दावोस एजेंडा : विश्व आर्थिक मंच का वर्चुअल शिखर सम्मेलन
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का 'विश्व की स्थिति’ पर संबोधन
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 17 जनवरी 2022 को विश्व आर्थिक मंच के दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन में 'स्टेट ऑफ दी वर्ल्ड’ (विश्व की स्थिति) विषय पर विशेष सम्बोधन किया. राष्ट्र और शासनाध्यक्षों के साथ-साथ प्रमुख बहु-राष्ट्रीय कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और अन्य नेता आभासी शिखर सम्मेलन- 'महत्वपूर्ण सामूहिक चुनौतियां और उन्हें कैसे हल किया जाए’ पर एक संवाद के लिए एकत्रित हुए. कोविड-19 महामारी के कारण, इस वर्ष यह तीन दिवसीय कार्यक्रम वर्चुअली आयोजित किया गया. इस संवाद ने इस साल के अंत में दावोस में होने वाली विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में कार्य किया. प्रधानमंत्री के भाषण की प्रमुख बातें निम्नानुसार हैं:
'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’
कोरोना काल में हमने देखा है कि भारत किस तरह 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के दृष्टिकोण पर चलते हुए कई देशों को जरूरी दवाएं और वैक्सीन मुहैया कराकर करोड़ों लोगों की जान बचा रहा है. आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा औषधि उत्पादक है; यह दुनिया के लिए एक फार्मेसी है. आज भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिनके स्वास्थ्य विशेषज्ञ और चिकित्सक अपनी संवेदनशीलता और विशेषज्ञता से सबका विश्वास जीत रहे हैं.
भारत के आईटी क्षेत्र की उपलब्धियां
भारत दुनिया को रिकॉर्ड सॉफ्टवेयर इंजीनियर भेज रहा है. भारत में 50 लाख से ज्यादा सॉफ्टवेयर डेवलपर काम कर रहे हैं. विश्व में यूनिकॉर्न की तीसरी सबसे बड़ी संख्या आज भारत में है. पिछले 6 महीने में 10 हजार से ज्यादा स्टार्टअप पंजीकृत किए गए हैं. आज भारत के पास एक विशाल, सुरक्षित और सफल डिजिटल भुगतान मंच है. पिछले महीने ही भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस के जरिए 4.4 अरब ट्रांजेक्शन किए गए हैं.
डिजिटल क्रांति
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने जिस डिजिटल बुनियादी ढांचे को विकसित और अपनाया है, वह आज भारत की एक बड़ी ताकत बन गया है. कोरोना संक्रमण पर नज़र रखने के लिए आरोग्य-सेतु ऐप और टीकाकरण के लिए कोविन पोर्टल जैसे तकनीकी समाधान भारत के लिए गर्व की बात हैं. भारत के कोविन पोर्टल द्वारा दी जाने वाली ऑनलाइन सुविधाओं- स्लॉट बुकिंग से लेकर प्रमाणपत्र निर्माण तक, ने बड़े देशों के लोगों का भी ध्यान आकर्षित किया है.
व्यापार करने में आसानी यानी ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस
भारत व्यापार करने में आसानी अर्थात ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को बढ़ावा दे रहा है, सरकारी हस्तक्षेप कम किया जा रहा है. भारत ने अपने कॉरपोरेट टैक्स को सरल और कम करके दुनिया में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी बना दिया है. पिछले साल ही, हमने 25 हजार से अधिक अनुपालनों को समाप्त कर दिया है. भारत ने पूर्वव्यापी करों जैसे उपायों में सुधार करके व्यापारिक समुदाय का विश्वास फिर से हासिल कर लिया है. भारत ने ड्रोन, अंतरिक्ष, भू-स्थानिक मानचित्रण जैसे कई अन्य क्षेत्रों में भी सुधार किया है. भारत ने आईटी क्षेत्र और बीपीओ से संबंधित पुराने दूरसंचार नियमों में बड़े सुधार किए हैं.
वैश्विक आपूर्ति शृंखला में विश्वसनीय भागीदार
भारत वैश्विक आपूर्ति-शृंखला में दुनिया में एक विश्वसनीय भागीदार बनने के लिए प्रतिबद्ध है. हम कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए रास्ता बना रहे हैं. नवप्रवर्तन, नई तकनीक को अपनाने की भारतीयों की क्षमता; भारतीयों की उद्यमशीलता की भावना; हमारे हर वैश्विक भागीदार को नई ऊर्जा दे सकती है.
