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विशेष लेख


अंक संख्या43 ,22-28 जनवरी 2022

सुनहरे भविष्य के लिए बालिकाओं का सशक्तिकरण

भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य विषम बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) यानी लड़कों की तुलना में लड़कियों की घटती संख्या के मुद्दे पर जागरूकता पैदा करना और बालिकाओं के महत्व के बारे में  सकारात्मक वातावरण बनाना है. राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का व्यापक उद्देश्य देश में लड़कियों के  सामने आने वाली असमानताओं को उजागर करना और उनके अधिकारों, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पोषण के महत्व के प्रति जागरूकता पैदा करना है.

भारत सरकार, बालक-बालिकाओं के बीच विभिन्न प्रकार के भेदभाव दूर करने  के लिए कई कार्यक्रम/ योजनाएं और कानून लागू कर रही है. उदाहरण के लिए, महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए लोकसभा के शीतकालीन सत्र में बाल विवाह निषेध (संशोधन) अधिनियम, 2021 पेश किया गया था.

लैंगिक भेदभाव का मूल कारण समाज में प्रचलित पितृसत्तात्मक मानसिकता है. यद्यपि शहरीकरण और शिक्षा के साथ यह मानसिकता बदल रही है, फिर भी स्थिति में स्थायी परिवर्तन के लिए अब भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

लड़कों की तुलना में लड़कियों की घटती संख्या की समस्या को दूर करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारंभ 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में किया गया था. विषम बाल लिंग अनुपात को 0-6 वर्ष के आयु वर्ग में प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया. लड़कियों की संख्या में  तेजी से गिरावट आई और यह 1961 में 976 से घटकर 2011 की जनगणना में 918 तक गया. यह कार्यक्रम तीन मंत्रालयों-महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, और शिक्षा मंत्रालय की पहल है. इसमें मानसिकता बदलने के लिए जागरूकता अभियान, चुनिंदा जिलों में बहु-क्षेत्रीय कार्रवाई, लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा और पूर्व-गर्भाधान तथा पूर्व-प्रसव निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम को प्रभावी तरीके से लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया.  इस योजना का उद्देश्य लिंग चयन को रोकना, बालिकाओं के अस्तित्व तथा सुरक्षा को सुनिश्चित करना, बालिकाओं के महत्व को स्थापित करना और बालिकाओं की शिक्षा भागीदारी सुनिश्चित करना है. इस योजना में राष्ट्रव्यापी मीडिया अभियानों की मदद से जनता को संवेदनशील बनाने की भी परिकल्पना की गई है, जिसमें सोशल मीडिया अभियान, हिंदी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में रेडियो स्पॉट / जिंगल, वीडियो स्पॉट, एसएमएस अभियान, मोबाइल प्रदर्शनी वैन, मेलर्स, हैंड-आउट, ब्रोशर और अन्य सूचना शिक्षा संचार (आईईसी) सामग्री के माध्यम से सामुदायिक जुड़ाव और क्षेत्रीय प्रचार शामिल हैं. इस योजना ने बालिकाओं के महत्व के प्रति राष्ट्र की मानसिकता को बदलने की दिशा में सामूहिक चेतना को उभारा है. इसके परिणामस्वरूप देशभर में घटते सीएसआर के मुद्दे के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता का निर्माण हुआ है. इससे स्थिति में आया बदलाव, राष्ट्रीय स्तर पर जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) में 19 अंकों के सुधार से परिलक्षित होता है. यह  2014-15 में 918 से, 2020-21 में बढ़कर 937 हो गया है (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली).

सुकन्या समृद्धि योजना

सुकन्या समृद्धि योजना विशेष रूप से बालिका के लिए भारत सरकार की एक छोटी जमा योजना है जो 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओअभियान के एक भाग के रूप में शुरू की गई है. यह योजना बालिकाओं की शिक्षा और शादी के खर्च को पूरा करने के लिए है. इस योजना के तहत बैंक खाते खोलकर लड़कियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया है. न्यूनतम 1000 रुपये और अधिकतम 1,50,000 रुपये जमा किए जा सकते हैं. योजना के तहत खाता खोलने से जुड़े कुछ लाभों में उच्च ब्याज दर, आयकर पर बचत, और खाता परिपक्वता तक पहुंचने पर लॉक-इन अवधि, पॉलिसीधारक को ब्याज दर सहित खाता शेष राशि का भुगतान और अंत में योजना परिपक्वता तक पहुंचने पर भी ब्याज शामिल हैं.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020

