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विशेष लेख


अंक संख्या 42,15-21-जनवरी 2022

भारतीय सेना : राष्ट्र सर्वोपरि

74वां सेना दिवस : 15 जनवरी, 2022

भारतीय सेना देश के भीतर और बाहर से उभरने वाली विषम और गैर पारंपरिक चुनौतियों के सैन्य और असैन्य पहलुओं का कारगर ढंग से मुकाबला करने में मुस्तैदी से जुटी हुई है.

हर साल, भारतीय सेना 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाती है. यह दिन 1949 में लेफ्टिनेंट जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) के.एम. करिअप्पा द्वारा अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल सर एफआरआर बुचर से सेना की कमान अपने हाथ में लिए जाने तथा स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना के प्रथम कमांडर-इन-चीफ के पद पर आसीन होने की याद में मनाया जाता है.

देश के इतिहास की इस महत्वपूर्ण घटना की याद में दिल्ली और भारत के अन्य हिस्सों में स्थित सेना के कमान मुख्यालयों में परेड का आयोजन किया जाता है. मुख्य आयोजन दिल्ली छावनी में करिअप्पा परेड ग्राउंड में होता है. 

के.एम. करिअप्पा कौन थे?

फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा , जिन्हें प्यार से 'कीपरके नाम से पुकारा जाता था, का जन्म 28 जनवरी, 1900 को मेरकारा राज्य में हुआ था, जो अब कर्नाटक कहलाता है. उन्हें 1919 में भारतीय कैडेट्स के प्रथम ग्रुप के साथ किंग्स कमीशन प्राप्त हुआ था और वह 1933 में स्टाफ कॉलेज, क्वेटा ज्वाइन करने वाले प्रथम भारतीय अधिकारी थे. लेफ्टिनेंट कर्नल के.एम. करिअप्पा ने 1942 में 7वीं राजपूत मशीन गन बटालियन (अब 17 राजपूत) की स्थापना की. उन्होंने 1946 में ब्रिगेडियर के रूप में इंपीरियल डिफेंस कॉलेज ब्रिटेन ज्वाइन किया. विभाजन के दौरान सुरक्षा बल पुनर्गठन समिति की सेना उप समिति (आर्मी सब कमिटी) में सदस्य के रूप में कार्य करने के लिए उन्हें ब्रिटेन से वापस बुलाया गया. वह भारत और पाकिस्तान के बीच सेना के बंटवारे के संबंध में सौहार्दपूर्ण समझौता करने में सफल रहे. उन्हें 28 अप्रैल 1986 को फील्ड मार्शल की पदवी से नवाजा गया.

भारतीय सेना के हाल ही में उठाए गए कदम

ऑपरेशन सद्भावना

ऑपरेशन सद्भावना जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित और उकसाए गए आतंकवाद से पीड़ित लोगों की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारतीय सेना द्वारा शुरु की गई एक विलक्षण मानवीय पहल है. इस विशिष्ट अभियान ने इस संघ शासित प्रदेश की आबादी के एक बड़े हिस्से को राहत पहुंचाई है. अत्यंत चुनौतीपूर्ण वातावरण में आरंभ किया गया यह अभियान आतंकवाद का मुकाबला करने की रणनीति का एक भाग है, जो आवाम को राष्ट्रीय मुख्यधारा के साथ फिर से जोड़ने की दिशा में पहल करता है. ऑपरेशन सद्भावना का उद्देश्य लोक सेवाओं की बहाली, अधोसंरचना का पुनर्निर्माण और विकास के अनुकूल वातावरण तैयार करने के सरकार के उद्देश्यों को पूर्णता प्रदान करना भी है.

ऑपरेशन सद्भावना के अंतर्गत सामुदायिक/अधोसंरचना संबंधी विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से क्षमता निर्माण पर बल देते हुए शिक्षा के समग्र मूलभूत सामाजिक सूचकांकों,  महिलाओं  और युवाओं के सशक्तिकरण तथा स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इसका वास्तविक मूलभाव पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित किए जा रहे भारत विरोधी दुष्प्रचार की धार कुंद करना तथा स्थानीय लोगों, सेना और नागरिक प्रशासन को साथ जोड़ते हुए सहभागितापूर्ण मॉडल के आधार पर राज्य के सर्वांगीण विकास में सहायता करना है. इस प्रकार, ऑपरेशन सद्भावना का मूलभूत थीम स्थानीय आबादी की महत्वकांक्षाओं तथा भारत के राष्ट्रीय हितों की पूर्ति करना है.

