डिजिटल इंडिया के बारे में योजना पत्रिका के विशेषांक का विमोचन करते हुए केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी तथा विधि एवं न्याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम राजनीतिक बाधाओं से मुक्त है और इस कार्यक्रम में भारत को बदलने की क्षमता है. लेकिन, उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यम सुरक्षित और संरक्षित होना चाहिए ताकि इसके लाभ समान रूप से सबको प्राप्त हों. श्री प्रसाद ने कहा कि सरकार के डिजिटल समावेशन कार्यक्रम को विश्वभर में मान्यता पहले ही मिल चुकी है.
मंत्री ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों को सलाह दी कि वे पत्रिका के भावी अंक में डिजिटीकरण के डेटा सुरक्षा और निजता पहलुओं का गहन विश्लेषण करें. उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने 5 वर्ष से कम कार्यकाल में 307 सरकारी सेवाएं उमंग प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराई हैं और सभी केंद्रीय और राज्य सेवाएं इस प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि संचार के क्षेत्र में प्रगति से बड़े नगरों में समृद्ध शहरी लोगों को व्यापक लाभ पहुंचा है. परंतु, छोटे शहरों में लोग अभी भी योजना जैसे सूचनाप्रद प्लेटफार्मों पर निर्भर हैं.
योजना एक विकास मासिक पत्रिका है, जो सामाजिक आर्थिक मुद्दों के प्रति समर्पित है. यह इन मुद्दों के गहन विश्लेषण के माध्यम से देश के सामाजिक और आर्थिक विकास की समस्याओं के बारे में विचार-विमर्श के लिए एक मंच उपलब्ध कराती है. यह पत्रिका सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित की जाती है.
पत्रिका 13 भाषाओं में प्रकाशित होती है. ये हैं - अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, पंजाबी, मराठी, गुजराती, बांग्ला, असमिया, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम और उडिय़ा. योजना पत्रिका के करीब ढाई लाख ग्राहक हैं और करीब 8 लाख पाठक इसे पढ़ते हैं. योजना के पाठकों में योजनाकार और नीति निर्माताओं के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के उम्मीदवार भी शामिल हैं.
सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में तब्दील करना और डिजिटल पहुंच, डिजिटल समावेशन, डिजिटल सशक्तिकरण सुनिश्चित करते हुए समाज को डिजिटल रूप में सुदृढ़ करना और साथ ही डिजिटल खाई दूर करना है. 122 करोड़ आधार कार्डों के जरिए डिजिटल पहचान निर्धनों को उनके बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ प्रदान कर रही है और इससे करीब 90,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है. देशभर में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत पर 300 से अधिक डिजिटल सेवाओं तक पहुंच कायम करने के लिए एक विस्तृत नेटवर्क कायम किया गया है, जिसके अंतर्गत 3.06 लाख से अधिक डिजिटल सेवा डिलिवरी सेंटर शामिल हैं, जो 2.10 लाख ग्राम पंचायतों में फैले हैं. दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम पीएमजीडीआई-एसएचए के अंतर्गत 1.45 करोड़ से अधिक लोगों को पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है.
समूचे भारत में 20 राज्यों और दो संघ राज्य क्षेत्रों के करीब 100 छोटे कस्बों में 100 से अधिक बीपीओ यूनिट स्थापित की गई हैं. भारत में 2014 में मोबाइल हैंडसेट और हिस्से-पुर्जे बनाने वाली मात्र दो यूनिटें थीं, जिनकी संख्या आज बढक़र 127 हो गई है. देश में हार्डवेयर विनिर्माण को प्रोत्साहित करने से 4.5 लाख से अधिक रोज़गार के अवसर (प्रत्यक्ष और परोक्ष) सृजित हुए हैं.