राष्ट्रीय शिक्षा नीति,  2020 ने सभी लड़कियों के लिए गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा प्रदान कर उनके विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 'लिंग समावेशन कोषकी शुरुआत की है. यह फंड स्कूली शिक्षा में लड़कियों का 100 प्रतिशत नामांकन तथा उच्च शिक्षा में रिकॉर्ड भागीदारी, सभी स्तरों पर लड़के-लड़की के बीच भेदभाव में कमी, दोनों के बीच समानता और समाज में समावेशन तथा सकारात्मक नागरिक संवादों के माध्यम से लड़कियों की नेतृत्व क्षमता में सुधार सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा. यह फंड लड़कियों और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए स्थानीय संदर्भ-विशिष्ट बाधाओं को दूर करने में राज्यों को प्रभावी समुदाय-आधारित उपायों मे सहायता करने और उन्हें बढ़ावा देने में सक्षम करेगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 स्कूल जाने वाली लड़कियों की, परिसर के अंदर और बाहर दोनों जगह सुरक्षा पर केंद्रित है. वार्षिक मान्यता के लिए सूचीबद्ध होने से पहले स्कूलों को उत्पीड़न तथा भेदभाव रहित और प्रभुत्व-मुक्त परिसर सुनिश्चित करना होगा. इसके अतिरिक्त यह नीति लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने में बाधक और स्कूल छोड़ने के कारक सामाजिक रीति-रिवाजों और रूढ़ियों की पहचान करेगी.

समग्र शिक्षा अभियान

शिक्षा मंत्रालय का स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, स्कूली शिक्षा के लिए एकीकृत योजना-समग्र शिक्षा अभियान लागू कर रहा है, जिसके तहत लड़कियों की शिक्षा के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं. स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर बालक-बालिका भेदभाव और सामाजिक श्रेणी के अंतर को पाटना समग्र शिक्षा अभियान के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है. शिक्षा में लड़कियों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, समग्र शिक्षा के तहत विभिन्न उपाय किए गए हैं. इनमें आठवीं कक्षा तक की लड़कियों के लिए मुफ्त पाठ्यपुस्तकों और वर्दी, सभी स्कूलों में लड़कों- लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालयों का प्रावधान, लड़कियों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम, छठी से बारहवीं कक्षा की लड़कियों के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण, विशेष आवश्यकता वाली पहली से बारहवीं कक्षा की लड़कियों को वजीफा और भस्मक और सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनों का प्रावधान शामिल है. इसके अलावा, स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक अंतर को कम करने और वंचित समूहों की लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए, शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) स्वीकृत किए गए हैं.

किशोरियों के लिए योजना

किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण चरण है क्योंकि यह बचपन और नारीत्व के बीच की अवस्था है. यह मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण चरण है. 'किशोरियों के लिए योजनानामक एक विशेष कार्यक्रम वर्ष 2010 में एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके तैयार किया गया था. इसका उद्देश्य किशोरियों में आत्म-विकास के लिए सहायक वातावरण प्रदान  करना है. स्कूल जाने वाली किशोरियों (11-14 वर्ष) की बहुआयामी जरूरतों को महसूस करते हुए और इन लड़कियों को स्कूल प्रणाली में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से, सरकार ने इनके लिए पुनर्रचित योजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य किशोरियों को सुविधा-युक्त, शिक्षित और सशक्त बनाना है ताकि वे आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक बन सकें. इस योजना का उद्देश्य किशोरियों को आत्म-विकास तथा सशक्तिकरण के लिए सक्षम बनाना; उनके पोषण तथा स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करना; स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना; स्कूल नहीं जाने वाली किशोरियों को  सफलतापूर्वक औपचारिक स्कूली शिक्षा या ब्रिज लर्निंग/कौशल प्रशिक्षण में वापस लाने में सहायता करना; उनके जीवन कौशल का उन्नयन करना और, मौजूदा सार्वजनिक सेवाओं के बारे में जानकारी/मार्गदर्शन प्रदान करना है.

