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विशेष लेख


Volume-23

एक कुशल सम्प्रेषक के रूप में शिक्षक की भूमिका
सुरेश वर्मा और धर्वेश कठेरिया

छात्र पुस्तकों में पढ़ी गई बातें भूल जायेंगे।
परंतु वे शिक्षक की कही हुई बातें कभी नहीं भूलेंगे....

एक लेखक के विचार

ज़्यादातर शिक्षकों का सपना पूरे उत्साह के साथ कक्षा में प्रवेश करना और अपनी शिक्षा के प्रति छात्रों को मंत्रमुग्ध करना होता है परंतु वे कभी मास्टर बनने का प्रयास नहीं करते। एक शिक्षक के तौर पर हम लिखित शब्दों, इशारों, शारीरिक भाषा, आवाज़ और प्रस्तुतिकरण के जरिये विभिन्न स्वरूपों में विचारों, सूचनाओं, अनुदेशों, दृष्टिकोणों और अपेक्षाओं का सम्प्रेषण करते हैं। एक कुशल शिक्षक के तौर पर हमारी प्रशंसा, सीधे इस बात से जुड़ी होती है कि हम अपने छात्रों के साथ किस प्रकार सम्प्रेषण करते हैं। एक दक्ष और कुशल सम्प्रेषक प्रभावी बातचीत का मार्ग प्रशस्त करता है।

सम्प्रेषण के विभिन्न आयाम और अर्थ हैं। कुछ इसे सूचना के प्रेषण और प्राप्त करने की प्रक्रिया कहते हैं। इससे संबंधित सभी मॉडल्स के बुनियादी तत्वों में प्रेषक, प्राप्तकर्ता, शोरगुल और फीडबैकसम्मिलित होता है। यदि प्रेषक का संदेश स्पष्ट, पूर्ण और प्रभावी होता है, केवल तभी प्राप्तकर्ता संदेश को स्वीकार करने और समझने में सक्षम होगा। शोर न्यूनतम होना चाहिये और हमेशा फीडबैक के लिये जगह रखनी चाहिये। केवल तभी एक शिक्षक सुखद सम्प्रेषण वातावरण का सृजन कर सकता है।

एक महान शिक्षक किन बातों से बनता है?

एक अच्छा शिक्षक अपने विषय का स्वामी होता है परंतु एक महान शिक्षक एक उत्कृष्ट सम्प्रेषक होता है। वह न केवल अपनी पाठयक्रम आवश्यकताओं का संचालन करता है बल्कि बुद्धिमत्तापूर्ण प्रश्न भी पूछता है। वह एक सार्थक ढंग से छात्रों के लिये पाठ्यक्रम के अधितम परिणामों पर विचारविमर्श हेतु मंच उपलब्ध करवाता है। एक कहावत है, ‘एक अच्छा शिक्षक एक चिकित्सक की तरह होता है जो अज्ञान को दूर करता है और एक कलाकार के तौर पर सृजनात्मकता की प्रेरणा देता है।कुशल शिक्षक अपने छात्रों को ध्यानपूर्वक सुनते हैं, उनके विचारों और प्रश्नों का विश्लेषण करते हैं और सृजनात्मक तरीके से प्रभावी फीडबैक भी देते हैं।

तैयारी

यदि शिक्षक संगठित और तैयारी के साथ नहीं है, उसे कक्षा से बाहर छात्रों के साथ अधिक समय बिताकर इसकी प्रतिपूर्ति करनी होगी। भाषण तैयार करते हुए शिक्षक को 10-15 मिनट के मिनी-लेक्चर्स की शृंखला बनानी चाहिये और उन्हें वार्तालाप गतिविधि को अंतराल से अलग करना चाहिये।

