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विशेष लेख


voloume-40, 5 - 11 January 2019

परीक्षा के दौरान युवाओं को तनाव से

कैसे बचाएं अभिभावक

निधि प्रसाद

र साल मार्च के समय में जब दिल्ली हर तरफ खिले हुए फूलों के साथ रंगों में भीग जाती है, दिल्ली का प्रत्येक चौराहा इतना मनोहर दृश्य प्रस्तुत करता है कि आंखों को उसे देखकर एक सुकून का एहसास होता है, इस सुखद पृष्ठभूमि में संयोगवश यह दिल्ली के अभिभावकों के लिए अत्यंत निराशा और तनाव का समय भी होता है, आखिरकार यह परीक्षा का समय भी होता है. परीक्षाओं का राक्षसहर गुजरने वाले दिन के साथ और बड़ा होता जाता है और हमारी जि़ंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है.

हमने परीक्षा ऐसी क्यों बनाई है कि वह राक्षस जैसी लगे?

परीक्षा एक इम्तहान होती है. यह प्रश्नों का एक ऐसा समूह है जो विभिन्न विषयों या क्षेत्र के बारे में किसी छात्र को कितनी जानकारी है, इसका पता लगाती है. और यही वास्तव में परीक्षा का स्वरूप होता है. परीक्षा में कोई छात्र कितने अच्छे नंबर लाता है, इससे उसकी योग्यता को आंका नहीं जा सकता है.

आज जब कोई बच्चा बड़ा होता है, तो जिस पहले शब्द से उसका सामना होता है, वह है परीक्षा का तनाव.यह दबाव इतना ज्यादा होता है कि वह कब अवसादमें परिवर्तित हो जाता है, किसी को पता नहीं चलता, और यह अवसाद घबराहट पैदा करता है जो परीक्षाओं में खराब प्रदर्शन करने का मुख्य कारण है. इसलिए अभिभावकों के लिए घबराहट के इन संकेतों से अवगत होना अति आवश्यक है. माता-पिता अपने बच्चों को तनावमुक्त रख सकें, विशेषकर परीक्षाओं के दौरान, यह बहुत महत्वपूर्ण है. दो बच्चों की तुलना एक-दूसरे के साथ कभी भी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि प्रत्येक बच्चे में काबीलियत होती है और वह अपनी तरह से अद्वितीय होता है. बच्चे परिवार के फूलों की तरह होते हैं, जब हम पौधा लगाते हैं, तो पहले बीज डालते हैं, उन्हें उचित पोषण देते हैं, उनकी देखभाल करते हैं, रोज पानी डालते हैं और तभी वह खूबसूरत फूल में खिलता है. इसी तरह, अच्छे अभिभावकों के रूप में हमें अपने बच्चों को मजबूत जड़ें देने की जरूरत है, प्यार के पानी से सींचने,  प्रशंसा के साथ पोषण देने और उन्हें पूर्ण रूप से खिलने का अवसर देने के लिए हर दिन उनकी तारीफ व सराहना करने की आवश्यकता है, और इसके लिए जरूरी है कि बच्चे आरंभ से ही परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दें, ताकि जब परीक्षा का समय आए तो ये बच्चे फूलों की तरह खिल रहे हों और हर प्रकार की चिंता व तनाव से रहित हों. इसका अर्थ है कि वातावरण भी तनाव मुक्त होगा.

वैश्विक स्तर पर, तनाव और अवसाद युवाओं में बीमारी के सबसे अहम कारण हैं. दुनिया में, भारत में छात्रों की आत्महत्या करने की दर सबसे अधिकतम है और इसकी वजह है परीक्षा के समय होने वाला असहनीय दबाव. 2010 और 2015 के बीच, बड़ी संख्या में छात्रों ने आत्महत्या की. यहां तक कि जब परीक्षाओं का तनाव आत्मघाती प्रयासों का कारण नहीं भी बनता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि सब ठीक है. समस्या तब शुरू होती है जब माता-पिता इस एक-दूसरे को धकेल कर आगे बढऩे वाली दुनिया में अपने बच्चों के भविष्य के बारे में इतने असुरक्षित हो जाते हैं कि बच्चों

को वे यह मानने पर मजबूर कर देते हैं कि अगर वे उन ऊंचे लक्ष्यों को प्राप्त नहीं करते हैं, तो किसी प्रतिष्ठित कॉलेज में उन्हें दाखिला नहीं मिल पाएगा और फिर वे एक अच्छी नौकरी पाने में भी असफल रहेंगे.

