मुख्य बातें
· आज (30 जनवरी) हमारे पूज्य बापू महात्मा गांधीजी की पुण्यतिथि भी है. अभी कुछ दिन पहले ही हमने गणतन्त्र दिवस भी मनाया. दिल्ली में राजपथ पर हमने देश के शौर्य और सामर्थ्य की जो झांकी देखी, उसने सबको गर्व और उत्साह से भर दिया है. एक परिवर्तन जो आपने देखा होगा अब गणतंत्र दिवस समारोह 23 जनवरी, यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती से शुरू होगा और 30 जनवरी तक यानी गांधीजी की पुण्यतिथि तक चलेगा. इंडिया गेट पर नेताजी की डिजिटल प्रतिमा भी स्थापित की गई है. इस बात का जिस प्रकार से देश ने स्वागत किया, देश के हर कोने से आनंद की जो लहर उठी, हर देशवासी ने जिस प्रकार की भावनाएं प्रकट की उसे हम कभी भूल नहीं सकते हैं.
· आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश इन प्रयासों के जरिए अपने राष्ट्रीय प्रतीकों को पुन: प्रतिष्ठित कर रहा है. हमने देखा कि इंडिया गेट के समीप 'अमर जवान ज्योति’ और पास में ही 'नेशनल वार मेमोरियल’ पर प्रज्ज्वलित ज्योति को एक किया गया. इस भावुक अवसर पर कितने ही देशवासियों और शहीद परिवारों की आंखों में आंसू थे. 'नेशनल वार मेमोरियल’ में आज़ादी के बाद से शहीद हुए देश के सभी जांबाजों के नाम अंकित किए गए हैं. मुझे सेना के कुछ पूर्व जवानों ने पत्र लिखकर कहा है कि - ''शहीदों की स्मृति के सामने प्रज्ज्वलित हो रही 'अमर जवान ज्योति’ शहीदों की अमरता का प्रतीक है’.
· अमृत महोत्सव के इन आयोजनों के बीच देश में कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिए गए. एक है, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार. ये पुरस्कार उन बच्चों को मिले, जिन्होंने छोटी-सी उम्र में साहसिक और प्रेरणादायी काम किए हैं.
· देश में अभी पद्म सम्मान की भी घोषणा हुई है. पद्म पुरस्कार पाने वालों में कई ऐसे नाम भी हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. ये हमारे देश के unsung heroes हैं, जिन्होंने साधारण परिस्थितियों में असाधारण काम किए हैं.
· मुझे एक करोड़ से ज्यादा बच्चों ने अपने 'मन की बात’ पोस्ट कार्ड के जरिए लिखकर भेजी है. ये एक करोड़ पोस्ट कार्ड, देश के अलग-अलग हिस्सों से आये हैं, विदेश से भी आये हैं. इन पोस्टकार्ड्स में इस बात के दर्शन होते हैं कि देश के भविष्य के लिए हमारी नई पीढ़ी की सोच कितनी व्यापक और कितनी बड़ी है. मुझे भारत के मित्र देश क्रोएशिया से भी 75 postcard मिले हैं. क्रोएशिया के ज़ाग्रेब में School of Applied Arts and Design के Students उन्होंने ये 75 cards भारत के लोगों के लिए भेजे हैं और अमृत महोत्सव की बधाई दी है. मैं आप सभी देशवासियों की तरफ से क्रोएशिया और वहां के लोगों को धन्यवाद
देता हूं.