सीबीएसई सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप

यह योजना अपने माता-पिता की इकलौती बेटी और मेधावी छात्रा को छात्रवृत्ति प्रदान करने के बारे में है, जिसने सीबीएसई दसवीं कक्षा की परीक्षा 60 प्रतिशत  या इससे अधिक अंकों के साथ उत्तीर्ण की है और 11वीं तथा 12वीं की शिक्षा जारी रखे हुए है. इस योजना का उद्देश्य लड़कियों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने और मेधावी छात्राओं को प्रोत्साहन देने में माता-पिता के प्रयासों को पहचान प्रदान करना है. छात्रवृत्ति का नवीनीकरण एक वर्ष की अवधि के लिए किया जाएगा अर्थात 11वीं कक्षा के सफल समापन के लिए. छात्रवृत्ति जारी रखने के लिए अच्छा आचरण और उपस्थिति में नियमितता आवश्यक है. एक बार रद्द की गई छात्रवृत्ति का किसी भी परिस्थिति में नवीनीकरण नहीं किया जाएगा.

माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों को प्रोत्साहन की राष्ट्रीय योजना

माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों को प्रोत्साहन की केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय योजना (एनएसआईजीएसई) मई 2008 में शुरू की गई थी, ताकि नौवीं कक्षा में नामांकित छात्राओं को प्रोत्साहन दिया जा सके. यह योजना अब राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) पर शामिल हो गई है. इस योजना का उद्देश्य माध्यमिक विद्यालयों में नामांकन को बढ़ावा देना, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों की लड़कियों का बीच में पढ़ाई छोड़ना  कम करना और 18 वर्ष की आयु तक उनका अवधारण सुनिश्चित करने के अनुकूल वातावरण का निर्माण करना है. इस योजना में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों से संबंधित आठवीं कक्षा पास करने वाली  तथा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से आठवीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली सभी (चाहे वे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित हों), और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में सरकारी, सहायता प्राप्त और स्थानीय निकाय स्कूल में दाखिला लेने वाली लड़कियां शामिल हैं.

स्कूल पाठ्यक्रम

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने स्कूली पाठ्यक्रम में लैंगिक संवेदीकरण को बढ़ावा देने के लिए सभी विषयों पर पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें तैयार की हैं. ये पाठ्यपुस्तकें स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर गतिविधियों/अभ्यासों को तैयार करने में लैंगिक संवेदीकरण को प्राथमिकता देती हैं. पाठ्यपुस्तकों और अन्य पूरक सामग्री के कवर पेजों के अंदर, इस बारे में संदेशों को शामिल किया गया है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने प्रश्न पत्रों सहित पाठ्यपुस्तकों और पाठ्य सामग्री में लैंगिक संवेदीकरण के लिए दिशा-निर्देश भी तैयार किए हैं.

बालिका समृद्धि योजना

बालिका समृद्धि योजना बालिकाओं की समग्र स्थिति को ऊपर उठाने और परिवार तथा समुदाय के दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी. यह योजना भारत सरकार द्वारा परिभाषित गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार में 15 अगस्त 1997 को या उसके बाद जन्म लेने वाली दो लड़कियों को कवर करती है. इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार की बालिका को जन्म देने वाली मां को 500 रुपये एकमुश्त अनुदान के रूप में और उसके बाद, स्कूली शिक्षा का हर वर्ष सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद छात्रवृत्ति दी जाती है. बालिका के 18 वर्ष की होने पर,  ग्राम पंचायत/नगरपालिका से उसके अविवाहित होने का प्रमाण पत्र, प्रस्तुत करने पर कार्यान्वयन एजेंसी, बालिका को उसके खाते में जमा राशि को वापस लेने की अनुमति देने के लिए बैंक या संबंधित डाकघर के अधिकारियों को अधिकृत करेगी.

खेल

'खेलो इंडियायोजना का एक विशेष घटक, खेल गतिविधियों में भाग लेने के लिए लड़कियों और महिलाओं के सामने आने वाली बाधाओं पर ध्यान केंद्रित करता है तथा इन्हें दूर करने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए तंत्र तैयार करता है. वर्ष 2018 से 2020 तक 'खेलो इंडियाआयोजन में महिलाओं की भागीदारी में 161 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

संकलन : अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन.

स्रोत: महिला और बाल विकास मंत्रालय/ पीआईबी/विकासपीडिया/यूएनआईसीईएफ