विश्व दूरसंचार दिवस
फास्ट ट्रैक डिजिटल सशक्तिकरण और समावेशन
दूरसंचार को दुनियाभर में लोगों के सशक्तिकरण, और गरीबी की स्थिति में कमी लाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में मान्यता दी गई है. यह सतत विकास के लिए 2030 के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंडा के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के प्रमुख घटकों में से एक है, जो इसकी बढ़ती पहुंच, बेहतर नेटवर्क और उपकरणों तथा समाधानों से परिलक्षित होता है, जिससे विकासशील और मध्यम आय वाले देशों में कृषि, बैकिंग, स्वास्थ्य सेवा आदि जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रणालियों, प्रक्रियाओं और लेनदेन के डिजिटलीकरण में वृद्धि हुई है.इस शक्तिशाली उपकरण पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए, 1969 से प्रतिवर्ष 17 मई को विश्व दूरसंचार दिवस मनाया जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) की स्थापना और 1865 में पहले अंतरराष्ट्रीय टेलीग्राफ कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए जाने का द्योतक है.
2005 में, सूचना समाज पर विश्व शिखर सम्मेलन ने, सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (आईसीटी) के महत्व और डब्ल्यू एसआईएस द्वारा द्वारा उठाए गए सूचना समाज से संबंधित मुद्दों की विस्तृत शृंखला पर ध्यान केंद्रित करने हेतु 17 मई को विश्व सूचना समाज दिवस के रूप में घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा का आह्वान किया. महासभा ने 2006 में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया था कि विश्व सूचना समाज दिवस हर साल 17 मई को मनाया जाएगा. नवंबर 2006 में, अंताल्या, तुर्की में आईटीयू पूर्णाधिकार सम्मेलन ने दोनों कार्यक्रम 17 मई को विश्व दूरसंचार और सूचना समाज के रूप में मनाने का फैसला किया.
2022 के लिए विषय
इस वर्ष का विषय लोगों को स्वास्थ्य, जुड़ाव और स्वतंत्र रहने के लिए- शारीरिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से समर्थन करने में दूरसंचार / आईसीटी की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने के बारे में है. दूरसंचार और सूचना संचार प्रौद्योगिकियों (आईसीटी) को स्वस्थता उम्र बढ़ाने में भूमिका निभानी है, और लोगों को स्मार्ट शहर बनाने, कार्यस्थल पर उम्र के आधार पर भेदभाव का मुकाबला करने, वृद्ध व्यक्तियों के वित्तीय समावेश को सुनिश्चित करने और दुनियाभर में लाखों देखभाल करने वालों का समर्थन करने में भी मदद करना है. आर्थिक और स्वास्थ्य प्रणालियों की स्थिरता के लिए स्वस्थता उम्र बढ़ने के जीवन का समर्थन करना भी महत्वपूर्ण है. आईटीयू वृद्ध व्यक्तियों और स्वस्थता उम्र बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों में तेजी लाने की पहल को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है जो स्वस्थता उम्र बढ़ाने संबंधी संयुक्त राष्ट्र दशक के लिए योगदान देगा.
दूरसंचार का महत्व
लगभग 2 अरब के ग्राहक आधार के साथ, भारत वर्तमान में टेलीफोन कनेक्शन के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. भारत में मोबाइल सब्सक्रिप्शन अब सभी टेलीफोन सब्सक्रिप्शन्स का 98 प्रतिशत से अधिक है. इंटरनेट अब वैश्विक सूचना बुनियादी ढांचे के समान है. सरकार ने अपने 'डिजिटल इंडिया’ अभियान के एक हिस्से के रूप में देश में इंटरनेट और ब्रॉडबैंड पर काफी जोर दिया है.इंटरनेट एक्सेस का मुख्य माध्यम मोबाइल टेलीफोनी है. व्यापक पहुंच और सामर्थ्य के साथ, मोबाइल टेलीफोनी ने आबादी के असंबद्ध वर्गों को नेटवर्क और मुख्यधारा में लाने में मदद की है, जिससे डिजिटल विभाजन कम हुआ है और महामारी के दौर में इसका और ज्यादा महत्व बढ़ा है.दूरसंचार जानकारी प्राप्त करने की लागत में कमी करके लेनदेन की लागत को कम करता है, अतिरिक्त लेनदेन के अवसर पैदा करता है, और इस तरह आर्थिक कार्यकुशलता और विकास में योगदान देता है. लेन-देन की लागत को कम करना किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास में दूरसंचार का एक प्रमुख योगदान है. सूचना, और इलेक्ट्रॉनिक रूप में इसे एक्सेस करने, संसाधित करने और प्रसारित करने की सुविधाएं भूमि, श्रम और पूंजी के रूप में महत्वपूर्ण सामरिक संसाधन बन गई हैं. उच्च आर्थिक विकास से मौजूदा और नई दूरसंचार सेवाओं के लिए अधिक मांग बढ़ी है जिसने क्षेत्र के विकास को प्रेरित किया है, जबकि आर्थिक विकास स्वयं आवश्यक निवेश संसाधन उपलब्ध कराता है. इस संदर्भ में, भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उपयुक्त तथा लचीली नीतियों से दूरसंचार क्षेत्र का समर्थन किया है. नीतिगत पहलों के माध्यम से, सरकार ने सेवा प्रदाताओं के बीच उचित प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित की है, और एक निष्पक्ष और सक्रिय नियामक ढांचे ने दूरसंचार सेवाओं को सस्ती और देश के आम व्यक्ति की पहुंच के अधीन बना दिया है.