· भारत शिक्षा और ज्ञान की तपो-भूमि रहा है. हमने शिक्षा को किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे जीवन के एक समग्र अनुभव के तौर पर देखा है. हमारे देश की महान विभूतियों का भी शिक्षा से गहरा नाता रहा है. शिक्षा के प्रकाश को जन-जन तक पहुंचाने की वही जीवंत भावना भारत में आज भी कायम है. शिक्षा को लेकर ये जागरूकता समाज में हर स्तर पर दिख रही है. तमिलनाडु के त्रिप्पुर जिले के उदुमलपेट ब्लॉक में रहने वाली तायम्मल जी का उदाहरण तो बहुत ही प्रेरणादायी है. तायम्मल जी के पास अपनी कोई जमीन नहीं है. जिन तायम्मल जी ने नारियल पानी बेच-बेचकर कुछ पूंजी जमा की थी, उन्होंने एक लाख रुपये स्कूल के लिए दान कर दिए. मुझे IIT BHU के एक Alumnus के इसी तरह के दान के बारे में भी पता चला है. BHU के पूर्व छात्र जय चौधरी जी ने, IIT BHU Foundation को एक मिलियन डॉलर यानी करीब-करीब साढ़े सात करोड़ रुपये Donate किये.
· इस तरह के प्रयासों को और बढ़ाने के लिए पिछले साल सितम्बर से, देश में, विद्यांजलि अभियान की भी शुरुआत हुई है. इसका उद्देश्य अलग-अलग संगठनों, CSR और निजी क्षेत्र की भागीदारी से देशभर के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है. विद्यांजलि सामुदायिक भागीदारी और Ownership की भावना को आगे बढ़ा रही है. अपने स्कूल, कॉलेज से निरंतर जुड़े रहना, अपनी क्षमता के अनुसार कुछ न कुछ योगदान देना यह एक ऐसी बात है जिसका संतोष और आनंद अनुभव लेकर ही पता चलता है.
· प्रकृति से प्रेम और हर जीव के लिए करुणा, ये हमारी संस्कृति भी है और सहज स्वभाव भी है. हमारे इन्हीं संस्कारों की झलक अभी हाल ही में तब दिखी, जब मध्यप्रदेश के Pench Tiger Reserve में एक बाघिन ने दुनिया को अलविदा कर दिया. इस बाघिन को लोग कॉलर वाली बाघिन कहते थे. वन विभाग ने इसे T-15 नाम दिया था. लोगों ने बाकायदा उसका अंतिम संस्कार किया, उसे पूरे सम्मान और स्नेह के साथ विदाई दी. कॉलर वाली बाघिन ने जीवनकाल में 29 शावकों को जन्म दिया और 25 को पाल-पोसकर बड़ा भी बनाया. ऐसा ही एक दृश्य हमें इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में भी देखने को मिला. इस परेड में President’s Bodyguards के चार्जर घोड़े विराट ने अपनी आख़िरी परेड में हिस्सा लिया. घोड़ा विराट, 2003 में राष्ट्रपति भवन आया था और हर बार गणतंत्र दिवस पर Commandant charger के तौर पर परेड को Lead करता था. विराट की विराट सेवाओं को देखते हुए, उसकी सेवा-निवृत्ति के बाद उतने ही भव्य तरीके से उसे विदाई दी गई.
· असम की संस्कृति में जिस गैंडे की इतनी बड़ी महिमा है, उसे भी संकटों का सामना करना पड़ता था. वर्ष 2013 में 37 और 2014 में 32 गैंडों को तस्करों ने मार डाला था. इस चुनौती से निपटने के लिए पिछले सात वर्षों में असम सरकार के विशेष प्रयासों से गैंडों के शिकार के खिलाफ एक बहुत बड़ा अभियान चलाया गया. पिछले 22 सितम्बर को World Rhino Day के मौके पर तस्करों से जब्त किये गए 2400 से ज्यादा सींगों को जला दिया गया था. यह तस्करों के लिए एक सख्त संदेश था. ऐसे ही प्रयासों का नतीजा है कि अब असम में गैंडों के शिकार में लगातार कमी आ रही है. जहां 2013 में 37 गैंडे मारे गए थे, वहीं 2020 में 2 और 2021 में सिर्फ 1 गैंडे के शिकार का मामला सामने आया है. मैं गैंडों को बचाने के लिए असम के लोगों के संकल्प की सरहाना करता हूं.