अपने छात्रों से सवाल करें

प्रश्न शिक्षण का अभिन्न हिस्सा होते हैं जो सदैव छात्रों प्रोत्साहित करते हैं, उनको संबद्ध करते हैं, उनकी बौद्धिक और वैचारिक प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। शिक्षक द्वारा पूछे जाने वाले अच्छे प्रश्न स्पष्ट और सारगर्भित होने चाहिये। वे विभिन्न स्वरूपों में हो सकते हैं: पूछताछ, अनुरोध, एमसीक्यू अथवा समस्या के वर्णन के तौर पर। प्रश्न उत्पादक होते हैं, जिनके लिये सोच-विचार करना होता है और इससे नये प्रश्न उत्पन्न होते हैं। मूल्यांकन करते समय सदैव अपनी ग्रेडिंग नीति को तर्कयुक्त बनाये रखें। प्रश्नों और परीक्षाओं को उनके अंतिम ग्रेड प्रतिशत मूल्य को छोटा करते हुए अक्सर छात्रों की चिंता को कम करने का प्रयास करें।

उचित नेत्र संपर्क बनायें

आपके नेत्र आपके छात्रों को आपके खुलेपन, ईमानदारी और विश्वास के बारे में यकीन दिलाने के वास्ते आत्मा की चाबी और सबसे प्रभावी हथियार होते हैं। इमरसन ने ठीक ही कहा था, ‘‘आंखें लोड की गई बंदूक की तरह का खतरा हो सकती हैं: अथवा फैंक दिये जाने की तरह अपमान कर सकती हैं: अथवा इसके परिवर्तित मिज़ाज के तौर पर दयालुता का स्तम्भ बनकर, किसी के हृदय को खुशी से नाचने के लिये मज़बूर कर सकती हैं।‘‘

अपनी आवाज के लहज़े में सुधार करें

सबसे मूल्यवान संपत्तियों और शक्तिशाली औज़ारों में से एक होती है आवाज़, जिसके जरिये आप शिक्षण, अनुदेश, नियंत्रण और शिक्षा प्रदान करते हैं। एक शिक्षक के तौर पर आपकी आवाज की प्रस्तुति और मॉडयूलेशन आपके सम्प्रेषण का बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू होता है। कक्षा में पढ़ते समय एक अच्छा स्टाइल थोड़ा ऊंचे स्वर में और थोड़ा धीमे स्वर में बातचीत करना हो सकता है। आपको किसी भी प्रस्तुतिकरण के दौरान उचित उच्चारण, विराम चिह्न, स्वर आदि की जानकारी होनी चाहिये और इसमें वातावरण के अनुकूल सामंजस्य करें।

चेहरे की अभिव्यक्ति और शारीरिक भाषा सीखें

छात्रों के साथ अपने सौहार्द की स्थापना के लिये एक गतिशील औज़ार के तौर पर अपने संपूर्ण शरीर का इस्तेमाल करें। बिंदुओं पर ज़ोर देने के लिये अपने हाथों को हिलाएं परंतु बहुत ज़्यादा हाथों को हिलाना बुरा लगता है। आपको अपने हाथ सुरक्षित विश्राम की स्थिति में रखने का प्रयास करना चाहिये। आपके चेहरे के भाव आप जो कुछ कहना चाहते हैं उस कथन में वृद्धि करते हैं। सुनिश्चित करें कि ये स्वाभाविक है और एक ही संकेत को बार-बार न दोहराएं। छात्रों पर सभी दिशाओं में नजऱ रखें और कभी भी किसी एक पर अपनी आंखें केंद्रित न करें।

महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ज़ोर डालें

जब कोई शिक्षक परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण बातें कहता है, छात्रों में ध्यान का स्तर बढ़ जाता है। सदैव प्रमुख बिंदुओं पर अपना भाषण पूरा करने के बाद थोड़ा विराम लें। अत: यदि छात्र जानते हैं कि उन्हें कब ध्यान से सुनना है, वे निश्चित तौर पर ऐसा करते हैं। एक अच्छा शिक्षक अपनी कक्षा में सभी प्रकार के छात्रों के बीच संतुलन रखता  है और धीमे पढऩे वालों को मध्यम मार्ग तक ले जाता है। जब कोई छात्र अपने छात्रों में जिज्ञासा उत्पन्न करता है, इससे चिंतन और समझ पैदा होती है जो आपके क्लासरूम की रंगत को बदल देती है।