डिजिटल इंडिया पर प्रकाशित दिसंबर अंक में डिजिटल इंडिया की दिशा में किए गए उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे सामान्यजन के डिजिटल समावेशन और सशक्तिकरण में मदद मिली है. पत्रिका में प्रकाशित आलेखों में देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं और अधिकार क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया है. ये निबंध डिजिटल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सशक्त लेखकों के समूह ने लिखे हैं. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी तथा विधि एवं न्याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद, सचिव राजस्व और यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अजय भूषण पांडेय, नेस्कॉम के पूर्व अध्यक्ष श्री आर. चन्द्रशेखर, ट्राई के चेयरमैन श्री आर.एस. शर्मा और अन्य वरिष्ठ लेखकों ने वर्तमान सरकार के पिछले 4 वर्षों के दौरान डिजिटल भारत की प्रगति पर अपने विचारों का योगदान किया है.
महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्रों में प्रौद्योगिकियों की ताकत, उनसे लाभ उठाने की हमारी योग्यता से भी अधिक तीव्र गति से विकसित हुई है. नए युग को विचार, कार्य, शासन और नियामक बदलाव में गति की आवश्यकता है. नेस्कॉम के पूर्व अध्यक्ष श्री आर. चन्द्रशेखर ने अपने आलेख में इसी बात को स्पष्ट किया है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री आर एस शर्मा ने बताया है कि नियामकों का यह परम दायित्व है कि वे बढ़ते नवाचार, कंज्युमर संरक्षण, उद्योग के निरंतर विकास के लिए वातावरण के निर्माण और साथ ही व्यवधानों के अवांछित परिणामों के समाधान के बीच एक संतुलन कायम करें. विनियम अनुकूल और सहयोगात्मक होने चाहिएं और विनियमों के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाना चाहिए.
भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुश्री रमा वेदाश्री ने डिजिटीकरण में साइबर सुरक्षा मुद्दों और साइबर सुरक्षा एवं पद्धति विषयक दृष्टिकोण में बदलते प्रतिमानों पर प्रकाश डाला है. आधार के बारे में एक विशेष निबंध यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अजय भूषण पांडेय ने लिखा है, जिसमें आधार को भारत के निर्धन लोगों को सबल प्रदान करने वाला और गेम चेंजर बताया गया है. आधार यह सुनिश्चित करता है कि सरकार के कार्यक्रमों का लाभ सही लाभार्थियों को बिना किसी बाधा के और प्रत्यक्ष उनके खातों में पहुंचे.
इस अंक में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार सुश्री सिम्मी चौधरी ने अपने आलेख में समावेशी विकास पर डिजिटल इंडिया के परिवर्तनकारी प्रभाव और उसके फलस्वरूप जीवन पद्धति में आई सुगमता पर प्रकाश डाला है. इंडिया सेल्यूलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स असोसिएशन के अध्यक्ष श्री पंकज महेंद्रू ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में गतिशीलता, अवसर और इस क्षेत्र के विकास को अपने आलेख में उजागर किया है.
इंडिहुड के संस्थापक और अवंति फाइनेंस के मुख्य उत्पाद सलाहकार श्री ललितेश कटरागड्डा ने यह विचार साझा किया है कि डिजिटल इंडिया किस तरह पूर्ण स्वराज का केंद्र बिंदु है. डिजिटल सेवाओं में भारतीय भाषाओं के लिए भाषा प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और प्रसार का महत्व आईआईआईटी हैदराबाद के भाषा प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र के प्रोफेसर श्री राजीव सांगल ने अपने आलेख में स्पष्ट किया है. सुरेन्द्रनाथ महिला कॉलेज, कोलकाता के शिक्षा विभाग के प्रमुख, सहायक प्रोफेसर श्री अजित मंडल ने अपने आलेख में आईटी के क्षेत्र में तीव्र अत्याधुनिकता से पुस्तकालयों की भूमिका में आए क्रांतिकारी बदलाव और तद्नुरूप परंपरागत पुस्तकालयों के डिजिटीकरण की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में अधिकाधिक विकास एवं वृद्धि की जा सके.
पत्रिका का यह अंक डिजिटल क्रांति में भारत की स्थिति को दर्शाने के लिए एक उपयुक्त मंच प्रदान करता है. विशेष रूप से इस बात को देखते हुए कि भारत प्रौद्योगिकी की शक्ति के साथ भावी मार्ग तैयार कर रहा है और ट्रिलियन (50 खरब) डॉलर अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है. - पीआईबी