अगर मैं आपसे कहूं कि भारतीय संस्कृति, अमेरिका, कनाडा, दुबई, सिंगापुर, पश्चिमी यूरोप और जापान में बहुत ही लोकप्रिय है तो यह बात आपको बहुत सामान्य लगेगी, आपको कोई हैरानी नहीं होगी. लेकिन, अगर ये कहूँ कि भारतीय संस्कृति का Latin America और South America में भी बड़ा आकर्षण है, तो, आप एक बार जरूर सोच में पड़ जायेंगे. यहां Argentina में एक संस्था है - हस्तिनापुर फाउंडेशन. यह फाउंडेशन Argentina में भारतीय वैदिक परम्पराओं के प्रसार में जुटा है. इसकी स्थापना 40 साल पहले एकMadam, प्रोफ़ेसर ऐडा एलब्रेक्ट ने की थी. आज (30 जनवरी 2022) प्रोफ़ेसर ऐडा एलब्रेक्ट 90 वर्ष की होने जा रही हैं. जब वो 18 साल की थी तब पहली बार भारतीय संस्कृति की शक्ति से उनका परिचय हुआ. उन्होंने भारत में काफी समय भी बिताया. भगवद् गीता और उपनिषदों के बारे में गहराई से जाना. आज हस्तिनापुर फाउंडेशन के 40 हज़ार से अधिक सदस्य हैं और Argentina एवं अन्य लैटिन अमरीकी देशों में इसकी करीब 30 शाखाएं हैं. हस्तिनापुर फाउंडेशन ने स्पेनिश भाषा में 100 से अधिक वैदिक और दार्शनिक ग्रंथ भी प्रकाशित किये हैं. इनका आश्रम भी बहुत मनमोहक है. आश्रम में 12 मंदिरों का निर्माण कराया गया है, जिनमें अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं. इन सबके केंद्र में एक ऐसा मंदिर भी है जो अद्वैतवादी ध्यान के लिए बनाया गया है.
· मणिपुर में 24 साल के युवा थौनाओजम निरंजॉय सिंह ने एक मिनट में 109 push-ups का रिकॉर्ड बनाया है. निरंजॉय सिंह के लिए रिकॉर्ड तोड़ना कोई नयी बात नहीं है, इससे पहले भी, उन्होंने, एक मिनट में एक हाथ से सबसे ज्यादा Knuckle push-ups का रिकॉर्ड बनाया था. मुझे पूरा विश्वास है कि निरंजॉय सिंह से आप प्रेरित होंगे और physical fitness को अपने जीवन का हिस्सा बनायेंगे.
· लद्दाख को जल्द ही एक शानदार Open Synthetic Track और Astro Turf Football Stadium की सौगात मिलने वाली है. यह स्टेडियम 10,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर बन रहा है और इसका निर्माण जल्द पूरा होने वाला है. लद्दाख का यह सबसे बड़ा open stadium होगा जहां 30,000 दर्शक एक साथ बैठ सकेंगे. इस स्टेडियम को फुटबाल की सबसे बड़ी संस्था FIFA ने भी Certify किया है.
· कोरोना की नई wave से भारत बहुत सफलता के साथ लड़ रहा है ये भी गर्व की बात है कि अब तक 15 से 18 साल की आयु-वर्ग के लगभग 60 प्रतिशत youth ने तीन से चार हफ्ते में ही टीके लगवा लिए हैं. एक करोड़ लोगों ने precaution dose भी ले ली है. अपने देश की vaccine देशवासियों का ये भरोसा हमारी बहुत बड़ी ताकत है. अब तो Corona संक्रमण के case भी कम होने शुरू हुए हैं - ये बहुत सकारात्मक संकेत है. लोग सुरक्षित रहें, देश की आर्थिक गतिविधियों की रफ़्तार बनी रहे - हर देशवासी की यही कामना है.
(स्रोत : pmindia.gov.in)