, 20 दिसम्बर, 2021 तक 81,518 स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों ने काम करना शुरु कर दिया था, जिनमें 55,458 एसएचसी स्तर के एबी-एचडब्ल्यूसी, 21,894 पीएचसी स्तर के एबी-एचडब्ल्यूसी तथा 4166 यूपीएचसी स्तर के एबी-एचडब्ल्यूसी शामिल थे.

·          एबी-एचडब्लयूसी की अवस्थिति की जियो-टेगिंग सक्षम बनाने तथा फ्रंटलाइन स्वास्थ्य सेवा कर्मियों द्वारा दैनिक सेवा प्रदायगी मानकों को प्रविष्ट करने के लिए मंत्रालय ने 12 जुलाई, 2021 को एबी-एचडब्ल्यूसी पोर्टल का एप संस्करण लॉन्च किया.

·          एनसीडी, तपेदिक और कुष्ट रोग सहित पुरानी बीमारियों की जांच, रोकथाम और प्रबंधन को एबी-एचडब्ल्यूसी में समग्र प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के भाग के रूप में शुरु किया गया है. इन सेवाओं को प्रारंभ करने के लिए सभी चालू एबी-एचडब्ल्यूसी में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल करने वाली टीम का प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन किया गया तथा आईटी एप्लीकेशन का उपयोग किया गया.

·         आरोग्य एवं स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए लोगों की जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए उन्हें  आरोग्य संबंधी गतिविधियों से अवगत कराया गया, इनमें शारीरिक गतिविधियां बढ़ाना (साइक्लेथॉन और मैराथन), सही खाना और सुरक्षित खाना, तंबाकू और मादक पदार्थों का सेवन बंद करना, राज्यों में ध्यान, लाफ्टर क्लब, ओपन जिम आदि शुरू किया जाना शामिल था. इसके अलावा, इन केंद्रों पर नियमित रूप से योग के सत्र आयोजित किए गए.

·          राज्यों को पीएचसी से हब हॉस्पिटल तक के विशेषज्ञों से परामर्श शुरू कराने के लिए टेलीमेडिसिन दिशानिर्देश भी उपलब्ध कराए गए हैं. अब तक 56,927 एबी-एचडब्ल्यूसी ने टेली-कल्सेंटेशन शुरू किया है.

मानव संसाधन

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने राज्यों को लगभग 2.74 लाख अतिरिक्त स्वास्थ्य कर्मी उपलब्ध  करवा कर मानव संसाधन संबंधी कमियों को दूर करने का प्रयास किया, इनमें 13,074 जीडीएमओ, 3,376 विशेषज्ञ, 73,847 स्टाफ नर्स, 85,834 एएनएम, 48,332 अर्द्ध चिकित्साकर्मी, 439 सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधक तथा अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए 17,086 कार्यक्रम प्रबंधन कर्मचारी शामिल हैं. इन कर्मियों को काम पर रखने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के अलावा, एनएचएम ने इनके बहु-कौशल तथा स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मियों को तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण प्रदान करने के रूप में तकनीकी सहायता प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित किया. एनएचएम ने स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे (प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र (सीएचसी) और जिला अस्पतालों (डीएच) में आयुष सेवाओं के सह-स्थापन में भी सहायता की. कुल 27,737 आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी) डॉक्टरों और 4564 को एनएचएम की वित्तीय सहायता से राज्यों में तैनात किया गया है.

आयुष को मुख्यधारा में लाना

आयुष को मुख्यधारा में लाने का कार्य 7,452 पीएचसी, 2,811 सीएचसी, 487 डीएच, उप केंद्रों (एससी) के ऊपर, लेकिन ब्लॉक स्तर से नीचे के 4,022 स्वास्थ्य केंद्रों तथा सीएचसी के अलावा या ब्लॉक स्तर पर अथवा उससे ऊपर, लेकिन जिला स्तर से नीचे 456 स्वास्थ्य केंद्रों पर आयुष सेवाओं को आवंटित करके किया गया है.