दुखद बात तो यह है कि जब परीक्षा की बात आती है तो माता-पिता अपने बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं. जैसा कि हम आमतौर पर परिवारों में देखते हैं, जहां बच्चे बोर्ड परीक्षा देने वाले होते हैं, और जैसे ही परीक्षाएं नजदीक आने लगती हैं, अधिकांश घरों में घर का माहौल बदल जाता है. एक तरह से घर में कफ्र्यू ही लग जाता है, केबल हटवा दिया जाता है, घर पर बच्चों के लिए नए नियम निर्धारित कर दिए जाते हैं कि वे कितना समय बाहर घूमने, किसी से मिलने-जुलने, खाना खाने, आदि में व्यतीत करेंगे. यहां तक कि उस समय मेहमानों का स्वागत तक खुले मन से नहीं किया जाता है.

माता-पिता के रूप में क्या घर पर एक अनुकूल वातावरण प्रदान करना हमारा कर्तव्य नहीं है? ताकि हमारे बच्चे जितने सक्षम हैं, उससे कहीं ज्यादा बेहतर करने का प्रयास करें. उनके दिमाग में यह बात बैठाने की जरूरत है कि इस दुनिया में कोई भी परिपूर्ण नहीं है और इसलिए तुम भी नहीं हो.सकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण रखने का अर्थ है कि यह कहने के बजाय कि फलां काम नहीं किया जा सकता, फलां काम कैसे किया जा सकता है, होता है. एक अभिभावक होने के नाते, आपको विपरीत स्थितियों में भी हमेशा आशावादी दृष्टिकोण रखना चाहिए.

परवरिश के बारे में कुछ शब्द

माता-पिता होना या बच्चे की परवरिश करना, दुनिया में सबसे कठिन कार्य है. इस समय माता-पिता एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. माता-पिता अपने बच्चे के प्रदर्शन या योग्यता को बढ़ावा देने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकते हैं. यहां कुछ बातें बताई जा रही हैं जिन्हें परीक्षा के दौरान माता-पिता को करना चाहिए. परीक्षा समय छात्र के जीवन का सबसे तनावपूर्ण समय होता है, खासकर उनके लिए जो पहली बार बोर्ड की परीक्षा देने जा रहे होते हैं. लेकिन अगर बच्चे को अपने माता-पिता से पूर्ण सहयोग व समर्थन मिले तो यह समयावधि सबसे आनंददायक और यादगार  बन सकती है. 

घबराहट के संकेतों को पहचानें- जो बच्चे घबराहट का अनुभव करते हैं, वे अकसर चिंतित दिखाई देते हैं, तनावग्रस्त करते हैं, अकसर उन्हें सिरदर्द रहता है, और पेट में दर्द होता रहता है, एक चिड़चिड़ाहट उनके अंदर बनी रहती है, भोजन से अरुचि हो जाती है या सामान्य से अधिक खाते हैं. जो चीजें पहले उन्हें पसंद थीं, वे उन्हें अच्छी नहीं लगतीं, नकारात्मक विचार उन्हें घेरे रहते हैं और हमेशा उदास रहने लगते हैं, भविष्य के प्रति एक निराशाजनक भाव उनमें पैदा हो जाता है. यदि परीक्षाओं का दबाव बच्चे पर हावी हो रहा है, तो अभिभवकों को किसी मनोवैज्ञानिक या परामर्शदाता से मदद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए. बच्चों से उनके काम के बारे में किसी से बात करने से मदद मिल सकती है. माता-पिता और शिक्षक से सहयोग मिलने से बच्चों को अपनी चिंताओं को उनके साथ बांटने और चीजों को सही ढंग से समझने में मदद मिल सकती है.

परीक्षा के दौरान होने वाली घबराहट के बारे में बात करें- अपने बच्चे को याद दिलाएं कि घबराहट महसूस करना सामान्य है. घबराहट परीक्षाओं को लेकर होने वाली एक स्वाभाविक  प्रतिक्रिया है. जरूरी यह है कि इस घबराहट का इस्तेमाल सकारात्मक ढंग से किया जाए. यदि चिंता उनकी मदद करने के बजाय, उनकी राह की बाधा बन रही हो तो अपने बच्चे को उन गतिविधियों को करने के लिए प्रोत्साहित करें जो वे परीक्षा वाले दिन करने वाले हों. इससे उसे उस दिन कम डर लगेगा.

बच्चे की रुचि और क्षमताओं के अनुसार उससे यथार्थवादी उम्मीदें रखें. अपने बच्चे की शक्तियों या वे जिसमें वे सबसे ज्यादा काबिल हैं, उन पर जोर दें.

