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विशेष लेख


Special Article vol. 21

अर्थव्यवस्था और रोजग़ार पर जीएसटी का प्रभाव

डॉ.एस.पी.शर्मा 

पिछले कई वर्षों से भारत की कराधान व्यवस्था में कर दरों को तर्कसंगत बनाने, कर नियमों को सरल बनाने, बेहतर अनुपालन व्यवस्थाओं, कर अदायगी में सुगमता और उन पर बेहतर अमल सहित कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। कारोबार करने में सुगमता के साथ-साथ बड़ी तादाद में वस्तुओं को कर के दायरे में लाने के लिए, कर आधार को व्यापक बनाना और कर दरों में कमी करना इन बदलावों का केंद्र बिंदु रहा है।

हालांकि, अप्रत्यक्ष करों का स्वरूप अब तक करों की बहुलता से ही संचालित होता आया है - कुछ कर केंद्र द्वारा और कुछ कर राज्यों द्वारा लगाए जाते हैं। इन करों में से प्रत्येक अपने दायरे में आने वाली आर्थिक गतिविधि पर दोनों संदर्भों में संकुचित आधार पर लागू होता है और इन करों में से अनेक का आधार समान होने से दोहरे कराधान की समस्या उत्पन्न होती है, जिसका मूल्यों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, इस प्रकार किसी व्यक्ति को जितनी रकम खर्च करनी चाहिए, सामान्यत: उससे दोगुनी राशि खर्च करनी पड़ती है।

भारत में वस्तुओं और/या सेवाओं के लिए कराधान के वर्तमान ढांचे का प्रभाव, उसकी बहुलता, जटिलता और व्यापक प्रकृति के जरिये विनिर्माण प्रकियाओं, उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

*उत्पादन पर लगने वाले ऐसे कर जिन्हें व्यापक और अनुचित करार दिया जाता है, उनके परिणामस्वरूप संसाधनों का गलत आवंटन और उत्पादकता की प्रवृत्ति में कमी तथा आर्थिक वृद्धि की गति में कमी देखी गयी।

*दोहरा कराधान- वस्तुओं और सेवाओं से, विशेषकर अप्रत्यक्ष संपत्ति के कराधान के संदर्भ में अलग-अलग व्यवहार के कारण होने वाले विभाजन से उत्पन्न होता है।

*स्वेच्छा से कर का अनुपालन कम होने के परिणामस्वरूप कर का आधार संकुचित रहता है जिसके कारण कर/जीडीपी अनुपात भी कम रहता है

कर व्यवस्था में, पूर्व में मौजूद केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य बिक्री कर प्रणालियों से वैट, मोडवैट तक का विकास देखा गया जिसने बाद में परिवर्तित होकर सेनवैट का स्वरूप लिया। इससे बिक्री कर की न्यूनतम नियत दरों के कार्यान्यन के माध्यम से समान बिक्री कर ढांचे के सामंजस्य का मार्ग प्रशस्त हुआ। भारत में वैट का प्रारम्भ सफल रहा, लेकिन वैट के ढांचे में केंद्र और राज्य स्तर पर कुछ कमियां बरकरार रहीं। उदाहरण के तौर पर सेनवैट में अतिरिक्त सीमा शुल्क, अधिभार जैसे बहुत से केंद्रीय कर शामिल नहीं हैं। इतना ही नहीं, सेनवैट की मौजूदा योजना में विनिर्माण के स्तर से नीचे वितरण व्यापार में मूल्य वर्धित शृंखला को समाहित करने के लिए कोई भी महत्वपूर्ण कदम लागू नहीं किए गए। इसलिए, सेनवैट और सेवा कर के व्यापक प्रभावों को दूर करते हुए कराधान प्रणाली में मौजूद इन खामियों में कमी लाने के लिए क्रांतिकारी सुधार जीएसटी का आरंभ हुआ।

जीएसटी विधेयक (122वां संविधान संशोधन) राज्य सभा और लोकसभा द्वारा पारित कर दिया गया है। वस्तुओं और सेवाओं की लागत पर कर के व्यापक प्रभाव में कमी लाने के उद्देश्य से, जीएसटी : महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाला विशालतम अप्रत्यक्ष कर सुधार 1 अप्रैल 2017 से लागू किए जाने की संभावना है।  देश में जीएसटी लागू करना सरकार का एक ऐतिहासिक कदम है, जो सराहनीय है, क्योंकि भारत अगले कुछ वर्षों में वृद्धि के पथ पर तेज गति से अग्रसर होगा। 