भारत में दूरसंचार स्थापना
भारत में, दूरसंचार विभाग (डीओटी) पर, अन्य बातों के साथ-साथ, दूरसंचार नीति के लिए टेलीग्राफ, टेलीफोन, दूरसंचार वायरलेस डेटा से संबंधित लाइसेंसिंग और समन्वय मामले; दूरसंचार से जुड़े मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग, दूरसंचार में मानकीकरण, अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) को बढ़ावा देने; और इस क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी है. विभाग अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ निकट समन्वय में रेडियो संचार के क्षेत्र में फ्रीकवेन्सी प्रबंधन के लिए भी जिम्मेदार है. विभाग देश में सभी उपयोगकर्ताओं के वायरलेस ट्रांसमिशन की निगरानी करके वायरलेस नियामक उपाय लागू करता है. दूरसंचार के विभिन्न पहलुओं से निपटने के लिए भारत सरकार की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों के साथ 1989 में भारत सरकार द्वारा एक दूरसंचार आयोग की स्थापना की गई थी. आयोग को 2018 में 'डिजिटल संचार आयोग’ के रूप में फिर से नामित किया गया था. डिजिटल संचार आयोग निम्नलिखित के लिए जिम्मेदार है:
क) सरकार के अनुमोदन के लिए दूरसंचार विभाग की नीति तैयार करना;
ख) प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए दूरसंचार विभाग के लिए बजट तैयार करना और उसे सरकार से स्वीकृत कराना; और
ग) दूरसंचार से संबंधित सभी मामलों में सरकार की नीति का कार्यान्वयन करना.
महामारी के कठिन दौर में, विभाग की पहलों ने निर्बाध कनेक्टिविटी, निर्बाध सेवाएं, घर से काम करना, कहीं से भी काम करना और ऑनलाइन कक्षाएं सुनिश्चित करने सहित अनेक काम किए हैं.भारत दूरसंचार मानकों के विकास की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है. भारत के भीतर विकसित 5Gi मानकों को अब आईटीयू द्वारा 5 प्रतिशत के लिए तीन तकनीकों में से एक के रूप में मान्यता दी गई है. 1.2 अरब से अधिक दूरसंचार ग्राहकों, स्टार्ट-अप और नवाचार केंद्रों के एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के साथ, भारत दूरसंचार मानकों को और विकसित करने में सार्थक योगदान देने के लिए तैयार है. डीओटी द्वारा एक 6G टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप (टीआईजी) का गठन भी किया गया है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मानक स्थायपना निकायों में क्षमता विवरण, मानकों के विकास में भागीदारी में वृद्धि के जरिए 6G प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में सह-निर्माण और सहभागिता करना है.
भारत ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ के साथ नई दिल्ली में क्षेत्रीय कार्यालय और नवाचार केंद्र की स्थापना के लिए मेजबान देश समझौते पर हस्ताक्षर किए. अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों-आईसीटी के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है. नई दिल्ली में आईटीयू के क्षेत्रीय कार्यालय और इनोवेशन सेंटर से दक्षिण एशियाई देशों जैसे अफगानिस्तान, बंगलादेश, भूटान, ईरान, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका और भारत को सेवाएं प्राप्त होने की उम्मीद है. क्षेत्रीय कार्यालय में एक नवोन्मेष केंद्र भी होगा, जिससे दक्षिण एशिया में दूरसंचार प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है.
राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति
राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 (एनडीसीपी) सरकार द्वारा एक सर्वव्यापी, लचीली, सुरक्षित, सुलभ और सस्ती डिजिटल संचार अवसंरचना और सेवाओं की स्थापना के जरिए नागरिकों और उद्यमों की सूचना और संचार आवश्यकताओं को पूरा करने की दृष्टि से शुरू की गई थी. नीति का उद्देश्य डिजिटल रूप से सशक्त अर्थव्यवस्था और समाज में भारत के संक्रमण का समर्थन करना है. नीति आगे डिजिटल सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने और लोगों की बेहतर भलाई के लिए डिजिटल संचार नेटवर्क की परिवर्तनकारी शक्ति का दोहन करने का प्रयास करती है.