पोषणयुक्त भोजन खाने और नियमित रूप से व्यायाम करने को प्रोत्साहित करें- स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना परीक्षा के तनाव को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है. कोई व्यक्ति कैसे भोजन का सेवन करता है और मानसिक सोच के बीच एक गहरा संबंध है. एक प्रसिद्ध कहावत है: जैसा अन्न, वैसा मन.उचित पोषण और व्यायाम परीक्षा के तनाव से मुक्त होने में मदद करता है.

अपने बच्चों की उनके भाई-बहनों या दूसरे बच्चों के साथ तुलना न करें. पिछले परिणामों पर बार-बार चर्चा न करें

घर पर एक स्वस्थ, सकारात्मक वातावरण निर्मित करें- उन पर और दबाव न डालें. अपने बच्चे की बात सुनने, उसे सहयोग देने की कोशिश करें और आलोचना करने से बचें. उनके परीक्षा देने जाने से पहले, आश्वस्त और सकारात्मक रहें. उन्हें बताएं कि असफल होने का अर्थ दुनिया का अंत हो जाना नहीं है. अगर तुम असफल होते हो तो दुबारा से परीक्षा दे सकते हैं. जादुई शब्दों का प्रयोग करें, जैसे: चिंता मत करो, यह सिर्फ एक और परीक्षा है, ‘परिणामों के बारे में मत सोचो, बस जितना बेहतर कर सको, करो.ऐसे वाक्यांश छात्रों पर होने वाले परीक्षाओं के मानसिक दबाव को तो कम करते ही हैं, साथ ही उन्हें भावनात्मक रूप से सहयोग भी देते हैं. वे अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं और परिणाम के बारे में सोचने के बजाय परीक्षा की तैयारी पर अधिक ध्यान देते हैं.

उन्हें परेशान न करें. एक अच्छा श्रोता बनें, पारिवारिक परेशानियों के साथ उनके पढ़ाई के मुद्दों को न मिलाएं

छात्रों के लिए टिप्स

छात्रों को अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव कर लेने चाहिएं. जैसे, मेडीटेशन करना, समय पर सोना, पौष्टिक आहार लेना, और व्यायाम करना तथा अपने अध्ययन के घंटे निर्धारित करना.

पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आसान सुझाव

. पढ़ते समय एक छात्र का दिमाग इधर-उधर भटकता रहता है. वास्तव में छात्र कुछ भी समझे बिना घंटों पढ़ते रहते हैं.

अपनी सारी अध्ययन सामग्री एकत्र करें. आपकी अध्ययन सामग्री में नोट्स, पाठ्यपुस्तक, अध्ययन मार्गदर्शिकाएं (स्टडी गाइड), प्रश्नपत्र,  हाइलाइटर्स, या अन्य ऐसी चीजें शामिल होती हैं जिनकी ध्यान केंद्रित करने और अध्ययन के दौरान वास्तव में पढऩे के लिए आवश्यकता हो सकती है. इसमें एक ग्रैनोला बार या मेवे जैसे स्नैक्स और पानी की एक बोतल भी शामिल है. आपकी सारी सामग्रियां इतनी नजदीक रखी होनी चाहिएं कि हाथ बढ़ाकर आप उन्हें तुरंत ले सकें ताकि जब आप पढऩे में तल्लीन हों तो अपनी चीजों को उठाने की वजह से आपका ध्यान भंग न हो.

. लिखने का अभ्यास (प्रैक्टिस) करना जरूरी है. बिंदुओं में या क्रम में जवाब लिखें. एक प्रभावी अध्ययन विधि खोजें. अपने अनुकूल एक प्रभावी अध्ययन विधि ढूंढने से पढ़ाई करते समय आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सकती है. प्रत्येक व्यक्ति का पढ़ाई करने का तरीका भिन्न होता है, इसलिए आपको एक ऐसी विधि की खोज और उस पर प्रयोग करके देखना होगा जो आपके लिए एकाग्रता बनाए रखने में कारगर साबित हो. अपनी सीखने की शैली को समझने और पहचानने का प्रयास करें. अनिवार्य रूप से, आप जो भी सीख रहे हैं, उसे जितना ज्यादा आप अनुभव और उसके साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश करेंगे, उतना ही आप अपने काम में ध्यान लगा पाएंगे और जो भी समझ रहे होंगे, उसे ग्रहण करने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी. कभी-कभी केवल पढऩे, नोट्स या क्विज़ को दोहराना भी अध्ययन करने का एक प्रभावी तरीका बन सकता है. इसके अतिरिक्त कुछ अन्य अध्ययन विधियां भी अपनाई जा सकती है:

1. नोट काड्र्स बनाना- शब्दावली या शैक्षिक भाषा के लिए, नोटकार्ड और फ्लैशकार्ड बनाने और बार-बार उनका पुनरीक्षण करने से शब्दों, शब्दावली और अवधारणाओं को याद रखने में मदद मिल सकती है.