अवसंरचना

अत्यधिक फोकस वाले राज्यों में एनएचएम निधियों के 33% तक का उपयोग बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया जा सकता है. देश भर में 30.06.2021 तक एनएचएम के तहत किए गए निर्माण / नवीनीकरण का विवरण निम्नतलिखित है:

                सुविधा                                  नव निर्माण                                       नवीकरण/ सुधार

                                      अनुमोदित                          पूर्ण                                       अनुमोदित                  पूर्ण

                एस सी              35805           22073                                            26125                     19464

                पीएचसी                             2889                2447                                                16783   14582

                सीएचसी      604             530                                   7636                    14582

                एसडीएच               251                174                                                    1317   1145

                डीएच                    175                   156                                                  3311    2854

                अन्य *                  1337                  802                                                  3310    1365

                कुल                        41061              26182                                             58282  48072

* ये एससी से ऊपर, लेकिन ब्लॉक स्तर से नीचे के केंद्र हैं.

आशा को अतिरिक्त  सहायता

देशभर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों (गोवा और चंडीगढ़ के अतिरिक्त) में एनएचएम के तहत 9.83 लाख प्रत्यायित सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) हैं, जो समुदाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के बीच कड़ी के रूप में कार्य करती हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आशा के लिए नियमित और आवर्ती प्रोत्साहनों की मात्रा में वृद्धि को मंजूरी प्रदान की है. इसकी बदौलत अब आशा कम से कम 2000 रुपये प्रति माह प्राप्त करने में सक्षम होंगी, जबकि पहले उसे 1000 रुपये प्रति माह ही प्राप्त होता था. मंत्रिमंडल ने पूरी तरह भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाली सभी आशा और आशा सहायिकाओं को कवर करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान की है.

मातृ एवं बाल स्वास्थ्य

 मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) अधिनियम एवं नियम 2021 :  एमटीपी अधिनियम उस महिला को सुरक्षित, किफायती, सुलभ और कानूनी गर्भपात सेवाएं प्रदान करने के महत्व को स्वीकार करता है, जिसे कुछ चिकित्सीय, युजनिक, मानवीय या सामाजिक कारणों से गर्भावस्था को समाप्त करने की आवश्यकता होती है. सुरक्षित गर्भपात सेवाएं प्रदान करने के लिए लाभार्थियों के आधार को व्यापक बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन किया गया था.

मुस्कान : भारत के महापंजीयक (आरजीआई) द्वारा अक्तूबर 2021 में जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शिशु मृत्यु अनुपात (आईएमआर) में कमी आई है. यह वर्ष 2018 के प्रति 1000 जीवित जन्म पर 32 से घटकर वर्ष 2019 में प्रति1000 जीवित जन्म पर 30 हो गया. राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) के अंतर्गत, बच्चों को सार्वजनिक स्वास्थ्य के तहत गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित देखभाल उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए माननीय स्वास्थ्य मंत्री ने 17 सितंबर 2021 को 'मुस्काननामक एक नई पहल का शुभारंभ किया था. मुस्कान का उद्देश्य नैदानिक प्रोटोकॉल और प्रबंधन प्रक्रियाओं को सुदृढ़ बनाने तथा नवजात शिशुओं और बच्चों को सम्मानजनक और गरिमापूर्ण देखभाल उपलब्ध कराने के माध्यम से बाल मृत्यु दर और रुग्णता में कमी लाना और पोषण की स्थिति, विकास और छोटे बच्चों की प्रांरभिक बाल्यावस्था के विकास में सुधार लाना है.

-स्वास्थ्य

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम): माननीय प्रधानमंत्री ने देश की एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य अवसंरचना की सहायता के लिए आवश्यक आधार को विकसित करने के उद्देश्य से 27 सितंबर, 2021 को राष्ट्रव्यापी स्तर पर आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के शुभारंभ की घोषणा की. इसे पहले राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के रूप में जाना जाता था.

राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवाएं : राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा '-संजीवनीमंत्रालय की एक डिजिटल स्वास्थ्य पहल है, जो दो  प्रकार की टेली-परामर्श सेवाओं-डॉक्टर-से-डॉक्टर (-संजीवनी) और रोगी-से-डॉक्टर (-संजीवनी ओपीडी) टेली-परामर्श में सहायता प्रदान करती है. -संजीवनी ने लगभग 2 करोड़ परामर्श पूरे कर लिए हैं. 35 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में प्रतिदिन 1,00,000 से अधिक रोगी स्वास्थ्य सेवाओं की मांग कर रहे हैं. -संजीवनी और -संजीवनी ओपीडी प्लेटफार्मों के माध्यम से अधिकतम परामर्श दर्ज करने वाले दस शीर्ष राज्यों में आंध्र प्रदेश (7665939), कर्नाटक (3281070), तमिलनाडु (1744038), उत्तर प्रदेश (1537339), पश्चिम बंगाल (1262330), बिहार (632474), गुजरात (590564), मध्य प्रदेश (577513), महाराष्ट्र (574457), उत्तराखंड (345342) शामिल हैं.