 राज्य सभा में जीएसटी पारित होने के अवसर परमाननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी को सहकारी संघवाद का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण करार देते हुए कहा कि यह सुधार मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन देगा, निर्यात में सहायता करेगा और इस प्रकार अधिक राजस्व प्रदान करते हुए रोजगार को बढ़ावा देगा। यह नवोन्मेषी निर्णय 21वीं सदी के लिए भारत को  एक अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था प्रदान करेगा। माननीय प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर यह भी कहा कि वे सभी भारतीयों को लाभ दिलाने वाले तथा जीवंत एवं एकीकृत राष्ट्रीय बाजार को प्रोत्साहन देने वाली व्यवस्था शुरू करने के लिए सभी दलों और राज्यों के साथ मिलकर कार्य करना जारी रखेंगे।

जीएसटी, विनिर्माता से लेकर उपभोक्ता तक, वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगने वाला एकल कर है। प्रत्येक अवस्था पर भुगतान किए जाने वाले इनपुट टैक्स क्रैडिट्स मूल्य वर्धन के बाद की अवस्था में उपलब्ध होंगे, जो जीएसटी को अनिवार्य तौर पर प्रत्येक अवस्था पर केवल मूल्य वर्धन का कर बनाता है। इस प्रकार अंतिम उपभोक्ता को पिछली समस्त अवस्थाओं पर प्राप्त लाभ के साथ केवल आपूर्ति शृंखला के अंत वाले डीलर द्वारा लगाए गए जाने वाले जीएसटी का ही भार वहन करना होगा।

केंद्र और राज्य स्तर के जो कर जीएसटी में सम्मिलित किए जा रहे हैं, उनमें से केंद्रीय स्तर वाले करों में केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क जिसे सामान्यत: प्रतिकारी शुल्क के नाम से जाना जाता है, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क शामिल हैं। जबकि राज्य स्तर पर जीएसटी में राज्य मूल्य वर्धित कर/बिक्री कर, मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों द्वारा लगाए जाने वाले कर के अतिरिक्त) केंद्रीय बिक्री कर (केंद्र द्वारा लगाए जाने वाले और राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले), चुंगी और प्रवेश कर, क्रय कर, विलासिता कर, लॉटरी, सट्टेबाज़ी और जुआ खेलने पर लगने वाले कर को सम्मिलित किया जाएगा।

जीएसटी के दो संघटक होंगे-केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और राज्य जीएसटी (एसजीएसटी)। केंद्र और राज्य दोनों, साथ-साथ पूरी मूल्य शृंखला पर जीएसटी लगाएंगे। वस्तुओं और सेवाओं की प्रत्येक आपूर्ति पर कर लगाया जाएगा। केंद्र, केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी) की वसूली करेगा और राज्य, राज्य के भीतर होने वाले समस्त लेन-देन पर राज्य वस्तु और सेवा कर (एसजीएसटी) की वसूली करेंगे। सीजीएसटी का इनपुट टैक्स क्रैडिट, प्रत्येक अवस्था के आउटपुट पर सीजीएसटी के उत्तरदायित्व का निर्वहन करने के लिए उपलब्ध रहेगा। इसी तरहइनपुट्स पर भुगतान किए जाने वाले एसजीएसटी के क्रैडिट को आउटपुट पर एसजीएसटी का भुगतान करने की अनुमति होगी। इस क्रैडिट या जमा को किसी अतिरिक्त तरह से उपयोग में लाने की अनुमति नहीं होगी।

विविध प्रकार के करों से छुटकारा मिलने और उनके व्यापक प्रभाव के कारण सुगमता से कारोबार करने की स्थिति में सुधार होगा और मेक इन इंडिया कार्यक्रम को भी प्रोत्साहन मिलेगा। जीएसटी से उत्पादन की संभावना बढ़ेंगी, युवा आबादी के लिए रोजगार के लाखों अवसर सृजित होंगे और भारत की वृद्धि की गति को दो प्रतिशत अंकों का प्रोत्साहन मिलेगा। कराधान का सरलीकरण और  वृद्धि की रफ्तार बढऩे की वजह से ज्यादा से ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकृष्ट होगा और अर्थव्यवस्था में रोजगार के अवसरों में और ज्यादा वृद्धि होगी। परम्परागत कराधान व्यवस्था की तुलना में जीएसटी के अप्रत्यक्ष प्रभाव- सरकार का राजस्व बढऩे के साथ ही साथ बेहतर कर अनुपालन और कर वंचना में कमी, व्यापक नियंत्रण प्राप्त करने और प्रभावी निगरानी के संबंध में व्यापक होंगे। सरकार के राजस्व में वृद्धि होने से विभिन्न सामाजिक और वास्तविक ढांचागत कार्यकलापों में सार्वजनिक निवेश बढ़ेगा और रोजगार के सृजन की संभावनाओं में और वृद्धि होगी।