शब्दों के साथ पेंट पिक्चर

एक महान शिक्षक जटिल अवधारणाएं सरलता के साथ अपने छात्रों को समझने योग्य बना देता है। यह कला बहुत महत्वपूर्ण है। जब आप किसी संकल्पना को अभिव्यक्त करने के लिये रूपकों या उपमाओं का प्रयोग करते हैं, यह छात्रों के लिये अधिक स्मणरयोग्य और सरल बन जाती है। व्यावहारिक उदाहरणों के साथ व्याख्या कठिन अवधारणाओं को समझने योग्य बना देती है। किसी ने ठीक ही कहा था, ‘एक अच्छे शिक्षक का प्रभाव कभी समाप्त नहीं होता

एक अच्छा पाठक बनिए

एक अच्छे शिक्षक में पुस्तकों और पत्रिकाओं को पढऩे की गहन रुचि होनी चाहिये। वह नवीनतम घटनाक्रमों-स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों से सुपरिचित होना चाहिये। वह शिक्षा के स्तर को किसी भी ऊंचाई तक ले जा सकता है।

हैंडआउट्स उपलब्ध कराएं

आपके हैंडहाउट्स में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालें, सभी सूचनाएं तर्कसंगत अनुक्रम में और शुद्ध तथा अद्यतन होनी चाहिये। इसमें सक्रमक कियाएं, छोटे-छोटे वाक्य होने चाहिये और पाठक को शब्द आसानी से समझ में आने चाहिये और पाठ रुचिकर होना चाहिये।

असाइनमेंट्स दीजिए

शिक्षक को ग्रेडिंग मानदंड सहित असाइनमेंट्स अवश्य देनी चाहिये। शोध दर्शाता है कि सेमेस्टर के दौरान एक ही लंबा असाइनमेंट दिये जाने की अपेक्षा छोटे-छोटे असाइनमेंट्स की शृंखला अधिक मददगार होती है। इसके अलावा सदैव अपेक्षाकृत सरल समस्याओं से शुरूआत करें, जिसके उपरांत अधिक चुनौतीपूर्ण समस्याओं को हाथ में लिया जा सकता है।

फ़ोकस रखें

एक शिक्षक के तौर पर आपको अपने छात्रों के नाम सही उच्चारण के साथ बोलने और याद रखने का प्रयास करना चाहिये और उन्हें बार-बार नाम लेकर बुलाएं। जब आप किसी वस्तु पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं, आपके सभी स्वैच्छिक और अनायास कार्य आपके उस वस्तु की प्राप्ति की दिशा में संचालित होते हैं। जब आप अपनी ऊर्जा को किसी वस्तु पर केंद्रित करते हैं, आपमें एक शक्तिशाली बल का सृजन होता है जो आपके लिये वह सब कुछ ला सकता है जो आप हासिल करना चाहते हैं। जब आप स्वयं पर नियंत्रण करते हैं केवल तभी आप दूसरों पर नियंत्रण कर सकते हैं और अपने विचारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आपकी ताकत में वृद्धि होती है।