2. ड्राइंग- कुछ अध्ययनों के लिए संरचनाओं और आरेखों को समझने की आवश्यकता होती है. उन आरेखों और संरचनाओं की प्रतिलिपि बनाना, और स्वयं उनके चित्र बनाने से आप जो पढऩे की कोशिश कर रहे हैं, उसे समझने और कल्पना करने में सहायता मिलती है, जिसकी वजह से वे लंबे समय तक याद रहते हैं.

3. एक रूपरेखा बनाना- एक रूपरेखा बनाने से छोटे विवरणों सहित बड़ी अवधारणाओं को समझने के लिए सहायता मिल सकती है. यह दृश्य अनुभागों को निर्मित और जानकारी को एकत्र करने में भी मदद कर सकती है जो परीक्षा के समय पढ़ी हुई चीजों को याद दिलाने में मदद कर सकती है.

4. एक प्रलोभन के बारे में सोचें- अध्ययन शुरू करने से पहले, ऐसी किसी चीज के बारे में सोचें जो सफलतापूर्वक अध्ययन करने के लिए एक ईनाम का कार्य करे. उदाहरण के लिए, एक घंटे तक अपने इतिहास के नोट्स को दोहराने के बाद,  अपने रूममेट को बताएं कि आपका पूरा दिन कैसे बीता, या अपना पसंदीदा टेलीविजन कार्यक्रम देखें. एक प्रलोभन या ईनाम आपको एक निर्दिष्ट समय के लिए अध्ययन करने के लिए एकाग्रता बनाए रखने के लिए प्रेरित कर सकता है, और फिर आप अपने काम पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करने के लिए खुद को पुरस्कृत करें.

5. यथार्थवादी अध्ययन लक्ष्यों को निर्धारित करें- जिन विषयों को आपको अध्ययन करने की ज़रूरत है, वे हो सकता है दिलचस्प विषय न हों, लेकिन एकाग्रता बनी रहे इसके लिए अध्ययन करते समय आप अपने अध्ययन के तरीके को बदल सकते हैं. अपने लिए लक्ष्यों को निर्धारित करके, आप अपने अध्ययन अनुभव को विषय में उत्तीर्ण होने,’ के बजाय विषय में कहां क्या समझ नहीं आ रहा है, तक पहुंचने और लगातार अपने अध्ययन सत्र के साथ प्रगति करने में सफल होने में बदल सकते हैं. उदाहरण के लिए, यह मानसिकता रखने की बजाय कि  मुझे आज रात चारों अध्यायों को पढऩा है,’ कुछ ऐसा लक्ष्य अपने लिए निर्धारित करें, ‘मैं भाग 1-3 साढ़े 4 बजे तक पढूंगा, और फिर एक ब्रेक लूंगा.इस तरह भागों में पढ़ाई करने से ध्यान केंद्रित करने की आपकी इच्छा में वृद्धि होती है और आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद भी मिलती है. 

6. छोटे ब्रेक लें- आमतौर पर, एक बार में लगभग एक घंटे तक अध्ययन करना और फिर 5-10 मिनट का ब्रेक लेना किसी दिए गए कार्य पर एकाग्रता बनाए रखने के लिए सबसे प्रभावशाली अध्ययन समय-सारणी है. एक छोटा ब्रेक लेना या विश्राम करना, आपके दिमाग को आराम करने का समय देता है, ताकि वह उत्पादक बना रहे और जानकारी को ग्रहण कर सके. थोड़ा टहलें. लगभग एक घंटे बैठे रहने के बाद उठें और अपने शरीर को खींचें. अध्ययन के समय लिए ये छोटे ब्रेक उस समय को अधिक उत्पादक बना देंगे और आप ज्यादा एकाग्रता से पढ़ाई कर पाएंगे.

7. एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकें मार्गदर्शिकाएं हैं. उन्हें अनदेखा न करें। पूरी तरह से उनका अध्ययन करें और अंत में दिए गए प्रश्नों को हल करें।

हमेशा याद रखें कि इच्छा, निष्ठा, एकाग्रता और पाने व जीतने की इच्छा, आपको एक चैंपियन (विजेता) बना देगी. सभी छात्रों को उनकी तैयारी और परीक्षा के लिए शुभकामनाएं.

(लेखक एक वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक सलाहकार हैं. ई-मेल आईडी: nidhiprasadcs@gmail.com)