जीएसटी के कार्यान्वन से राज्यों के बीच अवरोधों में कमी आएगी और देश एक समान बाजार बन जाएगा। जीएसटी समस्त वस्तुओं और सेवाओं के लिए समान आधार और समान दरों का सृजन करेगा और लेन-देन की लागत में कमी लाएगा। जीएसटी में अनेक केंद्रीय और राज्य स्तरीय करों को सम्मिलित करते हुए ज्यादा व्यापक और विस्तृत कवरेज तथा केंद्रीय बिक्री कर को समाप्त किया जाना विनिर्माताओं और उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी रहेगा, क्योंकि इससे विनिर्माताओं की लेन-देन की लागत में कमी आने की संभावना है और अंतत: इससे वस्तुओं के मूल्यों में कटौती होगी। अनुपालन की लागत में कमी लाने से हमारे व्यापार और उद्योग ज्यादा किफायती होंगे, जिससे न सिर्फ घरेलू बाजार में अपितु अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।

व्यापार और उद्योग के लिए जीएसटी के लाभ

*अनुपालन में सुगमता : सुदृढ़ और प्रतिस्पर्धी आई टी प्रणाली भारत में जीएसटी व्यवस्था का आधार होगी। इसलिए पंजीकरण, रिटर्न, भुगतान आदि जैसी सभी करदाता सेवाएंकरदाताओं को ऑनलाइन उपलब्ध होंगी, जिससे अनुपालन सुगम और पारदर्शी होगा।

*कर की दरों और कर ढांचों में एकरूपता : जीएसटी सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्यक्ष कर और कर ढांचे देश भर में समान हों, इस प्रकार निश्चितता और कारोबार करने में सुगमता में वृद्धि होगी। दूसरे शब्दों में कहें, तो जीएसटी देश में कारोबार करने को कर की दृष्टि से निष्पक्ष बनाएगा, भले कारोबार करने के लिए किसी भी जगह का चुनाव किया जाए।

*व्यापकता की समाप्ति : पूरी मूल्य शृंखला और राज्यों की सीमाओं से परे, दोषरहित कर जमा की व्यवस्था यह सुनिश्चित करेगी कि करों की व्यापकता न्यूनतम हो। इससे कारोबार करने की गुप्त लागतों में कटौती होगी।

*प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार : कारोबार संबंधी लेन-देन की लागत में कमी आने से अंतत: व्यापार और उद्योग के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा।

*विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ : जीएसटी में प्रमुख केंद्र और राज्य स्तरीय करों के सम्मिलित हो जाने, इनपुट वस्तुओं और सेवाओं की संपूर्ण और समग्र शुरूआत तथा केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) की समाप्ति से स्थानीय स्तर पर विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं की लागत में कमी आएगी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी तथा भारतीय निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा। देश भर में कर की दरों और प्रक्रियाओं में एकरूपता भी अनुपालन लागत में कमी लाने में सफल होगी।

केंद्र और राज्य सरकारों के लिए जीएसटी के लाभ

*प्रबंधन में सरल और आसान : जीएसटी केंद्र और राज्य स्तरों के बहुत से अप्रत्यक्ष करों का स्थान लेगा। आरंभ से अंत तक सुदृढ़ आईटी प्रणाली द्वारा समर्थित जीएसटी, केंद्र और राज्य द्वारा अब तक लगाए जाते रहे करों की तुलना में प्रबंधन में सरल और आसान होगा।

*लीकेज पर बेहतर नियंत्रण : सुदृढ़ आईटी ढांचे के कारण जीएसटी के परिणामस्वरूप कर अनुपालन बेहतर होगा। मूल्य वर्धन शृंखला में एक अवस्था से दूसरी अवस्था पर, दोषरहित इनपुट टैक्स क्रैडिट के कारण, जीएसटी के स्वरूप में एक अंतर्निहित व्यवस्था होगी, जो व्यापारियों द्वारा करों के अनुपालन को प्रोत्साहन देगा।

