संस्कृति मंत्रालय की पहल
संस्कृति मंत्रालय ने स्वच्छता अभियान के दो वर्ष पूरे होने के मौके पर कई पहल ली हैं। इनमें मंत्रालय के अधीन आने वाले सभी संगठनों के लिये स्वच्छता की स्थायी प्रक्रिया निर्धारित करना शामिल है। मंत्रालय अपने सभी संगठनों की सांस्कृतिक गतिविधियों के जरिये स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रहा है। वह अपनी अकादमियों के संगीत, नृत्य और नाटक कार्यक्रमों के माध्यम से स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षित स्मारकों में साफ-सफाई बनाये रखने के लिये प्रयासरत है।
एएसआई के संरक्षण वाले सभी ऐतिहासिक स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों को पॉलीथिन मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया है। सभी राज्य सरकारों और संघ शासित प्रदेशों के प्रशासनों से अनुरोध किया गया है कि वे स्मारकों और उनके आसपास 300 मीटर तक के इलाके को पॉलीथिन मुक्त रखने में एएसआई की मदद करें।
संस्कृति मंत्रालय ने एएसआई संरक्षित स्मारकों में चहारदीवारी, शौचालयों और दिव्यांगों के अनुकूल सुविधाओं के निर्माण के लिये 350 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं। यह काम वैपकॉस और टीसीआईएल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों को सौंपा गया है और इसे मौजूदा वित्त वर्ष में ही पूरा कर लिया जायेगा।
एएसआई ने शौचालयों, घास वाले लॉनों, पॉलीथिन मुक्त क्षेत्र, सूचना संकेतकों, दिव्यांगों के अनुकूल सुविधाओं, पेयजल और कूड़ेदानों की मौजूदगी के आधार पर 25 आदर्श स्मारकों की वरीयता सूची तैयार की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भारतीय स्वच्छता सम्मेलन में विश्व विरासत स्थल ‘रानी की वाव’ को देश का स्वच्छतम स्मारक घोषित किया। जागरूकता फैलाने के लिये स्मारकों के प्रवेश टिकटों पर स्वच्छ भारत का संदेश छापा गया है।
सभी अकादमियां स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये नुक्कड़ नाटक, संगीत और नृत्य जैसे कार्यक्रमों का आयोजन कर रही हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र ने धर्मस्थलों पर साफ-सफाई के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये प्रचार फिल्म ‘स्वच्छता, देवता एक समान’ का निर्माण किया है।