भारत में निवेश करने का सबसे अच्छा समय
भारत में निवेश करने का यह सबसे अच्छा समय है. भारतीय युवाओं में उद्यमिता आज नई ऊंचाई पर है. 2014 में, जहां भारत में कुछ सौ पंजीकृत स्टार्ट-अप थे, उनकी संख्या आज 60 हजार को पार कर गई है. इसमें 80 से अधिक यूनिकॉर्न भी हैं, जिनमें से 40 से अधिक का गठन 2021 में किया गया था. जिस तरह प्रवासी भारतीय वैश्विक मंच पर अपना हुनर दिखा रहे हैं, उसी तरह भारतीय युवा पूरी तरह से तैयार हैं, वे भारत में आपके सभी व्यवसायों को नई ऊंचाईयां देने के लिए कमर कसे हुए हैं. गहन आर्थिक सुधारों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता एक और प्रमुख कारण है जो भारत को निवेश के लिए सबसे आकर्षक गंतव्य बना रहा है. कोरोना काल में जब दुनिया मात्रात्मक सुगमता कार्यक्रम जैसे हस्तक्षेपों पर ध्यान केंद्रित कर रही थी, भारत ने सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया. डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की सबसे बड़ी परियोजनाओं को कोरोना काल में ही अभूतपूर्व गति मिली. विशेष रूप से कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्वर पर 1.3 खरब डॉलर का निवेश किया जा रहा है. परिसंपत्ति मुद्रीकरण जैसे नवीन वित्तपोषण साधनों के माध्यम से 80 अरब डालर जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड
आत्मनिर्भरता के मार्ग पर चलते हुए भारत का ध्यान न केवल प्रक्रियाओं को आसान बनाने पर है, बल्कि निवेश और उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर भी है. इस दृष्टिकोण के साथ, 14 क्षेत्रों में 26 अरब डालर की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं लागू की गई हैं. हम मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड की भावना के साथ आगे बढ़ रहे हैं. दूरसंचार, बीमा, रक्षा, एयरोस्पेस के साथ-साथ अब सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत द्वारा पेश की जाने वाली असीमित संभावनाएं हैं.
स्वच्छ, हरित, सतत, विश्वसनीय विकास
आज भारत नीतियों का मसौदा तैयार कर रहा है, वर्तमान के साथ-साथ अगले 25 वर्षों के लक्ष्यों के संबंध में निर्णय ले रहा है. विकास का यह दौर भी हरा भरा होगा, स्वच्छ भी होगा, टिकाऊ भी होगा, विश्वसनीय भी होगा. हमने 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य भी रखा है. जलवायु चुनौती से निपटने के लिए हमारी प्रतिबद्धता 100 प्रतिशत है. इंटरनेशनल सोलर अलायंस और कोएलिशन फॉर डिजास्टर-रेसिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर क्लाइमेट अडैप्टेशन जैसी पहलें इस बात का सबूत हैं. पिछले वर्षों के प्रयासों के परिणामस्वरूप, आज हमारे ऊर्जा मिश्रण का 4० प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आ रहा है. हमने अपने लक्ष्य से 9 साल पहले ही पेरिस में भारत द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को हासिल कर लिया है.
नई चुनौतियां नए रास्ते, नए संकल्प की मांग करती हैं
आज, वैश्विक व्यवस्था में बदलाव के साथ, वैश्विक परिवार के रूप में हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, वे भी बढ़ रही हैं, उदाहरण के लिए क्रिप्टोकरेंसी. इससे जिस तरह की तकनीक जुड़ी हुई है, किसी एक देश द्वारा लिए गए फैसले उसकी चुनौतियों से निपटने के लिए अपर्याप्त होंगे. हमें एक सामान्य मानसिकता रखनी होगी. लेकिन आज के वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए सवाल यह है कि क्या बहुपक्षीय संगठन नई विश्व व्यवस्था और नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं; क्या वह ताकत उनमें बची है? सुधारों पर जोर देना हर लोकतांत्रिक देश की जिम्मेदारी है ताकि वे वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपट सकें. नई चुनौतियों के बीच आज दुनिया को नए रास्ते, नए संकल्पों की जरूरत है. आज दुनिया के हर देश को पहले से कहीं ज्यादा एक दूसरे के सहयोग की जरूरत है.
(स्रोत : mea.gov.in)