*अधिकतम राजस्व दक्षता : जीएसटी से सरकार द्वारा किए जाने वाले कर राजस्व के संग्रह की लागत में कमी लाने की संभावना है, और इस प्रकार इससे अधिकतम राजस्व दक्षता का मार्ग प्रशस्त होगा।

उपभोक्ताओं के लिए जीएसटी के लाभ

*वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के अनुरूप एकल एवं पारदर्शी कर अनुपात : मूल्य वर्धन की उत्तरोत्तर अवस्थाओं पर इनपुट टैक्स क्रैडिट्स की अधूरी उपलब्धता होने या बिल्कुल उपलब्धता न होने सहित केंद्र और राज्य द्वारा लगाए गए विविध अप्रत्यक्ष करों के कारण आज देश में ज्यादातर वस्तुओं और सेवाओं की लागत में बहुत से गुप्त कर शामिल हैं। जीएसटी के अंतर्गत, विनिर्माता से लेकर उपभोक्ता तक, केवल एक ही कर होगा, जिससे अंतिम उपभोक्ता के पास चुकाए गए करों के संबंध में पारदर्शिता होगी।

*कुल मिलाकर कर के बोझ से राहत:  दक्षता से होने वाले लाभ और लीकेज की रोकथाम के कारण, ज्यादातर वस्तुओं पर कर का समग्र बोझ कम होगा, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा।

निष्कर्ष यह है कि कराधान का सरलीकरण, कारोबार करने की सुगमता के सबसे महत्वपूर्ण संघटकों में से एक है, क्योंकि संभावित निवेशक, जिस देश में निवेश करना चाहता है, वह उसकी कराधान प्रक्रिया पर गौर करता है। भारत वैसे तो जनसांख्यिकी, मांग और लोकतंत्र के संदर्भ में कई तरह से सशक्त है, लेकिन कारोबार में सुगमता न होने के कारण उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जीएसटी कार्यान्वयन से सरकार द्वारा कारोबार करने में सुगमता लाने के लिए शुरू किए गए विभिन्न सुधारों और नीतियों को बल मिलेगा और भारत ज्यादा सरल, पारदर्शक और करों की दृष्टि से अनुकूल व्यवस्था में अग्रसर होगा।

मूल्य वर्धन की उत्तरोत्तर अवस्थाओं पर इनपुट टैक्स क्रैडिट्स की अधूरी उपलब्धता होने या बिल्कुल उपलब्धता न होने सहित केंद्र और राज्य द्वारा लगाए गए विविध अप्रत्यक्ष करों, आज देश में ज्यादातर वस्तुओं और सेवाओं की लागत पर कराधान का व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसलिए, जीएसटी उपभोक्ताओं के लिए भी लाभकारी होगा, क्योंकि विनिर्माताओं और सेवा प्रदाताओं से लेकर उपभोक्ता तक, केवल एक ही कर होगा, जिससे पारदर्शिता और दक्षता आएगी। इससे व्यवस्था में होने वाली लीकेज पर रोक लगेगी और अधिकतर वस्तुओं पर कर का बोझ कम होने के संदर्भ में राहत उपलब्ध होगी।

संक्षेप में कहें, तो जीएसटी कारोबार करने में सुगमता को बढ़ावा देगा, कारोबार में लेन-देन की लागत में कमी लाने में सहायता करेगा, वस्तुओं के विनिर्माण और सेवाओं की आपूर्ति को बढ़ावा देगा, विनिर्माताओं के लिए मूल्य-लागत अंतर में वृद्धि करेगाउत्पादन की संवर्धित संभावनाओं सहित बहुसंख्य युवा आबादी के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करेगा और अर्थव्यवस्था में जीडीपी की समग्र वृद्धि को कहीं अधिक गति से बल प्रदान करेगा। आज जरूरत इस बात की है कि जीएसटी के कार्यान्वयन की प्रक्रिया और लाभ के बारे में देश के प्रत्येक नागरिक तक बड़े पैमाने में जागरूकता फैलायी जाए।

(लेखक पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साथ प्रमुख अर्थशास्त्री हैं।  ईमेल : spsharma@phdcci.in)