 चिकित्सा शिक्षा

राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग अधिनियम 2021 : संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में शामिल विभिन्न व्यवसायों के लिए एक नियामक निकाय की लंबे समय से चली रही कमी को दूर करने के लिए, राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग अधिनियम 2021 को अधिनियमित किया गया है. इन सभी व्यावसायिक शिक्षा क्षेत्रों में लाया जा रहा मूलभूत और सैद्धांतिक परिवर्तन यह है कि अब 'निर्वाचितनियामक के स्थान पर 'गुणों के आधार परनियामक को निर्वाचित किया जा रहा है. इसके अलावा, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के गठन ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार का सूत्रपात किया है. इसी तरह, सरकार मौजूदा भारतीय नर्सिंग परिषद अधिनियम, 1947 और दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 के स्थान पर सुधारात्मक कानून लाकर नर्सिंग और दंत चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्रों में संस्थागत सुधार लाने का प्रयास कर रही है.

राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक का मसौदा : देश में दंत चिकित्सा शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने हेतु उसमें सुधार के लिए मौजूदा दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 को बदलने के लिए राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक (बिल) का मसौदा तैयार किया गया है और यह मसौदा संसद के विचाराधीन है. यह आयोग दिशानिर्देश तैयार करेगा और स्नातक स्तर पर एक समान प्रवेश परीक्षा अर्थात राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा, यूनिफॉर्म एक्जिट टेस्ट अर्थात नेशनल एक्जिट टेस्ट (डेंटल) स्नातक और स्नातकोत्तर दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सामान्य परामर्श आदि आयोजित करेगा. यह विधेयक राष्ट्रीय दंत आयोग (कमिशन), चार स्वायत्त बोर्ड, एक दंत सलाहकार परिषद और राज्य दंत चिकित्सा परिषदों के गठन का प्रावधान करता है. इसके अलावा यह विधेयक दंत चिकित्सा पेशेवरों और डेंटल हाइजीनिस्ट्सि, दंत तकनीशियनों और दंत परिचालन कक्ष सहायकों जैसे दंत चिकित्सा सहायकों की शिक्षा, परीक्षा, प्रशिक्षण और सेवाओं  को विनियमित करने के लिए चार स्वायत्त बोर्डों अर्थात अंडरग्रेजुएट डेंटल एजुकेशन बोर्ड (यूजीडीईबी), पोस्टग्रेजुएट डेंटल एजुकेशन बोर्ड (पीजीडीईबी), डेंटल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड (डीएआरबी) और एथिक्स एंड डेंटल रजिस्ट्रेशन बोर्ड (ईडीआरबी) के गठन का प्रावधान करता है. यह विधेयक केंद्र सरकार को नीतिगत प्रश्नों  पर आयोग और स्वायत्त बोर्डों को निर्देश देने और राज्य सरकारों को इस अधिनियम के सभी या किसी भी प्रावधान को कार्यान्वित करने का अधिकार देता है. इस विधेयक का मसौदा विचाराधीन है.

मेडिकल सीटों की संख्या में वृद्धि : पिछले छह वर्षों के दौरान एमबीबीएस सीटों में 72त्न की वृद्धि हुई. इन सीटों की संख्या 2014 में 51,348 थी, जो  2021 में  बढ़कर 88,120 सीटों तक पहुंच गई. इसके अलावा स्नातकोत्तर सीटों की संख्या 2014 में 30,185 सीटों से 78त्न बढ़कर 2021 में 55,595 सीटों तक पहुंच गई.

नए मेडिकल कॉलेज : इसी अवधि के दौरान, 209 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए और इस समय देश में 596 (सरकारी : 313, निजी : 283) मेडिकल कॉलेज हैं. केंद्र प्रायोजित योजना के तहत नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए तीन चरणों में 157 मेडिकल कॉलेजों की स्थापना को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 70 काम कर रहे हैं और शेष कुछ वर्षों में काम करने लगेंगे. इन 157 कॉलेजों में से 39 देश के महत्वाकांक्षी जिलों में स्थापित किए जा रहे हैं. इसके फलस्वरूप चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में असमानता के मुद्दों का समाधान किया जा रहा है.

(स्रोत : पत्र सूचना कार्यालय)