कोविड-19 से निपटने की कार्रवाई

भारतीय सेना राष्ट्रीय स्तर पर कोविड से निपटने की कार्रवाइयों में अग्रणी रही है और उसने जनता की तकलीफें दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. चीन, ईरान, इटली, मलेशिया आदि जैसे कोविड-19 से प्रभावित देशों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने से लेकर देशभर में राहत सामग्री उपलब्ध कराने तक - में सुरक्षा बलों ने अपने समस्त चिकित्सा एवं मानवशक्ति संसाधनों का इस्तेमाल किया. कोविड-19 के प्रबंधन के लिए भारतीय सेना ने सिविल अस्पतालों की मदद के लिए अनेक चिकित्सा एवं अर्द्ध-चिकित्सा कर्मियों को तैनात किया. लोगों को व्यापक चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने के लिए सेना ने युद्ध स्तर पर कई  स्थानों पर अनेक सुविधाओं का भी सृजन किया. एक अन्य पहल के तहत टेली-कंसल्टेंसी और इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सेल ने 24&7 कार्य कर रहा था, जो चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही साथ अस्पताल में भर्ती किए गए रोगियों के बारे में सूचना भी पूरी संवेदनशीलता के साथ उपलब्ध करा रहा था.

आपदा शमन और राहत अभियान

भारतीय सेना मानवीय सहायता एवं आपदा राहत अभियानों के अंतर्गत नागरिक प्रशासन में सक्रिय रूप से सहायता प्रदान करती है. सेना पैदल सैनिकों,  इंजीनियरों, कम्युनिकेशन, बचाव और चिकित्सा दल सहित  कार्यबल तैनात करती है और प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में जहां भी जरूरी होता है, बचाव और राहत अभियान चलाती है.

मेक इन इंडिया

भारतीय सेना के लिए उपकरणों की योजना बनाने और उनकी खरीद के दौरान 'मेक इन इंडियाऔर 'आत्मनिर्भर भारतपर मुख्य रूप से बल दिया गया, जिसके अंतर्गत देश के उभरते रक्षा उद्योग की सहायता करने का प्रयास शामिल था. अपने विशाल प्रौद्योगिकीय विस्तार सहित उपकरणों की व्यापक रेंज के साथ यह 'मेक इन इंडियाके प्रयास को सफल बनाने की एक प्रमुख इकाई है. तोपों के विकास, लंबी दूरी तक सटीक मारक क्षमता और मोबिलिटी को बढ़ाने के लिए गोला बारूद तथा युद्धक हथियारों को निरंतर मोबिलिटी प्रदान करने के लिए भविष्य के युद्धक वाहनों (फ्यूचर कॉम्बेट व्हीकल्स) के विकास की दिशा में इस उद्योग के साथ समग्र और निरंतर गहन समन्वय स्थापित किया जा रहा है. साइबर युद्ध, अंतरिक्ष युद्ध और विशेष कार्रवाइयों को सामर्थ्य प्रदान करने की संरचना को आधुनिक उपकरण एवं प्रौद्योगिकी आधारित प्रणालियों से मजबूती प्रदान की गई है.

क्वांटम प्रौद्योगिकी

उभरती प्रौद्योगिकियों के मद्देनजर, जहां तक प्रौद्योगिकीय क्षेत्रों का प्रश्न है, भारतीय सेना निरंतर लेकिन महत्वपूर्ण गति से आगे बढ़ रही है. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) से उचित सहायता के साथ सेना ने विकास के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अनुसंधान और प्रशिक्षण का नेतृत्व करने के लिए मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, महू, मध्यप्रदेश में क्वांटम प्रयोगशाला की स्थापना की है. क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय सेना द्वारा किया गया अनुसंधान अगली पीढ़ी के संचार की ओर लंबी छलांग लगाने तथा भारतीय सशस्त्र बलों की मौजूदा क्रिप्टोग्राफी प्रणाली को पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (पीक्यूसी) में परिवर्तित करने मे मददगार होगा.

स्रोत: भारतीय सेना/पीआईबी/इंडिया ईयर बुक 2021

संकलन: अनीषा बनर्जी एवं अनुजा भारद्वाजन