प्रौद्योगिकी अनुकूल बनें

आज हम एक डिजिटल युग में रह रहे हैं जहां हर जगह प्रौद्योगिकी है। एक शिक्षक विभिन्न तरीकों से अपने विचारों का सम्प्रेषण करता है। प्रौद्योगिकी में नवाचार से छात्र अब न केवल पढऩे, लिखने और अंकगणित में पारंगत हो रहे हैं बल्कि वे मीडिया क्षेत्र में भी जागरूक हो रहे हैं, अर्थात वे पाठ, ग्राफिक्स, संगीत, वायस और वीडियो के जरिये उत्पादन करते हैं। हम सब एजुटेनमेंट साफ्टवेयर से अवगत हैं जो कि शिक्षा और मनोरंजन दोनों की सुविधा प्रदान करता है। इनमें खेल जैसे फ़ीचर्स होते हैं। सोच-विचार में संलग्नता और वृद्धि के लिये इस्तेमाल किये जाने के कम्प्यूटर अनुप्रयोग हैं जिन्हें संज्ञानात्मक उपकरणों के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है। ये उपकरण सूचना का प्रबंधन करते हैं और शिक्षक को अधिक सृजनात्मक, सघनता और स्पष्टता के साथ सोच-विचार करने में सुविधा प्रदान करते हैं। इनमें डाटाबेस, ट्यूटोरियल्स, सिमुलेशन्स, मल्टी मीडिया साफ्टवेयर और प्रस्तुति एवं प्रकाशन उपकरण शामिल हैं। शिक्षण में प्रौद्योगिकी जोड़े जाने से शिक्षक के अपने छात्रों को प्रदान की जाने वाली शिक्षा के तौरतरीकों में बदलाव आ सकता है। शिक्षक उनके प्रोजैक्ट की निगरानी कर सकता है और उनके प्रयासों में मार्गदर्शन कर सकता है तथा फीडबैक प्रदान कर सकता है। उसकी भूमिका बयान करने वाले और परीक्षा लेने वाले से बदलकर नये स्वरूप में हो सकती है। वह एक कोच, सहायक, सह-शिक्षक और अंतत: लीडर बन सकता है।

प्रभावी शिक्षण के नौ स्तम्भ

*अपने उद्देश्यों के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखें

*छात्रों की सराहना करें और उन्हें प्रेरित करें

*सुलभ रहें

*एक टीम लीडर बनें

*हास्य-विनोद का सही इस्तेमाल करें

*अपने अध्यापन में नवाचार लेकर आयें

*छात्रों में जिज्ञासा मॉडल

*कक्षा में समुदाय और संबंधों की भावना विकसित करें

*नये कौशल सीखने की लालसा और जोश बनाए रखें।

आज विश्व अभूतपूर्व गति से प्रगति कर रहा है जहां हमें अपने बच्चों को मानवता की अदभुत दौड़ में शामिल होने के लिये उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है। शिक्षकों के तौर पर हमारे ऊपर उनकी सफलता की महान जि़म्मेदारी है। महान शिक्षक, अदभुत, उत्साही और दुर्लभ होते हैं। यदि आप एक महान शिक्षक बनना चाहते हैं, कृपया स्वयं से ही पूछ लीजिये, क्या आप स्पष्ट बोलते हैं (10), काफी ऊंचा (10), उचित गति के साथ (10) और अनावश्यक विरामों अथवा बार-बार शब्द दोहराने से बचते हैं (10)? क्या आपका ग़ैर मौखिक सम्प्रेषण सही है (10)? क्या आप समझ पाने योग्य हैं (10)? क्या आप सौम्य और सरल भाषा का इस्तेमाल करते हैं (10)? क्या आप महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ज़ोर देते हैं और तार्किक क्रम का इस्तेमाल करते हैं (10)? क्या आप शिक्षण सामग्री कुशलतापूर्वक तैयार करते हैं जो समझ में आसानी से आ जाती हो (10)? क्या आपका प्रस्तुतिकरण का स्टाइल उचित है (10)? यदि आपके सभी उत्तर हांमें हैं, तो एक उत्कृष्ट शिक्षक होने के लिये बधाई। यदि आपका कुल स्कोर 60 प्रतिशत से अधिक है, आप प्रशंसा के पात्र हैं।

(सुरेश वर्मा एक सम्प्रेषण विशेषज्ञ और जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली में वरिष्ठ संकाय हैं। ई-मेल: askverma@gmail.com और डॉ. धर्वेश कठेरिया, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र में जनसंचार के विभागाध्यक्ष हैं।

 

ई-मेल: dkskatheiya@yahoo.com)