इस नीति के तीन मिशन हैं:-
क) कनेक्ट इंडिया: सेवा की गुणवत्ता और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करते हुए सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक उपकरण के रूप में 'सभी के लिए ब्रॉडबैंड’ को बढ़ावा देना. 'सभी के लिए ब्रॉडबैंड’ सुविधा चालू करने के लिए, डिजिटल संचार बुनियादी ढांचे के तेजी से विकास को सक्षम करना, डिजिटल सशक्तिकरण और समावेशन के लिए डिजिटल विभाजन को पाटने और ब्रॉडबैंड के लिए सस्ती और सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन को 2019 में शुरू किया गया था.
ख) प्रोपेल इंडिया: भविष्य के लिए तैयार उत्पादों और सेवाओं के प्रावधान को सक्षम करने, और निवेश, नवाचार तथा आईपीआर को प्रोत्सोहन देकर चौथी औद्योगिक क्रांति (उद्योग 4.0) को उत्प्रेरित करने के लिए 5G, एआई, आईओटी, क्लाउड और बिग डेटा सहित उभरती डिजिटल तकनीकों की शक्ति का दोहन करना.
ग) सुरक्षित भारत: व्यक्तिगत स्वायत्तता और पसंद, डेटा स्वामित्व, गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान देने के साथ; डेटा को एक महत्वपूर्ण आर्थिक संसाधन के रूप में मान्यता देते हुए नागरिकों के हितों और भारत की डिजिटल संप्रभुता की रक्षा करना.
राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन
ग्रामीण-शहरी और अमीर-गरीब के बीच डिजिटल विभाजन को पाटने और ई-गवर्नेंस, पारदर्शिता, वित्तीय समावेशन, व्यापार करने में आसानी और नागरिकों के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए देशभर में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को सक्षम बनाना आवश्यक है. 'सभी के लिए ब्रॉडबैंड’ सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से, डिजिटल संचार बुनियादी ढांचे के तेजी से विकास को सक्षम करने, डिजिटल सशक्तिकरण और समावेशन के लिए डिजिटल विभाजन दूर करने और ब्रॉडबैंड की किफायती और सार्वभौमिक पहुंच उपलब्धत कराने के लिए सरकार ने 17 दिसंबर, 2019 को 'राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन’ शुरू किया था.
राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन का लक्ष्य है.
क) डिजिटल बुनियादी ढांचे और सेवाओं के विस्तार और निर्माण में तेजी लाने के लिए आवश्यक नीति और नियामक परिवर्तनों को संभव करना;
ख) देशभर में ऑप्टिकल फाइबर केबल्स (ओएफसी) और टावरों सहित डिजिटल संचार नेटवर्क और बुनियादी ढांचे का एक डिजिटल फाइबर मैप बनाना;
ग) अंतरिक्ष विभाग के साथ मिलकर काम करना, उपग्रह मीडिया के माध्यम से देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए आवश्यक पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराना;
घ) विशेष रूप से घरेलू उद्योग द्वारा ब्रॉडबैंड के प्रसार के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना;
ङ) एक राज्य/संघ शासित प्रदेश के भीतर डिजिटल संचार बुनियादी ढांचे और अनुकूल नीति पारिस्थितिकी तंत्र की उपलब्धता के मानचित्रीकरण के लिए एक ब्रॉडबैंड रेडीनेस इंडेक्स (बीआरआई) विकसित करना;
च) देशभर में डिजिटल संचार बुनियादी ढांचे के विकास के परिणामस्वरूप और डिजिटल अर्थव्यवस्था के माध्यम से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार को बढ़ावा देना.
प्रधानमंत्री का वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (पीएम-वाणी)
देश में सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क के माध्यम से ब्रॉडबैंड सेवाओं के प्रसार में तेजी लाने के लिए, सरकार ने 2020 में पब्लिक डेटा ऑफिस एग्रीगेटर्स (पीडीओ) और पब्लिक डेटा ऑफिस (पीडीओ) द्वारा सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क की स्थापना को मंजूरी दी. यह ढांचा पूरे भारत में एक मजबूत डिजिटल संचार अवसंरचना के निर्माण के एनडीसीपी-2018 के लक्ष्य को आगे ले जाता है. सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क के माध्यम से ब्रॉडबैंड सेवाओं का प्रसार डिजिटल इंडिया और इसके परिणामी लाभों की दिशा में एक कदम है. यह प्रौद्योगिकी उद्यमियों को मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने वाले वाई-फाई प्रौद्योगिकी समाधान विकसित करने और स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. यह नया ईको सिस्टम उच्च गति ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने के लिए संभावित पीडीओ के रूप में दुकानदारों के लिए नए व्यापार मॉडल को भी सक्षम करेगा. सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट का उपयोग करके ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने के लिए कोई लाइसेंस शुल्क नहीं लिए जाने से देशभर में इसके प्रसार और स्थापना को प्रोत्साहन मिलेगा.
संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन
स्रोत: दूरसंचार विभाग/संयुक्त राष्ट्र